Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 5 Vasant Aaya , Todo

ffImage
widget title icon
Latest Updates

NCERT Solutions for Class 12 Chapter 5 Hindi - FREE PDF Download

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo, the poet gives insight into the relationship between nature and humanity, emphasising the beauty of the spring season and the need to break free from the constraints that hinder personal growth. The chapter reflects on how humans have distanced themselves from nature’s inherent beauty and how this separation has led to a disconnection with the natural world. The poet encourages readers to overcome obstacles, whether internal or external, to rediscover the joy of living in harmony with nature. This exploration invites a deeper understanding of how societal and self-imposed limitations can restrict one's creativity and well-being.

toc-symbol
Table of Content
1. Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo
    1.1क) वसंत आया
    1.2ख) तोड़ो
2. Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 5
3. Important Study Material Links for Hindi Antra Class 12 Chapter 5 Vasant Aaya, Todo
4. Chapter-wise NCERT Solutions Class 12 Hindi - (Antra) 
5. NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions
6. Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi
FAQs


Our solutions for Class 12 Hindi Antra NCERT Solutions break the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 12 Chapter 5.


Glance on Class 12 Hindi Chapter 5 वसंत आया, तोड़ो (Antra)

  • The poem highlights the arrival of spring and its effects on the environment and human emotions.

  • It contrasts the vibrant beauty of nature with the constraints imposed by modern life.

  • The poet uses powerful imagery to evoke feelings of renewal and hope.

  • The text emphasises the importance of breaking free from limitations for personal growth.

  • It serves as a reminder of the interconnectedness between humans and nature.

Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo

क) वसंत आया

1. वसंत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली?

उत्तर: कवि को बसंत आने की सूचना प्रकृति में आए परिवर्तनों को देखकर मिली जैसे- चिड़ियों  की कुक, गुनगुनी ताज़ी हवा तथा पेड़ों से झड़ते पीले पत्ते। कवि ने अपनी इस सूचना को स्पष्टीकरण देने के लिए घर पहुँचकर कैलेंडर में देखकर जानकारी की पुष्टि की।


2. ‘ कोई छः बजे सुबह…….फिरकी सी आई, चली गई’-  पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिये।

उत्तर:  कवि का तात्पर्य हैं कि वसंत आने से पहले वातावरण में शीतलता होती है जो मनुष्य को ठिठुरा देती है। परंतु बसंत के आने से वातावरण में एक गुनगुनाहट सी छा जाती है। जो मनुष्य को एक उल्लास प्रदान करती है। यह गुनगुनी हवा मनुष्यों की सुस्ती तोड़ती हैं। बसंत की हवा में उपस्थित गर्माहट आनंद प्रदान करती हैं।


3. अलंकार बताइए: 

1) बड़े बड़े पियराय पत्ते 

2) कोई छः बजे सुबह जेसे गरम पानी से नहाई हो 

3) खिली हुई हवा आई, फिरकी- सी आई, चली गई 

4) कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल 

उत्तर :

1) बड़े- बड़े पियराय पत्ते: प्रस्तुत पंक्ति में ‘ब’ तथा ‘प’ वर्णन की दो से अधिक बार आवृत्ति हुई है जिसके कारण यहाँ अनुप्रास अलंकार है। तथा ‘बड़े’ शब्द की उसी रूप में पुनः बार आवृत्ति हुई है जिसके कारण यहाँ पुनरक्ति प्रकाश अलंकार विद्यमान है।

2) कोई छः बजे सुबह जेसे गरम पानी से नहाई हो इस पंक्ति में मानवीकरण अलंकार है। 

3) खिली हुई हवा आई , फिरकी सी आई , चली गयी- यहाँ हवा की तुलना फिरकी से की गई गयी है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है। साथ ही यहाँ ह’ वर्ण की आवृत्ति बार बार हुई है जिसके कारण यहाँ अनुप्रास अलंकार भी है।

4) कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल- प्रस्तुत पंक्ति में ‘द’ वर्ण की दो से अधिक बार उपस्थिति के कारण अनुप्रास अलंकार है। साथ ही यहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार भी है क्यूँकि ‘दहर’ शब्द का एक ही रूप में पुनः आवृत्ति हुई है।


4. किन पंक्तियो से ज्ञात होता है कि आज मनुष्य प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य की अनुभूति से वंचित है.?

