NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactions In Hindi PDF Download
Download the Class 11 Chemistry NCERT Solutions in Hindi medium and English medium as well offered by the leading e-learning platform Vedantu. If you are a student of Class 11, you have reached the right platform. The NCERT Solutions for Class 11 Chemistry in Hindi provided by us are designed in a simple, straightforward language, which are easy to memorise. You will also be able to download the PDF file for NCERT Solutions for Class 11 Chemistry in Hindi from our website at absolutely free of cost.
NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.
We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes.
Access NCERT Solutions for Science Chapter 8 - अपचयोपचय अभिक्रियाएँ
1. निम्नलिखित स्पीशीज में प्रत्येक रेखांकित तत्व की ऑक्सीकरण संख्या का निर्धारण कीजिए-
(क) \[\mathbf{Na{H_2}P{O_4}}\]
उत्तर: माना $P$ की ऑक्सीकरण संख्या $x$ है। अणु में उपस्
किसी एक उदासी में उपन अणुस्थित सभी तत्वों की ऑक्सीकरण संख्याओं का योग शून्य होता है।
अत: \[( + 1) + \left\{ {\left( { + 1} \right) \times 2} \right\}{\text{ }} + {\text{ }}\left( x \right){\text{ }} + {\text{ }}\left\{ {\left( { - 2} \right) \times 4} \right\}{\text{ }} = {\text{ }}0\]
अथवा
\[x{\text{ }} = {\text{ }} + 8{\text{ }} - 3{\text{ }} = {\text{ }} + 5\]
इस प्रकार, $Na{H_2}P{O_4}$ में $P$ की ऑक्सीकरण संख्या $ + 5$ है।
(ख) \[\mathbf{Na{\text{ }}HS{O_4}}\]
उत्तर: $ + 1 + 1x - 2\;NaHS{O_4}$
$\left( { + 1} \right) + \left( { + 1} \right) + \left( x \right) + \left[ {\left( { - 2} \right) \times 4} \right] = 0$
$x = + 8 - 2 = + 6$
अथवा:
\[x = {\text{ }} + 8 - 2 = + 6\]
(ग) \[\mathbf{{H_4}{P_2}{O_7}}\]
उत्तर: $ + 1 - x - 2\;{H_4}{P_2}{O_7}$
\[\left\{ {\left( { + 1} \right) \times 2} \right\}{\text{ }} + {\text{ }}\left\{ {\left( x \right) \times 2} \right\}{\text{ }} + {\text{ }}\left\{ {\left( { - 2} \right) \times 7} \right\}{\text{ }} = {\text{ }}0\]
अथवा
\[2x{\text{ }} = {\text{ }} + 14{\text{ }}--{\text{ }}4 = + 10\]
अथवा
\[x{\text{ }} = {\text{ }} + 8 - 2{\text{ }} = + 6\]
$\therefore {H_2}{P_2}{O_7}$ में $P$ की ऑक्सीकरण्ण संख्या $ + 5$ है।
(घ) \[\mathbf{{K_2}Mn{O_4}}\]
उत्तर: $ + 1\; x \; - 2\;{K_2}\;Mn{O_4}$
$\left[ {\left( { + 1} \right) \times 2\left] { + \left( x \right) + } \right[\left( { - 2} \right) \times 4} \right] = 0$
अथवा
\[x = {\text{ }} + 8 - + 6\]
$\therefore {K_2}Mn{O_4}$ में $Mn$ की ऑक्सीकरण संख्या $ + 6$ है।
(ङ) \[\mathbf{Ca{O_2}}\]
उत्तर: $+ 2x \; Ca{O_2}\;$
\[ \left( { + 2} \right){\text{ }} + {\text{ }}2\left( x \right){\text{ }} = {\text{ }}0\]
अथवा
\[x = 1\]
$\therefore Ca{O_2}$ में $O$ की ऑक्सीकरण संख्या $ - 1$ है।
(च) \[\mathbf{NaB{H_4}}\]
उत्तर: $NaB{H_4}$ में, हाइड्रोजन ${H^ - }$आयनिक अवस्था में पाई जाती है क्योंकि यह एक हाइड्राइड है।
अत: $NaB{H_4}$ में $H$ की ऑक्सीकरण संख्या $ - 1$ है।
$ + 1 \times - 1\;\;NaB{H_4}$
$\;\left( { + 1} \right) + \left( x \right) + \left[ {\left( { - 1} \right) \times 4} \right] = 0$
$\therefore NaB{H_4}$ में $B$ की ऑक्सीकरण संख्या $ + 3$ है।
(छ) \[\mathbf{{H_2}{S_2}{O_7}}\]
उत्तर: $ + 1x - 2{{\text{H}}_2}\;{{\text{S}}_2}{{\text{O}}_7}$
$[( + 1) \times 2] + [(x) \times 2] + [( - 2) \times 7] = 0$
$\;2x = + 14 - 2 = + 12\;\;$
$\;x = + 6\;$
$\therefore {H_2}\;{S_2}{O_7}$ में $S$ की ऑक्सीकरण संख्या $ + 6$ है।
(ज) $\mathrm{KAl}\left(\mathrm{SO}_{4}\right) \cdot 12 \mathrm{H}_{2} \mathrm{O}$
उत्तर: $+{1}+3 x-2+1-2 \quad \mathrm{KAl}\left(\mathrm{SO}_{4}\right)_{2} 12 \mathrm{H}_{2} \mathrm{O}$
$\left( { + 1} \right) + \left( { + 3} \right) + \left[ {\left( x \right) + \left( { - 2} \right) \times 4} \right] \times 2 + \left[ {\left( { + 1} \right) \times 2 + \left( { - 2} \right)} \right] \times 12\;\;$
$\;\; + 4 - 2x - 16 + 24 - 24 = 0\;\;$.
