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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 11 - Bazar Darshan

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Class 12 Hindi NCERT Solutions for Aroh Chapter 11 Bazar Darshan

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Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Hindi

Subject Part:

Hindi Part 4 - Aroh

Chapter Name:

Chapter 11 - Bazar Darshan

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

Other Materials

  • Important Questions

  • Revision Notes



Aspirants of Class 12 can answer complicated problems by breaking them down in easy stages using NCERT Answers or the PDFs provided for all chapters at Vedantu. There are several advantages to using NCERT textbook Answers for Class 12 CBSE or any other board students.

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Access NCERT Solutions for class 12 Hindi Aroh - Chapter - 11 बाजार दर्शन

पाठ के साथ:

Highlights

The following table contains all the important highlights related to the topic:

Board

CBSE

Textbook

Aroh

Class

Class 12

Subject

Hindi

Chapter

Chapter 12

Chapter Name

Bazar Darshan

Category

Story

1. बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या क्या असर पड़ता है?

उत्तर: बाजार का जादू चढ़ने पर मनुष्य बाजार की आकर्षक वस्तुओं को खरीदने लगता है। जिनके मन खाली हैं तथा जिनके पास खरीदने की शक्ति अर्थात परचेसिंग पावर है। ऐसे लोग बाजार की चकाचौंध का शिकार हो जाते हैं और बाजार की अनावश्यक वस्तुएँ खरीदकर अपने मन की शांति भंग करते हैं। परंतु जब बाजार का जादू उतर जाता है तो उसे पता चलता है कि जो वस्तु उसने अपनी सुख-सुविधाओं के लिए खरीदी थी, वह तो उसके आराम में बाधा उत्पन्न कर रही है।


2. बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौनसा सशक्त पहलू उभर कर आता है? क्या आपकी नजर में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?

उत्तर: भगत जी बाजार में चारों और सब कुछ देखते हुए चलते हैं लेकिन वह बाजार की ओर आकृष्ट नहीं होते बल्कि संतुष्ट मन से सब कुछ देखते हुए चलते हैं। उन्हें तो केवल जीरा और काला नमक ही खरीदना होता है। यहां उनके जीवन का सशक्त पहलू उभरकर सामने आता है। निश्चय से भगत जी का यह आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है। यदि मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार वस्तुओं की खरीद करता है तो इससे बाजार में महंगाई भी नहीं बढ़ेगी और लोगों में संतोष की भावना उत्पन्न होगी।


3. बाज़ारूपन से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाजार की सार्थकता किसमें है? 

उत्तर: बाजारूपन का अर्थ है- ओछापन। इसमें दिखावा अधिक होता है और आवश्यकता बहुत कम होती है। जिन लोगों में बाजारूपन होता है, वे बाजार को निरर्थक बना देते हैं; परंतु जो लोग आवश्यकता के अनुसार बाजार से वस्तु खरीदते है, वही बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही केवल वही वस्तुएँ बेची जाती हैं जिनकी लोगों को आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में बाजार हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति का साधन बनता है। भगत जी जैसे लोग जानते हैं कि उन्हें बाजार से क्या खरीदना है । अतः ऐसे लोग ही बाजार को सार्थक बनाते हैं।


4. बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म, क्षेत्र नहीं देखता; बस देखता है सिर्फ उसकी क्रय शक्ति को। और इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर: यह कहना सही है कि बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता। बाजार यह नहीं पूछता कि आप किस जाति, धर्म से संबंधित है वह तो केवल ग्राहक को महत्व देता है। ग्राहक के पास पैसे होने चाहिए, वह उसका स्वागत करता है। इस दृष्टि में बाजार निश्चय से सामाजिक समता की रचना करता है क्योंकि बाजार के समक्ष चाहे ब्राह्मण हो या निम्न जाति का व्यक्ति; मुसलमान हो या इसाई, सब बराबर है। वे ग्राहक के सिवाय कुछ नहीं है और इस दृष्टि से मैं पूर्णतया सहमत हूँ।


5. आप अपने तथा समाज से कुछ ऐसे प्रसंग का उल्लेख करें –

क. जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।

ख. जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई।

उत्तर: 

(क) जब बड़ा से बड़ा अपराधी अपने पैसे की शक्ति के सहारे निर्दोष साबित कर दिया जाता है तब हमें पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत होता है।

