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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon

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NCERT Solutions for Class 12 Chapter 3 Hindi - FREE PDF Download

Class 12 Hindi Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon in NCERT Solutions for Class 12 Hindi gives insight into the theme of the passage of time. The author reflects on the impact of the past on the present, exploring how memories shape our identities and experiences. The chapter discusses various aspects of life, such as childhood memories, cultural heritage, and the significance of history in understanding our current lives. Through evocative language and rich imagery, the author invites readers to connect with their past and contemplate its influence on their present.

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Table of Content
1. Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon
2. Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon
3. Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon
4. Chapter-wise NCERT Solutions Class 12  Hindi - (Vitan) 
5. NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions
6. Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi 
FAQs


Our solutions for Class 12 Hindi (Vitan) NCERT Solutions PDF breaks the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 12 Chapter 3. 


Glance on Class 12 Hindi Chapter 3 (Vitan) Ateet Mein Dabe Paaon  

  • Chapter 3 emphasises the importance of nostalgia, illustrating how memories from the past can evoke strong emotions and shape our identity. 

  • Readers are invited to reflect on their own past experiences and their lasting impact.

  • It highlights the significance of cultural heritage in understanding one's roots and identity. The author connects personal memories to broader cultural narratives, showing how they inform current perspectives.

  • The author employs vivid imagery to evoke emotions associated with memories. Descriptions of places, sounds, and experiences create a rich tapestry that resonates with readers.

  • The narrative explains how the past continuously influences our present lives. 

Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon

1. सिंघू-सभ्यता साधन-संपन थीं, पर उसमे भव्यता का आदंबा नहीं था। कैसे?

उत्तर: सिंधु सभ्यता पर अब तक के आध्यन, खोज और खुदाई में मिले शहर के अवशेष और मूर्तियों के अनुसार, यह ज्ञात होता है कि सिंधु सभ्यता एक संसाधन संपन सभ्यता थीं लेकिन इसमें राज्य सत्ता या धर्म के संकेत नहीं मिले। मुहरो,वास्तुकला की एकरूपता, पानी की व्यवस्था और जल निकासी व्यवस्था, सफाई और सामाजिक व्यवस्था आदि के अनुशासन ये कहा जा सकता है की यह एक उन्नत सभ्यता थी। राजशाही और धर्म की ताकत दिखने वाली भव्यता का कोई प्रदर्शन नहीं हैं। अन्य सभ्यताओं में, बलों को दिखाने के लिए भव्य महलों, मंदिरो और मूर्तियों का निर्माण किया गया था लेकिन सिंधु- सभ्यता खुदाई में, छोटी मूर्तियां,खिलौने, मिट्टी के बर्तन और नौकाओं आदि मिले है, जो ताज ‘ राजा 'के सर पर रखा गया था वह भी छोटा है, अर्थात् यह प्रभुत्व या दिखावे को कहीं नहीं दर्शाता है।इसके अतिरक्त यहां जो भी मिला उससे यह पता चलता है कि पहले से ही ये उत्कृष्ठ, पूर्ण-संगठित और विकसित शहरी सभ्यता है।


2. “सिंधु-सभ्यता की खूबी उसका सौन्दर्य- बोध है जो राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित था।” ऐसा क्यों कहा गया?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता मानव- सभ्यताओं में सबसे विकसत और उत्कृष्ट है। ये संभवतः इसकी खूबियों के कारण है। सिंधु सभ्यता का आधार और उद्देश्य-सामाजिक विकास और सामाजिक व्यवस्था दोनों ही थे। सिंधु घाटी के लोगों के बीच धर्म और राजनीति का कोई विशेष प्रभाव देखने को नहीं मिला। सिंधु घाटी सभ्यता में कला का ज्यादा महत्व था। वास्तुकला या नगर विकास के अलावा, धातु और पत्थरों की मूर्तियां, पत्थरों पर अंकित मनुष्यों, वनस्पति और जीवों की तस्वीरें, अच्छी तरह से बनाई गई है। सिंधु घाटी सभ्यता में राज सत्ता और धर्म सत्ता के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। जहां अन्य सभ्यताओं में राजशाही और धर्म की ताकत देखने वाली ताकतों को देखने के लिए शानदार महलों, मूर्तियों और मंदिरों का निर्माण किया था, लेकिन सिंधु घाटी की खुदाई में, छोटी मूर्तियां, खिलौने, मिट्टी के बर्तन और नावों के अलावा ऐसे अवशेष नहीं मिले हैं, यहां तक की “राजा” के सिर पर जो मुकुट रखा गया था वह भी आकार में छोटा है, इसलिए वह प्रभुत्व या दिखावे का प्रदर्शन नहीं करता है।इसके अलावा आम आदमी की जरूरत को पूरा करने के लिए यहां सब कुछ था।लेकिन कुछ भी ऐसा नहीं है जिससे राजनैतिक और धार्मिक वयवस्था के विशेष प्रभाव को उजागर करे यहां की सभी वस्तुओं पर आम आदमी का अधिकार था। अतःयह कथन सही है कि सिंधु घाटी सभ्यता की खूबी उसका सौन्दर्य बोध है।जो राज पोषित या धर्म पोषित न होकर समाज पोषित है।


