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Cbse Class 12 Hindi Antra Notes Chapter 13

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An Overview of Cbse Class 12 Hindi Antra Notes Chapter 13

In Cbse Class 12 Hindi Antra Notes Chapter 13, you will explore real-life stories and important lessons from the lives of Gandhi, Nehru, and Yaseer Arafat. This chapter helps you understand leadership, kindness, and the value of serving others, all told in a simple and relatable way. To prepare smartly for your CBSE exams, you should also look at the Class 12 Hindi Syllabus for the latest topics and updates.

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If you find it hard to remember the main points or get confused while revising, don't worry! Vedantu brings short, clear notes that break down the chapter and explain key ideas with simple examples. This way, you'll feel more confident solving questions and writing answers.


Learning this chapter becomes easier with our Class 12 Hindi Antra Revision Notes. With these notes, you can revise quickly, understand concepts better, and score well in your Hindi exam.


Access Class 12 Hindi (Antra) Chapter 13 Gandhi, Nehru, aur Yasser Arafat Notes

लेखक के बारे में:

भीष्म साहनी

भीष्म साहनी हिंदी साहित्य के एक प्रमुख लेखक, नाटककार और अभिनेता थे। उनका जन्म 8 अगस्त 1915 को रावलपिंडी (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। वे अपने उपन्यास 'तमस' के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं, जिसमें उन्होंने 1947 के भारत विभाजन और सांप्रदायिक हिंसा का सजीव चित्रण किया है। भीष्म साहनी ने अपने साहित्य के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को गहराई से छुआ है। हिंदी अनत्रा के कक्षा 12 के अध्याय 16 में उनकी कहानी शामिल है, जो मानवीय संबंधों, संघर्षों और सामाजिक बदलावों पर आधारित है। उनकी रचनाएँ सरल भाषा में गहरी संवेदनाओं और जटिल मानवीय स्थितियों का वर्णन करती हैं, जिससे वे हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।


कहानी का सारांश:

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात में लेखक ने तीन प्रमुख ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के जीवन, कार्य और विचारों पर प्रकाश डाला है। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और यास्सेर अराफ़ात अपने-अपने समय के महान नेता थे, जिन्होंने स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और शांति के लिए संघर्ष किया।


इस पाठ में महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों, नेहरू के आधुनिक भारत के निर्माण की दृष्टि और यास्सेर अराफ़ात के फिलिस्तीनी स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष का विस्तृत वर्णन है। लेखक ने इन नेताओं की व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन की घटनाओं को उजागर करते हुए उनके योगदान और संघर्षों को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।


इस पाठ के माध्यम से विद्यार्थियों को न केवल इन महान नेताओं के विचारों और कार्यों की गहन समझ प्राप्त होती है, बल्कि वे समकालीन सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी विचार कर सकते हैं। यह पाठ हमें यह सिखाता है कि कैसे इन नेताओं ने अपने-अपने देश और दुनिया भर में शांति, न्याय और स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


मुख्य विषय 

अध्याय 16 "गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात" का मुख्य विषय विभिन्न पीढ़ियों और राष्ट्रीयताओं के नेताओं के बीच व्यक्तिगत मुलाकातों के ज़रिए इतिहास, राजनीति और मानवीयता को समझना है।


पाठ में तीन प्रमुख विषय उभर कर आते हैं:


  • इतिहास और राजनीति: लेखक नेहरू जी से मुलाकात के दौरान फिलिस्तीन के मुद्दे पर चर्चा का उल्लेख करते हैं। यह स्वतंत्रता आंदोलन और अंतरराष्ट्रीय राजनीति से जुड़ाव का संकेत देता है।

  • विभिन्न व्यक्तित्व: पाठ तीन महान हस्तियों - नेहरू, गांधी और यास्सेर अराफात के साथ मुलाकातों का वर्णन करता है। उनके बीच बातचीत से उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली की झलक मिलती है।

  • मानवीयता: हालांकि पाठ संक्षिप्त है, यह नेहरू जी और लेखक की पत्नी के बीच धर्म पर चर्चा जैसे क्षणों के माध्यम से मानवीय संबंधों और विचारों के आदान-प्रदान को दर्शाता है।


पात्र-चित्रण

1. कथाकार (लेखक - भिष्म सहनी):

