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NCERT Solutions for Class 12 Biology In Hindi Chapter 4 Reproductive Health In Hindi Medium

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NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 Reproductive Health in Hindi Medium

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NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT Textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.


Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Biology

Chapter Name:

Chapter 4 - Reproductive Health

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

Other Materials

  • Important Questions

  • Revision Notes



We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes. 

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Access NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 – Reproductive Health

1. समाज में जनन स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए। 

उत्तर: समाज में जनन स्वास्थ्य का अर्थ स्वस्थ जनन अंगों व उनकी सामान्य कार्यप्रणाली से है। अतः जनन स्वास्थ्य का मतलब ऐसे समाज से है जिसके व्यक्तियों के जनन अंग शारीरिक व क्रियात्मक रूप से पूर्णरूपेण स्वस्थ हों। लोगों को यौन शिक्षा के द्वारा उचित जानकारी मिलती है जिससे समाज में यौन सम्बन्धों के प्रति फैली कुरीतियाँ व भ्रांतियाँ खत्म होती हैं। जनन स्वास्थ्य के अन्तर्गत लोगों को विभिन्न प्रकार के यौन-संचारित रोगों, परिवार नियोजन के उपायों, छोटे परिवार के लाभ, सुरक्षित यौन सम्बन्ध आदि के प्रति जागरूक किया जाता है। गर्भावस्था के दौरान माता की देखभाल, प्रसवोत्तर माती व शिशु की देखभाल, शिशु के लिए स्तनपान का महत्त्व जैसे महत्त्वपूर्ण जानकारियों के आधार पर स्वस्थ व जागरूक परिवार बनेंगे। विद्यालय व शिक्षण संस्थानों में प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य तथा यौन शिक्षा से आने वाली पीढ़ी सुलझी विचारधारा वाली होगी जिससे हमारा समाज व देश सशक्त होगा। 


2. जनन स्वास्थ्य के उन पहलुओं को सुझाएँ जिन पर आज के परिदृश्य में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। 

उत्तर: जनन स्वास्थ्य के प्रमुख पहलू जिन पर आज के परिदृश्य में विशेष ध्यान देने की जरूरत है, इस प्रकार हैं – 

  1. सुरक्षित व संतोषजनक जननिक स्वास्थ्य। 

  2. जनता को जनन सम्बन्धी पहलुओं के प्रति जागरूक करना। 

  3. विद्यालयों में यौन-शिक्षा प्रदान करना। 

  4. लोगों को यौन संचारित रोगों, किशोरावस्था सम्बन्धी बदलावों व समस्याओं के बारे में जानकारी देना। 

  5. जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणामों से अवगत कराना। 

  6. गर्भपात, गर्भ निरोधक, आर्तव चक्र, बाँझपन सम्बन्धी समस्याएँ। 

  7. मादा भ्रूण हत्या के लिए उल्वबेधन का दुरुपयोग आदि। 


3. क्या विद्यालयों में यौन शिक्षा आवश्यक है? यदि हाँ, तो क्यों? 

उत्तर: विद्यालयों में यौन शिक्षा अति आवश्यक है, क्योंकि इससे छात्रों को किशोरावस्था सम्बन्धी परिवर्तनों व समस्याओं के निदान की सही जानकारी मिलेगी। यौन शिक्षा से उन्हें यौन सम्बन्ध के प्रति भ्रांतियाँ व मिथ्य धारणाओं को खत्म करने में सहायता मिलेगी; इसके साथ-साथ उन्हें सुरक्षित यौन सम्बन्ध, गर्भ निरोधकों का प्रयोग, यौन संचारित रोगों, उनसे बचाव व निदान की जानकारी प्राप्त होगी अथवा किशोरावस्था में ही रही यौन उत्पीडन आदि समस्या में कमी लाया जा सकता है। परिणामस्वरूप आने वाली पीढ़ी भावनात्मक व मानसिक रूप से समृद्ध होगी। 


4. क्या आप मानते हैं कि पिछले 50 वर्षों के दौरान हमारे देश के जनन स्वास्थ्य में सुधार हुआ है? यदि हाँ, तो इस प्रकार के सुधार वाले कुछ क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर: पिछले 50 वर्षों के दौरान निश्चित ही हमारे देश के जनन स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। इस प्रकार के सुधार वाले कुछ क्षेत्र निम्न हैं – 

  1. शिशु व मातृ मृत्यु दर घटी है। 

  2. यौन संचारित रोगों की समय रहते शीघ्र पहचान व उनका समुचित उपचार। 

  3. बन्ध्य दम्पतियों को विभिन्न तकनीकियों द्वारा संतान लाभ। 

  4. बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ व जीवन स्तर। 

  5. विभिन्न प्रकार के गर्भ निरोधकों की खोज व उपलब्धता। 

  6. चिकित्सीय सहायता युक्त सुरक्षित प्रसव। 

  7. लघु परिवारों के लिए प्राथमिकता तथा उनसे होने वाले लाभ।

      8. यौन सम्बन्धी मुद्दों पर बढ़ती हुई   जागरूकता तथा उनके उपयोग का प्रभाव।

      9. बढ़ती जनसंख्या के नियन्त्रण हेतु प्रयासरत सरकार व आम जनता। 


5. जनसंख्या विस्फोट के कौन-से कारण हैं? 