उत्तर: नीचे दी गई पंक्तियो से ज्ञात होता है कि आज मनुष्य प्रकृति की अनुभूति से वंचित है: 

कल मैंने जाना की वसंत आया। 

अनुभूति से वंचित है।

कल मैने जाना कि वसंत आया। 

और यह कैलन्डर से मालूम था

अमूक दिन अमूक बार मदन महीने की होवेगी

पंचमी 

दफ्तर में छुट्टी थी 

यह था प्रमाण और कविताएं पढ़ते रहने से यह पता था 

कि दहर- दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल 

आम बौर आवेंगे


5. ‘प्रकृति मनुष्य की सहचरी है’ इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुय आज के संदर्भ में इस कथन की वास्तविकता पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर: यह सच है कि ‘प्रकृति मनुष्य की सहचरी है’। प्रकृति ने मानव विकास में अपना पूरा योगदान दिया है।  उन्होंने मनुष्य की सभी सुख सुविधाएं उत्तम और पृथ्वी पर उसके अस्तित्व का ध्यान रखा और पनपने के लिए सभी साधन दिए। मनुष्य ने पृष्ठभूमि की गोद में रहकर ज्ञान प्राप्त किया है।  आज वह चाँद पर पहुँच गया है। उसके पास सबसे उन्नत साधन उपलब्ध है। ये आदमी के पास अपना कुछ नहीं है,  उसे जो मिला है वह उसी प्रकृति में है जो साथी के रूप में है। लेकिन जब से मनुष्य ने धरती पर अपने पैर जमाए,  उसने अपना साम्राज्य शुरू कर दिया है। उसने अपने चारों ओर सीमेंट के जंगल खड़े कर दिए हैं जिसके कारण उसके साथ ही उसके पास के साधन सीमित हो गए हैं। आज प्रकृति ने भी अपने साथी रूप को छोड़ दिया है


6. ‘वसंत आया’ कविता में कवि की चिंता क्या है? उसका प्रतिपादन लिखें?

उत्तर: प्रकृति के साथ आज का मानवीय रिश्ता टूट गया है।

मनुष्य ने देश की प्रगति के लिए प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है। महानगर में प्रकृति के दर्शन नहीं है चारों तरफ इमारतें है। मनुष्य को ऋतुओं की सुंदरता और उसमें होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी नहीं है। यह सभी के लिए चिंता का विषय है। प्रकृति जो कभी मानव जाती का साथी था आज उससे दूर है । मनुष्य के पास अत्याधुनिक सुविधाएं होने का साधन है। लेकिन प्रकृति की सुंदरता को देखने और महसूस करने की संवेदना नहीं बची है।


ख) तोड़ो

1. ‘पथर’ और चट्टान’ शब्द किसके प्रतीक है.?

उत्तर: प्रस्तुत कविता में पत्थर और चट्टान शब्द का प्रयोग इस कविता में बंधन और बाधाओं के रूप में किया गया है। कवि मनुष्य को उन्हें हटाने की प्रेरणा देता है। क्योंकि बंधन और बाधाएं मनुष्य को आगे बढ़ने से रोकती हैं। कवि के अनुसार यदि इन बंधनों को पार करके विकास करना है और मंजिल को पाना है तो उन्हें तोड़ना होगा।


2. भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए,

मिट्टी में रस होगा ही जब वह पहुंचेगी बीज को हम इसको क्या कर डाले इस अपने मन की खीज को?

गोड़ो गोड़ो गोड़ो 

उत्तर: इस पंक्ति का भाव यह है कि मिट्टी और मनुष्य का मन एक जैसे होते है। अगर मिट्टी में उपजाऊपन नहीं है तो वह किसी भी बीज का पोषण नहीं कर पाएंगे। उसी प्रकार मन अगर स्वस्थ नहीं है तो उसकी सृजन शक्ति प्रभावित होगी। मन तब स्वस्थ  होगा जब उसके अंदर की खीज बाहर निकलेगी। इस पंक्ति में कवि मिट्टी की तरह मन को उपजाऊ बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।


3. कविता का आरंभ ‘तोड़ो तोड़ो तोड़ो’ से हुआ है और अंत ‘गोड़ो गोड़ो गोड़ो’ से। विचार कीजिए कि कवि ने ऐसा क्यों किया?

