Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 - In Hindi

ffImage
Last updated date: 20th Apr 2024
Total views: 468k
Views today: 8.68k

NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 Environmental Chemistry In Hindi PDF Download

Download the Class 11 Chemistry NCERT Solutions in Hindi medium and English medium as well offered by the leading e-learning platform Vedantu. If you are a student of Class 11, you have reached the right platform. The NCERT Solutions for Class 11 Chemistry in Hindi provided by us are designed in a simple, straightforward language, which are easy to memorise. You will also be able to download the PDF file for NCERT Solutions for Class 11 Chemistry in Hindi from our website at absolutely free of cost.

NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.

We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes.

Competitive Exams after 12th Science

Access NCERT Solutions for Class-11 Chemistry Chapter 14 – पर्यावरणीय रसायन

1. पर्यावरणीय रसायन शास्त्र को परिभाषित कीजिए।

उत्तर: पर्यावरणीय रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत पर्यावरणीय प्रदूषण, और पर्यावरण में होने वाली बहुत प्रकार की रासायनिक और प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, इसलिए पर्यावरणीय रसायन शास्त्र कहलाता है।

 2. क्षोभमण्डलीय प्रदूषण को लगभग 100 शब्दों में समझाइए।

उत्तर: क्षोभमण्डल में अवान्छित गैसों और विविक्त वायु प्रदूषकों की इस सीमा तक वृद्धि कि वे मनुष्य जाति और उसके पर्यावरण पर अनिष्ट प्रभाव आरोपित कर सकें, क्षोभमण्डलीय प्रदूषण कहलाता है।

1. गैसीय प्रदूषक- जैसे-सल्फर के ऑक्साइड \[\left( {{S_2},{\text{ }}S{O_3}} \right)\] नाइट्रोजन के ऑक्साइड \[\left( {NO,{\text{ }}N{O_2}} \right)\], कार्बन के ऑक्साइड \[\left( {CO,{\text{ }}C{O_2}} \right)\], हाइड्रोजन सल्फाइड हाइड्रोकार्बन, ऐल्डिहाइड, कीटोन इत्यादि।

2. विविक्त या कणिकीय प्रदूषक- जैसे-धुंध, धुआँ, धूम (fumes), धूल, कार्बन, कण, लेड और कैडमियम यौगिक, जीवाणु, कवक, मॉल्ड इत्यादि। क्षोभमण्डलीय प्रदूषण ईंधनों के दहन, औद्योगिक प्रक्रमों, कीटनाशकों एवं विषैले पदार्थों के प्रयोग द्वारा होता है। इसे जीवाश्म ईंधनों (fossil fuels) के प्रयोग को हतोत्साहित कर, ऑटोमोबाइलों से निकलने वाली गैसों को स्वच्छ कॅर, साइक्लोन एकत्रक (cyclone collector) का प्रयोग कर एवं योग्य अवशिष्ट प्रबन्धन (waste management) द्वारा नियन्त्रित किया जा सकता है।

3. कार्बन डाइऑक्साइड की अपेक्षा कार्बन मोनोऑक्साइड अधिक खतरनाक क्यों है? समझाइए।

समझाइए।

उत्तर: कार्बन मोनोऑक्साइड एक बहुत हानिकारक गैस है। यह खून में उपस्थित हीमोग्लोबिन (haemoglobin) से क्रिया कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (carboxyhaemoglobin) बनाती है जो खून में \[{O_2}\] का परिवहन रोक देता है। परिणामस्वरूप शरीर में \[{O_2}\] की कमी हो जाती है। \[CO\] के हवा में \[100{\text{ }}ppm\]सान्द्रण पर चक्कर आना और सिर मैं दर्द होने लगता है। अधिक सान्द्रता पर \[CO\] प्राणघातक हो सकती है। कार्बन डाइऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ कोई क्रिया नहीं करती है। इस कारण यह कम हानिकारक है, यद्यपि यह ग्लोबल वार्मिंग (global warming) उत्पन्न करती है।

4. ग्रीन हाउस-प्रभाव के लिए कौन-सी गैसें उत्तरदायी हैं? सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर: \[C{O_2}\] मुख्य रूप से ग्रीन हाउस प्रभाव (green house effect) के लिये लाभनीय है। परन्तु दूसरी गैसें जो ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करती हैं वे मेथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, ओजोन और जल-वाष्प हैं

5. अम्लवर्षा मूर्तियों तथा स्मारकों को कैसे दुष्प्रभावित करती है?