$\;\;2x = + 16 - 4 = + 12\;\;$
$\;\;x = + 6\;$
$\therefore KAl{\left( {S{O_4}} \right)_2} \cdot 12{H_2}O$ में $S$ की ऑक्सीकरण संख्या $ + 6$ है।
2. निम्नलिखित यौगिकों के रेखांकित तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या क्या है तथा इन परिणामों को आप कैसे प्राप्त करते हैं?
(क) \[\mathbf{K{I_3}}\]
उत्तर: $K{I_3}$ में $K$ की ऑक्सींकरण संख्या $ + 1$ है। अत: $I$ की औसत ऑक्सीकरण संख्या $ - \dfrac{1}{3}$ होगी। चूँकि औसत ऑक्सीकरण संख्या भिन्नात्मक है, अत: इसकी निम्न संरचना पर विचार करना आवश्यक है-
$K_:^ + {[I - I \leftarrow I]^ - }$
उपर्युक्त संरचना के अनुसार ${I_2}$ अणु मौर ${I^ - }$आयन के मध्य उप-सहसंयोजक बन्ध बनता है। चूँकि ${I_2}$ एक उदासीन अणु है, ${I_2}$ अणु में उपस्थित प्रत्येक I परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या शून्य होगी। ${I^ - }$आयन में $I$ की ऑक्सीकरण संख्या $ - 1$ है। अत:
${K^ + }{\left[ {0\;0\; - 1\;[I - I\;\;I\;} \right]^ - }$
(ख) \[\mathbf{{H_2}{S_4}{O_6}}\]
उत्तर:${H_2}\;{S_4}{O_6}$ में $S$ की औसत ऑक्सीकरण संख्या $x$ निम्न प्रकार ज्ञात की जा सकती है-
$\mathrm{H}_{2}^{+1 \mathrm{x}}$
${H_2}{^{ + 1x}$ ${S_4}{O^{ - 2}}_6\left[ {\left( { + 1} \right) \times 2\left] + \right[\left( x \right) \times 4\left] + \right[\left( { - 2} \right) \times 6} \right] = 0$
अथवा
$x = + \dfrac{{12 - 2}}{4} = + \dfrac{5}{2} = + 25$
चूंकि $S$ की औसत ऑक्सीकरण संख्या भिन्नात्मक है, अत: इसकी निम्न संरचना पर विचार करना आवश्यक है—
(image will be uploaded soon)
यदि ${H_2}\;{S_4}{O_6}$ की संरचना पर विचार किया जाये तो दिखाये गये $S$ परमाणु (2) और (3) में प्रत्येक की ऑक्सीकरण संख्या शून्य है क्योंकि ये दोनों ओर से समान परमाणुओं से जुड़े हैं। यदि उपरोक्त प्रकार से गणना की जाये तो संरचना में दर्शाये गये $S$ परमाणु $\left( 1 \right)$ और $\left( 4 \right)$ में प्रत्येक की ऑक्सीकरण संख्या $ + 5'$ होगी।
(ग) \[\mathbf{F{e_3}{O_4}}\]
उत्तर: $F{e_3}{O_4}$ में $Fe$ की औसत ऑक्सीकरण संख्या निम्न प्रकार ज्ञात की जा सकती है-
$x\; - 2\;F{e_3}{O_4}\;\left[ {\left( x \right) \times 3\left] + \right[\left( { - 2} \right) \times 4} \right] = 0\;x = + \dfrac{8}{3}\;$
चूँकि $Fe$ की औसत ऑक्सीकरण संख्या भिन्नात्मक है, अत: हमें अणु की स्ट्रॉइकियोमीटरी पर विचार करना होगा।
$F{e_3}{O_4}$ एक मिश्रित ऑक्साइड है। यह दो ऑक्साइडों $\left( {FeO,F{e_2}{O_3}} \right)$ का मिश्रण है। $FeO$ में $Fe$ की ऑक्सीकरण संख्या $ + 2$ तथा $F{e_2}{O_3}$ में $Fe$ की ऑक्सीकरण संख्या $ + 3$ है।
(घ) \[\mathbf{C{H_2}C{H_2}OH}\]
उत्तर: $C{H_3}C{H_2}OH$ में $C$ की औसत ऑक्सीकरण संख्या निम्न प्रकार ज्ञात की जा सकती है-
$x + 1\;x + 1\; - 2 + 1\;C{H_3}\;C{H_2}\;OH\;$
$\;\left( x \right) + \left[ {\left( { + 1} \right) \times 3\left] { + x + } \right[\left( { + 1} \right) \times 2} \right] + \left( { - 2} \right) + \left( { + 1} \right) = 0$
अथवा
$\;2x + 3 + 2 - 2 + 1 = 0$
अथवा
\[x = {\text{ }} - 2\]
सदि $C{H_3}C{H_2}OH$ की नीचे दी गई संरचना पर विचार किया जाये,
तो संरचना में दिखाया गया कार्बन परमाणु (2) तीन ओर से $H$ परमाणु से जुड़ा है जिनकी वैद्युत ऋणात्मकता (electronegativity) $C$ परमाणु से कम है तथा एक ओर से $C{H_2}OH$ ग्रुप $\left( {O.N. = - 1} \right)$ से जुड़ा है इसकी वैद्युत ऋणात्मकता कार्बन परमाणु से अधिक है। अत: इस कार्बन के लिए
अथवा
$\{ 3 \times \left( { + 1} \right) + \;x + \left( { - 1} \right)\;\; = 0\;\;x\; = - 2\;$
संरचना में दिखाया गया कार्बन परमाणु (1) एक ओर से $ - OH$ ग्रुप $\left( {O.N. = - 1} \right)$ तथा दूसरी ओर से एक $ - C{H_3}$ ग्रुप $\left( {O.N. = + 1} \right)$ से जुड़ा है। अत: इस कार्बन के लिए
$\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\left( { + 1} \right) + \left[ {\left( { + 1} \right) \times 2} \right] + \left( x \right) + \left( { - 1} \right) = 0$
अथवा \[x{\text{ }} = {\text{ }}0\]
(ङ) \[\mathbf{C{H_3}COOH}\]
