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NCERT Solutions For Class 7 Hindi (Malhar) Chapter 6 Giridhar Kavirai ki Kundliyaan 2025-26

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Stepwise Answers and Key Explanations for Giridhar Kavirai ki Kundliyaan

Looking for clear, stepwise NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6? This page is your perfect companion for “Giridhar Kavirai ki Kundliyaan,” making tricky Kundliyaan questions much easier for the CBSE 2025–26 exams.


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Stepwise Answers and Key Explanations for Giridhar Kavirai ki Kundliyaan

पाठ से


मेरी समझ से


(क) पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★ ) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।


(क) पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★ ) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।


प्रश्न 1.
“बिना बिचारे” काम करने के क्या परिणाम होते हैं?

  • दूसरों से प्रशंसा मिलती है।

  • मन में शांति बनी रहती है।

  • अपना काम बिगड़ जाता है।

  • खान-पान सम्मान मिलता है।


उत्तर:

  • अपना काम बिगड़ जाता है।


प्रश्न 2.
“चित्त में चैन” न पा सकने का मुख्य कारण क्या है?

  • प्रयास करने पर भी टाला न जा सकने वाला दुख

  • बिना सोचे-समझे किए गए कार्य की असफलता

  • खान-पान, सम्मान और राग-रंग का अभाव

  • दुनिया द्वारा की जाने वाली निंदा और उपहास


उत्तर:

  • बिना सोचे-समझे किए गए कार्य की असफलता (*) दुनिया द्वारा की जाने वाली निंदा और उपहास (*)


प्रश्न 3.
“बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ” पंक्ति द्वारा कौन-सी सलाह दी गई है ?

  • भविष्य की सफलता के लिए अतीत की गलतियों से सीखने की

  • अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की

  • अतीत और भविष्य दोनों घटनाओं को समान रूप से याद रखने की

  • अतीत और भविष्य दोनों को भूलकर केवल वर्तमान में जीने की


उत्तर:

  • अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की


अतीत की असफलताओं को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की


प्रश्न 4.
“जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ” पंक्ति का क्या अर्थ है ?

  • हमें कठिनाइयों और चुनौतियों से बचना चाहिए।

  • हमें आराम की तलाश करने में मन लगाना चाहिए।

  • हमें असंभव और कठिन कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।

  • हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए।


उत्तर:

  • हमें सहज जीवन पर ध्यान देना चाहिए।


(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग- अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?


उत्तर: 

(1)

मेरी दृष्टि में इस प्रश्न का सबसे सही उत्तर तीसरा विकल्प है, क्योंकि बिना सोचे-समझे कोई भी काम करने से अक्सर हमारा ही नुकसान होता है। विचार किए बिना किए गए कार्य से न तो हमें किसी की सराहना मिलती है, न ही सम्मान। इसके उलट मन बेचैन रहता है और काम भी बिगड़ सकता है। इसलिए बाकी विकल्प उतने उपयुक्त नहीं लगते।

(2)

मैंने इस प्रश्न के दो विकल्प इसलिए चुने हैं क्योंकि मेरा मानना है कि जब भी हम कोई काम जल्दबाज़ी में या बिना सोच-समझकर करते हैं, तो उसका परिणाम खराब ही आता है। ऐसे में हम असफल भी होते हैं और मन में बेचैनी भी बनी रहती है। अंत में लोग हमारी गलती पर मज़ाक उड़ाते हैं और आलोचना भी करते हैं।

(3)

मैंने इस प्रश्न का दूसरा विकल्प इसलिए चुना क्योंकि जब हम पुरानी बातों, घटनाओं या अपनी असफलताओं में ही उलझे रहते हैं, तो आगे बढ़ नहीं पाते। अतीत की गलतियाँ या दुख मन को हमेशा परेशान करते रहते हैं और हमारा ध्यान वर्तमान से हट जाता है। इसलिए बेहतर यही है कि हम बीती असफलताओं को छोड़कर वर्तमान पर ध्यान दें, ताकि भविष्य को बेहतर बनाया जा सके।
उदाहरण के लिए—यदि कोई बच्चा परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाता है और वह बार-बार उसी गलती के बारे में सोचता रहता है, तो वह अगली परीक्षा में अच्छा नहीं कर सकेगा। लेकिन यदि वह पिछली असफलता को भूलकर मन लगाकर तैयारी करे, तो अगली परीक्षा में अच्छे अंक लाने की पूरी संभावना होती है।

(4)

हमारे जीवन का मूल उद्देश्य है—सहज और स्वाभाविक रूप से जीना। खुशी या दुख जैसी परिस्थितियों को हमें शांत मन से स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। यही कारण है कि मैंने इस विकल्प को सही माना, क्योंकि सहजता से जीवन जीने पर ही हम मानसिक रूप से संतुलित और प्रसन्न रह सकते हैं।


पंक्तियों पर चर्चा


पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-


(क) “ बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय ।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय।।”

उत्तर:

जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे कोई भी काम कर देता है, उसे बाद में पछताना ही पड़ता है। ऐसे लोग अपना काम तो बिगाड़ते ही हैं, साथ ही समाज में उनका मज़ाक भी उड़ाया जाता है। यानी, जब हम जल्दबाज़ी में या बिना विचार किए कोई कार्य करते हैं, तो उसका परिणाम अक्सर गलत ही निकलता है। इससे न केवल हमारा काम असफल होता है, बल्कि हमारी छवि भी खराब होती है।