उत्तर: प्राप्तवयता मूर्तियाँ और स्मारक संगमरमर (marble) से बनाए जाते हैं जिन पर अम्ल वर्षा का बुरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि इन स्मारकों के चारों ओर उपस्थित वायु में इनके पास स्थित उद्योगों और ऊर्जा संयन्त्रों (power plants) से निकलने वाले नाइट्रोजन व सल्फर के ऑक्साइड बहुत ज्यादा मात्रा में विद्यमान हो सकते हैं। ये ऑक्साइड ही अम्ल वर्षा का कारण हैं। अम्ल वर्षा में उपस्थित अम्ल मार्बल से कार्य करके मूर्तियों एवम स्मारकों को नष्ट कर देते हैं।

6.धूम कुहरा क्या है? सामान्य धूम कुहरा प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे से कैसे भिन्न है?

उत्तर: धूम कुहरा (Smog)-'धूम-कुहरा' शब्द 'धूम' एवं 'कुहरे से मिला कर बना है। अत: जब धूम को कुहरे के साथ मिलाया जाता है, तब यह धूमकुहरा कहलाता है। विश्व के अनेक शहरों में प्रदूषण इसका आम उदाहरण है। धूम कुहरे दो प्रकार के होते हैं-

1. सामान्य धूम कुहरा (General Smog)- यह ठण्डी नम

जलवायु में होता है तथा धूम, कुहरे एवं सल्फर डाइऑक्साइड का मेल होता है। रासायनिक रूप से यह एक अपचायक मिश्रण एवं मेल है। अत: इसे 'अपचायक धूम-कुहरा'भी कहते हैं।

2. प्रकाश रासायनिक धूम कुहरा (Photochemical

Smog)- उष्ण, शुष्क एवं साफ धूपमयी जलवायु में होता है।यह स्वचालित वाहनों और कारखानों से निकलने वाले नाइट्रोजन के ऑक्साइडों एवं हाइड्रोकार्बनों पर सूर्यप्रकाश की किरणों के कारण उत्पन्न होता है। प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे की रासायनिक प्रकृति ऑक्सीकारक है। चूंकि इसमें ऑक्सीकारक अभिकर्मकों की सान्द्रता उच्च रहती है; इसलिये इसे 'ऑक्सीकारक धूम कुहरा' कहा जाता हैं।

7. प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे के निर्माण के दौरान होने वाली अभिक्रिया लिखिए।

उत्तर: प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे के निर्माण के समय होने वाली अभिक्रियाएँ निम्नलिखित इस प्रकार है :

${\text{N}}{{\text{O}}_2}\left( g \right)\xrightarrow{{hv}}{\text{NO}}\left( g \right) + {{\dot O}}\left( g \right)$
${{\dot O}}\left( g \right) + {{\text{O}}_2}\left( g \right) \to {{\text{O}}_3}\left( g \right)$
${\text{NO}}\left( g \right) + {{\text{O}}_3}\left( g \right)\xrightarrow{O}{\text{N}}{{\text{O}}_2}\left( g \right) + {{\text{O}}_2}\left( g \right)$
$N{O_2} + R(hydrocarbon) \to {C_2}{H_3}{O_5}N$

\[{\text{3C}}{{\text{H}}_4} + 2{O_3}(g) \to 3C{H_2}O + 3{H_2}O(g)\]

8. प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे के दुष्परिणाम क्या हैं? इन्हें कैसे नियन्त्रित किया जा सकता है?

उत्तर: प्रकाश रासायनिक धूम-कुहरे के दुष्परिणाम (Bad Results of Photochemical Smog)-प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे के सामान्य घटक ओजोन, नाइट्रिक ऑक्साइड, ऐक्रोलीन, फॉर्मेल्डिहाइड एवं परॉक्सीऐसीटिल नाइट्रेट (PAN) हैं। प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे के कारण गम्भीर स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं। ओजोन एवं नाइट्रिक ऑक्साइड नाक एवं गले में जलन पैदा करते हैं। इनकी उच्च सान्द्रता से सिरदर्द, छाती में दर्द, गले का सूखा होना, खाँसी और श्वास अवरोध हो सकता है। प्रकाश रासायनिक धूम कुहरा रबर में दरार उत्पन्न करता है एवं पौधों पर भी हानिकारक प्रभाव पढ़ता है। यह धातुओं, पत्थरों,भवन-निर्माण के पदार्थों एवं रंगी हुई सतहों (painted surfaces) का क्षय भी करता है।

