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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 2 Saroj Smriti

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NCERT Solutions for Class 12 Chapter 2 Hindi - FREE PDF Download

Class 12 Hindi Chapter 2 Saroj Smriti, written by Suryakant Tripathi Nirala is a poignant reflection on personal loss and the bond between a father and daughter. The poem expresses Nirala’s grief over the untimely demise of his beloved daughter Saroj. In this heartfelt piece, he reminisces about her life, her beauty as a bride, and the immense sorrow he feels in her absence. The chapter provides a deeper understanding of how Nirala connects his tragedy to universal emotions of loss, love, and longing.

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Table of Content
1. Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 2 Saroj Smriti
    1.1योग्यता विस्तार
2. Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 2
3. Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 2
4. Chapter-wise NCERT Solutions Class 12 Hindi - (Antral)
5. NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions
6. Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi
FAQs


Our solutions for Class 12 Hindi Antra NCERT Solutions break the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and practise Hindi Class 12 Chapter 2.


Glance on Class 12 Hindi Chapter 2 (Antra)

  • The Chapter explains how Saroj Smriti reflects the intense grief of a father over the loss of his daughter.

  • It explains how Nirala blends personal sorrow with universal themes of loss and love from which one knows the importance of Loss.

  • The poem includes vivid imagery, reflecting Saroj’s beauty and the deep bond with her father.

  • It is a touching tribute, showing the impact of personal tragedy on creativity.

  • Nirala highlights the emotional struggle of coping with loss and the remembrance of happier times.

Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 2 Saroj Smriti

1. सरोज के नव - वधु रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर : सरोज विवाह के समय अति सुन्दर लाग रही थी, उसमें उसकी माँ की छवि साफ़ दिखाई दे रही थी। सरोज उस समय अपने जीवन के नए पहलु को देख पा रही थी जिसमें उसके साथ उसके पति थे जिसकी वजह से जो उसके होठों और मन में खुशी थी वह फ़ूट फ़ूट कर बाहर आना चाह रही थी। परंतु नव वधु होने के कारण वह उस खुशी की दबा रही थी। लज्जा के कारण अपनी खुशी दबाने से उसके होठों पर कंपन प्रदर्शित हो रही थी। एक नव वधु के समान ही सरोज की झुकी हुई आँखों में भी चमक दिखाई दे रही थी जो उसे और खूबसूरत बना रही थी।


2. कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद क्यों आई?

उत्तर : कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद अपनी बेटी को दुल्हन के रूप में देखकर आई क्योंकि नव वधु के रूप में सरोज में उसकी माँ की छवि बहुत उभरकर आ रही थी । वे अपनी पत्नी को हर उस पल याद कर रहे थे जहां एक माँ की भूमिका होती है, पने बच्चों के लिए। अपनी पत्नी के साथ शुरू किया गया सफर उन्हें अब मंज़िल तक पहुंचता हुआ दिख रहा था जिसके कारण उन्हें अपनी पत्नी का स्मरण हो आया।


3. 'आकाश बदलकर बना मही' में 'आकाश' और 'मही' शब्द किसकी ओर संकेत करते हैं?

उत्तर : यह दोनों शब्द कवि की पुत्री सरोज की ओर संकेत करते हैं। इनसे कवि कहना चाह रहे हैं कि उनकी स्वर्गीय पत्नी का स्वरूप उनकी बेटी में पूर्ण रूप से दिखाई दे रहा था। वह जो कवितायें लिखते थे, उनमे जो कल्पना होती थी, आज वो उनकी बेटी के रूप में सच होती दिखाई दे रही थी।


4. सरोज का विवाह अन्य विवाह से किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर : सरोज का विवाह बहुत ही आडंबरहीन था। उसमे न कोई शोर शराबा था, न ही कोई अन्य व्यक्ति को बुलाया गया था, न ही मेहंदी और हल्दी का समारोह किया गया और ना ही जागरण या विवाह राग गाये गए थे। सरोज की माँ न होने के कारण माँ की सारी रस्मे तथा जिम्मेदारियाँ उसके पिता यानी कवि ने निभाई थीं।


5. 'वह लता वहीं की, जहां कली तू खिली' पंक्ति के द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है?

