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Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 Poem Saharsh swikara hai

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Last updated date: 22nd Mar 2024
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MVSAT 2024

CBSE Class 12 Hindi Aroh Important Questions Chapter 5 Poem Saharsh swikara hai Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 Poem Saharsh swikara hai prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class 12 Hindi Aroh पाठ-5 सहर्ष स्वीकारा है

अति लघु उत्तरीय प्रश्न                                                         (1 अंक)

1. कवि किसे भूलना चाहता है?

उत्तर: कवि अपनी प्रेयसी को भूलना चाहता है।


2. अमावस्या के अन्धकार के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया गया है?

उत्तर: अमावस्या के अन्धकार  के लिए ‘दक्षिणी-ध्रुव का प्रयोग किया गया है।


3. कवि गरीब को गर्बीली कहकर क्यों सम्बोधित करता है?

उत्तर: कवि गरीब को गर्बीली इसलिए कहते है क्योकि वह गरीब के आत्म-सम्मान को व्यक्त करना चाहते हैं। उन्हें अपनी गरीबी पर ग्लानि या हीनता नहीं होती बल्कि गर्व होता है।


4. ममता कहाँ होती है?

उत्तर: ममता का अर्थ है-अपनापन। ममता वहाँ वास करती है जहां प्रेम का वास होता है।


5. कवि ‘मीठे पानी का सोता’ का प्रयोग किस संदर्भ में करते हैं?

उत्तर: कवि ने यहाँ अपनी प्रेमिका के प्रति भावनाओं को जागृत किया है, जिसके लिए वह ‘मीठे पानी का सोता’ शब्द का प्रयोग करते हैं।


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                             (2 अंक)

6. गरीबी के लिए कवि के क्या विचार हैं?

उत्तर: गरीबी के संदर्भ में कवि के यह विचार हैं कि यह उसे ईश्वर द्वारा प्राप्त हुई है। ज्यादातर लोग गरीबी को अपने दुख का कारण मानते हैं लेकिन कवि अपनी गरीबी पर गर्व करता है,और पाठकों को अपनी चुनौतियों का सामना कर जीवन  में आगे बढ़ने की सलाह देता है।


7.कवि के भीतर क्या बहता है?

उत्तर: कवि के अंदर सरिता बहती है। सरिता का अर्थ है नदी का प्रवाह जिस प्रकार नदी प्रवाहित होती है, उसी प्रकार मनुष्य के हृदय में भी विचार प्रवाहित होते रहते हैं। इससे हमारे मन में नवीन विचार जागृत होते रहते हैं जिसे रोक पाना अत्यंत कठिन है।


8. प्रेम की भावना का मानव जीवन में क्या महत्व है?

उत्तर: प्रेम का जीवन में जो वास्तविक महत्व है उसे शब्दों में व्यक्त कर पाना निश्चित रूप से कठिन है। जीवन में प्रेम हो तो मनुष्य विध्वंस से सर्जन की ओर बढ़ता है। वास्तव में प्रेम ही हमारी शक्ति है। हम उचित-अनुचित पर विचार करने में सक्षम हैं।


9. आदमी को कब अमीर कहा जाता है?

उत्तर: आदमी को अमीर तभी कहा जाता है जब वह अपने विचारों से धनी हो ना कि सिर्फ धन से। यदि वह अपने विचारों से अमीर होगा तो कई लोगों को अमीर बना सकता है।


10. कवि प्रेमिका के प्रेम से मुक्त क्यों होना चाहता है?

उत्तर: कवि अपनी प्रेमिका से इसलिए दूर होना चाहता है क्योंकि वह अपने प्रिय की बहलाती, सहलाती आत्मीयता अब बर्दाश्त नहीं कर सकता, क्योंकि इससे उसकी विरह वेदना और अधिक बढ़ जाती है। अतःकवि अपनी प्रेयसी को भूल कर अपना स्वाभाविक जीवन जीना चाहता है।


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                            (3 अंक)

11. कविता में अमावस्या के अंधकार की तुलना किससे की गई है?

उत्तर: कविता में अमावस्या के अंधकार की तुलना दक्षिणी ध्रुव के चंद्रमा से की गई है। जो 6 माह तक अपनी चांदनी नहीं बिखेरता अर्थात वह भी स्वार्थी बन जाता है। इसलिए वहां अंधकार ही व्याप्त रहता है। 


12. कवि ने अमावस्या का प्रयोग किस संदर्भ में किया है?