(ख) गंभीर बीमारी के आगे पैसे की शक्ति भी काम नहीं आती है।


पाठ के आसपास

6. बाज़ार दर्शन पाठ में बाज़ार जाने या न जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का ज़िक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।

1. मन खाली हो

2. मन खाली न हो

3. मन बंद हो

4. मन में नकार हो

उत्तर: 

(1) मन खाली हो – जब मैं केवल यूँही घूमने की दृष्टि से बाज़ार जाता हूँ तो न चाहते हुए भी कई सारी महंगी चीजें घर ले आता हूँ और बाद में पता चलता है कि इन वस्तुओं की वास्तविक कीमत तो बहुत कम है और मैं केवल उनके आकर्षण में फँसकर इन्हें खरीद लाया।

(2) मन खाली न हो – एक बार मुझे बाज़ार से एक लाल रंग की शर्ट खरीदनी थी तो मैं सीधे कपड़े की दुकान पर पहुँच गया, उस दुकान में अन्य कई तरह के शर्ट व पैंट मुझे आकर्षित कर रहें थे परन्तु मेरा विचार पक्का होने के कारण मैं सीधे शर्ट वाले काउंटर पर पहुँचा और अपनी मनपसंद शर्ट खरीदकर बाहर आ गया।

(3) मन बंद हो – कभी-कभी जब मन बड़ा उदास होता है, तब बाज़ार की रंग-बिरंगी वस्तुएँ भी मुझे आकर्षित नहीं करती हैं। मैं बिना कुछ लिए यूँहीं घर चला आता हूँ।

(4) मन में नकार हो – एक बार मेरे पड़ोसी ने मुझे नकली वस्तुओं के बारे में कुछ इस तरह समझाया कि मेरे मन में वस्तुओं के प्रति एक प्रकार की नकारत्मकता आ गई। मुझे बाज़ार की सभी वस्तुएँ में कोई न कोई कमी दिखाई देने लगी। मुझे लगा जैसे सारी वस्तुएँ अपने मापदंडों पर खरी नहीं है।


7. बाज़ार दर्शन पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते/मानती हैं?

उत्तर: बाज़ार दर्शन पाठ में कई प्रकार के ग्राहकों की चर्चा की गई है जो निम्नलिखित हैं – खाली मन और खाली जेब वाले ग्राहक, भरे मन और भरी जेब वाले ग्राहक, पर्चेजिग पावर का प्रदर्शन करने वाले ग्राहक, बाजारुपन बढ़ानेवाले ग्राहक, अपव्ययी ग्राहक,भरे मन वाले ग्राहक, मितव्ययी और संयमी ग्राहक।

मैं अपने आप को भरे मन वाला ग्राहक समझता हूँ क्योंकि मैं आवश्यकता अनुसार ही बाज़ार में जाता हूँ और जो जरुरी वस्तुएँ हैं वही वस्तु खरीदता हूँ।


8. आप बाज़ार की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य

बाज़ार और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं? पर्चेजिग पावर आपको किस तरह के बाज़ार में नज़र आती है?

उत्तर:

मॉल की संस्कृति – मॉल की संस्कृति में हमें एक ही छत के नीचे तरह-तरह के सामान मिलते हैं यहाँ का आकर्षण ग्राहकों को सामान खरीदने को मजबूर कर देता है। इस प्रकार के बाजारों के ग्राहक उच्च और उच्चतम वर्ग से संबंधित होते हैं।

सामान्य बाज़ार – सामान्य बाज़ार में लोगों की आवश्यकतानुसार चीजें होती हैं। यहाँ का आकर्षण मॉल संस्कृति की तरह नहीं होता है। इस प्रकार के बाजारों के ग्राहक मध्यम वर्ग से संबंधित होते हैं।

हाट की संस्कृति – हाट की संस्कृति के बाज़ार एकदम सीधे और सरल होते हैं। इस प्रकार के बाजारों में निम्न और ग्रामीण परिवेश के ग्राहक होते हैं। इस प्रकार के बाजारों में दिखावा नहीं होता है।

पर्चेजिग पावर हमें मॉल संस्कृति में ही दिखाई देता है क्योंकि एक तो उसके ग्राहक उच्च वर्ग से संबंधित होते हैं और मॉल संस्कृति में वस्तुओं को कुछ इस तरह के आकर्षण में पेश किया जाता है कि ग्राहक उसे खरीदने को मजबूर हो जाते हैं।