उदाहरण के तौर पर—यदि कोई छात्र बिना सोचे परीक्षा में नकल करने लगे और पकड़ा जाए, तो उसकी बदनामी तो होती ही है, साथ ही उसे परीक्षा से बाहर भी कर दिया जाता है। बाद में वह स्वयं ही पछताता है कि उसने ऐसा गैर-सोच-समझ वाला कदम क्यों उठाया।


उदाहरण के तौर पर—यदि कोई छात्र बिना सोचे परीक्षा में नकल करने लगे और पकड़ा जाए, तो उसकी बदनामी तो होती ही है, साथ ही उसे परीक्षा से बाहर भी कर दिया जाता है। बाद में वह स्वयं ही पछताता है कि उसने ऐसा गैर-सोच-समझ वाला कदम क्यों उठाया।


(ख) “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ ।

जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ ।। ”


उत्तर: जीवन में बेकार की चिंता और पछतावा करने से कोई फायदा नहीं होता। बीते हुए समय को लेकर दुखी रहने के बजाय हमें अपने वर्तमान को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। अतीत की बातों में उलझे रहना केवल हमारी ऊर्जा और समय को नष्ट करता है।

जो काम सहजता से हो जाएँ, उन्हीं पर मन लगाना चाहिए, क्योंकि ज़बरदस्ती और हठ हमारे जीवन में और कठिनाइयाँ पैदा करते हैं। उदाहरण के रूप में—यदि कोई क्रिकेट खिलाड़ी पिछला मैच ख़राब खेल दे और लगातार उसी गलती के बारे में सोचता रहे, तो अगले मैच में वह अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर सकता। लेकिन अगर वह पिछली बातों को छोड़कर वर्तमान पर ध्यान दे, तो बेहतर खेल दिखा सकता है।


मिलकर करें मिलान


• नीचे स्तंभ – 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं, उनसे संबंधित अर्थ वाली स्तंभ- 2 की पंक्तियों से उनका मिलान कीजिए-


स्तंभ 1

स्तंभ 2

जब से लोग तैयार किए बिना काम करते हैं, काम का परिणाम अच्छा नहीं होता।

जो कार्य बिना विचार किए किया जाता है, वह सही परिणाम कम ही देता है और उसमें सफलता पाना कठिन हो जाता है।

जब व्यक्ति पिछले दुख और चिंताओं में उलझा रहता है, तो वर्तमान में आनंद नहीं उठा पाता और न ही जीवन में आगे बढ़ पाता है।

बिना सोच-विचार के किए गए काम के कारण मन असंतोष रहता है, इससे खुश रहने में बाधा आती है।

गालियों से किसी पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता। बुरे शब्द व्यक्ति के मन में दुख और पीड़ा ही बढ़ाते हैं।

अपने मन को इस बात पर स्थिर रखना आवश्यक कि भविष्य की खुशियों को बढ़ाने हेतु अतीत के दुखों को पीछे छोड़ देना चाहिए।

जब व्यक्ति परिस्थितियों को सहज रूप से स्वीकार नहीं करता, तो उसका जीवन उलझनों और परेशानी से भर जाता है।

ऐसे कर्म करने चाहिए जिन्हें परिवार व समाज दोनों द्वारा उचित और निर्भय माना जाए, ताकि किसी का दोष न आए।


उत्तर:


1. – 2
2. – 1
3. – 4
4. – 3


सोच-विचार के लिए


पाठ को एक बार पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-


पाठ को एक बार पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-


(क) “ बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय । ”
कविता में बिना विचार किए कार्य करने के क्या नुकसान बताए गए हैं?

उत्तर:


कविता में यह स्पष्ट किया गया है कि बिना सोचे-समझे किए गए कार्य कई प्रकार की हानि पहुँचाते हैं। इनमें प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं—


  • व्यक्ति अपने ही काम को खराब कर बैठता है।

  • वह दूसरों के बीच उपहास और अपमान का कारण बन जाता है।

  • उसकी सामाजिक छवि प्रभावित होती है और मन में बेचैनी बढ़ती है।

  • जीवन की सामान्य खुशियाँ भी उसे आकर्षित नहीं करतीं; खाने-पीने और आनंददायक चीज़ों से भी उसे अरुचि होने लगती है।


(ख) “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय।”

कुंडलिया में जो बातें सैंकड़ों साल पहले कही गई थीं, क्या वे आपके लिए भी उपयोगी हैं? कैसे? उदाहरण देकर समझाइए |


उत्तर: हाँ, इस कुंडलिया में कही गई बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक और मार्गदर्शक हैं। अक्सर बच्चे भावनाओं, जल्दबाज़ी या किसी की नकल में आकर ऐसे काम कर बैठते हैं, जिनका परिणाम बाद में पछतावा बनकर सामने आता है। यही पंक्तियाँ हमें सावधान करती हैं कि हर काम सोच-विचार कर, सही निर्णय के साथ करना चाहिए।

उदाहरण के रूप में—
एक बार मैंने अपना गृहकार्य अपने मित्र की कॉपी देखकर पूरा किया। जब अध्यापिका जी को यह बात पता चली, तो उन्होंने पूरी कक्षा के सामने मुझे समझाया कि नकल करके हम कभी आगे नहीं बढ़ सकते। उस समय मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और दिल में यही विचार आया कि काश, मैंने ऐसा काम नहीं किया होता।