उत्तर: $\mathrm{H}_{2}^{+1 \mathrm{x}}$ में C की औैसत ऑक्सीकरण संख्या निम्न प्रकार ज्ञात की जा सकती है|
$x + 1x - 2 - 2 + 1\;C{H_3}COOH\;$
$\;\left( x \right) + \left[ {\left( { + 1} \right) \times 3} \right] + \left( x \right) + \left[ {\left( { - 2} \right) \times 2} \right] + \left( { + 1} \right) = 0$
या \[x{\text{ }} = {\text{ }}0\;\]
\[C{H_3}COOH\] निम्न संरचना पर विचार किया जाये,
(image will be uploaded soon)
तो संरचना में दिखाया गया कार्बन परमाणु (2) तीन \[H\] परमाणु \[\left( {O.N.{\text{ }} = {\text{ }} + 1} \right)\] तथा एक-COOH ग्रुप \[\left( {O.N.{\text{ }} = - 1} \right)\] से जुड़ा है।
.:. इस कार्बन के लिए \[\left[ {\left( { + 1} \right) \times 2} \right]{\text{ }} + {\text{ }}\left( x \right){\text{ }} + {\text{ }}\left( { - 1} \right) = {\text{ }}0\]
; अथवा \[x{\text{ }} = {\text{ }} - 2\]
कार्बन परमाणु (1) एक $ - OH$ ग्रुप \[\left( {O.N.{\text{ }} = - 1} \right)\] एक 0 परमाणु \[\left( {O.N.{\text{ }} = {\text{ }} - 2} \right)\] और एक – CH3 ग्रुप \[\left( {O.N.{\text{ }} = {\text{ }} + 1} \right)\] से जुड़ा है।
:. इस कार्बन के लिए \[\left( { + 1} \right){\text{ }} + {\text{ }}\left( x \right){\text{ }} + {\text{ }}\left( { - 2} \right) + {\text{ }}\left( { - 1} \right) = {\text{ }}0\]
\[x{\text{ }} = {\text{ }} + 2\]
3. निम्नलिखित अभिक्रियाओं का अपचयोपचय अभिक्रियाओं के रूप में औचित्य स्थापित करने का प्रयास कीजिए–
(क) \[\mathbf{CuO\left( s \right) + {\text{ }}{H_2}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}Cu\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}{H_2}O\left( g \right)}\]
उत्तर: $ + 2 - 2\;0\;0\; + 1 - 2\;\;\;\;CuO\left( s \right) + {H_2}\left( g \right) \to Cu\left( s \right) + {H_2}O\left( g \right)\;$
इस अभिक्रिया में, \[Cu\] की ऑक्सीकरण अवस्था \[ + 2(CuO\] में) से घटकर शून्य (\[Cu\] में) हो जाती है जबकि H की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य (\[{H_2}\] में) से बढ़कर \[ + 1({H_2}O\] में) हो जाती है। इसलिए अभिक्रिया में \[CuO\] का अपचयन तथा \[H\] का ऑक्सीकरण हो रहा है। अतः यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है।
(ख) \[\mathbf{F{e_2}{O_3}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}3CO\left( g \right) \to {\text{ }}2Fe\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}3C{O_2}\left( g \right)}\]
उत्तर: $F{e_2}{O_3} + 3CO\left( g \right) \to 2F{e'}\left( s \right) + 3C{O_2}\left( g \right)\;$
इस अभिक्रिया में, \[F{e_2}{O_3}\] का अपचयन हो रहा है क्योंकि \[Fe\] की ऑक्सीकरण अवस्था \[ + 3(F{e_2}{O_3}\] में) से घटकर शून्य (\[Fe\] में) हो जाती है। \[CO\] का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि \[C\] की ऑक्सीकरण अवस्था \[ + 2{\text{ }}(CO\] में) से बढ़कर \[ + 4{\text{ }}(C{O_2}\] में) हो जाती है। अत: यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया (redox reaction) है।
(ग) \[\mathbf{4BC{l_3}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}3LiAl{H_4}\left( s \right){\text{ }} \to {\text{ }}2{B_2}{H_6}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}3LiCl\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}3AlC{l_3}\left( s \right)}\]
उत्तर: $ + 3 - 1\;\;\;\;\;\;\;\;\;4BC{l_3}\left( g \right) + 3LiAl{H_4}\left( s \right) \to 2\;{B_2}{H_6}\left( g \right) + 3LiCl\left( s \right) + 3AlC{l_3}\left( s \right)\;$
इस अभिक्रिया में, \[BC{l_3}\] का अपचयन हो रहा है क्योकि \[B\] की ऑक्सीकरण अवस्था \[ + 3{\text{ }}(BC{l_3}\] में) से घटकर \[ - 3{\text{ }}({B_2}{H_6}\] में) हो जाती है तथा \[LiAl{H_4}\] का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योकि \[H\] की ऑक्सीकरण अवस्था \[ - 1(LiAl{H_4}\] में) से बढ़कर \[ + 1{\text{ }}({B_2}{H_6}\] में) हो जाती है। अतः यह एक अपचयोपचय (redox) अभिक्रिया है।