प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे के नियंत्रण के उपाय (Measures to Control the Photochemical Smog)-प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे को नियन्त्रित या कम करने के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया जाता है। यदि हम प्रकाश रासायनिक धूम कुहरे के प्राथमिक पूर्वगामी; जैसे- NO, एवं हाइड्रोकार्बन को नियन्त्रित कर लें तो द्वितीयक पूर्वावर्ती;जैसे-ओजोन एवं PAN तथा प्रकाश रासायनिक धूम कुहरा स्वतः ही कम हो जाएगा। सामान्यतया स्वचालित वाहनों में उत्प्रेरित परिवर्तक उपयोग में लाए जाते हैं, जो वायुमण्डल में नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को रोकते हैं। कुछ पौधों (जैसे- पाइनस, जूनीपर्स, क्वेरकस, पायरस तथा विटिस), जो नाइट्रोजन ऑक्साइड का उपापचय कर सकते हैं, का रोपण इस संदर्भ मैं सहायक हो सकता है।

9. क्षोभमण्डल पर ओजोन परत के क्षय में होने वाली अभिक्रिया कौन- सी है?

उत्तर: ओजोन परत में रिक्तिकरण के मुख्य कारण क्षोभमण्डल से क्लोरोफ्लुओरोकार्बन (CFC) यौगिकों का उत्सर्जन है। CFC वायुमण्डल की अन्य गैसों से मिश्रित होकर सीधे समतापमण्डल में पहुँच जाते हैं। समतापमण्डल में ये शक्तिशाली विकिरणों द्वारा अपघटित होकर क्लोरीन मुक्त मूलक उत्सर्जित करते हैं।

${\mathbf{C}}{{\mathbf{F}}_2}{\mathbf{C}}{{\mathbf{l}}_2}\left( g \right)\mathop  \to \limits^{hv} {\mathbf{\dot C}}I\left( g \right) + {\mathbf{\dot C}}{{\mathbf{F}}_2}{\mathbf{Cl}}\left( {\mathbf{g}} \right)$

क्लोरीन मुक्त मूलक तब समतापमण्डलीय ओजोन से अभिक्रिया करके क्लोरीन मोनोक्साइड मूलक एवं आण्विक ऑक्सीजन बनाते हैं।

${\mathbf{\dot C}}I\left( O \right) + {{\mathbf{O}}_3}\left( g \right) \to {\mathbf{Cl\dot O}}\left( g \right) + {{\mathbf{O}}_2}\left( g \right)$

क्लोरीन मोनोक्साइड मूलक परमाण्वीय ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके अधिक क्लोरीन मूलक उत्पन्न करता है।

${\mathbf{\dot Cl}}\left( g \right) + {{\mathbf{O}}_3}\left( g \right) \to {\mathbf{Cl\dot O}}\left( g \right) + {{\mathbf{O}}_2}\left( g \right)$

क्लोरीन मूलक लगातार पुनर्योजित होते रहते हैं एवं ओजोन को विखण्डित करते हैं। इस प्रकार CFC ,समतापमण्डल में क्लोरीन मूलकों को उत्पन्न करने वाले एवं ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाला परिवहनीय कारक हैं।

10. ओजोन छिद्र से आप क्या समझते हैं? इसके परिणाम क्या हैं?

उत्तर: सन् \[1980\] में वायुमण्डलीय वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका पर काम करते हुए दक्षिणी ध्रुव के ऊपर ओजोन परत के क्षय, जिसे सामान्य रूप से 'ओजोन-छिद्र' भी कहा जाता है , के बारे में बताया। यह पाया गया कि ओजोन छिद्र के लिए परिस्थितियों का एक विशिष्ट समूह उत्तरदायी था। गर्मियों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड परमाणु [अभिक्रिया (i)] क्लोरीन मुक्त मूलकों [अभिक्रिया (ii)] से अभिक्रिया करके क्लोरीन सिंक बनाते हैं,

जो ओजोन-क्षय को अत्यधिक सीमा तक रोकता है। जबकि सर्दी के मौसम में विशेष प्रकार के बादल, जिन्हें 'ध्रुवीय समतापमण्डलीय बादल' कहा जाता। है, अंटार्कटिका के ऊपर बनते हैं। ये बादल एक प्रकार की सतह प्रदान करते हैं जिस पर बना हुआ क्लोरीन नाइट्रेट (अभिक्रिया (i)] जलयोजित होकर हाइपोक्लोरसे अम्ल बनाता है [अभिक्रिया (ii)]। प्रतिक्रिया में उत्पन्न हाइड्रोजन क्लोराइड से भी अभिक्रिया करके यह आण्विक क्लोरीन देता है।