उत्तर : इस पंक्ति के द्वारा कवि सरोज के पालन की ओर संकेत करते हैं। यहां लता का माध्यम सरोज की माँ यानी मनोहारी जी हैं जो सरोज को जन्म देते ही चल बसी थी। इस पंक्ति से कवि यह बताना चाह रहे हैं कि जहां लता बड़ी हुई वहीं उसकी कली भी खिली अर्थात जहां मनोहारी जी बड़ी हुई वहीं सरोज का भी लालन पालन हुआ जो कि उसका ननिहाल और मनोहारी जी का मायका था।


6. 'मुझ भाग्यहीन की तु संबल 'निराला जी की य़ह पंक्ति क्या 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे कार्यक्रम की मांग करती है?

उत्तर : निराला जी की यह पंक्ति बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रम की मांग करती है क्योंकि पत्नी के गुजर जाने के बाद कवि का इकलौता सहारा उनकी पुत्री ही थी और जब वह भी गुजर गयी तब उनका जीवन केवल दुख से भरा हुआ रह गया था।


7. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए -

(क) नत नयनों से लोक उतर

उत्तर : इसका अर्थ यह है कि नव वधु की आंखों में जो लज्जा है वह उतरकर उसके होठों पर कंपन के रूप में  आ गयी है।


(ख) श्रृंगार रहा जो निराकार 

उत्तर : इससे कवि यह कहना चाह रहे हैं कि वह जो कवितायें लिखते थे उनमे जो श्रृंगार रस था उसका कोई अकार या रूप नहीं था। उसकी कोई वास्तविकता नहीं थी, वह केवल कल्पनाओं में था। परंतु जब उन्होंने सरोज को नव वधु के रूप में देखा तो उस काल्पनिक श्रृंगार को उन्होंने साकार होता हुआ देखा।


(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला 

उत्तर : इस पंक्ति में कवि यह बताना चाह रहे हैं कि शकुंतला और सरोज की कहानी भले ही कुछ हद तक समान हो परंतु अनेक विषयों में यह दो काफी भिन्न पाठ हैं।


(घ) यदि धर्म, रहे नत सदा माथ 

उत्तर :(घ) इस पंक्ति में कवि कहना चाहते हैं कि वह अपना पिता धर्म का पालन  हर समय माथा झुकाकर करना चाहते हैं और हमेशा करते रहेंगे।


योग्यता विस्तार

1. निराला के जीवन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए रामविलास शर्मा का ‘महामानव निराला’ पढ़िए।

उत्तर : महामानव निराला – रामविलास शर्मा
‘महामानव निराला’ श्री रामविलास शर्मा द्वारा रचित एक सफल संस्मरण है। इसका सार इस प्रकार है: सन् 1934 से 1938 तक का काल निराला जी के कवि-जीवन का सबसे अच्छा काल था। इसी काल में उनकी श्रेष्ठ रचनाएँ ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘राम की शक्ति पूजा’, ‘तुलसीदास’, ‘सरोज स्मृति’ आदि काव्य तथा ‘प्रभावती’ और ‘निरुपमा’ आदि उपन्यास रचे गए। इससे पहले का काल तैयारी का और बाद का काल सूर्यास्त के बाद का प्रकाश भर कहा जा सकता है।


निराला जी कविता लिखने से पहले उसकी चर्चा बहुत कम करते थे। वे कविता के भाव को मन में संजोए रखते थे और धीरे-धीरे वे भाव कविता का आकार ग्रहण करते जाते थे। उनके मन की गहराई को जानना संभव नहीं था। इस प्रक्रिया में वे किसी से बात भी नहीं करते थे। निराला जी ने लेखक को लखनऊ में एक मकान में ‘तुलसीदास’ कविता के दो बंद (छंद) सुनाए थे। एक दिन उन्होंने ‘राम की शक्ति पूजा’ का पहला छंद सुनाकर पूछा था- ”कैसा है?” तारीफ सुनकर बोले- ”तो पूरा कर डालें इसे।” निराला जी की बहुत सी कविताएँ आसानी से समझ में नहीं आतीं। लोग उन पर कई प्रकार के आक्षेप लगाते थे कि वे शब्दों को ढूँस-ढूँसकर किसी तरह कविता पूरी कर देते हैं। पर सच्चाई यह थी कि वे कविता लिखने में बहुत परिश्रम करते थे। वे एक-एक शब्द का ध्यान रखते थे। पसंद न आने पर दुबारा लिखते। उनके कई अधलिखे पोस्टकार्ड मिलते हैं।