(घ) \[\mathbf{2K\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}{F_2}\left( g \right){\text{ }} \to {\text{ }}2{K^ + }{F^ - }\left( s \right)}\]
उत्तर: $\;\;\;2\;K\left( s \right) + {F_2}\left( g \right) \to 2\;{K^{ + 1}}\;{F^{ - 1}}\left( s \right)$
इस अभिक्रिया में, \[K\] का ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था शून्य से बढ़कर \[ + 1\] हो जाती है तथा \[F\] को अपचयन हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था शून्य से घटकर \[ - 1\] हो जाती है। अत: यह एक अपचयोपचय अभिक्रिया है।
(ङ) \[\mathbf{4N{H_3}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}5{O_2}\left( g \right){\text{ }} \to {\text{ }}4NO\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}6{H_2}O\left( g \right)}\]
उत्तर : $ - 3 + 1\;0\; + 2 - 2\; + 1 - 2\;\;\;\;\;4N{H_3}\left( g \right) + 5{O_2}\left( g \right) \to 4NO\left( g \right) + 6{H_2}O\left( g \right)\;$
इस अभिक्रिया में, \[N{H_3}\] को ऑक्सीकरण हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था \[ - 3\] से बढ़कर \[ + 2\] हो जाती है तथा \[{O_2}\] का अपचयन हो रहा है क्योंकि इसकी ऑक्सीकरण अवस्था शून्य से घटकर \[ - 2{\text{ }}({H_2}O\] में) हो जाती है। अतः यह एक अपचयोपचय (redox) अभिक्रिया है।
4. फ्लुओरीन बर्फ से अभिक्रिया करके यह परिवर्तन लाती है
\[{H_2}O\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}{F_2}\left( g \right){\text{ }} \to {\text{ }}HF\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}HOF\left( g \right)\] इस अभिक्रिया का अपचयोपचय औचित्य स्थापित कीजिए।
उत्तर: \[{H_2}O\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}{F_2}\left( g \right){\text{ }} \to {\text{ }}HF\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}HOF\left( g \right)\]
इस अभिक्रिया में, \[{F_2}\] का अपचयन के साथ-साथ ऑक्सीकरण भी हो रहा है क्योंकि यह \[H\] (वैद्युत धनात्मक तत्त्व) को जोड़कर \[HF\] बनाती है तथा ) \[O\] (एक वैद्युत ऋणात्मक तत्त्व) को जोड़कर \[HOF\] बनाती है। अत: यह एक ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रिया (redox reaction) है।
5. \[{H_2}S{O_5},{\text{ }}C{r_2}{O^{2 - }}_7\] तथा \[N{O^ - }_3\] में सल्फर, क्रोमियम तथा नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या की गणना कीजिए। साथ ही इन यौगिकों की संरचना बताइए तथा इसमें हेत्वाभास | (fallacy) का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर:
\[{H_2}S{O_5}\] में \[S\] की ऑक्सीकरण संख्या :
\[\left( { + 1} \right) \times 2{\text{ }} + {\text{ }}\left( x \right){\text{ }} + {\text{ }}\left[ {\left( { - 2} \right) \times 5} \right] = {\text{ }}0\]
अथवा \[x = {\text{ }}10 - 2 = {\text{ }} + 8\]
\[S\] की ऑक्सीकरण संख्या \[ + 8\] सम्भव नहीं है क्योंकि \[S\] के बाह्य कोश में \[6\] इलेक्ट्रॉन होते हैं और उसकी अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या हो सकती है। अत: \[H,{\text{ }}SO\] में दो ऑक्सीकरण परमाणुओं को एक-दूसरे से जुड़ा होना चाहिए। इस हेत्वाभास (fallacy) को \[{H_2}S{O_4}\] की निम्नलिखित संरचना द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
(image will be uploaded soon)
उपर्युक्त संरचना के अनुसार, \[S\] की ऑक्सीकरण अवस्था निम्न होगी
$\left( { + 1} \right) + \left( { - 2} \right) + x + \left[ {\left( { - 2} \right) \times 2\left] + \right[\left( { - 1} \right) \times 2} \right] + \left( { + 1} \right) = 0$
अथवा $ - 1 + x - 4 - 2 + 1 = 0$
अथवा $x = + 6$
$\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}$ में Cr की ऑक्सीकरण संख्या :
उत्तर: $x\;\; - 2\;C{r_2}\;O_7^{2 - }\;2x + 7\left( { - 2} \right)\;\; = - 2\;2x - 14\;\; = - 2\;2x\;\; = 12\;x\;\; = + 6\;$
प्राप्त ऑक्सीकरण संख्या का मान सही है। $C{r_2}O_7^{2 - }$ की संरचना निम्न प्रकार है-
(image will be uploaded soon)
\[\mathbf{N{O^ - }_3}\] में \[N\] की ऑक्सीकरण संख्या :