$\begin{array}{*{20}{c}}    {{\mathbf{\dot C}}10\left( g \right) + {\mathbf{N}}{{\mathbf{O}}_2}\left( g \right) \to {\mathbf{ClON}}{{\mathbf{O}}_2}\left( g \right)} \\     {2{\mathbf{\dot C}}1\left( g \right) + {\mathbf{C}}{{\mathbf{H}}_4}\left( g \right) \to {\mathbf{C}}{{\mathbf{H}}_3}{\mathbf{Cl}}\left( g \right) + {\mathbf{HCl}}\left( g \right)} \\     {{\mathbf{ClON}}{{\mathbf{O}}_2}\left( {{\text{}}{\mathbf{g}}} \right) + {{\mathbf{H}}_2}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{g}} \right) \to {\mathbf{HOCl}}\left( {\mathbf{g}} \right) + {\mathbf{HN}}{{\mathbf{O}}_3}\left( g \right)} \\     {{\mathbf{ClON}}{{\mathbf{O}}_2}\left( g \right) + {\mathbf{HCl}}\left( g \right) \to {\mathbf{C}}{{\mathbf{l}}_2}\left( {{\text{}}{\mathbf{g}}} \right) + {\mathbf{HN}}{{\mathbf{O}}_3}\left( g \right)}   \end{array}$

बसंत में अंटार्कटिका पर जब सूर्य का प्रकाश पढ़ता है, तब सूर्य की गर्मी बादलों को विखण्डित कर देती है एवं \[HOCl\] तथा \[C{l_2}\] सूर्य के प्रकाश से अपघटित हो जाते हैं (अभिक्रिया v तथा vi)

\begin{array}{*{20}{r}}  {{\mathbf{HOCl}}\left( g \right)\mathop  \to \limits^{hv} {\mathbf{\dot OH}} + {\mathbf{\dot Cl}}\left( {\mathbf{g}} \right)} \\ {{\mathbf{C}}{{\mathbf{l}}_2}\left( {{\text{}}{\mathbf{g}}} \right)\xrightarrow{{hv}}2{\mathbf{\dot C}}1\left( g \right)}   \end{array}



इस प्रकार उत्पन्न क्लोरीन मूलक, ओजोन-क्षय के लिए श्रृंखला अभिक्रिया प्रारम्भ कर देते हैं।

${\mathbf{\dot C}}I\left( g \right) + {{\mathbf{O}}_3}\left( g \right) \to {\mathbf{Cl\dot O}}\left( {\mathbf{g}} \right) + {{\mathbf{O}}_2}\left( g \right)$

ओजोन छिद्र के परिणाम (Results of Ozone hole)

ओजोन छिद्र के साथ अधिकाधिक पराबैंगनी विकीर्ण क्षोभमण्डल में छनित होते हैं। पराबैंगनी विकीर्ण से त्वचा का जीर्णन, मोतियाबिन्द, सनबर्न, त्वचा-कैन्सर, कई पादपप्लवकों की मृत्यु, मत्स्य उत्पादन की क्षति आदि होते हैं। यह भी देखा गया है कि पौधों के प्रोटीन पराबैंगनी विकिरणों से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं जिससे प्रकोष्ठों का हानिकारक उत्परिवर्तन होता है। इससे पत्तियों के रंध्र से जल का वाष्पीकरण भी बढ़ जाता है जिससे मिट्टी की नमी कम हो जाती है।बढ़े हुए पराबैंगनी विकिरण रंगों एवं रेशों को भी हानि पहुँचाते हैं जिससे रंग जल्दी हल्के हो जाते हैं।

11.जल-प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं? समझाइए।

उत्तर: जल-प्रदूषण के मुख्य कारण (Main Causes of Water Pollution)

1. रोगजनक (Pathogens)-सबसे अधिक गम्भीर जल-प्रदूषक रोगों के कारणों को 'रोगजनक' कहा जाता है।

रोगजनकों में जीवाणु एवं अन्य जीव हैं, जो घरेलू सीवेज और पशु-अपशिष्ट द्वारा जल में प्रवेश करते हैं। मानव-अपशिष्ट एशरिकिआ कोली, स्ट्रेप्टोकॉकस फेकेलिस आदि जीवाणु होते हैं, जो बहुत सी बीमारियों के कारण होते हैं।

2. कार्बनिक अपशिष्ट (Organic waste)-अन्य मुख्य जल-प्रदूषक कार्बनिक पदार्थ; जैसे पत्तियाँ, घास, कूड़ा-करकट आदि हैं। ये जल को प्रदूषित करते हैं। जल में पादप-प्लवकोंकी अधिक बढ़ोतरी भी जल-प्रदूषण का एक कारण है।

12. क्या आपने अपने क्षेत्र में जल-प्रदूषण देखा है? इसे नियन्त्रित करने के कौन-से उपाय हैं?