  • एक प्रसिद्ध लेखक और अफ्रो-एशियाई लेखक संघ के कार्यकारी महामंत्री।

  • नेहरू जी की देखभाल के लिए उनके ठहरने वाले बंगले में जाता है।

  • नेहरू जी और श्रीमती रामेश्वरी के बीच धर्म पर चर्चा में शामिल होता है।

  • गांधी जी से मुलाकात का उल्लेख करता है, जो उनकी कार्यशैली की याद दिलाता है।


2. पंडित जवाहरलाल नेहरू:

  • भारत के प्रथम प्रधानमंत्री।

  • फिलिस्तीन के मुद्दे पर चर्चा करते हैं।

  • व्यस्त रहते हैं और स्थानीय नेताओं से मिलते हैं।

  • शाम के भोजन के समय दूसरों के साथ बातचीत करते हैं।

  • लेखक की पत्नी के साथ धर्म पर दिलचस्प बहस करते हैं।

  • रावलपिंडी की यात्रा का किस्सा सुनाते हैं।


3. श्रीमती रामेश्वरी नेहरू:

  • पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी।

  • लेखक की पत्नी के साथ भोजन करती हैं।

  • नेहरू जी के साथ धर्म पर चर्चा में शामिल होती हैं।


4. महात्मा गांधी (पाठ में संक्षिप्त उल्लेख):

  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता।

  • लेखक ने उनसे मुलाकात का उल्लेख करता है।

  • उनकी कार्यशैली और ऊर्जा को याद करता है।


5. यास्सेर अराफात (पाठ में संक्षिप्त उल्लेख):

  • फ़िलिस्तीन के नेता।

  • लेखक का उनसे मिलने का संकेत मिलता है, हालांकि पाठ में उनकी कोई सीधी भूमिका नहीं है।


कहानी का सार

1. गाँधीजी -

  • लेखक की यात्रा: 1938 में लेखक के भाई बलराज साहनी 'सेवाग्राम' में 'नई तालीम' पत्रिका के सह-संपादक थे। लेखक वर्धा स्टेशन पर उतरकर ताँगे से रात में सेवाग्राम पहुँचा।

  • गाँधीजी से भेंट: गाँधीजी प्रातः सात बजे घूमने निकलते थे। लेखक और उसके भाई ने गाँधीजी के साथ चलने का निश्चय किया, पर वे थोड़ा देर से पहुँचे। भाई ने लेखक का परिचय गाँधीजी से कराया। गाँधीजी ने हँसकर स्वागत किया।

  • सेवाग्राम में अनुभव: लेखक ने गाँधीजी के साथ चलने वालों में डॉ. सुशीला नख्यर, महादेव देसाई आदि को पहचाना। लेखक ने गाँधीजी से रावलपिंडी की पुरानी यादें ताज़ा कीं। लेखक ने तीन सप्ताह सेवाग्राम में बिताए। कस्तूरबा गाँधी लेखक को अपनी माँ जैसी लगती थीं।

  • महान व्यक्तियों से मुलाकात: सेवाग्राम में लेखक को पृथ्वीसिंह आजाद, मीरा बेन, खान अब्दुल गफ्फार खाँ और राजेंद्र बाबू से मिलने का अवसर मिला। पृथ्वीसिंह आजाद ने अपनी रेलगाड़ी से भागने की कहानी सुनाई।

  • गाँधीजी की संवेदनशीलता: गाँधीजी ने एक बार एक लड़के के लिए जरूरी मीटिंग छोड़ दी और उसकी उल्टी करवा कर पेट ठीक किया। गाँधीजी टी.बी. के मरीज का हालचाल पूछने और इलाज करने खुद जाते थे।

  • जापानी भिक्षु का सम्मान: एक जापानी भिक्षु गाँधीजी के आश्रम की प्रदक्षिणा करता और प्रार्थना स्थल पर पहुँचकर आदरपूर्वक प्रणाम करता था।


2. नेहरूजी -

  • कश्मीर यात्रा: पं. नेहरू कश्मीर यात्रा पर आए हुए थे। शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में झेलम नदी पर अमीराकदल तक उनकी शोभा यात्रा देखने का अवसर लेखक को प्राप्त हुआ।