3. पुरातत्व के किन चिह्नो के आधार पर आप यह कह सकते हैं कि सिंधु-सभ्यता ताकत से शासित होने कि अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता को नगर नियोजन और प्रणाली अपने आप में ही उन्नत और विकसित का प्रमाण देती हैं। यहां ‘ताकत’ मतलब राजशक्ति या धर्म शक्ति, जो एक राजा या महंत द्वारा शासित होती हैं और उसके पर्दशन में, वे  “महल या विशाल मंदिर और मूर्तियों  का निर्माण करते हैं”।परन्तु इस सभ्यता में न तो महल या मंदिर है और न ही राजा और महंतो की कब्रें हैं। मोहन-जोदड़ो के  “राजा” का मुकुट भी छोटा है,इसका मतलब यह है कि उस समय ‘नरेश’ ताकत का संकेत ना होके समाज और उसकी प्रणाली का मजबूत हिस्सा रहा होगा। और जो कुछ यहां पाया गया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि यह आम आदमी के हितों को ध्यान में रखते हुए बहुत सुनियोजित और नियोजित तरीके से बनाया गया है। खाद्य भंडार, जल निकासी, पानी की आपूर्ति प्रणाली, शहर की योजना, वास्तुकला, स्वच्छता, टिकटों और सामाजिक व्यवस्था सभी में एकरूपता है, जो एक अनुशासित और व्यवस्थित समझ को दर्शाता है। और ये ऐसे आधार है जिसके द्वारा विद्वानों का मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता समर्थता शक्ति द्वारा शासित होने के बजाय समझ द्वारा अनुशासित सभ्यता थी।


4. “यह सच है कि यहां किसी आंगन की टूटी फूटी सीढ़ियां अब कहीं नहीं ले जाती, वे आकाश की तरफ अधूरी रह जाती है। लेकिन उन अधूरे पायदानों खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर है, वहां से आप इतिहास को नहीं, उसके पास झांक रहे हैं।” इस कथन के पीछे लेखक का क्या आशय है?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की सबसे बड़ी सभ्यता में से एक है। लेखक के इस कथन का अर्थ है की इन टूटी फूटी सीढ़ियों पर खड़े होकर आप इतनी महान सभ्यता देख सकते हैं, जो सभ्यता काल्पनिक ना होकर एक अनुशासित सभ्यता है। यहां के घरों की सीढ़ियां उस काल और उससे पहले का एहसास कराती है जब यह सभ्यता अपने चरम पर रही होगी तब यह सभ्यता दुनिया की सबसे विकसित और पुरानी सभ्यता रही होगी। खंडहर से मिले टूटे-फूटे घरों के अवशेष मानवता के लक्षण और मानव जाति के क्रमिक  विकास को दर्शाते हैं। उन अधूरे पायदान ऊपर खड़े होकर सीखने को कितना कुछ है, उस समय की अनूठी शहर योजना, उस समय का ज्ञान, उसके द्वारा स्थापित मानदंड, उसी समय की वास्तुकला हमारे लिए अनुकरणीय है। दुनिया की छत पर होने एक गर्व की अनुभूति है, इसका मतलब है कि हजारों साल पहले हम इतने पहले उन्नत थे की सभ्यता के नाम पर हम दुनिया में सबसे ऊपर है, अर्थात हमें दुनिया की छत पर होने का गर्व हो सकता है।इन सीढ़ीयो पर चढ़कर हम इतिहास नहीं बल्कि सिंधु सभ्यता के सभी मानव और उनकी विकसित सभ्यता को देखना चाहते हैं।


5. “टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगीयों के अनछुए समयो का दस्तावेज होते हैं।” इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: टूटे फूटे हुए खंडार सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगीयों के अनछुए समयो का दस्तावेज प्रस्तुत करता है। यह खंडढर उस समय की संस्कृति का परिचय देते है। आज भी हम वहां किसी भी घर के खंडार पीछे पीठ दिखाकर आराम कर सकते हैं। शहर के सुनसान रास्तों पर खड़े होकर बैलगाड़ी की आवाज महसूस कर सकते हैं। इस प्रकार नगर नियोजन, धातु और पत्थर की मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, पत्थरों पर आकृतियां, बारीकी से चित्रित चित्र को देखकर ऐसा लगता है, मानव सहयोग के मनुष्य अभी भी इधर-उधर है। इन सभी का जीवंत एहसास अभी भी महसूस होता है कि यह सभी इतिहास के दस्तावेज होने के साथ-साथ जीवन की धड़कन भी है। जो हमारे सामने बीते हुए अनछुए समय को प्रस्तुत करते है।