उत्तर: \[\left( x \right) + \left[ {\left( { - 2} \right) \times 3} \right]{\text{ }} = - 1\] (क्योंकि \[NO\] पर \[ - 1\] आवेश होता है)
अथवा \[x = + 5\]
\[N{O^ - }_3\] की संरचना निम्न प्रकार है-
(image will be uploaded soon)
उपर्युक्त संरचना के अनुसार, \[N\] की 0.S. (ऑक्सीकरण अवस्था) निम्न है-
\[ {\left[ {\left( { - 2} \right) \times 2} \right]{\text{ }} + {\text{ }}\left( x \right) + {\text{ }}\left( { - 1} \right) = {\text{ }}0} \\ {x = + 5} \]
अत: यह संरचना \[NO\], में \[N\] की सामान्य ऑक्सीकरण-संख्या प्रदर्शित करती है। अत: कोई हेत्वाभास नहीं है।
6. निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र लिखिए-
(क) मर्करी (II) क्लोराइड
उत्तर: \[HgC{l_2}\]
(ख) निकिल (II) सल्फेट
उत्तर: \[NiS{O_4}\]
(ग) टिन (IV) ऑक्साइड
उत्तर: \[Sn{O_2}\]
(घ) थैलियम (I) सल्फेट
उत्तर: \[T{h_2}S{O_4}\]
(ङ) आयरन (II) सल्फेट
उत्तर: \[F{e_2}{\left( {S{O_4}} \right)_3}\]
(च) क्रोमियम (III) ऑक्साइड
उत्तर: \[C{r_2}{O_7}\]
7. उन पदार्थों की सूची तैयार कीजिए जिनमें कार्बन \[ - 4\] से \[ + 4\] तक की तथा नाइट्रोजन \[ - 3\] से \[ + 5\] तक की ऑक्सीकरण अवस्था होती है।
उत्तर: कार्बन के यौगिक (Compounds of Carbon)
कार्बन की ऑक्सीकरण अवस्था (O.S.of \[\;C\]) अवस्सीकरण
$\left( {O.S.\;of\;N} \right)\;\;$
कार्बन की ऑक्सीकरण अवस्था (O.S.of \[\;C\]), अवस्सीकरण
$\left( {O.S.\;of\;N} \right)\;\;$
$C{H_4}$ | -4 |
$N{H_3}$ | -3 |
$C{H_3} - C{H_3}$ | -3 |
$N{H_2} - N{H_2}$ | -2 |
$C{H_3}Cl$ | -2 |
$N{H_2}OH$ | -1 |
$CH \equiv CH$ | -1 |
${N_2}$ | 0 |
$C{H_2}C{l_2}$ | 0 |
${N_2}O$ | 1 |
$CHC{l_3}$ | 2 |
$NO$ | 2 |
$CC{l_4}$ | 4 |
${N_2}{O_3}$ | 3 |
$N{O_2}$ | 4 |
${N_2}{O_5}$ | 5 |
8. अपनी अभिक्रियाओं में सल्फर डाइऑक्साइड तथा हाइड्रोजन पेरोक्साइड ऑक्सीकारक तथा अबचायक- दोनों ही रूपो में क्रिया करते है, जबकि उजोन तथा नाइट्रिक अम्ल केबल ऑक्सीकारक के रूप में ही, क्यों?
उत्तर:\[S{O_2}\] में \[S\] की ऑक्सीकरण संख्या \[ + 4\] होती है। \[S\] अपनी प्ररतिक्रियाओ में \[ - 2\] और \[ + 6\] के बीच की कोई भी ऑक्सीकरण-संख्या दर्शा सकता है। अत: \[S{O_2}\] में \[S\] की ऑक्सीकरण संख्या घट भी सकती है और बढ़ भी सकती है; और इसका ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों सम्भव है। इस कारण \[S{O_2}\] ऑक्सीकारक और अपचायक दोनों अभिकर्मकों की तरह व्यवहार करती है। \[{H_2}{O_2}\] की स्थिति भी समान प्रकार की है। \[{H_2}{O_2}\] में, \[O\] की ऑक्सीकरण अवस्था \[ - 1\] होती है। ऑक्सीजन \[ - 2\] और \[0\] (शून्य) के बीच की कोई भी ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है \[( + 2\] भी जब \[\;F\] से जुड़ा होता है) अतः \[{H_2}{O_2}\] में ऑक्सीजन अपनी ऑक्सीकरण संख्या घटा तथा बढ़ा सकता है। इस कारण \[{H_2}{O_2}\] ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों अभिकर्मकों की तरह व्यवहार करता है।
\[{O_3}\] में, ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य है। यह अपनी ऑक्सीकरण-अवस्था को \[ - 1\] तथा \[ - 2\] तक घटा सकता है परन्तु अपनी ऑक्सीकरण-अवस्था को बढ़ा नहीं सकता। अत: \[{O_3}\] केवल एक ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करती है। \[{H_2}{O_2}\] की स्थिति भी समान प्रकार की है। \[HN{O_3}\] में, \[N\] की ऑक्सीकरण-अवस्था \[ + 5\] होती है जो \[N\] की अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था है। अत: N केवल अपनी ऑक्सीकरण अवस्था घटा सकता है। इस कारण से \[HN{O_3}\] केवल ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करता है।
9.इन अभिक्रियाओं को देखिए
(क) \[6C{O_2}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}6{H_2}O\left( l \right){\text{ }} \to {\text{ }}{C_6}{H_{12}}{O_6}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}6{O_2}\left( g \right)\]
(ख) \[{{\mathbf{O}}_{\mathbf{3}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right)\]
बताइए कि इन्हें निम्नलिखित ढंग से लिखना ज्यादा उचित क्यों है?