उत्तर: हाँ, हमारे क्षेत्र में जल बुरी तरह प्रदूषित है। जल के प्रदूषित होने की जाँच भी हम स्वयं ही कर सकते हैं। इसके लिए हम स्थानीय जल-स्रोतों का निरीक्षण कर सकते हैं जैसे कि नदी, झील, हौद, तालाब आदि का पानी अप्रदूषित या आंशिक प्रदूषित या सामान्य प्रदूषित अथवा बुरी तरह प्रदूषित है। जल को देखकर या उसकी \[{\text{pH}}\] जाँचकर इसे देखा जा सकता है। पास के शहरी या औद्योगिक स्थल, जहाँ से प्रदूषण उत्पन्न होता है,औद्योगिक स्थल के नाम पर प्रलेख करके इसकी सूचना सरकार द्वारा प्रदूषण-मापन के लिए। गठित 'प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड कार्यालय को दी जा सकती है तथा समुचित कार्यवाही सुनिश्चित की जा सकती है। हम इसे मीडिया को भी बता सकते हैं। जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए हमें नदी, तालाब, जलधारा या जलाशय में घरेलू अथवा औद्योगिक अपशिष्ट को सीधे नहीं डालना चाहिए। बगीचों में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर कम्पोस्ट का प्रयोग करना चाहिए। डी०डी०टी०, मैलाथिऑन आदि कीटनाशी के प्रयोग से बचाना चाहिए अथवा यथासम्भव नीम की सूखी पत्तियों का प्रयोग कीटनाशी के रूप में करना चाहिए। घरेलू पानी टंकी में पोटैशियम परमैंगनेट (\[KMnO\]) के कुछ क्रिस्टल अथवा ब्लीचिंग पाउडर की थोड़ी मात्रा डालनी चाहिए।

13. आप अपने जीव रसायनी ऑक्सीजन आवश्यकता (BOD) से क्या समझते हैं?

उत्तर: जल के एक नमूने के निश्चित आयतन में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ को विचूर्णित करने के लिए जीवाणु द्वारी आवश्यक ऑक्सीजन को जैवरासायनिक ऑक्सीजन मॉग (BOD)' कहा जाता है। अत: जल में BOD की मात्रा कार्बनिक पदार्थ को जैवीय रूप में विखण्डित करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा होगी। स्वच्छ जल की BOD का मान \[5{\text{ ppm}}\] से कम होता है, बल्कि अत्यधिक प्रदूषित जल में यह 17ppm या इससे अधिक भी होता है।

14. क्या आपने आस-पास के क्षेत्र में भूमि-प्रदूषण देखा है? आप भू . प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए क्या प्रयास करेंगे?

उत्तर: हाँ, हमने अपने आस-पास के क्षेत्र में भूमि-प्रदूषण देखा है। भूमि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय (Measures to control Soil Pollution) मृदा प्रदूषण की रोकथाम के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं

  1. फसलों पर विषैले कीटनाशकों का छिड़काव अच्छे ढंग से किया जाना चाहिए।

  2. डी०डीटी० का प्रयोग प्रतिबन्धित हो।

  3. सिंचाई और उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले मिट्टी और जल का वैज्ञानिक परीक्षण करा लेना चाहिए

  4. रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर कम्पोस्ट तथा हरी खाद (Compost and Green Manuring) के प्रयोग को वरीयता देनी चाहिए।

  5. खेतों में जलं के निकास की उपयुक्त व्यवस्था की जानी चाहिए।

  6. क्षारीय भूमि को वैज्ञानिक ढंग से शोधित किया जाना चाहिए। जिप्सम, सिंचाई तथा रसायन-संबंधी खादों का प्रयोग करके क्षारीय मिट्टी को उर्वर बनाया जा सकता है।