कविताएँ पढ़ने और सुनाने में उन्हें बहुत आनंद आता था। उन्हें सैकड़ों कविताएँ याद थीं। वे भाव-विद्वल होकर हाव-भाव के साथ कविता सुनाते थे। कविता को लेकर वे अंग्रेजी और संस्कृत के आचार्य की परीक्षा तक ले चुके थे। उनका घर साहित्यकारों का तीर्थ था। पंत जी प्रायः उनके घर आते थे। एक बार निराला जी ने पंत से कविता सुनाने का आग्रह किया तो उन्होंने कोमल स्वर में ‘जग के उर्षर आँगन में, बरसो ज्योतिर्मय जीवन’ शीर्षक कविता सुनाई थी।


एक बार जब उनके यहाँ जयशंकर प्रसाद जी पधारे तो उन्होंने उनके साथ ऐसे बातें कीं मानो उनका बड़ा भाई आ गया हो। वे प्रसाद जी की कविताओं के प्रशंसक थे। वे अन्य साहित्यकारों का भी बहुत सम्मान करते थे। हाँ, वे स्वाभिमानी बहुत थे। राजा साहब के सामने अपना परिचय इस प्रकार दिया- “हम वो हैं जिनके दादा के दादा की पालकी आपके दादा के दादा ने उठाई थी।” एक साधारण कहानीकार ‘बलभद्र दीक्षित पढ़ीस’ को उन्होंने लेखक से सम्मानपूर्वक परिचित कराया। नई पीढ़ी के लेखकों पर उनकी विशेष कृपा रहती थी। जिससे प्रसन्न होते थे उसे कालिका भंडार में रसगुल्ले खिलाते थे। वे मुँहदेखी प्रशंसा से चिढ़ते थे।


निराला जी अपने तर्कों से विरोधियों को पछाड़ देते थे। कहानियाँ लिखने से पूर्व उनकी चर्चा किया करते थे। वे अपनी बात अभिनय करके समझाने की कला में पारंगत थे। हर चीज का सक्रिय प्रदर्शन ही उन्हें पसंद था। उन्हें बेईमानी से चिढ़ थी। वे कुछ प्रकाशकों की बेईमानी से चिढ़कर उनकी पूजा कर चुके थे। वैसे वे बहुत व्यवहार-कुशल थे। विरोधी का सम्मान करते थे। एक साहित्यकार ने उन पर व्यक्तिगत आक्षेप लिखा था। इस पर उनका संदेश था- “तुम्हारे लिए चमरौधा भिगो रखा है।” पर उसके लखनऊ आने पर केले-संतरों से उसका सत्कार किया।


निराला जी खेलों के भी शौकीन थे। कबड्डी और फुटबॉल खेल लिया करते थे। जवानी में उनका शरीर बड़ा सुडौल था। वे गामा और ध्यानचंद के कौशल की तुलना रवींद्रनाथ ठाकुर से किया करते थे। उनमें तंबाकू फाँकने का व्यसन था, जिसे वे चाहकर भी नहीं छोड़ पाए। निराला जी पाक-कला में सिद्धहस्त थे। वे अपनी कविता की आलोचना तो सह जाते थे, पर अपने बनाए भोजन की निंदा सुनना उन्हें बहुत बुरा लगता था।


वे गरीबी में रहे पर ख्वाब देखा महलों का। एक बार प्रकाशक से दस-दस के पाँच नोट लेकर पंखे का काम लेते हुए सड़क पर जा रहे थे कि एक विरोधी कवि ने अपना दुखड़ा रोकर उनसे एक नोट झटक लिया। वे नाई को भी बाल कटवाने के धोती या लिहाफ दे देते थे।


अच्छी पोशाक पहनने और अपनी तारीफ सुनने का उन्हें शौक था। वैसे चाहे गंदे कपड़े पहने रहते पर कवि सम्मेलन में जाते समय साफ कुरता-धोती पहनते थे तथा चंदन के साबुन से मुँह धोना और बालों में सेंट डालना नहीं भूलते थे। वे खाने-पीने तथा पहनने-ओढ़ने के शौकीन थे। अपने को वे साधारण आदमियों में गिनते थे। महामानव बनने तथा पूजा-वंदना से उन्हें चिढ़ थी। वे चतुरी चर्मकार के लड़के को अपने घर बुलाकर पढ़ाते थे। फुटपाथ पर पड़ी रहने वाली भिखारिन से उन्हें सहानुभूति थी।


इतना सब होते हुए भी उनका मन एकांत में दुःख में डूबा रहता था। उन्हें जीवन में लगातार विरोध और अपने प्रियजनों का विद्रोह सहना पड़ा था। अपनी पुत्री सरोज की अकाल मृत्यु ने उन्हें बुरी तरह झकझोर दिया था। वे दूसरों के दु:ख से भी दुःखी रहते थे। निराला जी हिंदी प्रेमियों के हृदय-सम्राट थे। वे साहित्यकार और मनुष्य दोनों रूपों में महान् थे।