उत्तर: जनसंख्या विस्फोट विश्व की आबादी 2 व्यक्ति प्रति सेकण्ड या 2,00,000 व्यक्ति प्रतिदिन या 60 लाख व्यक्ति प्रतिमाह या लगभग 7 करोड़ प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है। आबादी में इस तीव्रगति से वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहते हैं। यह मृत्युदर में कमी और जन्मदर में वांछित कमी न आने के कारण होता है। जनसंख्या में वृद्धि एवं इसके कारण किसी भी क्षेत्र में एक निश्चित समय में बढ़ी हुई आबादी या जनसंख्या को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं। 

जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित कारण हैं – 

  1. स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण शिशु मृत्युदर (Infant Mortality Rate-IMR) एवं मातृ मृत्युदर (Maternal Mortality Rate-MMR) में कमी आई है। 

  2. जनन योग्य व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि का होना। 

  3. अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के कारण जीवन स्तर में सुधार होना। 

  4. अशिक्षा के कारण व्यक्तियों को परिवार नियोजन के साधनों का ज्ञान न होना और परिवार नियोजन के तरीकों को पूर्ण रूप से न अपनाया जाना ।

  5. वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति के कारण खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि। 

  6. सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों द्वारा अनेक महामारियों का समूल रूप से निवारण होना। 

  7. निम्न सामाजिक स्तर के कारण अधिकांश निर्धन व्यक्ति यह विश्वास करता है कि जितने अधिक बच्चे होंगे, वे काम करके अधिक धनोपार्जन करेंगे। 

  8. सामाजिक रीति-रिवाजों के कारण पुत्र प्राप्ति की चाह में दम्पति सन्तान उत्पन्न करते रहते हैं। 

  9. गर्भनिरोधक  उपायों के जागरूकता में कमी जिसके वजह से इसे खरीदने में लोगो के अंदर असहजता महसूस करना।


6. क्या गर्भ निरोधकों का उपयोग न्यायोचित है? कारण बताएँ। 

उत्तर: विश्व की बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के गर्भ-निरोधकों का प्रयोग किया जाता है। कंडोम जैसे गर्भ निरोधक से न सिर्फ सगर्भता से बचा जा सकता है बल्कि यह अनेक यौन संचारित रोगों व संक्रमणों से भी बचाव करता है। गर्भ निरोधक के प्रयोग द्वारा किसी भी प्रकार के अवांछनीय परिणाम से बचा जा सकता है या उसे रोका जा सकता है। विश्व के अधिकांश दम्पति गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करते हैं। गर्भनिरोधकों के इन सभी महत्त्वों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इनका उपयोग न्यायोचित है। 


7. जनन ग्रन्थि को हटाना गर्भ निरोधकों का विकल्प नहीं माना जा सकता है, क्यों? 

उत्तर: गर्भ निरोधक के अन्तर्गत वे सभी युक्तियाँ आती हैं जिनके द्वारा अवांछनीय गर्भ को रोका जा सकता है। गर्भ निरोधक पूर्ण रूप से ऐच्छिक व उत्क्रमणीय होते हैं, व्यक्ति अपनी इच्छानुसार इनका प्रयोग बन्द करके, गर्भधारण कर सकता है। इसके विपरीत जनन ग्रन्थि को हटाने पर शुक्राणु व अण्डाणुओं का निर्माण स्थायी रूप से खत्म हो जाता है अर्थात् ये उत्क्रमणीय नहीं होते हैं। एक बार जनन ग्रन्थि के हटाने पर पुनः गर्भधारण करना असंभव होता है। 


8. उल्वबेधन एक घातक लिंग निर्धारण (जाँच) प्रक्रिया है, जो हमारे देश में निषेधित है। क्या यह आवश्यक होना चाहिए? टिप्पणी कीजिए। 