(ग) “खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै ॥ ”

इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से देखकर लिखिए। प्रत्येक के लिए एक-एक उदाहरण भी दीजिए।


उत्तर: सन्मान – आदर, सम्मान या प्रतिष्ठा
उदाहरण: हमें अपने बड़े-बुज़ुर्गों का हमेशा सन्मान करना चाहिए।

मनहिं – ‘मन + ही’ का परिवर्तित (अपभ्रंश) रूप
उदाहरण: तरुण बहुत दुबला-पतला है क्योंकि उसे पौष्टिक भोजन मनहिं नहीं भाता।

भावै – अच्छा लगना, पसंद आना
उदाहरण: जिसका जैसा स्वभाव होता है, उसे वैसे ही लोग भावै।


अनुमान और कल्पना से


अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-


(क) आपने पढ़ा है कि “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय…।” कल्पना कीजिए कि आपके एक मित्र ने बिना सोचे-समझे एक बड़ा निर्णय लिया है। वह निर्णय क्या था और उसका क्या प्रभाव पड़ा? इसके बारे में एक रोचक कहानी अपने साथियों के साथ मिलकर बनाइए और कक्षा में प्रस्तुत कीजिए ।

उत्तर:

मेरे मित्र ने एक बार बिना सोचे-समझे यह तय कर लिया कि इस बार वह हर परीक्षा की तैयारी सिर्फ़ पेपर से दो–तीन दिन पहले ही करेगा। उसे भरोसा था कि प्रश्न-पत्र हमेशा की तरह आसान ही आएगा, इसलिए उसने पढ़ाई पूरी गंभीरता से नहीं की।

लेकिन परीक्षा के दिन उसकी अपेक्षा के विपरीत, प्रश्न-पत्र में ऐसे कई प्रश्न आ गए जिनकी तैयारी उसने ठीक से नहीं की थी। परिणाम यह हुआ कि उसके अंक कम आए और उसका आत्मविश्वास भी काफी प्रभावित हुआ।


(ख) कल्पना कीजिए कि “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ… ।” कविता निम्नलिखित के लिए लिखी गई है-


  • आप

  • आपका कोई सहपाठी

  • आपका कोई परिजन

  • आपके कोई शिक्षक

  • कोई पक्षी

  • कोई पशु


इनकी कौन-कौन सी समस्याएँ होंगी ? यह कविता उन्हें कैसे प्रेरित करेगी?


उत्तर:

मान लीजिए कि यह कविता आप के लिए लिखी गई हो। एक सातवीं कक्षा के विद्यार्थी के रूप में आपकी एक आम समस्या हो सकती है—हर महीने होने वाली कक्षा परीक्षा से पहले घबराहट महसूस होना, जिसकी वजह से रात को ठीक से नींद न आना। ऐसे में यह कविता आपको इस तरह प्रेरित कर सकती है—


  • पहले हुई परीक्षाओं के बारे में चिंता न करें। उन्हें पीछे छोड़कर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें।

  • किसी भी पुराने पेपर में आए कम अंकों को मन पर न लें, बल्कि उन्हें भूलकर सकारात्मक सोच के साथ तैयारी करें।

  • परीक्षा से एक दिन पहले 10 मिनट ध्यान या गहरी साँसों का अभ्यास करें ताकि मन शांत हो सके।

  • शांत दिमाग से नींद अच्छी आएगी और अगली सुबह ताजगी महसूस होगी। सुबह थोड़ी जल्दी उठकर हल्की-सी पुनरावृत्ति करने से आत्मविश्वास बढ़ेगा।

इनकी कौन-कौन सी समस्याएँ होंगी ? यह कविता उन्हें कैसे प्रेरित करेगी?


(ग) कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसे व्यक्ति से मिले हैं, जो हमेशा बीती बातों में खोया रहता है। आप उसे समझाने के लिए क्या-क्या कहेंगे?


उत्तर: जब मैं ऐसे व्यक्ति से मिलूँगा, तो मैं उन्हें यह समझाने की कोशिश करूँगा कि उनके भीतर अपनी चुनौतियों का सामना करने, मन को हल्का करने और पूरी निष्ठा के साथ अपने वर्तमान को बेहतर बनाने की क्षमता موجود है। इसलिए बीती हुई बातों को भूलकर वर्तमान को सँवारने का प्रयास करना ही सबसे उचित है।

इसके लिए वे प्रतिदिन दो–तीन बार कुछ मिनटों के लिए ध्यान कर सकते हैं। ध्यान तनाव कम करता है और मन को शांति देता है।
जब भी पुरानी बातें मन को विचलित करें या मनोदशा पर असर डालें, तब किसी रचनात्मक कार्य में स्वयं को व्यस्त कर लेना चाहिए या फिर किसी भरोसेमंद मित्र से सहज बातचीत करके मन को हल्का करना एक अच्छा तरीका हो सकता है।


शब्द से जुड़े शब्द


• नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘चित्त’ या ‘मन’ से जुड़े शब्द कुंडलियों में से चुनकर लिखिए-


नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘चित्त’ या ‘मन’ से जुड़े शब्द कुंडलियों में से चुनकर लिखिए-