(क) \[6C{O_2}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}12{H_2}O\left( I \right){\text{ }} \to {\text{ }}{C_6}{H_{12}}{O_6}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}6{H_2}O\left( I \right){\text{ }} + {\text{ }}6{O_2}\left( g \right)\]
(ख) \[{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{I}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right)\]
उपर्युक्त अपचयोपचय अभिक्रियाओं (क) तथा (ख) के अन्वेषण की विधि सुझाइए।
उत्तर:
(क) यह प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की अभिक्रिया है जो कि एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और बहुत चरणों में सम्पन्न होती है। इस अभिक्रिया में, \[12{H_2}O\] अणु क्लोरोफिल (chlorophyll) की उपस्थिति में पहले अपघटित होकर \[{H_2}\] तथा \[{O_2}\] देते हैं। इस प्रकार निर्मित \[{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}C{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\]को अपचयित कर \[{C_2}{H_{12}}{O_6}\] का निर्माण करती है। अतः अभिक्रिया को एक असान रूप में अभिक्रिया निम्न प्रकार किया जा सकता है|
$\;12{H_2}O\left( l \right) \to 12{H_2}\left( g \right) + 6{O_2}\left( g \right)\;\dfrac{{6C{O_2}\left( g \right) + 12{H_2}\left( l \right) \to {C_6}{H_{12}}{O_6}\left( s \right) + 6{H_2}O\left( l \right)}}{{6C{O_2}\left( g \right) + 12{H_2}O\left( l \right)}}\;{C_6}{H_{12}}{O_6}\left( s \right) + 6{H_2}O\left( l \right) + 6{O_2}\left( g \right)\;$
इसलिए इस अभिक्रिया को समीकरण (iii) की भाँति लिखना ज्यादा उचित है। इस निरूपण में \[12{H_2}O\] अणु भाग लेते हैं तथा $6{H_2}O$ अणु उत्पन्न होते हैं।
(ख) दी गई अभिक्रिया का वास्तविक रूप निम्न प्रकार है-
${O_3}\left( g \right) \to {O_2}\left( g \right) + O\left( g \right)\;\dfrac{{{H_2}{O_2}\left( l \right) + O\left( g \right) \to {H_2}O\left( l \right) + {O_2}\left( g \right)}}{{{O_3}\left( g \right) + {H_2}{O_2}\left( l \right) \to {H_2}O\left( l \right) + {O_2}\left( g \right) + {O_2}\left( g \right)}}\;$
समीकरण (iii) प्रदर्शित करती है कि \[{O_2}\] का एक अणु \[{O_3}\] से प्राप्त होता है, बल्कि दूसरा \[{H_2}{O_2}\] से प्राप्त होता है। इसलिए, समीकरण को प्रदर्शित करने की यह विधि अधिक उपयुक्त है। समीकरण (क) तथा (ख) का अन्वेषण ट्रेसर तकनीक (tracer technique) के द्वारा किया जा सकता है। समीकरण (क) में \[{H_2}{O^{18}}\] तथा समीकरण (ख) में \[{H_2}{O^{18}}\] (या \[{O^{18}}_3\] ) का प्रयोग करके अभिक्रिया के पथ को निर्धारित किया जा सकता है।
10. \[Ag{F_2}\]एक अस्थिर यौगिक है। यदि यह बन जाए तो यह यौगिक एक अति शक्तिशाली ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है। क्यों?
उत्तर: \[Ag{F_2}\] में, \[Ag\]की ऑक्सीकरण-अवस्था \[ + 2\] होती है जो \[Ag\] की अत्यधिक अस्थायी अवस्था है। इसलिए, यह एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के बाद शीघ्रता से अपचयित होकर स्थायी ऑक्सीकरण-अवस्था \[ + 1\] प्राप्त कर लेता है।
\[A{g^{2 + }} + {\text{ }}e - \;A{g^ + }\]
आक्सीकरण-अवस्था = \[ + 2\] ऑक्सीकरण-अवस्था = \[ + 1\]
(अस्थायी) (स्थायी)
इसी कारण \[Ag{F_2}\] (यदि प्राप्त हो जाये) एक अत्यन्त प्रबल ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार करता है।
11.“जब भी एक ऑक्सीकारक तथा अपचायक के बीच अभिक्रिया सम्पन्न की जाती है, तब अपंचायक के आधिक्य में निम्नतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक तथा ऑक्सीकारक के आधिक्य में उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्था का यौगिक बनता है। इस वक्तव्य का औचित्य तीन उदाहरण देकर दीजिए।
उत्तर: दिये गये वक्तव्य का औचित्य निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
(क) $2 C(s)+O_2(g) \rightarrow2 C 0^{+2}(g)$ …..(i)
(reducing agent) Excess | (oxidizing agent) | compound of lower O.S |
$2 C(s)$ | $O_2(g)$ | $2 C 0^{+2}(g)$ |
$C(s)+0_{2}(g)\rightarrow C O_{2}^{+4}(g)$ …..(ii)
(reducing agent) Excess | (oxidizing agent) | compound of lower O.S |
$C(s)$ | $O_2(g)$ | $C O_{2}^{+4}(g)$ |
अभिक्रिया (i) में अपचायक (reducing agent) कार्बन अधिकता में है, जबकि अभिक्रिया (ii) में ऑक्सीकारक (oxidising agent) \[{O_2}\]अधिकता में है। अभिक्रिया (i) में \[CO\] (कार्बन की O.S.= \[ + 2\]) तथा अभिक्रिया (ii) में \[C{O_2}\] (कार्बन की O.S. = \[ + 4\]) का निर्माण होता है।
(ख) $4 \mathrm{Na}(s)+O_{2}(g) \quad \rightarrow \quad \mathrm{Na}_{2} \mathrm{O}(\mathrm{g})$
(reducing agent) Excess | (oxidizing agent) | compound of lower O.S |
$4 \mathrm{Na}(s)$ | $O_{2}(g)$ | $\mathrm{Na}_{2} \mathrm{O}(\mathrm{g})$ |
$2 \mathrm{Na}(\mathrm{s})+20_{2} \quad \rightarrow \quad \mathrm{Na}_{2}^{-1} \mathrm{O}_{2}$
(reducing agent) Excess | (oxidizing agent) | compound of lower O.S |
$2\mathrm{Na}(\mathrm{s})$ | $20_{2}$ | $\mathrm{Na}_{2}^{-1} \mathrm{O}_{2}$ |
(ग) $P_{4}(s)+6 C I_{2}(g) \rightarrow \quad 4 P C I_{3}^{+3}(l)$
(reducing agent) Excess | (oxidizing agent) | compound of lower O.S |
$P_{4}(s)$ | $6 C I_{2}(g)$ | $4 P C I_{3}^{+3}(l)$ |
$P_{4}(s) \quad+10 C I_{2}(g) \quad \rightarrow \quad 4 P C I_{5}^{+5}(s)$
(reducing agent) Excess | (oxidizing agent) | compound of lower O.S |
$P_{4}(s)$ | $10 C I_{2}(g)$ | $4 P C I_{5}^{+5}(s)$ |
12.इन प्रेक्षणों की अनुकूलता को कैसे समझाएँगे?