उत्तर: कवि नई कविता का आरंभ ‘तोड़ो तोड़ो तोड़ो’ से करके मनुष्य को विघ्न, खीज तथा बाधाएं इत्यादि को तोडने की प्रेरणा देकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। इन सभी को तोड़ने के बाद ही मनुष्य के अंदर सृजन शक्ति का विकास होगा। मनुष्य  के सोचने और समझने की शक्ति का विकास होगा। विघ्न, खीज तथा बाधाएं मनुष्य के सृजन शक्ति तथा विचारों को प्रभावित करती है। ‘गोड़ो गोड़ो गोड़ो’ शब्द का प्रयोग आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया है।


4. यह झूठे बंधन टूटे

तो धरती को हम जानें

यहाँ पर झूठे बंधनों और धरती को जानने से क्या अभिप्राय है?

उत्तर:  प्रस्तुत पंक्तियों में कवि का झूठे बंधनों से अभिप्राय है कि झूठे बंधन मनुष्य के विकास के रास्ते  में बाधा डालते  हैं। जिसप्रकार पृथ्वी में पत्थर और चट्टानें उसे बंजर बनाती है। उसी प्रकार मनुष्य के मन में भी व्याप्त झूठे बंधन उसकी सृजन शक्ति को विकसित करने से रोकते हैं।


पृथ्वी को जानने से तात्पर्य यह है कि पृथ्वी में पूरे संसार का पोषण करने की शक्ति है। लेकिन इसमें मौजूद पत्थर और चट्टानें इसे बंजर बना देती है। मनुष्य का मन इस पृथ्वी की तरह है। यदि वे संदेह, झूठे बंधन के जाल में फंस जाता है, तो वह अपनी सृजन शक्ति को खो देता है। अंतः मनुष्य को आत्मावलोकन करके अपनी सृजन शक्ति का विकास करना चाहिए।


5. ‘आधे-आधे गाने’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर: आधे-आधे गाने के माध्यम से कवि का अभिप्राय है कि उनके द्वारा लिखा गया गीत अभी अधूरा है। यह गीत तब तक तक पूरा नहीं होगा जब तक मनुष्य अपने अंदर की खीज और ऊब को बाहर निकालकर अपने मन को उमंग और उल्लास से नहीं भर लेता है। कवि अपने गीत को पूर्ण तभी समझेंगे जब वह पाएंगे कि उनके लिखने का उद्देश्य भी पूर्ण हो गया हो अर्थार्थ जो वह मनुष्य को समझना चाहते हैं वह मनुष्य समझे और अपनी सृजनात्मक शक्ति को बढ़ाएं।


योग्यता विस्तार–

  1. ‘वसंत ऋतु’ पर किन्हीं दो कवियों की कविताएँ खोजिए और इस कविता से उनका मिलान कीजिए।

  2. बरन बरन तरु फूले उपवन बन,
    सोई चतुरंग संग दल लहियत है।
    बंदी जिमि बोलत बिरद बीर कोकिल हैं,
    गुंजत मधुप गान गुन गहियत है।
    आवै आस-पास पुहुपन की सुवास सोई
    सौँधे के सुगंध माँझ सने रहियत है।
    सोभा कों समाज, सेनापति सुख-साज, आज
    आवत बसंत रितुराज कहियत है।
    – सेनापति

  3. हार गले पहना फूलों का
    ऋतुपति सकल सुकृत कूलों का
    स्नेह सरस भर देगा उर सा
    स्मरहर को वरेगी
    वसन वसंती लेगी।
    – निराला

  4. आए महंत वसंत।
    मखमल के झूल पड़े हाथी-सा-टीला
    बैठ किंशुक छत्र लगा बांध पाग पीला,
    चंवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनंत।
    आए महंत वसंत।

  5. औरै भाँति कुंजन में गुंजरत भीर भौंर,
    औरै डौर झौरन पै बौरन के ह्ने गए।
    ऐसे ऋतुराज के न आज दिन द्वै गए। – पद्याकर

  6. भारत में ऋतुओं का चक्र बताइए और उनके लक्षण लिखिए।


भारत में ऋतुओं का चक्र
(क) गर्मी: वैशाख-जेठ के मास में अत्यधिक गर्मी पड़ती है और लू चलती है।
(ख) वर्षा: आषाढ़-सावन-भादों में गर्मी के साथ वर्षा होती है। सावन में रिमझिम फुहारें पड़ती हैं।
(ग) शरद: क्वार-कार्तिक में हल्की-हल्की ठंड पड़ने लगती है।
(घ) हेमंत: अगहन-पूस में सर्दी बढ़ जाती है।
(ङ) पतझड़ (शिशिर): माघ में पेड़ों से पत्ते गिरते हैं और ठंडी हवाएँ चलती हैं।
(च) वसंत: फागुन-चैत में पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं, बागों में फूलों की बहार आ जाती है और वातावरण में मस्ती भर जाती है।