उत्तर:

नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘चित्त’ या ‘मन’ से जुड़े शब्द कुंडलियों में से चुनकर लिखिए-


कविता की रचना


“बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय ।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय।। ”
“बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ ।
जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ ||


इन पंक्तियों को लय के साथ बोलकर देखिए। इन्हें बोलने में बराबर समय लगा या अलग? आपने ध्यान दिया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने में बराबर समय लगता है। इस कारण इन कुंडलियों की सुंदरता बढ़ गई है।

आप ध्यान देंगे तो इन कुंडलियों में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। जैसे प्रत्येक कुंडलिया का पहला या दूसरा शब्द उसका अंतिम शब्द भी है। दो-दो पंक्तियों में बातें कही गई हैं। कुंडलिया पढ़ते हुए ऐसा लगता है मानो कोई हमसे संवाद या बातचीत कर रहा है आदि। कुछ विशेषताएँ आपको दोनों कुंडलियों में दिखाई देंगी, कुछ विशेषताएँ दोनों में से किसी एक में दिखाई देंगी।


(क) अब आप पाठ में दी गई दोनों कुंडलियों को ध्यान से देखिए और अपने – अपने समूह में मिलकर इनकी विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।


जो विशेषताएँ दोनों कुंडलियों में हैं

जो विशेषताएँ केवल एक कुंडलिया में हैं










उत्तर:


जो विशेषताएँ दोनों कुंडलियों में पाई जाती हैं

जो विशेषताएँ किसी एक कुंडलिया में हैं

1. मानव व्यवहार से जुड़ी सीख देती हैं।

पहली कुंडलिया –

• किसी भी काम को करने से पहले सोच-विचार की आवश्यकता।

• गलती होने के बाद उत्पन्न होने वाला दुख।

2. प्रेरणात्मक और उपदेशात्मक संदेश देती हैं।

दूसरी कुंडलिया –

• अतीत को छोड़कर आगे बढ़ने और भविष्य पर ध्यान देने की सीख।


(ख) नीचे एक स्तंभ में कविता की पंक्तियों की कुछ विशेषताएँ दी गई हैं और उनसे संबंधित पंक्तियाँ दूसरे स्तंभ में दी गई हैं। कविता की विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए-


कविता की विशेषताएँ

कविता की पंक्तियाँ

1. पंक्ति के अंतिम शब्द की ध्वनि आकर्षण में निरंतरता रखती है।

रच निरखर कविता रस कर मन पाती।।

2. कवि के नाम का उल्लेख किया गया है।

नाती में बिन देह भए कोमल कांति आणी।।

3. एक-दूसरे से मिलते विचार एक साथ आए हैं।

निज निवारे जो तज सो पावे परकाए।

4. एक ही वर्ण से शुरू होने वाले एक से अधिक शब्द एक ही पंक्ति में आए हैं।

बीती बात बिसार दे भविष्य की सुधि लेहु।।


उत्तर:

(संकेत- आप कविता की पंक्तियों में कुछ और विशेषताएँ भी खोज सकते हैं।)

1. – 2
2. – 1
3. – 4
4. – 3


काल से जुड़े शब्द


“बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ ।”


इस वाक्य में ‘बीती’ शब्द अतीत यानी ‘भूतकाल’ के कार्यों को व्यक्त कर रहा है और ‘आगे’ शब्द ‘भविष्य’ के कार्यों को व्यक्त कर रहा है। इसी प्रकार ‘वर्तमान’ समय में होने वाले कार्यों को ‘आज’ जैसे शब्दों से व्यक्त किया जा सकता है। रोचक बात यह है कि अनेक शब्दों का प्रयोग बीते हुए समय, आने वाले समय और वर्तमान समय को बताने वाले, तीनों प्रकार के वाक्यों में किया जा सकता है।


(क) नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं। इनका प्रयोग करते हुए तीनों प्रकार के ‘काल’ व्यक्त करने वाले तीन-तीन वाक्य बनाइए-


भूतकाल

वर्तमान काल

भविष्य काल

कल

आज

कल

परसों

अभी-अभी

परसों

पहले

अब

अगले दिन/सप्ताह/महीने

पिछला

हमेशा

आगामी (आने वाला समय)

बीते हुए

आजकल

जल्द ही


उत्तर:

भूतकाल –

  • कल हम लोग पिकनिक मनाने गए थे।

  • परसों हमने एक फ़िल्म देखी थी।

  • पिछला सप्ताह हमारे लिए काफी व्यस्त रहा।

वर्तमान काल –

  • मैं अभी-अभी स्कूल से लौटकर आया हूँ।

  • प्रतीक हर दिन समय पर पहुँचता है।

  • आजकल मौसम बहुत सुहावना बना हुआ है।

भविष्य काल –

  • परसों हमारे घर मेहमान आने वाले हैं।

  • अगले सप्ताह से हमारी परीक्षाएँ शुरू होंगी।

  • मैं जल्द ही तुम्हारे घर मिलने आऊँगा।


(ख) आपने जो वाक्य बनाए हैं, उन्हें ध्यान से देखिए । पहचानिए कि इन वाक्यों में किन शब्दों से पता चल रहा है कि वाक्य में कार्य भूतकाल में हुआ, वर्तमान काल में हुआ है या भविष्य काल में होगा? वाक्यों में उन शब्दों को रेखांकित कीजिए ।