उत्तर: कवि ने अमावस्या का प्रयोग व्यक्तिगत जीवन के संदर्भ में किया है। कवि कहना चाहता है कि जिस प्रकार 6 महीने तक चांद नहीं निकलता उसी प्रकार मैं भी स्वार्थी बनकर तुमसे दूर हो जाता हूँ। तुम्हें भूल जाने की अंधकार रूपी अमावस्या तभी आ सकती है।


13. अंधकार-अमावस्या में कवि के जीवन को कौन प्रकाशित करता है?

उत्तर: अंधकार अमावस्या में कवि के जीवन को उसकी प्रेमिका प्रकाशित करती है। कवि कहता है कि तुम मेरे भीतर समाई हुई हो। तुम्हारे स्नेह रूपी जल को जितना बाहर निकालता हूँ ये पुनः उतना ही चारों और से सिमट कर चला आता है और मेरे हृदय में भर जाता है। ऐसा लगता है मानो दिल में कोई झरना बह रहा है। कवि का आंतरिक व बाह्य जगत दोनों प्रियतमा के स्नेह से संचालित होते हैं।


14. कवि के अंदर किस प्रकार का अंतर्विरोध है?

उत्तर: कविता के प्रारंभ में कवि जीवन के हर सुख दुख को सहर्ष स्वीकार करता है क्योंकि यह सब उसकी प्रियतमा को प्यारा है। हर घटना तथा परिणाम को वह अपनी प्रियतमा की ही देन बताता है दूसरी तरफ वह प्रिया की आत्मीयता को बर्दाश्त भी नहीं कर पा रहा है। एक की स्वीकृति और दूसरे की अस्वीकृति दोनों में अंतर्विरोध है।


15. गजानन माधव का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए

उत्तर: गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म 1917 में (ग्वालियर) मध्य प्रदेश में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई थी। मुक्तिबोध अत्यंत अध्ययन शील थे। उन्होंने अंग्रेजी,फ्रेंच तथा रूसी उपन्यासों के साथ जासूसी उपन्यासों,वैज्ञानिक उपन्यासों विभिन्न देशों के इतिहास तथा विज्ञान विषयक साहित्य का गहन अध्ययन किया। यह तार सप्तक के पहले कवि थे। मुक्तिबोध अस्तित्व वादी विचारधारा के समर्थक थे। कविता के साथ-साथ कविता विषय चिंतन और आलोचना पद्धति को विकसित और समृद्ध करने में भी मुक्तिबोध का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी प्रमुख कहानियां कुछ इस प्रकार है अंधेरे में, काठ का सपना, जंक्शन, लेखन, ब्रह्मराक्षस का शिष्य इत्यादि।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न                                                                                 (5 अंक)

16. ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता का सारांश लिखिए?

उत्तर: इस कविता में कवि ने अपने जीवन के समस्त अनुभव को बताया है, वह उसे प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करता है। वह अपनी गरीबी को भी गर्व के साथ स्वीकार करता है। वह इन सब के साथ अपने प्रिय को भी जोड़ता है। इन सब के लिए अपनी प्रिय का प्रभाव और उसकी देन ही मानता है। उसका पूरा जीवन प्रेयसी से जुड़ा हुआ है। क्योंकि कवि के हृदय में बहने वाली भावनाओं का प्रवाह भी प्रियसी की ही देन है। वह अपनी गरीबी पर गर्व करता है क्योंकि वह अपने सम्मान को बनाए रखना चाहता है। कवि कहता है कि उसका जीवन प्रिय के प्रेम रूपी आलोक से पूर्णतया घिरा हुआ है। जो अत्यंत मनोहर है परंतु अब यह उजाला कवि से सहन नहीं होता। कवि को प्रिय की ममता अपने मन के बादलों के समान छाई हुई प्रतीत होती है और उसके हृदय को पीड़ित करती रहती है। भविष्य की आशंका से डर आती रहती है और उसकी आत्मा छटपटाती रहती है। उसे आत्मग्लानि का अनुभव होता है। अतः वह पाताली अंधेरी गुफा में जाने का दंड भुगतना चाहता है।