  • नेहरूजी के ठहराव: नेहरूजी जिस बंगले पर ठहरे थे, वह लेखक के फुफेरे भाई का था। लेखक भी पंडित जी की देखभाल करने वहाँ पहुँचा। नेहरूजी दिन भर व्यस्त रहते और शाम को सभी के साथ भोजन करते।

  • महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ बातचीत: खाने की मेज पर शेख अब्दुल्ला, अब्दुल गफ्फार खाँ, श्रीमती रामेश्वरी नेहरू आदि उपस्थित थे। धर्म पर बहस के दौरान नेहरूजी और रामेश्वरी के बीच मतभेद हुआ। नेहरूजी ने अनातोले फ्रांस की एक मार्मिक कहानी सुनाई।

  • कहानी का सारांश: पेरिस के एक गिरजे के बाहर एक गरीब बाजीगर (नट) खड़ा था। बाजीगर ने माता मरियम को अपना करतब दिखाने का निर्णय लिया। गिरजा खाली होने पर बाजीगर ने करतब दिखाना शुरू किया। बाजीगर के हाँफने की आवाज सुनकर बड़े पादरी ने उसे निकालने का विचार किया। पादरी ने देखा कि माता मरियम मंच से उतरकर बाजीगर का पसीना पोंछ रही थी।

  • लेखक का अनुभव: नेहरूजी का कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था। रात देर तक नेहरूजी चिट्ठियाँ लिखवाते रहे। सुबह नेहरूजी फर्श पर बैठकर चरखा कातते हुए दिखाई दिए। नेहरूजी ने लेखक से अखबार माँगकर पढ़ा, जिससे लेखक सम्मानित महसूस हुआ।


3. यास्सेर अराफात -

  • लेखक की भूमिका: लेखक अफ्रो-एशियाई लेखक संघ में कार्यकारी महामंत्री पद पर कार्यरत थे। ट्यूनिस में अफ्रो-एशियाई लेखक संघ का सम्मेलन होने जा रहा था। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में कमलेश्वर, जोगिंदर पाल, बालूराव, अब्दुल बिस्मिल्लाह आदि शामिल थे।

  • सम्मेलन में भागीदारी: लेखक और उनकी पत्नी सम्मेलन में कुछ दिन पहले ही पहुँच गए थे। ‘लोटस’ लेखक संघ की पत्रिका थी और ट्यूनिस में फिलिस्तीनी अस्थायी सरकार का सदर मुकाम था। यास्सेर अराफात के नेतृत्व में फिलिस्तीनी अस्थायी सरकार काम कर रही थी।

  • सदर मुकाम में आमंत्रण: ‘लोटस’ के संपादक ने लेखक और उनकी पत्नी को सदर मुकाम में ले जाया। यास्सेर अराफात अपने साथियों के साथ उनका स्वागत करने आए।

  • भोजन और चर्चा: दिन के भोजन के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया। सदर मुकाम के अधिकारी और फिलिस्तीनी लेखक उनसे मिले। लंबी खाने की मेज पर बड़ा-सा भुना हुआ बकरा रखा था। अराफात ने लेखक और उनकी पत्नी से बातचीत की, गाँधीजी और अन्य नेताओं का जिक्र किया। अराफात ने कहा कि गाँधीजी हमारे भी नेता हैं और उतने ही आदरणीय हैं जितने आपके लिए।

  • आतिथ्य और सेवा: अराफात फल छीलकर और शहद की चाय बनाकर लेखक को खिला रहे थे। लेखक को गुसलखाने जाने की जरूरत हुई, तब अराफात तौलिया लेकर बाहर खड़े थे, जिससे लेखक को झेंप हुई।


Learnings from Class 12 Hindi Antra Chapter 13 Gandhi, Nehru, aur Yaseer Arafat

  • Leadership and Humility: The chapter highlights how great leaders like Gandhi, Nehru, and Yasser Arafat combined their powerful leadership qualities with humility and personal touch. 

  • Cultural and Emotional Connections: The interactions between these leaders and their followers illustrate the deep emotional and cultural connections they established. 

  • Commitment to Service: Gandhi's dedication to service, whether through personal care for the sick or daily activities like spinning the charkha, demonstrates the importance of selfless service in leadership. Similarly, Yasser Arafat's attention to his guests shows his commitment to hospitality and respect.