उत्तर: उल्वबेधन एक ऐसी तकनीक है जिसके अन्तर्गत माता के गर्भ में से एम्नियोटिक द्रव (amniotic fluid) का कुछ भाग सीरिंज द्वारा बाहर निकाला जाता है। इस द्रव में फीट्स की कोशिकाएँ होती हैं जिसके गुणसूत्रों का विश्लेषण करके भ्रूण की लिंग जाँच, आनुवांशिक संरचना, आनुवांशिक विकार व उपापचयी विकारों का पता लगाया जा सकता है। अत: इस जाँच प्रक्रिया का प्रमुख उद्देश्य होने वाली संतान में किसी भी संभावित विकलांगता अथवा विकार का पता लगाना अथवा कोई भी आनुवंशिक बीमारी जिससे माता को गर्भपात कराने का आधार मिल सके। 

किन्तु आजकल इस तकनीक का दुरुपयोग भ्रूण लिंग ज्ञात करके, मादा भ्रूण हत्या के लिए हो रहा है। इसके फलस्वरूप हमारे देश का लिंगानुपात असंतुलित होता जा रहा है। मादा भ्रूण के सामान्य होने पर भी गर्भपात कर दिया जाता है क्योंकि अभी भी हमारे समाज में पुत्र जन्म को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसा गर्भपात एक बच्चे की हत्या के समतुल्य है, अतः उल्वबेधन पर कानूनी प्रतिबन्ध लगाना अति आवश्यक है। 


9. बन्ध्य दम्पतियों को संतान पाने हेतु सहायता देने वाली कुछ विधियाँ बताइए। 

उत्तर: बन्ध्य दम्पतियों को संतान प्राप्ति हेतु सहायता देने के लिए निम्न विधियाँ हैं – 

1. परखनली शिशु (Test Tube Baby) – इसके अन्तर्गत शुक्राणु व अण्डाणुओं को इन विट्रो निषेचन कराया जाता है। तत्पश्चात् भ्रूण को सामान्य स्त्री के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। स्त्री के गर्भ में गर्भकाल की अवधि पूर्ण होने पर सामान्य रूप से शिशु का जन्म होता है। 

2. युग्मक अन्तः फैलोपियन स्थानान्तरण (Gamete Intra- Fallopian Transfer) – इस विधि का प्रयोग उन महिलाओं पर किया जाता है, जो लम्बे समय से बन्ध्य हैं। इसके अन्तर्गत लेप्रोस्कोप की सहायता से फैलोपियन नलिका के एम्पुला में शुक्राणु व अण्डाणुओं का निषेचन कराया जाता है। 

3. अन्तःकोशिकाद्रव्यीय शुक्राणु बेधन (Intracytoplasmic Sperm Injection) – इसके अन्तर्गत शुक्राणुओं को प्रयोगशाला में सम्बन्धित माध्यम में रखकर प्रत्यक्ष ही अण्डाणु में बेध दिया जाता है। तत्पश्चात् भ्रूण या युग्मनज को स्त्री के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है। 

4. कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) – इसका प्रयोग उन पुरुषों पर किया जाता है। जिनमें शुक्राणुओं की कमी होती है। इस विधि मे पुरुष के वीर्य को एकत्रित करके स्त्री की योनि में स्थापित कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त निसंतान दम्पति, अनाथ व आश्रयहीन बच्चों को कानूनी रूप से गोद ले सकते हैं। 


10. किसी व्यक्ति को यौन संचारित रोगों के सम्पर्क में आने से बचने के लिए कौन-से उपाय अपनाने चाहिए? 

उत्तर: यौन संचारित रोग यौन सम्बन्धों के द्वारा संचारित व अति संक्रामक होते हैं। इन रोगों से बचने के लिए निम्न उपाय अपनाने चाहिए – 

  1. सहवास के दौरान कंडोम का प्रयोग करें। 

  2. समलैंगिकता से दूर रहें। 

  3. परगामी व्यक्ति से यौन सम्बन्ध न बनायें। 

  4. वेश्यावृत्ति से दूर रहें। 

  5. किसी भी प्रकार की यौन समस्या होने पर कुशल चिकित्सक से परामर्श लें। 

  6. अनजान व्यक्ति से यौन सम्बन्ध न बनाये। 


11. निम्नलिखित वाक्य सही हैं या गलत, व्याख्या सहित बताएँ – 

1.गर्भपात स्वतः भी हो सकता है। (सही/गलत) 

उत्तर: गलत। सामान्य परिस्थितियों में गर्भपात स्वत: नहीं होता है। गर्भपात का अर्थ है स्वेच्छा से या किसी दुर्घटनावश गर्भ का नष्ट होना।  


2.बन्ध्यता को जीवनक्षम संतति न पैदा कर पाने की अयोग्यता के रूप में परिभाषित किया गया है और यह सदैव स्त्री की असामान्यताओं/दोषों के कारण होती है। (सही/गलत) 

उत्तर: गलत। बन्ध्यता स्त्री या पुरुष दोनों के दोषों या विकारों के कारण होती है। 


3.एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक उपाय के रूप में शिशु को पूर्ण रूप से स्तनपान कराना सहायक होता है। (सही/गलत) 