9. लेखक ने पाठ में संकेत किया है कि कभी-कभी बाज़ार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ। दुकानदार कभी-कभी ग्राहक की आवश्यकताओं का भरपूर शोषण करते हैं जैसे कभी-कभी जीवन-यापन उपयोगी वस्तुओं (चीनी, गैस, प्याज, टमाटर आदि) की कमी हो जाती है। उस समय दुकानदार मनचाहे दामों में इन चीजों की बिक्री करते हैं।


10. स्त्री माया न जोड़े यहाँ माया शब्द किस ओर संकेत कर रहा है? स्त्रियों द्वारा माया जोड़ना प्रकृति प्रदत्त नहीं, बल्कि परिस्थितिवश है। वे कौन-सी परिस्थितियाँ हैं जो स्त्री को माया जोड़ने के लिए विवश कर देती हैं?

उत्तर: यहाँ पर माया शब्द धन-संपत्ति की ओर संकेत करता है। आमतौर पर स्त्रियाँ माया जोड़ती देखी जाती हैं परन्तु उनका माया जोड़ने के पीछे अनेक कारण होते हैं जैसे – एक स्त्री के सामने घर-परिवार सुचारू रूप से चलाने की, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की, असमय आनेवाले संकट की, संतान के विवाह की, रिश्ते नातों को निभाने की जिम्मेदारियाँ आदि अनेक परिस्थितियाँ आती हैं जिनके कारण वे माया जोड़ती हैं।


आपसदारी

11. ज़रूरत-भर जीरा वहाँ से लिया कि फिर सारा चौक उनके लिए आसानी से नहीं के बराबर हो जाता है-भगत जी की इस संतुष्ट निस्पृहता की कबीर की इस सूक्ति से तुलना कीजिए 

चाह गई चिंता गई मनुआ बेपरवाह 

जाके कुछ न चाहिए सोइ सहंसाह।                                                                                                                                                                                         – कबीर

उत्तर: कबीर का यह दोहा भगत जी की संतुष्ट निस्मृहता पर पूर्णतया लागू होता है। कबीर का कहना था कि इच्छा समाप्त होने पर चिंता खत्म हो जाती है। शहंशाह वही होता है जिसे कुछ नहीं चाहिए। भगत जी भी ऐसे ही व्यक्ति हैं। इनकी जरूरतें भी सीमित हैं। वे बाजार के आकर्षण से दूर रहते हैं। अपनी ज़रूरत का पूरा होने पर वे संतुष्ट हो जाते हैं।


भाषा की बात

12. विभिन्न परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग भी अपना रूप बदलता रहता है कभी औपचारिक रूप में आती है तो कभी अनौपचारिक रूप में। पाठ में से दोनों प्रकार के तीन-तीन उदाहरण छाँटकर लिखिए।

उत्तर:

-औपचारिक रूप

1. पैसा पावर है।

2. बाज़ार में एक जादू है।

3. एक बार की बात कहता हूँ।


-अनौपचारिक रूप

1. बाज़ार है कि शैतान का जाल।

2. उस महिमा का मैं कायल हूँ।

3. पैसा उससे आगे होकर भीख माँगता है।


13. पाठ में अनेक वाक्य ऐसे हैं, जहाँ लेखक अपनी बात कहता है कुछ वाक्य ऐसे है जहाँ वह पाठक-वर्ग को संबोधित करता है। सीधे तौर पर पाठक को संबोधित करने वाले पाँच वाक्यों को छाँटिए और सोचिए कि ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में मददगार होते हैं?

उत्तर:

(1) पानी भीतर हो; लू का लूपन व्यर्थ हो जाता है।

(2) लू में जाना तो पानी पीकर जाना।

(3) बाज़ार आमंत्रित करता है कि आओ, मुझे लूटो और लूटो।

(4) परंतु पैसे की व्यंग शक्ति की सुनिए।

(5) कहीं आप भूल न कर बैठिएगा।


14. नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए।

(क) पैसा पावर है।

(ख) पैसे की उस पर्चेज़िंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है।

(ग) मित्र ने सामने मनीबैग फैला दिया।

(घ) पेशगी ऑर्डर कोई नहीं लेते।

ऊपर दिए इन वाक्यों की संरचना तो हिन्दी भाषा की है लेकिन वाक्यों में एकाध शब्द अंग्रेजी भाषा के आए हैं। इस तरह के प्रयोग को कोड मिक्सिंग कहते हैं। एक भाषा के शब्दों के साथ दूसरी भाषा के शब्दों का मेलजोल! अब तक आपने जो पाठ पढ़े उसमें से कोई पाँच उदहारण चुनकर लिखिए। यह भी बताइए कि आगत शब्दों की जगह उनके हिन्दी पर्यायों का ही प्रयोग किया जाए तो भाषा पर संप्रेषणीयता क्या प्रभाव पड़ता है।