  • Influence and Inspiration: The chapter underscores how these leaders served as sources of inspiration not just for their countries but globally. 

  • Interpersonal Skills and Diplomacy: The chapter portrays the importance of interpersonal skills and diplomacy in leadership. 


Importance of Class 12 Hindi Antra Chapter 13 Notes - PDF

  • Study notes for Chapter 13 offer a summary, saving time by focusing on essential details.

  • They highlight key themes and ideas, making it easier to understand why the chapter is essential.

  • Including meaningful quotes and clear explanations helps students better understand and remember the material.

  • The notes explain the characters and story clearly, making it easier for students to understand the chapter fully.

  • These notes are useful for quick review before exams, ensuring students are well-prepared.

  • The Notes PDF covers the entire syllabus, ensuring students understand all aspects of the chapter.


Tips for Learning the Hindi (Antra) Class 12 Chapter 13 Notes 

  • Understand the Context: Get a good understanding of the historical and cultural context of the chapter. 

  • Focus on Key Events: Pay attention to the main events and interactions in the chapter. Note the significant incidents.

  • Highlight Important Quotes: Identify and highlight key quotes from the text.

  • Use Visual Aids: Create mind maps or charts that link the different events and characters in the chapter. 

  • Discuss with others: Discuss the chapter with your classmates or study group. Sharing insights and interpretations can deepen your understanding and provide different perspectives on the text.

  • Practise Writing: Practise writing summaries and answers to potential exam questions. This will help you organise your thoughts and ensure that you can express your understanding clearly and concisely.

  • Revise Regularly: Regularly revise the chapter to reinforce your understanding and retention. Revisit your notes, summaries, and highlighted quotes to keep the information fresh in your mind.


Conclusion

The chapter "Gandhi, Nehru, aur Yaseer Arafat" from the Class 12 Hindi Antra textbook provides an insight into the lives and philosophies of three iconic leaders. Through personal stories and interactions, the text highlights their humility, dedication to service, and their ability to inspire and connect with people across cultures and nations. These resources are designed for exam preparation, ensuring students effectively understand the poem's themes. Download our FREE PDF notes for effective learning.


Important Study Materials for Class 12 Hindi Antra Chapter 13 Gandhi, Nehru, aur Yaseer Arafat


Chapter-wise Revision Notes for Hindi Class 12 - Antra


Important Study Materials for Class 12 Hindi

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FAQs on Cbse Class 12 Hindi Antra Notes Chapter 13

1. लेखक भीष्म साहनी सेवाग्राम क्यों और कब गए थे?

लेखक 1938 में सेवाग्राम गए थे क्योंकि उनके भाई, बलराज साहनी, वहाँ 'नई तालीम' पत्रिका के सह-संपादक के रूप में काम कर रहे थे। लेखक अपने भाई से मिलने और वहाँ के वातावरण का अनुभव करने के लिए गए थे, जहाँ उन्हें महात्मा गाँधी से मिलने का अवसर भी मिला।

2. 'गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात' पाठ के मुख्य विषय क्या हैं, जिनका रिवीज़न करना ज़रूरी है?

इस पाठ के रिवीज़न के लिए मुख्य विषयों में शामिल हैं:

  • नेतृत्व और विनम्रता: महान नेताओं के शक्तिशाली व्यक्तित्व के साथ उनकी विनम्रता और व्यक्तिगत व्यवहार का चित्रण।
  • मानवीय संबंध: राजनीतिक विचारधाराओं से परे व्यक्तिगत और सांस्कृतिक जुड़ाव का महत्व।
  • सेवा भाव: गाँधीजी, नेहरू और अराफ़ात के माध्यम से निस्वार्थ सेवा के आदर्श को प्रस्तुत करना।
  • वैश्विक प्रेरणा: यह दर्शाना कि ये नेता केवल अपने देश के लिए ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर प्रेरणा के स्रोत थे।

3. यह पाठ भीष्म साहनी की किस रचना का अंश है?

यह पाठ, 'गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात', लेखक भीष्म साहनी की आत्मकथा 'आज के अतीत' का एक अंश है। इसमें लेखक ने अपने जीवन के उन यादगार क्षणों का वर्णन किया है जब उन्हें इन तीन महान हस्तियों से मिलने का अवसर मिला था।

4. नेहरू द्वारा सुनाई गई बाजीगर की कहानी का पाठ के संदर्भ में क्या महत्व है?