6. इस पाठ में एक ऐसे स्थान का वर्णन है जिसे बहुत कम लोगों ने देखा होगा, परंतु इस समय आपके मन में उस नगर की एक तस्वीर बनती है। किसी ऐसे ऐतिहासिक स्थल, जिसको आपने नजदीक से देखा हो, का वर्णन अपने शब्दों में करें।

उत्तर: आगरा का ताजमहल भारतीय ऐतिहासिक स्थलों में से एक महत्वपूर्ण स्थल है। ताजमहल का निर्माण १६३२ में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज के मकबरे के लिए शुरू किया था। ताजमहल का कार्य १६४३ में पूर्ण हुआ था। ताजमहल को १९८३ मे यूनेस्को की विश्व विरासत कला के रूप में नामित किया गया था। यह स्थापत्य कला का जीता जागता उदाहरण। ताजमहल का निर्माण सफेद संगमरमर के पत्थर से किया गया है। पूरे ताजमहल का मुख्य केंद्र मुमताज महल का मकबरा है। यह बड़े-बड़े संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है। इसीलिए के मकबरे की ऊपर एक विशाल गुंबद है जो इसकी शोभा को बढ़ाता है। ताजमहल भारत के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है जिसे हमने नजदीक से देखा है तथा इसकी खूबसूरती और इतिहास का गहन किया है।


7. नदी, कुएं, सनानग्रह और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है कि क्या क्या हमें सिंधु घाटी सभ्यता को जल संस्कृति क्या सकते हैं? आपका जवाब लेकर के पक्ष में है या विपक्ष में। तर्क दें?

उत्तर: मोहनजोदड़ो के पास बहती सिंधु नदी, स्नानघर, शहर में कुएं और बेजोड़ जल निकासी प्रणाली, को देखकर ही लेखक ने सिंधु घाटी को जन संस्कृति कहा है।और मैं इस कथन से सहमत हूं। निम्नलिखित विशिष्ट बिंदुओं से हम इस बात की पुष्टि करते हैं:


  • मोहनजोदड़ो के प्रत्येक घर में एक स्नानघर था। घर के अंदर से निकलने वाला  पानी या धंधा पानी नाले के माध्यम से,बड़ी नालियों में जाकर मिलता था। कहीं-कहीं नालियां ऊपर से खुली होती थी लेकिन अधिकांश नालियां ऊपर से बंद होती थी।

  • उनकी जल निकासी प्रणाली बहुत सर्वोच्च और उत्तम थी।

  • वहां के शहरों में हर तरफ कुएं मिलते हैं, इन्हें पक्की ईंटों से बनाया जाता था। अकेले मोहनजोदड़ो में ७०० कुए पाए गए हैं।

  • इस नगर में एक महा कुंड भी मिला है जो लगभग ४० फीट लंबा और २५ फीट चौड़ा है।


8. सिंधु घाटी सभ्यता का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिला है। सिर्फ अवशेषों के आधार पर ही बनाई गई है। इस लेख में मोहनजोदड़ो के बारे में जो आधार व्यक्त किया गया है क्या आपके मन में इससे कोई भिन्न धारा या भाग भी पैदा होता है? इन संभावनाओं पर कक्षा में सामूहिक चर्चा करें।

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता की जानकारी हमें गर्म, अज्ञान और अन्य क्षेत्रों की खुदाई से मिले अवशेषों से मिली है। खुदाई में हमें मोहनजोदड़ो शहर की योजना, मकान,खेती, कला, जल संग्रह और जल निकासी, खिलौने आदि के अवशेष मिले हैं। इसके आधार पर यह धाराएं बनाई गई है कि यह सभ्यता अधिक विकसित है और यह अनुमान लगाया है कि आज की शहर योजना की तुलना में यहां वास्तुकला और नगर नियोजन अधिक विकसित थी कोई रेगिस्तान नहीं था, कृषि उन्नत स्थिति में थी, पशुपालन और व्यापार भी विकसित था। मोहनजोदड़ो के बारे में निबंध लिखें धारणाएं मिली है:


  • इस सभ्यता की खुदाई में जो लिपि मिली है वह चित्र लिपि है और कोई भी इसे आज तक पढ़ नहीं पाया।

