Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 Shirish Ke Phool

ffImage
widget title icon
Latest Updates

NCERT Solutions for Class 12 Chapter 14 Hindi - FREE PDF Download

Class 12 Hindi Chapter 14 Shirish Ke Phool written by Acharya Hazari Prasad Dwivedi, delves into the philosophical aspects of life, reflecting on nature, endurance, and human behaviour. Chapter 14 is an exploration of the symbolic meaning of the Shirish tree and its flowers, which stand resilient in the face of adversity. Dwivedi uses the Shirish tree to discuss human struggles, the importance of detachment, and the significance of maintaining inner strength amidst life’s trials.

toc-symbol
Table of Content
1. Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 14 Shirish Ke Phool
2. Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 14 Shirish Ke Phool 
3. Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 14
4. Chapter-wise NCERT Solutions Class 12 Hindi - (Aroh) 
5. NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions
6. Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi 
FAQs


Our solutions for Class 12 Hindi (Aroh) NCERT Solutions PDF breaks the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 12 Chapter 14. 


Glance on Class 12 Hindi (Aroh) Chapter 14 Shirish Ke Phool 

  1. In Class 12 Hindi Chapter 14 Shirish tree symbolises endurance and resilience, standing tall even in the harshest conditions.

  2. It represents a life of simplicity, detachment from material possessions, and inner strength.

  3. Dwivedi contrasts the fleeting nature of material success with the permanence of spiritual values.

  4. Chapter 14 reflects on the importance of humility, patience, and perseverance in life.

  5. It explains to us the role of balance between softness (empathy) and hardness (strength) in human character.

More Free Study Material for Pahelwan ki Dholak
icons
Important questions
525k views 11k downloads

Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 14 Shirish Ke Phool

1. लेखक शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है ?

उत्तर: 'आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी' शिरीष को अवधूत इसलिए मानते है क्योंकि, शिरीष का फूल भी एक संन्यासी की तरह सुख और दुःख की परवाह नहीं करता और एक शास्त्रीय अवधूत की तरह जीवन की अजेयता के मंत्र की घोषणा करता है। जब पृथ्वी अग्नि की तरह धधक रही है, शिरीष अभी भी कोमल फूलों से लड़ता रहता है। बाहर की गर्मी, धूप, बारिश, गरज कुछ भी उसे प्रभावित नहीं करती है। इतना ही नहीं, शिरीष धैर्य के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपना अजेय जीवन व्यतीत करता है। भावनाओं की भीषण गर्मी में भी वह गतिहीन रहता है।


2. हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी ज़रूरी हो जाती है। प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर: लेखक 'आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार ह्रदय की कोमलता को बचाने के लिए कभी कभी कठोर व्यव्हार करना आवश्यक हो जाता है। और कठोर व्यवहार करने से हम कभी कभी ठगे जाने से भी बच जाते हैं।


3. द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी जीवन स्थितियों में अविचल रहकर जिजीविषु  बने रहने की सीख दी है। स्पष्ट करें।

उत्तर: शिरीष उस समय पनपता है, जब गर्मी अपने चरम सीमा पर होती है। यहाँ लेखक ने जीवन के संघर्ष के साथ गर्मी की तीव्रता को जोड़ा है। हर मनुष्य का जीवन संघर्षों और पीड़ाओं के मेल से बना होता है, और मनुष्य को ना केवल इसका सामना करना पड़ता है, बल्कि विसम हालातों में भी कोमल फूलों की तरह खिलकर यह साबित करना होता है कि, सबसे कठिन परिस्थितियों में भी, एक व्यक्ति जीने की इच्छा को बनाए रखकर इसे दूर कर सकता है। यह मनुष्य के जीने की इच्छा और उसके जीवित रहने के संघर्ष पर निर्भर करता है। यदि कोई आदमी लड़ना बंद कर देता है और विषम और विकट परिस्थितियों से घबरा जाता है तो, वह व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता,वह टूट जाएगा। शिरीष वृक्ष हमें सभी जीव जीवों से मुक्त रहने की प्रेरणा देता है।


4. हाय, वह अवधूत आज कहाँ है! ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर देह-बल के वर्चस्व की वर्तमान सभ्यता के संकट की ओर संकेत किया है। कैसे ?