3. मिट्टी और बीज से संबंधित और भी कविताएँ हैं, जैसे सुमित्रानंदन पंत की ‘बीज’। अन्य कवियों की ऐसी कविताओं का संकलन कीजिए और भित्ति पत्रिका में उनका उपयोग कीजिए।

सुमित्रा नंदन पंत की कविता बीज
मिट्टी का गहरा अंधकार,
डूबा है उसमें एक बीज।
वह खो न गया, मिट्टी न बना,
कोदों, सरसों से क्षुद्र चीज।
उस छोटे उर में छिपे हुए हैं,
डाल-पात औ’ स्कंध-मूल।
गहरी हरीतिमा की संसृति,
बहु रूप-रंग, फल और फूल।
वह है मुट्ठी में बंद किए,
वह के पादप का महाकार।
संसार एक, आश्चर्य एक,
वह एक बूँद सागर अपार।
बंदी उसमें जीवन-अंकुर
जो तोड़ है निज सत्व-मुक्ति,
जड़ निद्रा से जग, बन चेतन।
मिट्टी का गहरा अंधकार,
सोया है उसमें एक बीज।
उसका प्रकाश उसके भीतर,
वह अमर पुत्र! वह तुच्छ चीज।

विद्यार्थी भित्ति पत्रिका स्वयं तैयार करें।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 5

  1. The significance of recognising and appreciating the beauty of nature.

  2. Understanding the impact of societal constraints on personal and creative expression.

  3. The necessity of overcoming inner struggles to achieve fulfilment and happiness.

  4. Realising the importance of harmony with nature for overall well-being.

  5. The poem encourages active participation in life and the environment. 


Important Study Material Links for Hindi Antra Class 12 Chapter 5 Vasant Aaya, Todo

S.No.

Important Study Material Links for Chapter 5

1.

Class 12 Vasant Aaya, Todo Questions

2.

Class 12 Vasant Aaya, Todo Notes



Conclusion

Chapter 5 Vasant Aaya, Todo serves as a compelling reminder of the need to reconnect with nature and shed the limitations that hinder personal growth. Through the vibrant imagery of spring, the poet urges readers to break free from their constraints, embrace creativity, and recognise the beauty that surrounds them. This chapter not only reflects on the joys of the season but also serves as a call to action for individuals to reclaim their connection with the natural world and live more fulfilling lives.


Chapter-wise NCERT Solutions Class 12 Hindi - (Antra) 

After familiarising yourself with the Class 12 Hindi 5 Chapter Question Answers, you can access comprehensive NCERT Solutions from all Hindi Class 12 Antra textbook chapters.




NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions



Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi

You can also download additional study materials provided by Vedantu for Class 12 Hindi.


FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 5 Vasant Aaya , Todo

1. What is the main theme of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo?

The main theme revolves around the beauty of spring and the importance of breaking free from constraints that hinder personal growth and creativity.

2. How does the poet describe the arrival of spring in Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo?

The poet describes spring as a vibrant season that brings joy and renewal to both nature and human emotions.

3. What obstacles does the poet suggest need to be overcome in NCERT Chapter 5 Aaya, Todo?

The poet suggests that both internal struggles and external societal constraints must be overcome to achieve personal growth and harmony with nature.

4. How does nature play a role in personal well-being in NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo?

Nature is portrayed as a source of inspiration and joy, highlighting the importance of living in harmony with the environment for overall well-being.

5. What imagery does the poet use to evoke feelings of renewal in Chapter 5 Vasant Aaya, Todo?

The poet uses vivid imagery of blossoming flowers and the freshness of spring air to evoke feelings of renewal and hope.

6. How does the poem reflect on modern life in Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo?

The NCERT  Solutions contrasts the beauty of nature with the limitations imposed by modern life, emphasising the need to reconnect with the natural world.

7. What message does the poet convey about creativity in Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo?

The poet conveys that overcoming obstacles and reconnecting with nature is essential for fostering creativity and self-expression.

8. How can readers apply the insights from Chapter 5 Vasant Aaya, Todo in their lives?

Readers can apply the insights by actively seeking to break free from constraints, appreciating nature, and nurturing their creativity.

9. What role does the arrival of spring play in the poem in NCERT Class 12 Hindi Chapter 5 Vasant Aaya, Todo?

The arrival of spring symbolises renewal, hope, and the potential for personal and societal growth.

10. How does the poet encourage action in NCERT Chapter 5 Vasant Aaya, Todo?

The poet encourages action by urging individuals to shed their limitations and engage actively with both nature and life itself.