  • यहां मिले अवशेष इसकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में बताते हैं यदि लिप्स पास नहीं पढ़ी जा सकती है तो हमें यहां पर मिले अवशेषों के आधार पर ही जानकारी मिली है कि ये सभ्यता कितनी उन्नत थी। यह बात सही है कि इतनी पुरानी सभ्यता के सभी संकेत सुरक्षित नहीं हो सकते। लेकिन इस क्षेत्र के जलवायु और मजबूत निर्माण के कारण बहुत सारे अवशेष सही सिद्ध हुए हैं। कर्ण सभ्यता और संस्कृति की परिकल्पना उन्ही  के आधार पर की गई है।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon

  • Readers gain insight into the concept of nostalgia and its emotional significance. It helps them appreciate how memories can both comfort and challenge us.

  • Chapter 3 teaches that memories are integral to forming one’s identity. Understanding this interplay can aid in personal growth and self-awareness.

  • Students learn to appreciate the role of cultural heritage in shaping experiences and how shared histories contribute to individual identities.

  • The use of imagery encourages an emotional connection to the text, encouraging readers to engage more deeply with their memories and feelings.

  • Chapter 3 encourages critical reflection on personal experiences and their influence on present actions and thoughts, enhancing a habit of introspection.


Benefits of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3 (Vitan)

  • Class 12 Chapter 3 Hindi NCERT Solutions provides detailed explanations and answers for all chapters, ensuring that students grasp the complete syllabus effectively.

  • The solutions are created according to the NCERT curriculum, making them ideal for exam preparation and ensuring that all important topics are covered.

  • The solutions break down complex concepts into simpler terms, making it easier for students to understand difficult topics and themes.

  • By studying the solutions, students can learn how to articulate their thoughts better and improve their writing skills in Hindi.

  • NCERT Solutions include various questions, helping students practice effectively and prepare thoroughly for their exams.


Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon

S. No

Important Study Material Links for Chapter 3

1.

Class 12 Ateet Mein Dabe Paaon Questions

2.

Class 12 Ateet Mein Dabe Paaon Notes


Conclusion

Class 12 Hindi  NCERT Solutions Ateet Mein Dabe Paaon is a exploration of how our past experiences shape our present lives. The chapter encourages readers to reflect on their memories and the significance of cultural heritage. The NCERT Solutions provided in this PDF will enhance students' understanding and appreciation of the themes and literary techniques employed in the chapter. Download the PDF for better exam preparation.


Chapter-wise NCERT Solutions Class 12  Hindi - (Vitan) 

After familiarising yourself with the Class 12 Hindi Chapter Question Answers, you can access comprehensive NCERT Solutions from all Hindi Class 12 Vitan textbook chapters.


S. No

Chapter-wise NCERT Solutions for Class 12 Hindi (Vitan) 

1.

Chapter 1 - Silver Wedding Solutions

2.

Chapter 2 - Ateet Mein Dabe Paaon Solutions


NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions


Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi 

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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon

1. What is the main theme of Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon in NCERT Solutions?

The main theme of Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon is the exploration of nostalgia and how past experiences influence our present identities.

2. How does the author evoke emotions in NCERT Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon?

The author evokes emotions in Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon through vivid imagery and reflective language that resonate with readers' personal experiences.

3. What role do memories play in Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon?

In NCERT Solutions of Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon, memories play a crucial role in shaping personal identity and understanding the impact of the past on the present.

4. How does the chapter connect personal experiences to cultural heritage?

The chapter connects personal experiences to cultural heritage by illustrating how individual memories are intertwined with collective cultural narratives and histories.

5. What can students learn from studying NCERT Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon?

Students can learn about the significance of nostalgia, the relationship between memory and identity, and the importance of cultural heritage from Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon.

6. What literary techniques are used in Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon?

NCERT Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon employs literary techniques such as imagery, metaphor, and reflective narration to convey its themes effectively. Students can visit and download NCERT Solutions of the chapter for a better understanding.

7. How can the themes of Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon be applied in real life?

The themes of Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon can be applied in real life by encouraging individuals to reflect on their memories and understand their influence on current behaviour and choices.

8. What emotional responses does chapter 3 of NCERT Solutions evoke in readers?

Chapter 3 evokes emotional responses such as nostalgia, longing, and introspection, prompting readers to connect with their own past experiences.

9. How does Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon enhance literary appreciation?

According to NCERT Solutions of Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon enhances literary appreciation by inviting readers to explore complex themes and engage with the emotional nuances of the text.

10. What discussions can arise from reading NCERT Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon?

Discussions can arise about the nature of memory, the importance of cultural heritage, and how personal experiences shape individual identities in Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paaon.