उत्तर: सांसारिक मोह माया से ऊपर उठने वाले लोग। वे आत्मविश्वास का प्रतीक हैं। लेकिन आज, मानव आत्म-शक्ति के बजाय, लोग शरीर, धन शक्ति आदि जुटाने में लगे हुए हैं। आज मानव में आत्मविश्वास की कमी है। आज मानव, जीवन मूल्यों को त्याग कर, गलत प्रवृत्ति, हिंसा, असत्य आदि को अपनाते हुए अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। ऐसी स्थिति किसी भी सभ्यता के लिए संकट की तरह है।


5. कवि (साहित्यकार) के लिए अनासक्त योगी की स्थिर प्रज्ञता और विदग्ध प्रेमी का हृदय- एक साथ आवश्यक है। ऐसा विचार प्रस्तुत कर लेखक ने साहित्य कर्म के लिए बहुत ऊंचा मानदंड निर्धारित किया है। विस्तार पूर्वक समझाएं!

उत्तर: कवि द्विवेदी जी के अनुसार साहित्य कर्म के लिए जो मानदंड निर्धारित है वह यह है कि, एक महान कवि वही बन सकता है, जिसके पास एक अनासक्त योगी की तरह  स्थिर दिल और एक प्रेमी की तरह उदार दिल हो।  छंद आदि विधाएं तो कोई भी लिख सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह एक महान कवि है। कवि को वज्र के समान कठोर और फूल की तरह कोमल दोनों प्रवृत्ति का होना चाहिए। इसीलिए लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने कबीर दास और कालिदास को महान माना है क्योंकि, दोनों में एक प्रकार की स्थिरता थी एवम  अनासक्ति का भाव था ।


6. सर्वग्रासी काल की मार से बचते हुए वही दीर्घजीवी हो सकता है, जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रही स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर: एक इंसान को खुद को बदलती परिस्थितियों के अनुकूल ढाल लेना चाहिए, जिसने यह कर लिया, वही प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाता है। इसलिए, यह दीर्घकालिक है। हमें अपने स्वभाव से जड़ता को खत्म करना होगा क्योंकि, जड़ता मनुष्य को प्रगति नहीं देती और मनुष्य को कुचल देती है। केवल वे लोग जो समय और स्थिति के अनुसार परिवर्तन को स्वीकार करते हैं, वही लंबे समय तक अपने अस्तित्व को बचाने में सक्षम हैं। भारतीय संस्कृति इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने कई सभ्यताओं को जन्म दिया। पहले हमारे देश में अनेकों चीजें थी पर युद्ध और आक्रमण ने उन्हे नष्ट कर दिया, जिनके अवशेष आज भी मिलते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद, भारतीय संस्कृति आज भी उसी गरिमा के साथ खड़ी है। ऐसे ही लेखक ने शिरीष के फल का उदाहरण दिया है। इसके फल अपने पेड़ से तब तक चिपके रहते हैं जब तक कि नए फूल और पत्तियां उन्हें गिरने के लिए मजबूर न करें। इसलिए हम सभी को समय के अनुसार खुद को ढालना चाहिए और इस बदलते समय में कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए। शिरीष के फूल और गांधी जी इसके सबसे महान उदाहरण हैं


7. आशय स्पष्ट कीजिए

(क) दुरंत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा पाएँगे। भोले हैं वे हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की ओर मुँह किए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे।

(ख) जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो किए-कराए का लेख-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है ? ..... मैं कहता हूँ कवि बनना है मेरे दोस्तों, तो फक्कड़ बनो।

(ग) फूल हो या पेड़, वह अपने आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है।

उत्तर:

(क) इन पंक्तियों में जीवन जीने की कला का उल्लेख है। लेखक के अनुसार, दुरंत प्राणधारा और सर्वशक्तिमान कलाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। जो बुद्धिमान और समझदार हैं, वे अपनी जिंदगी लगातार दृढ़ता से लड़ रहे हैं। लेकिन जो मूर्ख हैं वे अपनी जगह से थोड़ा भी आगे बढ़ने को तैयार नहीं हैं। उन्हें लगता है कि अपनी जगह पर रहने से वे समय के दृष्टिकोण से बच जाएंगे। वे निर्दोष और भोले हैं। वे नहीं जानते कि जड़ता मृत्यु के समान है, तो गतिशीलता जीवन है। जो सदैव आगे बढ़ता है, उसे मृत्यु से भी बचाया जा सकता है। क्योंकि गतिशीलता ही जीवन है।