उत्तर: 

(1) हमें हफ्ते में चॉकलेट खरीदने की छूट थी।

(2) बाज़ार है या शैतान का जाल।

(3) पर्चेजिंग पावर के अनुपात में आया है।

(4) बचपन के कुछ फ्रॉक तो मुझे अब तक याद है।

(5) वहाँ के लोग उम्दा खाने के शौक़ीन है।

किसी भी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए आगत शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इस पर यदि रोक लगा दी जाए तो भाषा की संप्रेषणीयता कमजोर और कठिन हो जाएगी। जैसे उदहारण स्वरुप यदि ट्रेन को हम हिन्दी के पर्याय के रूप में लौह-पथ-गामिनी कहेंगे तो भाषा मैं दुरुहता आ जाएगी अत:कोड मिक्सिंग के प्रयोग से भाषा में सहजता और विचारों के आदान-प्रदान में सुविधा रहती है।


15. नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश पर ध्यान देते हुए उन्हें पढ़िए –

क) निर्बल ही धन की ओर झुकता है।

ख) लोग संयमी भी होते हैं।

ग) सभी कुछ तो लेने को जी होता था।

ऊपर दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश ‘ही‘, ‘भी‘, ‘तो’ निपात हैं जो अर्थ पर बल देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वाक्य में इनके होने-न-होने और स्थान क्रम बदल देने से वाक्य के अर्थ पर प्रभाव पड़ता है, जैसे – मुझे भी किताब चाहिए। (मुझे महत्त्वपूर्ण है।)

मुझे किताब भी चाहिए। (किताब महत्त्वपूर्ण है।)

आप निपात (ही, भी, तो) का प्रयोग करते हुए तीन-तीन वाक्य बनाइए। साथ ही ऐसे दो वाक्यों का भी निर्माण कीजिए जिसमें ये तीनों निपात एक साथ आते हों।

उत्तर:

-ही

1. उन्हें भी आज ही आना है।

2. मैं जल्दी ही सामान मँगवा लूँगा।

3. तुम से ही काम है मुझे।


-भी

1. आपके साथ मैं भी जाऊंगा।

2. बच्चे अब भी नहीं समझ पाए।

3. तुम अभी भी रो रहे हो।


-तो

1.तुम लिख नहीं पाते परन्तु बोल तो लेते हो।

2. खाना तो है लेकिन भूख नहीं लग रही है।

3. मेरे पास रुपये थे तो लेकिन घर पर थे।


तीनों निपातों का प्रयोग –

1.तुम घर पर ही ठहर जाओ क्योंकि घर में भी कोई तो होना चाहिए।

2.मैं तो निकलने ही वाला था परन्तु मुझे खाना भी खाना था।


NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh 2 Chapter 11 - Bazar Darshan

Pratydaya - 'Bazaar Darshan' essay combines deep ideology and effortless elegance of literature. This article, written several decades ago by Shri Jainendra Kumar, is still unmatched in explaining consumerism and market trends. Jainendra Ji, explaining the experiences related to his acquaintances and friends, makes it clear that the magical power of the market makes a man a slave. The writer has tried to explain his point in some philosophical way through a story. In this sequence, he has described economics as the only one to nurture the market.

Summary - The author tells the story of his friend that once went to the market to get a minor item, but returned with bundles. On being asked by the writer, he blamed his wife. The author states that the main reason for purchasing waste is the attraction of the market.

The writer's second friend went to the market before noon and returned empty-handed in the evening. He said that everything in the market was worth taking, but could not take anything. To take one thing was to give up another. The only way to avoid magic is not to keep your mind empty while going to the market. If the goal is in mind, then the market will enjoy.