2. अपने ‘बचपन की स्मृतियाँ’ को आधार बनाकर एक छोटी-सी कविता लिखने का प्रयास कीजिए।

मेरा बचपन

मेरा बचपन बीता
खेतों खलिहानों में,
मैं एक किसान का बेटा हूँ।
बचपन से ही मैंने सीखा है
परिश्रम करना।
खेतों में मिला मुझे
प्राकृतिक खुला वातावरण
और मैं बना स्वस्थ, सुंदर।


3. ‘सरोज-स्मृति’ पूरी पढ़कर आम आदमी के जीवन-संघर्ष पर चर्चा कीजिए।

विद्यार्थी इस लंबी कविता को पुस्तकालय से पुस्तक लेकर पढ़ें और जीवन-संघर्ष पर चर्चा करें।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 2

  1. The poem helps students explore the depths of human sorrow and how personal loss impacts life.

  2. Learn how Nirala uses vivid imagery to paint a picture of his daughter’s beauty and innocence.

  3. The poem offers rich examples of metaphors, symbolism, and emotions, enhancing students' literary analysis skills.

  4. The poem provides a window into the cultural aspects of life and death, as seen through the eyes of the poet.

  5. Explains how personal experiences can shape artistic expression and creativity.


Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 2

S.No. 

Important Study Material Links for Chapter 2

1.

Class 12 Saroj Smriti Questions

2.

Class 12 Saroj Smriti Notes



Conclusion

The NCERT Solutions for Chapter 2 Saroj Smriti is an essential resource for students, helping them to give insight deeper into Nirala’s emotional journey as a grieving father. By explaining complex ideas and poetic techniques, these solutions make it easier to appreciate the poem’s meaning. Students will gain a greater understanding of how grief and loss can inspire artistic expression and emotional depth in literature.


Chapter-wise NCERT Solutions Class 12 Hindi - (Antral)

After familiarising yourself with the Class 12 Hindi Chapter 2 Question Answers, you can access comprehensive NCERT Solutions from all Hindi Class 12 Antral textbook chapters.




NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions



Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi

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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 2 Saroj Smriti

1. What is the main theme of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 2 Saroj Smriti?

The main theme of NCERT Solutions for Class 12  Hindi Chapter 2 Saroj Smriti revolves around the emotional bond between a father and daughter, highlighting love, loss, and memory.

2. How does the poet describe Saroj's appearance during her wedding in Chapter 2 Saroj Smriti?

The poet describes Saroj as extremely beautiful during her wedding, reflecting her mother's image, with a sparkle in her eyes that made her even more stunning.

3. Why does the poet remember his deceased wife in Saroj Smriti?

The poet remembers his deceased wife when he sees his daughter Saroj as a bride, as she resembles her mother, bringing back memories of their shared moments.

4. What do the words 'sky' and 'earth' signify in NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 2 Saroj Smriti?

The words 'sky' and 'earth' signify the transformation of the poet's dreams and hopes into reality through his daughter Saroj, who embodies his deceased wife.

5. How was Saroj's wedding different from traditional weddings in Class 12 Hindi Chapter 2 Saroj Smriti?

Saroj's wedding was simple and devoid of celebrations, with no guests, rituals, or festivities, reflecting the absence of her mother.

6. What does the line "the vine is where the bud blooms" imply in Chapter 2 Saroj Smriti?

This line implies that Saroj's upbringing took place in the same environment where her mother had grown up, symbolising continuity and legacy.

7. How does Nirala's line relate to the need for programs like 'Beti Bachao, Beti Padhao' in Chapter 2 Saroj Smriti?

Nirala's line emphasises the importance of supporting daughters, as the poet's only support after his wife's death was his daughter, highlighting the need for such initiatives.

8. What does the line "from the downcast eyes, the world descends" mean in Chapter 2 Saroj Smriti?

This line means that the shyness of the new bride is reflected in her lips, showing the inner emotions she is trying to suppress.

9. What distinction does the poet make between the stories of Shakuntala and Saroj in Chapter 2 of Saroj Smriti?

The poet distinguishes between the stories of Shakuntala and Saroj by noting that while they share similarities, they differ in many significant aspects and themes.

10. What message does the poet convey about fatherly duties in Chapter 2 Saroj Smriti?

The poet conveys a message of humility and respect in fulfilling fatherly duties, emphasising the importance of maintaining virtue and devotion in relationships.