(ख) ये पंक्तियाँ सच्चे कवियों की हैं। लेखक का मानना है कि अगर आप एक महान कवि बनना चाहते हैं, तो आपको लगाव से दूर रहना होगा और फक्कड़ बनना होगा। सांसारिक मोह माया से परे एक अलग नज़रिए से सोचना होगा। जो अपने कार्यों, हानि और लाभ आदि के हिसाब को मिलाने में उलझ जाता है, वह कवि नहीं बन पाता और सदैव खुद में ही उलझ कर रह जाता है।

(ग) यह रेखा सौंदर्य और सृजन की सीमा को संदर्भित करती है। लेखक का यह कहना था कि फल, वृक्ष और फूल का अपना अस्तित्व है। ये सिर्फ खत्म नहीं होते हैं, बल्कि वे हम सभी को संकेत देते हैं कि जीवन में अभी बहुत कुछ बाकी है। अभी भी सृजन की बहुत संभावना है, और हर अंत के बाद जीवन की एक नई शुरुआत होती है।


8. शिरीष के पुष्प को शीतपुष्प भी कहा जाता है। ज्येष्ठ माह की प्रचंड गरमी में फूलने वाले फूल को शीतपुष्प संज्ञा किस आधार पर दी गई होगी ?

उत्तर: ज्येष्ठ माह अर्थात, ग्रीष्म ऋतु का सबसे प्रचंड गर्मी वाला महीना। इस समय जन-जीवन ही नहीं बल्कि धरती और वन भी गर्मी की प्रचंडता से झुलस जाते हैं। ऐसे तपते मौसम में भी शिरीष के फूलों का खिले रहना, किसी आश्चर्य से कम नहीं। ऐसी गर्मी में तो मज़बूत छाल वाले वृक्ष तक मुरझा जाते हैं। फूलों को तो निश्चय ही जल जाना चाहिए, किन्तु ये शिरीष के फूल खिले रहते हैं। ये तो तभी संभव है, जब पुष्प इतने ठंडे और शीतल हों कि आग भी इन्हें छूकर ठंडी हो जाए। इसी आधार पर इन्हें शीत पुष्प की संज्ञा दी गई होगी |


9. कोमल और कठोर दोनो भाव किस प्रकार गांधीजी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए ।

उत्तर: अगर हम गांधीजी के बारे में बात करते हैं, तो वह मनुष्यों की तुलना में, उच्च स्तर तक बढ़ कर एक विचार बन गए हैं। इसके दो सबसे बड़े कारण यह हैं कि, सबसे पहले, उनके पास बच्चों की तरह कोमल भावनाएं और कोमल हृदय था, जिसके फलस्वरूप, भारत के आम लोगों की पीड़ा के साथ रो पड़े। दूसरी ओर, उनके पास वज्र के समान साहस था, जिसमे वे अंग्रेजों से भी भीड़ गए और उनके खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद की। एक तरफ गांधीजी के भीतर सत्य और अहिंसा की कोमल भावना थी, दूसरी तरफ अनुशासन के मामले में वे बहुत दृढ़ थे। इसलिए, हम कह सकते हैं कि कोमल और कठोर दोनों भाव गांधीजी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए।


10. दस दिन फूले फिर खंखड़-खंखड़ इस लोकोक्ति से मिलते-जुलते कई वाक्यांश पाठ में हैं, उन्हें छाँट कर लिखें।

उत्तर:

1. ऐसे दुमदारों से तो लँडूरे भले।

2. वे चाहें तो लोहे का पेड़ बनवा लें।

3. किसी प्रकार जमाने का रुख नहीं पहचानते।

4. कालदेवता की आँख बचा जाएँ।

5. रह-रहकर उसका मन खीझ उठता था।

6. खून-खच्चर का बवंडर बह गया।

7. न ऊधो का लेना न माधो का देना।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 14 Shirish Ke Phool 

  • Discover the philosophical insights behind the symbolism of the Shirish tree and its relevance to human life.

  • Learn how to balance emotions and strength, using Shirish as a metaphor for handling life’s challenges.

  • Understand the significance of detachment and resilience in the face of adversity.

  • It explains how spiritual and moral values hold more permanence than material success.