Bhagat Ji used to live in the writer's neighbourhood. He had been selling churan for a long time. He did not earn more than six pennies a day. They did not give their churan to the wholesaler nor take advance orders. At the end of the day, he used to distribute the remaining churan free to the children. He was always healthy.

The author believes that market value is given to a person who recognizes its need. In such markets, there is exploitation, not trade.


NCERT Solutions with the Latest Syllabus for Class 12 Hindi (Core and Elective)

The latest trend in the syllabus of Hindi Core shows the division into two sections. Section A has the questions from two books Aroh 2 (comprises 18 chapters), and Vitan 2 (consist of four chapters), and section B has the question from Aroh 2 book. All books are available in the PDF format on Vedantu’s website.


Hindi Aroh-2 NCERT book consists of poems and proses, includes 18 chapters, which are as follows:


Poem Section:

  • Chapter 1 - Aatmaparichay Solutions

  • Chapter 2 - Patang Solutions

  • Chapter 3 - Kavita Ke Bahane Solutions

  • Chapter 4 - Camere Me Band Apahij Solutions

  • Chapter 5 - Usha Solutions

  • Chapter 6 - Badal Rag Solutions

  • Chapter 7 - Kavitavali (Uttarakhand Se) Solutions

  • Chapter 8 - Ruwaiya Gajal Solutions

  • Chapter 9 - Poem Chota Mera Khet Solutions


Prose Section:

  • Chapter 10 - Bhaktin Solutions

  • Chapter 11 - Bazar Darshan Solutions

  • Chapter 12 - Kaale Megha Paani De Solutions

  • Chapter 13 - Pahelwan Ki Dholak Solutions

  • Chapter 14 - Shiris Ke Phool Solutions

  • Chapter 15 - Meri Kalpana Ka Adarsh Samaj Solutions


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NCERT Textbook Solutions for Class 12 Hindi Antra

NCERT Textbook Solutions for Class 12 Hindi Antra provides chapter-wise answers and explanations for all prose and poetry sections. These solutions help students deepen their understanding of key literary themes and improve their performance in exams.




NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antral

This resource provides detailed, chapter-wise solutions for the NCERT Class 12 Hindi Antral textbook. It helps students understand key themes and concepts, improving their comprehension and exam preparation.




Detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh

These solutions provide in-depth answers and explanations for all chapters in the Class 12 Hindi Aroh textbook. Designed to enhance comprehension and facilitate effective exam preparation, they guide students through key literary concepts and themes.




Comprehensive NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan

These solutions offer thorough answers and insights for all chapters in the Class 12 Hindi Vitan textbook. Aimed at improving understanding and aiding exam preparation, they help students navigate important literary themes and concepts effectively.




Additional NCERT Books for Class 12 Hindi

Additional NCERT Books for Class 12 Hindi" provides students with a broader range of materials, covering diverse topics in literature and language to enhance their learning and exam preparation.


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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 11 - Bazar Darshan

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4. What did the author say about his friend?

The author cites the experience of a buddy who went to the market for a small thing and came back with many objects. When questioned by the writer, he accused his wife of it. According to the author, the major reason for acquiring unnecessary things is the market's appeal. The market appealed to him and he bought things that he might not even require and hence are actually a waste.

5. What did the author say about his second friend?

When the writer's second friend went shopping before lunchtime, he came home empty-handed. "Anything is worth a shot," he said. Nonetheless, he couldn't force himself to take anything. Taking something required the sacrifice of something else. It's difficult to resist magic if you keep your mind blank when shopping. As a result, the author believes that this is an effective approach to avoid exploitation.

6. Why study Class 12 Hindi Chapter 11 and how Vedantu can help?

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7. What message does the author want to spread?

Consumerism and market inclinations have never been better articulated than in Shri Jainendra Kumar's decades-old paper. Listening to Jainendra Ji, it is clear that the market's enslaving enchantment bonds a customer to the ties of false requirements. The author has utilised a story to express his argument in a philosophical way. He claims that economics is the only subject capable of supporting a market. This is the author's point of view.

8. What does the author say about Bhagat Ji?

Bhagat Ji lived in the same neighbourhood as the writer, and he used to deal in Churan for six cents a day. They did not deliver their churan to the wholesaler. At the conclusion of the day, he distributed the remaining churan to the kids. Learn more about Bhagat Ji in Vedantu's NCERT Class 12 Hindi Aroh answers.