17. “जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है…………संवेदन तुम्हारा है!!” इन पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कवि कहता है कि मेरी जिंदगी में जो कुछ है, जैसा भी है, मै उसे खुशी से स्वीकार करता हूँ इसीलिए मेरा जो कुछ है वह उसको अच्छा लगता है। मेरी स्वाभिमान युक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में बहती भावनाओं की नदी, यह सभी मेरे जीवन में  हर समय घटित होता रहता है। यह सब तुम्हारी प्रेरणा से ही हुआ है।


18. “जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है…..मुझ पर क्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कवि कहता है कि तुम्हारे साथ ना जाने कौन सा संबंध है कि मेरे भीतर समाए हुए तुम्हारे स्नेह रूपी जल को जितना बाहर निकलता हूँ वह फिर से वही चले आते हैं और मेरे हृदय में भर जाते हैं। ऐसा लगता है मानो ह्रदय में कोई झरना बह रहा हो। वह मीठे पानी का स्रोत के समान है। जो मेरे अंतर्मन को तृप्त करता है। एक तरफ मन में प्रेम है और दूसरी तरफ तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा जो मुझे हमेशा खुशी देता रहता है। कवि का अंतर्मन तथा बाह्य मन दोनों ही प्रेयसी के प्रेम से संचालित है। कवि ने अपने प्रिय की तुलना चांद से इसलिए की है क्योंकि जिस प्रकार आकाश में हंसता चांद अपने प्रकाश से पूर्वक नहाता रहता है उसी प्रकार अपने प्रिय को मुस्कुराता चेहरा देख कवी को प्रतीत होता है कि उसकी प्रेयसी भी अपने अद्भुत सौंदर्य से नहला रही है।


19. “सचमुच मुझे दंड दो कि भूलू मैं भूलूँ मैं…….बहलाती से लाती आत्मीयता बर्दाश्त नहीं होती है!” इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कवि कहता है कि मैं  अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। कवि ऐसे दंड की याचना करता है कि वह पाताल की अंधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। ऐसी जगह जाना चाहता है जहां स्वयं के अस्तित्व का भी अनुभव ना हो। वह धुएँ के बादलों के अंधकार में लापता हो जाना चाहता है। ऐसी जगहों पर भी उसे अपनी प्रेएसी का ही सहारा है उसके जीवन में जो कुछ है, जो उसे अपना लगता है, वह सब उसी के कारण है। कवि का हर्ष-उल्लास, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दुख, सफलता-असफलता को प्रसन्नता पूर्वक इसीलिए स्वीकारा है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। प्रियतमा कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई है। 


20. “सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ……. वह तुम्हें प्यारा है!” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:कवि अपने प्रिय स्वरूप को भूलना चाहता है, वह चाहता है कि प्रिय उसे भूलने का दंड दे इस दर्द को भी वह सहर्ष स्वीकार करने के लिए तैयार है। ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के ना होने से वह पाताल की अंधेरी गुफा व सुरंगों में खो जाए। ऐसी जगहों पर स्वयं का अस्तित्व भी अनुभव नहीं होता या फिर वह धुएँ के बादलों के समान गहन अंधकार में लापता हो जाए जो उसके ना होने से बना हो ऐसी जगह पर भी उसे अपने सर्वाधिक प्रिय स्त्री का ही सहारा है। उसके जीवन में जो भी है या जो कुछ उसे अपना सा लगता है वह उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएं प्रियतमा के कारण है। कवि ने हर सुख-दुख, सफलता -असफलता को प्रसन्नता पूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सब को अपना माना है। वह कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई है।

FAQs on Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 Poem Saharsh swikara hai

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4. What is the central idea of Chapter 5 poem Saharsh swikara hai?

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5. What are the poetic qualities of the poem Saharsh swikara hai of Chapter 5 of CBSE Class 12?

The poem Saharsh swikara hai of Chapter 5 is a very amazing and interesting poem. It is a great creation of poet Gajaanan Madhav. This poem is full of various poetic qualities such as simple, explainable language and adjectives are used. This poem is a lament-ful and sad theme based poem in which the poet told about his pain of life that was given by his loved ones. For more poetic qualities visit the Vedantu website.