(क) यद्यपि क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट तथा अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट दोनों ही
ऑक्सीकारक हैं। फिर भी टॉलूईन से बेन्जोइक अम्ल बनाने के लिए हम ऐल्कोहॉलिक पोटैशियम परमैंगनेट का प्रयोग ऑक्सीकारक के रूप में क्यों करते हैं? इस अभिक्रिया के लिए सन्तुलित अपचयोपचय समीकरण दीजिए।
उत्तर: अगर टॉलूईन का ऑक्सीकरण क्षारीय और अम्लीय \[KMn{O_4}\] द्वारा किया जाये तो ऑक्सीकरण को नियन्त्रित करना मुश्किल होगा। इसमें मुख्य उत्पाद बेंजोइक ऐसिड (benzoic acid) के साथ-साथ सह अभिक्रियाओं (side reactions) द्वारा दूसरे उत्पाद भी प्राप्त होंगे। इसलिए टॉलूईन के ऑक्सीकरण के लिये क्षारीय अथवा अम्लीय \[KMn{O_4}\] के स्थान पर ऐल्कोहॉलिक \[KMn{O_4}\] को वरीयता दी जाती है। अपचयोपचय (redox reaction) अभिक्रिया नीचे दी गई है–
Average O.S. of $C=- \dfrac{8}{7}$
Average O.S. of $C =-\dfrac{2}{7}$
(ख) क्लोराइडयुक्त अकार्बनिक यौगिक में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालने पर हमें तीक्ष्ण गन्ध वाली \[HCl\]गैस प्राप्त होती है, परन्तु यदि मिश्रण में ब्रोमाइड उपस्थित हो तो हमें ब्रोमीन की लाल वाष्प प्राप्त होती है, क्यों?
उत्तर: जब सान्द्र \[{H_2}S{O_4}\]को क्लोराइडयुक्त एक अकार्बनिक मिश्रण में मिलाया जाता है, तो कम वाष्पशील अम्ल \[{H_2}S{O_4}\]अधिक वाष्पशील अम्ल \[HCl\]को विस्थापित करता है और \[HCl\]गैस की तीक्ष्ण गन्ध आती है।
\[2NaCl{\text{ }}\left( 5 \right){\text{ }} + {\text{ }}{H_2}S{O_4}\left( l \right){\text{ }} \to {\text{ }}2NaHS{O_4}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}2HCl\left( g \right)\]
\[HCl\]एक दुर्बल अपचायक है। यह \[{H_2}S{O_4}\]को \[S{O_2}\]में अपचयित करने में असमर्थ है। जब मिश्रण में ब्रोमाइड उपस्थित होता है तो अधिक उड़नशील अम्ल \[HBr\]विस्थापित होता है। \[HBr\]एक अधिक प्रबल अपचायक है और \[{H_2}S{O_4}\]को \[S{O_2}\]में अपचयित कर देता है। यह स्वयं ऑक्सीकृत होकर ब्रोमीन देता है जो लाल वाष्प के रूप में प्राप्त होती है।
$2 \mathrm{NaBr}+\mathrm{H}_{2} \mathrm{SO}_{4} \rightarrow 2 \mathrm{NaHSO}_{4}+2 \mathrm{HBr}$
$2 \mathrm{HBr}+\mathrm{H}_{2} \mathrm{SO}_{4} \rightarrow \mathrm{SO}_{2}+2 \mathrm{H}_{2} \mathrm{O}+\mathrm{MBr}_{2}(\mathrm{~g})$
13.निम्नलिखित अभिक्रियाओं में ऑक्सीकृत, अपचयित, ऑक्सीकारक तथा अपचायक पदार्थ पहचानिए-
(क) \[{\mathbf{2AgBr}}\left( {\mathbf{s}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{C}}_{\mathbf{6}}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{6}}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{2Ag}}\left( {\mathbf{s}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2HBr}}{\text{ }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{C}}_{\mathbf{6}}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{6}}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right)\]
(ख) \[{\mathbf{HCHO}}\left( {\mathbf{7}} \right){\text{ }} + {\mathbf{2}}\left[ {{\mathbf{Ag}}{{\left( {{\mathbf{N}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{3}}}} \right)}_{\mathbf{2}}}} \right] + {\text{ }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{3O}}{{\mathbf{H}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{2Ag}}\left( {\mathbf{s}} \right) + {\text{ }}{\mathbf{HCOO}}--{\mathbf{7}}{\text{ }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\mathbf{4N}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{3}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\mathbf{2}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{7}} \right)\]
(ग) \[{\mathbf{HCHO}}\left( {\mathbf{1}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2C}}{{\mathbf{u}}^{{\mathbf{2}} + }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{5OH}}--{\text{ }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{C}}{{\mathbf{u}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{s}} \right) + {\text{ }}{\mathbf{HCO}}{{\mathbf{O}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\mathbf{3}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right)\]
(घ) \[{{\mathbf{N}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{4}}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{{\mathbf{N}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right) + {\text{ }}{\mathbf{4}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right)\]
(ङ) \[Pb\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}Pb{O_2}\left( s \right) + {\text{ }}2HS{O_4}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}2PbS{O_4}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}2{H_2}O\left( l \right)\]
उत्तर:
ऑक्सीकृत पदार्थ | अपचयित पदार्थ | ऑक्सीकारक | अपचायक | |
(क) | \[{C_6}{H_6}{O_2}\] | \[AgBr(s)\] | \[AgBr(s)\] | \[{C_6}{H_6}{O_2}\] |
(ख) | \[HCHO\] | \[{[Ag{(N{H_3})_2}]^ + }\] | \[{[Ag{(N{H_3})_2}]^ + }\] | \[HCHO\] |
(ग) | \[HCHO\] | \[C{u^{2 + }}\] | \[C{u^{2 + }}\] | \[HCHO\] |
(घ) | \[{N_2}{H_4}\] | \[{H_2}{O_2}\] | \[{H_2}{O_2}\] | \[{N_2}{H_4}\] |
(ङ) | \[Pb\] | \[Pb{O_2}\] | \[Pb{O_2}\] | \[Pb\] |
14.निम्नलिखित अभिक्रियाओं में एक ही अपचायक थायोसल्फेट, आयोडीन तथा ब्रोमीन से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया क्यों करता है?