उत्तर:


भूतकाल

वर्तमान काल

भविष्य काल

कल हम पिकनिक पर गए थे।

मैं अभी-अभी विद्यालय से आया हूँ।

परसों हमारे घर कुछ मेहमान आएँगे।

परसों हमने एक फ़िल्म देखी थी।

प्रतीक हमेशा समय पर आता है।

आगामी सप्ताह में हमारी परीक्षाएँ होंगी।

पिछला सप्ताह बहुत व्यस्त रहा।

आजकल मौसम सुहावना हो रहा है।

मैं जल्दी ही तुम्हारे घर आऊँगा।


पाठ से आगे


आपकी बात


(क) “खटकत है जिय माहिं कियो जो बिना बिचारे ॥” का अर्थ है ‘बिना सोचे किए गए कार्य मन में चुभते रहते हैं।’ क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया है? उस घटना को साझा कीजिए ।

उत्तर:

एक बार मैं अपने एक दोस्त से इतनी नाराज़ हो गया कि गुस्से में मैंने उसे कुछ कड़वे शब्द कह दिए। उस समय मैंने यह सोचा ही नहीं कि मेरी बातों से उसे कितना दुख पहुँच सकता है। आवेश में आकर मैंने जो कहा, वह सही नहीं था। बाद में जब मेरा मन शांत हुआ, तो मुझे बहुत पछतावा हुआ। बार-बार यही लगता रहा कि मेरा दोस्त तो मेरे बारे में कभी बुरा सोचता भी नहीं था, फिर मैंने ही क्यों ऐसा बोल दिया।

उसी समय यह पंक्ति बिल्कुल सच लगती है—
“खटकत है जिय माहिं कियो जो बिना बिचारे।”
अर्थात बिना सोचे-समझे किया गया काम मन में हमेशा खटकता रहता है।


(ख) “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ । ” का अर्थ है ‘अतीत को भूलना और भविष्य पर ध्यान देना चाहिए।’ क्या आप इस बात से सहमत हैं? क्यों ? उदाहरण देकर समझाइए |


उत्तर: हाँ, मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि अतीत को भुलाकर आगे की ओर देखना आवश्यक है। जब तक हम बीती गलतियों या दुखद अनुभवों में उलझे रहते हैं, तब तक हम न तो खुद में सुधार कर पाते हैं और न ही जीवन में आगे बढ़ पाते हैं।

इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है—
मान लीजिए एक दुकानदार ने किसी गलत व्यापार में पैसा लगा दिया और उसे भारी नुकसान हो गया। अगर वह हर समय यही सोचता रहे कि “मैंने यह गलती क्यों की? अब मैं क्या करूँ?” तो वह चिंता में और भी नुकसान कर बैठेगा और उसका कारोबार धीरे-धीरे खत्म हो सकता है।

इसके विपरीत यदि वह इस घटना को एक सीख की तरह लेकर नई योजना बनाए और नए तरीकों से काम शुरू करे, तो वह अपने व्यापार को दोबारा सफल बना सकता है।
अर्थात—अतीत को छोड़कर भविष्य की ओर बढ़ना ही समझदारी है।


(ग) पाठ में दी गई दोनों कुंडलियों के आधार पर आप अपने जीवन में कौन-कौन से बदलाव लाना चाहेंगे?


उत्तर: इन कुंडलियों से मिली सीख के आधार पर मैं अपने जीवन में ये बदलाव लाना चाहूँगा/चाहूँगी—

1. हर काम सोच-विचारकर करना

  • किसी भी काम या निर्णय में जल्दबाज़ी न करना।

  • बोलने से पहले यह ज़रूर सोचना कि कहीं मेरी बात से किसी का मन न दुखे।

2. पुरानी गलतियों में न उलझना

  • बीती हुई बातों पर पछताने की बजाय उनसे सीख लेकर आगे बढ़ना।

  • आत्मग्लानि में डूबने के बजाय, अपने भविष्य को बेहतर बनाने पर ध्यान देना।

3. सहज और सरल जीवन अपनाना

  • जो आसानी से उपलब्ध है, उसमें संतोष महसूस करना।

  • दिखावे या बनावटी व्यवहार से दूर रहकर स्वाभाविक जीवन जीना।

4. अपनी क्षमता पर विश्वास रखना

  • जितनी क्षमता है, उसके अनुसार ईमानदारी से प्रयास करना।

  • ईश्वर और अपने पर विश्वास बनाकर रखना।

5. सकारात्मक सोच विकसित करना

  • हर दिन को नए अवसर की तरह देखना।

  • अतीत के डर या चिंता से घबराकर नहीं, बल्कि आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना।


(घ) “खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै।। ”

इस पंक्ति में खान-पान, सम्मान और राग-रंग अच्छा न लगने की बात की गई है। आप इसमें से किसे सबसे आवश्यक मानते हैं? अपने उत्तर के कारण भी बताइए ।


उत्तर: कुंडलिया की पंक्ति “खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै” का अर्थ है कि जब मन में पछतावा, चिंता या दुख भरा हो, तो कोई चीज़ अच्छी नहीं लगती—न भोजन, न सम्मान, न मनोरंजन, और न ही अन्य सुख-सुविधाएँ।