उत्तर: सही। प्रसव के उपरान्त शिशु को भरपूर स्तनपान कराने से अण्डोत्सर्ग नहीं होता है। अत: आर्तव चक्र के प्रारम्भ न होने से गर्भ ठहरने की संभावना भी नहीं रहती है। किन्तु यह प्रसव के पश्चात् 4-6 महीने तक ही प्रभावी होता है।


4.लोगों के जनन स्वास्थ्य के सुधार हेतु यौन सम्बन्धित पहलुओं के बारे में जागरूकता पैदा करना एक प्रभावी उपाय है। (सही/गलत) 

उत्तर: सही। जनन स्वास्थ्य के लिए लोगों को यौन सम्बन्धी समस्याओं, भ्रान्तियों व अवधारणाओं के बारे में सही जानकारी देना जरूरी है। सुरक्षित यौन सम्बन्ध, गर्भ निरोधन, यौन रोगों से बचाव आदि महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ, लोगों को जनन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाती हैं। 


12. निम्न कथनों को सही कीजिए – 

1.गर्भ निरोध के शल्य क्रियात्मक उपाय युग्मक बनने को रोकते हैं। 

उत्तर: गर्भ निरोध के शल्य क्रियात्मक उपाय युग्मक परिवहन अथवा युग्मक संचार को रोकते हैं। 


2.सभी प्रकार के यौन संचारित रोग पूरी तरह से उपचार योग्य हैं। 

उत्तर: जेनिटल हार्पिज, HIV संक्रमण, यकृत शोथ-B के अतिरिक्त शेष सभी प्रकार के यौन संचारित रोग पूरी तरह से उपचार के योग्य हैं, यदि इन्हें सही समय पर पहचान कर इलाज कराया जाये। 

 

3.ग्रामीण महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक के रूप में गोलियाँ (पिल्स) बहुत अधिक लोकप्रिय हैं। 

उत्तर: गर्भ निरोधक गोलियाँ (पिल्स) सभी महिलाओं के बीच लोकप्रिय हैं। 


4. ई० टी० तकनीकों में भ्रूण को सदैव गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। 

उत्तर: ई० टी० तकनीक में भ्रूण को हमेशा गर्भाशय में स्थानान्तरित किया जाता है।


NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 Reproductive Health in Hindi Medium

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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Biology In Hindi Chapter 4 Reproductive Health In Hindi Medium

1. Which book is best for Biology for Class 12?

NCERT Books are the best source for preparation before your Class 12 Biology exam. The books have been prescribed by CBSE and hence, follow the latest syllabus and guidelines provided by the board. NCERT Books contain an in-depth explanation of each concept, with accurate definitions and examples to provide students a better understanding. Students are also provided with NCERT Questions that are helpful in revision as well as the practice of everything that has been taught in the chapter.

2. What is meant by Reproductive Health according to Chapter 4 of the Class 12 Biology NCERT?

As defined in Chapter 4 of the Class 12 Biology NCERT, reproductive health refers to the complete well-being of the reproductive system from physical, social, emotional, and behavioral perspectives. A society is deemed reproductively healthy if its people have physically and functionally normal reproductive organs, and they indulge in healthy emotional and behavioral interactions with others. Students can find a more detailed explanation in the NCERT Solutions for Chapter 4 of the Class 12 Biology NCERT by Vedantu. The solutions are available on Vedantu’s website(vedantu.com) as well as Vedantu Mobile app. The solutions are free of cost.

3. What is Chapter 4 in Class 12 Biology all about?

Chapter 4 in the NCERT Solutions for Class 12 Biology is known as “Reproductive Health’. This chapter discusses all aspects of reproduction, namely physical, behavioral, emotional, and social, and also the interaction between these aspects. Students can further find a detailed explanation about the same on Vedantu.

4. What are the most important topics in Chapter 4 of the Class 12 Biology NCERT?

Here is a list of important topics in Chapter 4 of the Class 12 Biology that students can focus on: 

  • Significance of reproductive health

  • Prevention of STD

  • Birth control: methods and need

  • Contraception

  • Medical termination of pregnancy (MTP)

  • Amniocentesis

  • Infertility 

  • Assisted reproductive technologies - IVF, ZIFT, GIFT

5. How are NCERT Solutions helpful in understanding Chapter 4 of the Class 12 Biology NCERT?

The chapter “Reproductive Health” includes a lot of important terms related to processes and methods involved in maintaining the reproductive health of human beings. NCERT Solutions are meant to help students by enhancing their understanding of the different concepts and subtopics that have been taught throughout this chapter. Through NCERT Solutions, students will be able to understand the appropriate way of answering questions based on this chapter in the exam.