  7. स्थानान्तरणशील कृषि (jhuming) पर रोक लगाई जानी चाहिए।

  8. मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए उपाय किए जाने चाहिए।

  9. जीवांशों की वृद्धि के लिए खेतों में पेड़-पौधों की पत्तियाँ, डण्ठल, छिलके, जड़े, तने आदि सड़ाए जाने चाहिए।

  10. खेतों के किनारे (मेडों पर) और ढालू भूमि पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए।

15. पीड़कनाशी तथा शाकनाशी से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।

उत्तर: पीड़कनाशी (Pesticides)-पीड़कनाशी मूल रूप से संश्लेषित रसायन होते हैं। इनका प्रयोग फसलों को हानिकारक कीटों तथा कई रोगों से बचाने के लिए किया जाता है। ऐल्ड्रीन, डाइऐल्ड्रीन बी०एच०सी० आदि पीड़कनाशी के कुछ उदाहरण हैं। ये कार्बनिक जीव-विष जल में अविलेय तथा अजैवनिम्नीकरणीय होते हैं। ये उच्च प्रभाव वाले जीव-विष भोजन श्रृंखला द्वारा निम्नपोषी स्तर से उच्चपोषी स्तर तक स्थानान्तरित होते हैं। समय के साथ-साथ उच्च प्राणियों में जीव-विषों की सान्द्रता इस स्तर तक बढ़ जाती है कि चयापचयी तथा शरीर क्रियात्मक अव्यवस्था का कारण बन जाती है। शाकनाशी (Herbicides)-वे रसायन जो खरपतवार (weeds) का नाश करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, और वह शाकनाशी कहलाते हैं।

सोडियम क्लोरेट \[\left( {NaCl{O_3}} \right)\] सोडियम आर्सिनेट \[\left( {N{a_{32}}As{O_3}} \right)\] आदि शाकनाशी के उदाहरण हैं। अधिकांश शाकनाशी स्तनधारियों के लिए विषैले होते हैं, परन्तु ये कार्ब-क्लोराइड्स के समान स्थायी नहीं होते तथा कुछ ही माह में अपघटित हो जाते हैं। मानव में । जन्मजात कमियों का कारण कुछ शाकनाशी हैं। यह पाया गया है कि मक्का के खेतं, जिनमें शाकनाशी का छिड़काव किया गया हो, कीटों के आक्रमण तथा पादप रोगों के प्रति उन खेतों से अधिक सुग्राही होते हैं जिनकी निराई हाथों से की जाती है।

16. हरित रसायन से आप क्या समझते हैं? यह वातावरणीय प्रदूषण को रोकने में किस प्रकार सहायक है?

उत्तर: हरित रसायन (Green Chemistry)

हमारे देश ने 20वीं सदी के अन्त तक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग और कृषि की उन्नत विधियों का उपयोग करके अच्छी किस्म के बीजों, सिंचाई आदि से खाद्यान्नों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है, मगर मृदा के अधिक शोषण एवं उर्वरकों तथा कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से मृदा, जल एवं वायु की गुणवत्ता घटी है। इस उलझन का समाधान विकास के प्रारम्भ हो चुके प्रक्रम को रोकना नहीं अपितु उन विधियों को खोजना है, जो वातावरण के असन्तुलन को रोक सकें। रसायन विज्ञान तथा अन्य विज्ञानों के उन सिद्धान्तों का ज्ञान, जिससे पर्यावरण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके, ‘हरित रसायन' कहलाता है। हरित रसायन उत्पादन का वह प्रक्रम है, जो पर्यावरण में न्यूनतम प्रदूषण या असन्तुलन लाता है। इसके आधार पर यदि एक प्रक्रम में उत्पन्न होने वाले सहउत्पादों को यदि लाभदायक रूप से प्रयोग नहीं किया गया तो वे पर्यावरण-प्रदूषण के कारण होते हैं। ऐसे प्रक्रम न सिर्फ पर्यावरणीय दृष्टि से हानिकारक हैं अपितु महँगे भी हैं। विकास-कार्यों के साथ-साथ वर्तमान ज्ञान का रासायनिक हानि को कम करने के लिए उपयोग में लाना ही हरित रसायन का आधार है।