मेरे विचार से इन सबमें ‘सम्मान’ (सन्मान) सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि—

1. सम्मान व्यक्ति के आत्मसम्मान से जुड़ा है

सम्मान सिर्फ दूसरों से मिलने वाला आदर नहीं, बल्कि स्वयं के प्रति सम्मान की भावना से भी संबंधित है। यदि व्यक्ति अपने आत्मसम्मान को खो देता है, तो उसे जीवन की कोई भी खुशी पूर्ण नहीं लगती।

2. सम्मान आत्मविश्वास बढ़ाता है

जब किसी को सम्मान मिलता है, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। उसे महसूस होता है कि वह समाज में मूल्यवान है। ऐसे में भोजन, संगीत, मनोरंजन—सब कुछ आनंददायक लगता है।

3. सम्मान की कमी हर आनंद को फीका कर देती है

यदि किसी व्यक्ति को अपमान सहना पड़े या उसे तिरस्कार की दृष्टि से देखा जाए, तो चाहे उसके पास स्वादिष्ट भोजन, रंग-बिरंगे मनोरंजन या आराम की सुविधाएँ क्यों न हों—उसका मन उदास ही रहेगा।


हँसी


“जग में होत हँसाय ”


(क) कभी-कभी लोग दूसरों की गलतियों पर ही नहीं, उनके किसी भी कार्य पर हँस देते हैं। अपने समूह के साथ मिलकर ऐसी कुछ स्थितियों की सूची बनाइए, जब किसी को आप पर या आपको किसी पर हँसी आई हो ।

उत्तर:  ऐसी स्थितियाँ जब लोग मुझ पर हँसे—

  • जब मैंने किसी शब्द का गलत उच्चारण किया, जैसे ‘संदेश’ को ‘शंदेस’ बोल दिया।

  • किसी प्रश्न का उत्तर गलत दे देने पर।

  • स्पोर्ट्स डे पर दौड़ लगाते समय मैं अचानक गिर पड़ा/पड़ी, तो सभी हँस पड़े।

  • मैं जैसे ही कुर्सी पर बैठने वाला/वाली था, वह पैर से टकरा कर खिसक गई और मैं नीचे गिर गया/गई।

ऐसी स्थितियाँ जब मुझे किसी पर हँसी आई—

  • एक सहपाठी ने ‘पढ़ाई’ की जगह ‘पड़ाई’ बोल दिया था।

  • भाषण देते समय एक विद्यार्थी घबरा गया और रुक-रुक कर बोलने लगा, जिसे देखकर हँसी आ गई।

  • एक बार एक मित्र स्कूल देर से पहुँचा और जल्दी में लड़कियों की लाइन में जाकर खड़ा हो गया, जिसे देखकर पूरी कक्षा हँस पड़ी।


(ख) ऐसी दोनों स्थितियों में आपको कैसा लगता है और दूसरों को कैसा लगता होगा ?


उत्तर: जब लोग मुझ पर हँसते हैं, तो मुझे कभी-कभी गुस्सा आता है। कई बार शर्मिंदगी महसूस होती है, झेंप भी लगती है, और कभी-कभी स्थिति समझ में आने पर मैं खुद भी हँस पड़ता हूँ।

इसी तरह ऐसी स्थिति में दूसरे लोगों को भी बुरा लगता होगा। वे भी शर्मिंदा महसूस कर सकते हैं, असहज हो जाते होंगे या मन ही मन झेंप जाते होंगे।


(ग) सोचिए कि कोई व्यक्ति आपकी किसी भूल पर हँस रहा है। ऐसे में आप क्या कहेंगे या क्या करेंगे ताकि उसे एहसास हो जाए कि इस बात पर हँसना ठीक नहीं है?


उत्तर: मैं उसे शांति और विनम्रता से समझाऊँगा कि गलतियाँ हर किसी से हो जाती हैं, और किसी की भूल पर हँसना उसके मन को चोट पहुँचा सकता है। मैं उससे पूछूँगा—यदि ऐसी ही गलती आपसे हो जाती और लोग आप पर हँसते, तो आप कैसा महसूस करते?

मुझे उम्मीद होगी कि मेरी बात सुनकर उसे अपनी व्यवहारगत गलती का एहसास अवश्य होगा।


सोच-समझकर


“ बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय । ”

(क) आज के समय में कुछ लोग जल्दी में कार्य कर देते हैं या जल्दी में निर्णय ले लेते हैं। कुछ ऐसी स्थितियाँ बताइए जहाँ जल्दबाजी में निर्णय लेना या कार्य करना हानिकारक हो सकता है।
उत्तर:

ऐसी स्थितियाँ जहाँ जल्दबाजी में निर्णय लेना या काम करना नुकसानदेह हो सकता है-


  1. स्वास्थ्य से जुड़े निर्णय
    बिना डॉक्टर की सलाह लिए दवा खाना या इलाज शुरू कर देना खतरनाक हो सकता है। गलत दवा या देरी से इलाज गंभीर हानि पहुँचा सकता है।

  2. नौकरी या करियर से जुड़े फैसले
    बिना सोचे-समझे नौकरी छोड़ देना या नया करियर चुन लेना आगे चलकर पछतावा दिला सकता है। विकल्पों की तुलना किए बिना लिया गया फैसला गलत साबित हो सकता है।