नेहरू द्वारा सुनाई गई बाजीगर की कहानी का गहरा प्रतीकात्मक महत्व है। यह कहानी बताती है कि सच्ची भक्ति या सेवा किसी कर्मकांड या दिखावे की मोहताज नहीं होती। जैसे बाजीगर ने माता मरियम को अपनी कला का प्रदर्शन करके अपनी श्रद्धा व्यक्त की, उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति का कर्म ही उसकी सबसे बड़ी पूजा है। यह नेहरू के धर्मनिरपेक्ष और मानवतावादी दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।

5. यास्सेर अराफ़ात का आतिथ्य लेखक को संकोच में क्यों डाल देता है? यह घटना नेतृत्व के बारे में क्या सिखाती है?

यास्सेर अराफ़ात का आतिथ्य लेखक को संकोच में डाल देता है क्योंकि एक राष्ट्र के सर्वोच्च नेता होने के बावजूद, वे स्वयं लेखक के लिए फल छील रहे थे और तौलिया लेकर गुसलखाने के बाहर खड़े थे। यह असाधारण विनम्रता और सेवा भाव लेखक की एक बड़े नेता की पारंपरिक छवि से मेल नहीं खाता था। यह घटना सिखाती है कि सच्चा नेतृत्व पद के अहंकार से मुक्त होता है और दूसरों की सेवा करने में ही महानता समझता है।

6. इस पाठ में वर्णित प्रमुख घटनाओं और मुलाकातों का संक्षिप्त रिवीज़न कैसे करें?

इस पाठ की प्रमुख घटनाओं का त्वरित रिवीज़न करने के लिए इन तीन मुलाकातों पर ध्यान केंद्रित करें:

  • गाँधीजी से भेंट: सेवाग्राम में सुबह की सैर के दौरान गाँधीजी से पहली मुलाकात और उनकी कार्यशैली तथा संवेदनशीलता का अनुभव।
  • नेहरूजी के साथ समय: कश्मीर में नेहरूजी के साथ भोजन और बातचीत, जहाँ उन्होंने धर्म और मानवता पर बाजीगर की कहानी सुनाई।
  • यास्सेर अराफ़ात से मुलाकात: ट्यूनिस में अफ़्रो-एशियाई लेखक संघ के सम्मेलन के दौरान अराफ़ात के सदर मुकाम में उनका व्यक्तिगत अतिथि-सत्कार।

7. पाठ में प्रस्तुत तीनों नेताओं—गाँधी, नेहरू, और अराफ़ात—की नेतृत्व शैली की तुलना उनके व्यक्तिगत व्यवहार के आधार पर कैसे की जा सकती है?

पाठ के आधार पर तीनों नेताओं की नेतृत्व शैली में विशिष्टताएँ दिखती हैं:

  • गाँधीजी: उनकी शैली आध्यात्मिक और सेवा-केंद्रित थी। वे व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की देखभाल करते थे और अनुशासन को महत्व देते थे।
  • नेहरूजी: उनकी शैली बौद्धिक और आधुनिक थी। वे व्यस्तता के बीच भी संवाद और कहानियों के माध्यम से गहरे मानवीय मूल्यों को स्थापित करते थे।
  • यास्सेर अराफ़ात: उनकी शैली अत्यंत विनम्र और अतिथि-सत्कार पर आधारित थी। वे अपने मेहमानों की सेवा स्वयं करके वैश्विक भाईचारे और सम्मान का संदेश देते थे।
तीनों में एक समान सूत्र मानवीयता और विनम्रता का था।

8. यह पाठ ऐतिहासिक नेतृत्व को आज के मूल्यों से कैसे जोड़ता है?

यह पाठ दिखाता है कि अहिंसा, सेवा, सहिष्णुता, और विनम्रता जैसे शाश्वत मानवीय मूल्य किसी भी युग में प्रासंगिक होते हैं। गाँधीजी की करुणा, नेहरू का संवाद कौशल, और अराफ़ात का आतिथ्य आज के नेताओं और युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। यह पाठ सिखाता है कि पद से बड़ा व्यक्ति का आचरण होता है, जो आज के समाज में भी एक महत्वपूर्ण सबक है।