एक रासायनिक अभिक्रिया की सीमा, ताष, दाब, उत्प्रेरक के प्रयोग आदि भौतिक मापदण्ड पर निर्भर करती हैं। हरित रसायन केसिद्धान्तों के अनुसार यदि एक रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारक एक पर्यावरण अनुकूल माध्यम में पूर्णतः पर्यावरण अनुकूल उत्पादों मेंपरिवर्तित हो जाए तो पर्यावरण में कोई रासायनिक प्रदूषक नहीं होगा। इसी प्रकार संश्लेषण के दौरान प्रारम्भिक पदार्थ का चयन करते समय हमें सावधानी रखनी चाहिए जिससे जब भी वह अपने अन्तिम उत्पाद में परिवर्तित हो तो अपविष्ट उत्पन्न ही न हो। यह संश्लेषण के दौरान अनुकूल परिस्थितियों को प्राप्त करके किया जाता है। जल की उच्च विशिष्ट ऊष्मा और कम। वाष्पशीलता के कारण इसे संश्लेषित अभिक्रियाओं में माध्यम के रूप में प्रयुक्त किया जाना वांछित है। जल सस्ता, अज्वलनशील तथा अकैंसरजन्य प्रभाव वाला माध्यम है। हरित रसायन के उपयोग से वातावरणीय प्रदूषण को रोकने में किए जाने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण प्रयासों का वर्णन निम्नलिखित है-

  1. कपड़ों की निर्जल धुलाई में (In drycleaning of clothes) - टेट्राक्लोरोएथीन \[\left[ {C{I_2}C = CC{I_2}} \right]\] का उपयोग प्रारम्भ में निर्जल धुलाई के लिए धुलानेवाला के रूप में किया जाता था। यह यौगिक भू-जल को प्रदूषित कर देता है। यह

एक सम्भावित कैंसरजन्य भी है। धुलाई की प्रक्रिया में इस यौगिक का द्रव कार्बन डाइऑक्साइड एवं उपयुक्त अपमार्जक द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। हैलोजेनीकृत विलायक का द्रवित \[C{O_2}\] से प्रतिस्थापन भू-जल के लिए कम हानिकारक है।आजकल हाइड्रोजन परॉक्साइड का उपयोग लॉण्ड्री में कपड़ों के विरंजन के लिए लिया जाता है। जिससे परिणाम तो अच्छे निकलते ही है, जल का भी कम इस्तेमाल होता है।

  1. पेपर का विरंजन (Bleaching of Paper) - पूर्व में पेपर के विरंजन के लिए क्लोरीन गैस प्रयोग में आती थी।आजकल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन परॉक्साइड,जो विरंजन क्रिया की दर को बढ़ाता है, उपयोग में लाया जाता है।

  2. रसायनों का संश्लेषण (Synthesis of Chemicals) - औद्योगिक स्तर पर एथीन का ऑक्सीकरण आयनिक उत्प्रेरकों एवं जलीय माध्यम की उपस्थिति में करवाया जाए तो लगभग \[90\% \] एथेनल प्राप्त होता है।

\[C{H_2}\; = {\text{ }}C{H_2} + {\text{ }}{O_2}\;\;\;\] उठोरक /  \[Pd{\text{ }}\left( {II} \right){\text{ }},{\text{ }}Cu{\text{ }}\left( {II} \right)\] जल मैं \[C{H_3}CHO\left( {90\% } \right)\]

जल में निष्कर्षतः हरित रसायन एक कम लागत उपागम है, जो कम पदार्थ, ऊर्जा-उपभोग एवं अपविष्ट जनन से सम्बन्धित है।

17. क्या होता, जब भू-वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसें नहीं होती? विवेचना कीजिए।

उत्तर: यद्यपि ग्रीन हाउस गैसें (\[C{O_2},C{H_4},{O_3},{\text{ }}CFCS\], जल-वाष्प) ग्लोबल वार्मिंग (global warming) उत्पन्न करती हैं, परन्तु फिर भी ये पृथ्वी पर साधारण जीवन के लिए जरूरी हैं। ग्रीन हाउस गैसें पृथ्वी की सतह से पारायण सौर ऊर्जा को अवशोषित करके वातावरण को गर्म रखती हैं। जो पृथ्वी पर प्राणियों (living beings) के जीवन तथा पादपों (plants) की वृद्धि के लिए आवश्यक है। कार्बन डाइऑक्साइड (\[C{O_2}\]) प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis)द्वारा पादपों के भोजन बनाने के लिए आवश्यक है। ओजोन एक छाते की तरह कार्य करती है तथा हमें हानिकारक पराबैंगनी किरणों (U.V. radiation) से बचाती है। अतः, यदि पृथ्वी के वायुमण्डल को ग्रीन हाउस गैसों से पूर्ण रूप से मुक्त कर दिया जाये तो पृथ्वी पर न तो प्राणी शेष रहेंगे और न ही पादप।