  3. वाहन चलाते समय जल्दबाजी
    जल्दी पहुँचना चाहकर तेज़ गाड़ी चलाना या ट्रैफिक नियम तोड़ना हादसे का कारण बनता है। जल्दबाजी सड़क सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

  4. परीक्षा में बिना समझे लिखना
    प्रश्न को पूरा पढ़े बिना तुरंत उत्तर लिखना गलतियाँ करवाता है। परीक्षा में सफलता के लिए पहले समझना और फिर लिखना ज़रूरी होता है।

  5. किसी पर जल्दी भरोसा करना
    किसी व्यक्ति को ठीक से जाने बिना उस पर पूरा भरोसा कर लेना धोखे, नुकसान या गलत निर्णय का कारण बन सकता है—चाहे वह दोस्ती हो या व्यवसाय।

(ख) मान लीजिए कि आपको या आपके किसी परिजन को नीचे दिए गए संदेश मिलते हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे?

मान लीजिए कि आपको या आपके किसी परिजन को नीचे दिए गए संदेश मिलते हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे?


*राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल – https://cybercrime.gov.in


उत्तर:  विद्यार्थी इन संदेशों को ध्यान से पढ़ें, उनसे जुड़ी प्रक्रिया को समझें और फिर उसे अपने परिवार के सदस्यों के साथ साझा करें।


(ग) नीचे कुछ स्थितियाँ दी गई हैं। इन स्थितियों में बिना सोचे-समझे कार्य करने या निर्णय लेने के क्या परिणाम हो सकते हैं-

  • सोशल मीडिया पर झूठा संदेश या असत्य समाचार पर भरोसा करके उसे सबको भेज दिया।

  • जल्दबाजी में बिना हेलमेट के बाइक चलाने पर पुलिस ने चालान काट दिया।

  • बिना माता- पिता से पूछे ऑनलाइन गेम पर पैसे खर्च कर दिए।


उत्तर: 

सोशल मीडिया पर किसी झूठे संदेश या असत्य सूचना पर विश्वास करके उसे आगे भेज देने से कई तरह के नकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं, विशेषकर तब जब हम बिना सोच-समझ के तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं। 


जैसे—

गलत खबर फैल सकती है – झूठी सूचना लोगों में डर, भ्रम या ग़लतफहमी पैदा कर सकती है। कई लोग उस असत्य बात को सच मानकर अनुचित कदम भी उठा सकते हैं।


किसी की छवि को नुकसान हो सकता है – यदि संदेश किसी व्यक्ति, संस्था या समुदाय के बारे में हो, तो उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँच सकती है। इससे मानसिक पीड़ा और सामाजिक समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।

कानूनी परेशानी हो सकती है – फेक न्यूज़ फैलाना कई बार साइबर अपराध माना जाता है, जिसके लिए दंड, जुर्माना या अन्य कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।


लोगों का भरोसा कम हो जाता है – जब लोगों को पता चलता है कि बिना जाँच-पड़ताल आप संदेश भेज देते हैं, तो वे आपकी बातों पर विश्वास करना छोड़ सकते हैं।

खुद को भी तनाव और पछतावा होता है – बाद में यह महसूस होता है कि बिना सोचे-समझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। यह शर्मिंदगी, डर और आत्मविश्वास में कमी का कारण बन सकता है।

(विद्यार्थी शेष दोनों स्थितियों को पढ़कर, समझकर उनके परिणाम अपने शब्दों में स्वयं लिखें।)


आज की पहेली


“खान पान सन्मान

इस पंक्ति के तीनों शब्दों में केवल एक मात्रा का बार-बार उपयोग किया गया है। (आ की मात्रा)
ऐसे ही दो वाक्य नीचे दिए गए हैं जिसमें केवल एक मात्रा का उपयोग किया गया है-

इस पंक्ति के तीनों शब्दों में केवल एक मात्रा का बार-बार उपयोग किया गया है। (आ की मात्रा) ऐसे ही दो वाक्य नीचे दिए गए हैं जिसमें केवल एक मात्रा का उपयोग किया गया है-


नीली नदी धीमी थी।
चींटी चीनी जीम गई।


• अब आप इसी प्रकार के वाक्य अलग-अलग मात्राओं के लिए बनाइए । ध्यान रहे, आपके वाक्यों का कोई न कोई अर्थ होना चाहिए। आप एक वाक्य में केवल एक मात्रा को बार-बार या बिना मात्रा वाले शब्दों का ही उपयोग कर सकते हैं।


ध्वनि

सार्थक शब्द











उत्तर: 


स्वर

शब्द

माता का कहना माना।

मिश्र मिलकर खाया।

दीदी से दूध मँगवाया।

पल झटपट उठकर चला।

खूब मज़बूत बना।

ऋषि गुणगान किया।

बेलों में बैलों के ठेले थे।

ऐन फौरन दौड़ पड़ा।

ओस, ओसारे रोज़भर मग्न रहा।

औंधे पैंरों पर पड़ अड़ा।


खोजबीन के लिए

आपने इस पाठ में गिरिधर कविराय की कुंडलिया ‘बिना विचारे जो करै…. । ‘ को पढ़ा। अब आप नीचे दी गई इंटरनेट कड़ी का प्रयोग करके एक अन्य कहानी ‘बिना विचारे करो न काम’ सुन सकते हैं-