  • One can gain insights into the human spirit's ability to rise above hardships, reflected in the Shirish flower’s resilience.


Benefits of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 14

  • Class 12 Chapter 14 Hindi NCERT Solutions provides detailed explanations and answers for all chapters, ensuring that students grasp the complete syllabus effectively.

  • The solutions are designed according to the NCERT curriculum, making them ideal for exam preparation and ensuring that all important topics are covered.

  • The solutions break down complex concepts into simpler terms, making it easier for students to understand difficult topics and themes.

  • By studying the solutions, students can learn how to articulate their thoughts better and improve their writing skills in Hindi.

  • NCERT Solutions include various types of questions, helping students to practice effectively and prepare thoroughly for their exams.


Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 14

S. No

Important Study Material Links for Chapter 14

1.

Class 12 Shirish Ke Phool Questions

2.

Class 12 Shirish Ke Phool Notes


Conclusion

Class 12 Hindi Chapter 14 Shirish Ke Phool offers insights into life, resilience, and the need for balance in one’s character. Through the Shirish tree’s symbolism, Acharya Hazari Prasad Dwivedi emphasizes that no matter the adversities, one must maintain inner strength and humility. The chapter encourages readers to reflect on life’s deeper meanings and the importance of spiritual growth. The NCERT Solutions guide students to comprehend the philosophical layers of the text and apply these timeless lessons to their own lives.


Chapter-wise NCERT Solutions Class 12 Hindi - (Aroh) 

After familiarising yourself with the Class 12 Hindi Chapter Question Answers, you can access comprehensive NCERT Solutions from all Hindi Class 12 Aroh textbook chapters.



NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions


Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi 

You can also download additional study materials provided by Vedantu for Class 12  Hindi.


FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 Shirish Ke Phool

1. Why does the author consider Shirish a symbol of an ascetic in NCERT Solutions for Chapter 14?

The Shirish tree, with its resilience and ability to bloom despite harsh conditions, is considered an ascetic because it represents detachment and spiritual endurance, unaffected by external circumstances.

2. How does NCERT chapter 14 reflect the importance of balancing softness and strength in life?

The chapter reflects that just like the Shirish tree, a person should be emotionally soft but mentally strong, balancing compassion with inner resilience to navigate life's challenges.

3. What does the author mean by "behavioural hardness is necessary to preserve the softness of the heart" as mentioned in NCERT Solutions?

The author suggests that while being kind-hearted is important, sometimes one needs to adopt firm behaviour to protect oneself from being exploited and to survive difficult situations.

4. How does Chapter 14 NCERT Shirish Ke Phool highlight the struggle between spiritual and material life?

The chapter contrasts the fleeting nature of material success with the enduring value of spiritual growth, emphasizing that inner strength and peace are more lasting than external achievements.

5. Why does the author say "हाय, वह अवधूत आज कहाँ है" in Chapter 14 Hindi 'Shirish Ke Phool'?

The author laments the decline of spiritual strength and detachment in modern society, where people focus more on physical strength, wealth, and power, leading to a crisis of values.

6. How does Shirish reflect the idea of continuous adaptability to changing situations?

According to NCERT Solutions the Shirish tree stands as a metaphor for life’s adaptability, teaching that just as the tree withstands all seasons and thrives, people too must adapt to life’s changing circumstances to survive and flourish.

7. What philosophical lessons does NCERT Chapter 14  Shirish Ke Phool offer to readers?

The chapter offers lessons in resilience, adaptability, spiritual growth, and the importance of balancing softness and strength in character to navigate the challenges of life.

8. How does Class 12 Hindi Shirish Ke Phool relate to the modern-day challenges of society?

The chapter’s lessons on resilience, humility, and moral values are timeless and relevant to modern challenges, reminding people to focus on spiritual growth rather than material gains.

9. What message does chapter 14 of NCERT Shirish Ke Phool convey about human endurance and the will to live?

Chapter 14 conveys that human endurance and the will to live are like the Shirish flower’s ability to bloom in extreme conditions, teaching that inner strength is key to overcoming life’s adversities.

10. How does the author use nature to reflect human behavior and spirituality in Class 12 Hindi Chapter 14 Shirish Ke Phool?

The author uses the Shirish tree as a metaphor for human behavior, showing how nature's resilience and simplicity reflect the spiritual endurance humans need to face life's difficulties.