18. एक झील में अचानक असंख्य मृत मछलियाँ तैरती हुई मिलीं। इसमें कोई विषाक्त पदार्थ नहीं था, परन्तु बहुतायत में पादप्लवक पाए गए। मछलियों के मरने का कारण बताइए।

उत्तर: पादप्लवक (पानी की सतह पर तैरने वाले पौधे) जैव क्षयी (biodegradable) होते हैं और किटाणुओ की एक बड़ी संख्या द्वारा विघटित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में कीटाणु पानी में घुली ऑक्सीजन का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग करते हैं जिससे पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जलीय जीवों जैसे मछलियों को जीवित रहने के लिए जलीय ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जब पानी में घुली ऑक्सीजन का स्तर, एक सुरक्षित स्तर \[\left( {6\;{\text{ppm}}} \right)\] से नीचे पहुँच जाता है, तो मछलियाँ मृत होकर पानी की सतह ऊपर तैरने लगती हैं।

19. घरेलू अपविष्ट किस प्रेकार खाद के रूप में काम आ सकते हैं?

उत्तर: घरेलू अपशिष्ट पदार्थों के जैव क्षयी (biodegradable) भाग को कुछ महीनों के लिए जमीन में दबा देने के बाद वे खाद के रूप में काम में लाया जाता है। समय बीतने के साथ, यह खाद में परिवर्तित हो जाता है। घरेलू अपशिष्ट का अजैव क्षयी भाग (जैसे काँच, प्लास्टिक, धातु की खुरचन इत्यादि) जो सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित नहीं होती, खाद के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। यह भाग पुनः चक्रण (recycling) के लिए कारखानों में भेज दिया जाता है।

20. आपने अपने कृषि-क्षेत्र अथवा उद्यान में कम्पोस्ट खाद के लिए गड़े बना रखे हैं। उत्तम कम्पोस्ट बनाने के लिए इस प्रक्रिया की व्याख्या दुर्गंध, मक्खियों तथा अपविष्टों के चक्रीकरण के सन्दर्भ में कीजिए।

उत्तर: कम्पोस्ट खाद के लिए बने गड्ढे घर के बहुत पास नहीं होना चाहिए। ये गड्ढे ऊपर से ढके होने चाहिए। जिससे मक्खियाँ इनमें प्रवेश न कर सके तथा बदबू वायुमण्डल में न फैल सके। केवल जैव क्षयी भाग ही गड्ढों में डालना चाहिए। घरेलू अपशिष्टों का अजीवी क्षयी भाग जैसे, काँच प्लास्टिक, धातु की खुरचन इत्यादि को गड्ढों में डालने से पहले अलग कर देना चाहिए तथा पुनः चक्रण के लिए बेच देना चाहिए।

NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 Environmental Chemistry in Hindi

Chapter-wise NCERT Solutions are provided everywhere on the internet with an aim to help the students to gain a comprehensive understanding. Class 11 Chemistry Chapter 14 solution Hindi mediums are created by our in-house experts keeping the understanding ability of all types of candidates in mind. NCERT textbooks and solutions are built to give a strong foundation to every concept. These NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 in Hindi ensure a smooth understanding of all the concepts including the advanced concepts covered in the textbook.

NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 in Hindi medium PDF download are easily available on our official website (vedantu.com). Upon visiting the website, you have to register on the website with your phone number and email address. Then you will be able to download all the study materials of your preference in a click. You can also download the Class 11 Chemistry Environmental Chemistry solution Hindi medium from Vedantu app as well by following the similar procedures, but you have to download the app from Google play store before doing that.

NCERT Solutions in Hindi medium have been created keeping those students in mind who are studying in a Hindi medium school. These NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Environmental Chemistry in Hindi medium pdf download have innumerable benefits as these are created in simple and easy-to-understand language. The best feature of these solutions is a free download option. Students of Class 11 can download these solutions at any time as per their convenience for self-study purpose.

These solutions are nothing but a compilation of all the answers to the questions of the textbook exercises. The answers/ solutions are given in a stepwise format and very well researched by the subject matter experts who have relevant experience in this field. Relevant diagrams, graphs, illustrations are provided along with the answers wherever required. In nutshell, NCERT Solutions for Class 11 Chemistry in Hindi come really handy in exam preparation and quick revision as well prior to the final examinations.