बिना विचारे:  Link - Click Here


NCERT Solutions Chapter 6 Giridhar Kavirai ki Kundliyaan (2025-26) – Chapter Summary & Tips

गिरधर कविराय की कुंडलियां NCERT Solutions Chapter 6 (2025-26) में जीवन में सोच-समझकर कार्य करने और बीती बातों को भूलकर आगे बढ़ने का संदेश मिलता है। इस अध्याय की अभ्यास-आधारित तैयारी परीक्षा में अच्छे अंक दिला सकती है।


कक्षा 7 हिंदी अध्याय 6 के टॉपिक्स को NCERT chapter-wise solutions की मदद से समझना आसान है। अभ्यास के दौरान प्रश्न-उत्तर पढ़ने पर छात्रों की पुनरावृत्ति सशक्त होती है और अंतिम तैयारी भी मजबूत बनती है।


हर प्रश्न का उत्तर स्पष्ट और संक्षिप्त हो, इसके लिए नियमित अभ्यास और NCERT solutions का रिवीजन करें। परीक्षा के लिए मुख्य भाव, शब्दार्थ और कविताई विशेषताओं पर खास ध्यान देना चाहिए।


FAQs on NCERT Solutions For Class 7 Hindi (Malhar) Chapter 6 Giridhar Kavirai ki Kundliyaan 2025-26

1. What are the NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 Giridhar Kavirai ki Kundliyaan?

The NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 Giridhar Kavirai ki Kundliyaan are stepwise answers and explanations to all textbook questions, following the CBSE syllabus and exam marking scheme. These solutions help students understand key themes, include definitions, important points, and sometimes diagrams, to build complete exam-ready answers.

  • Cover all intext and back exercise questions
  • Offer stepwise solution approach for scoring full marks
  • Are based on CBSE 2025-26 guidelines
  • Boost revision and conceptual clarity before exams

2. How do stepwise NCERT Solutions help in scoring full marks in Hindi Chapter 6?

Stepwise NCERT Solutions for Chapter 6 ensure every mark-scoring point is covered, increasing exam accuracy and confidence. They:

  • Break down each answer into logical steps as per CBSE marking scheme
  • Highlight key words, definitions, and points for each question
  • Show example answer structures for short and long questions
  • Avoid common mistakes by clarifying complex parts

3. Where can I download the PDF of Class 7 Hindi Chapter 6 NCERT Solutions?

You can download the free PDF of Class 7 Hindi Chapter 6 Giridhar Kavirai ki Kundliyaan NCERT Solutions from trusted educational websites such as Vedantu. The PDF version allows:

  • Offline access anytime
  • Easy revision before exams
  • Printable format for quick study
  • Stepwise answers to all textbook exercises included

4. What are some important definitions and keywords from Chapter 6 Giridhar Kavirai ki Kundliyaan?

Key definitions and keywords from Class 7 Hindi Chapter 6 Giridhar Kavirai ki Kundliyaan are essential for accurate answers.

  • Kundliyaan – A type of Hindi poetry written by Giridhar Kavirai
  • Key poetic devices used in the chapter
  • Important terms and their meanings as explained in textbook exercises

5. How should long answers be structured for Hindi Class 7 Chapter 6 exams?

To score high in long answers for Class 7 Hindi Chapter 6, follow these points:

  • Start with a brief introduction to the theme or poet
  • Break answer into clear points/steps
  • Include definitions, keywords, and examples
  • End with a concise conclusion
  • Underline or highlight main keywords

6. Are diagrams or definitions required in answers for Giridhar Kavirai ki Kundliyaan?

For NCERT Solutions Class 7 Hindi Chapter 6, exam answers may require definitions, but diagrams are generally not a focus for this chapter, unless asked in exercises.

  • Definitions should be brief and accurate
  • If a diagram is asked, keep it neat and properly labelled
  • Focus mainly on textual explanations as per the marking scheme

7. How to avoid common mistakes while writing NCERT Solutions answers for Chapter 6?

To prevent errors and negative marking in Class 7 Hindi Chapter 6:

  • Understand the question before answering
  • Write clear, stepwise answers using key terms from the chapter
  • Avoid missing definitions or main points
  • Check spelling and grammar, especially for poetic terms

8. Why should Class 7 students use NCERT Solutions for Hindi Chapter 6 revision?

Using NCERT Solutions for revision in Hindi Chapter 6 saves time and ensures all exam-relevant points are covered. Benefits include:

  • Quick recall of key definitions and events
  • Stepwise model answers help self-evaluation
  • Handy revision notes for last-minute prep
  • Concise, reliable explanations aligned with CBSE pattern

9. Which questions from Giridhar Kavirai ki Kundliyaan are most likely to be asked in the CBSE exam?

Frequently asked questions from Class 7 Hindi Chapter 6 include:

  • Short answers on meaning of Kundliyaan and poetic devices
  • Central idea or theme of the chapter
  • Main messages given by Giridhar Kavirai
  • Definitions and examples from the poems

10. Are NCERT Solutions enough for Class 7 Hindi exams?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi are usually sufficient for exam preparation, as they align with the official syllabus and cover all textbook exercises. For best results:

  • Revise each stepwise answer
  • Tackle extra exemplar questions for practice
  • Refer to marking scheme to present answers as required by CBSE
  • Use revision notes and flash cards for key points