$2{S_2}{O^2}_{ - 3}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{I_2}\left( s \right){\text{ }} \to {\text{ }}{S_4}{O^{2 - }}_6\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2{I^ - }\left( {aq} \right)$
$2{S_2}{O^2}_{ - 3}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2B{r_2}\left( l \right){\text{ }} + {\text{ }}5{H_2}O\left( l \right){\text{ }} \to {\text{ }}2S{O^{2 - }}_4\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}4B{r^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}10{H^ + }\left( {aq} \right)$
उत्तर: प्रस्तुत स्पीशीज (species) में \[S\]की ऑक्सीकरण संख्या निम्न है-
\[{{\mathbf{S}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{O}}^{{\mathbf{2}} - }}_{\mathbf{3}} = {\text{ }} + {\mathbf{2}},{\text{ }}{{\mathbf{S}}_{\mathbf{4}}}{{\mathbf{O}}^{{\mathbf{2}} - }}_{\mathbf{6}} = {\text{ }}{\mathbf{2}}.{\mathbf{5}},{\text{ }}{\mathbf{S}}{{\mathbf{O}}^{{\mathbf{2}} - }}_{\mathbf{4}} = {\text{ }} + {\mathbf{6}}\]
ब्रोमीन, आयोडीन से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। इसलिये यह \[{S_2}{O^{2 - }}_3\] (\[S\] की \[O.S.{\text{ }} = {\text{ }} + 2\]) को \[{S_2}{O^2}_4\] (\[S\] की \[O.S.{\text{ }} = {\text{ }} + 6)\] में ऑक्सीकृत कर देता है; जिसमें \[S\] उच्च-ऑक्सीकरण अवस्था में है। I2 एक दुर्बल ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करता है। यह \[{S_2}{O^{2 - }}_3\]को \[{S_4}{O^{2 - }}_6\] (\[S\] की \[O.S.{\text{ }} = {\text{ }}2.5\]) में . ऑक्सीकृत करता है, जिसमें \[S\]की ऑक्सीकरण-अवस्था कम है। यही कारण है कि \[{S_2}{O^{2 - }}_3\], \[B{r_2}\] से \[{I_2}\] से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया करता है।
15.अभिक्रिया देते हुए सिद्ध कीजिए कि हैलोजनों में फ्लुओरीन श्रेष्ठ ऑक्सीकारक तथा हाइड्रोहैलिक यौगिकों में हाइड्रोआयोडिक अम्ल श्रेष्ठ अपचायक है।
उत्तर: हैलोजनों की ऑक्सीकारक क्षमता का घटता हुआ क्रम इस प्रकर है- \[{F_2} > {\text{ }}C{l_2},{\text{ }} > {\text{ }}B{r_2} > {\text{ }}{I_2}\], \[{F_2}\] एक प्रबल ऑक्सीकारक है तथा यह \[C{l^ - },{\text{ }}B{r^ - }\]तथा \[{I^ - }\] आयनों का ऑक्सीकर कर देती है। \[C{l_2}\]केवल Br- तथा \[{I^ - }\] आयनों को और \[B{r_2}\] केवल \[{I^ - }\]आयनों को ही ऑक्सीकृत कर पाती है। \[{I_2}\] इनमें से किसी को भी ऑक्सीकृत करने में असमर्थ है। अभिक्रियायें नीचे दी गई हैं-
\[{F_2}\] की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-
${F_2}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}2C{l^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} - \to {\text{ }}2F--{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}C{l_2}\left( g \right)$
${F_2}\left( g \right) + 2B{r^ - }\left( {aq} \right)\xrightarrow{{}}{\text{ }}2{F^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}B{r_2}\left( 1 \right)$
${F_2}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}2{I^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}2{F^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}I\left( s \right)$
\[C{l_2}\] की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-
$C{l_2}\left( g \right) + {\text{ }}2B{r^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} - \to {\text{ }}2C{l^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}Br{\text{ }}\left( 1 \right)$
$C{l_2}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}2{I^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}2{C^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{I_2}\left( l \right),$
\[{I_2}\] की ऑक्सीकारक अभिक्रियाएँ-
\[B{r_2}\left( l \right){\text{ }} + {\text{ }}2{I^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}2B{r^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{I_2}\left( s \right)\]
इस प्रकार \[{F_2}\] सबसे अच्छा ऑक्सीकारक है। हाइड्रोलिक अम्लों की अपचायक क्षमता का घटता हुआ क्रम निम्न प्रकार है-
\[HI > {\text{ }}HBr > HCl > {\text{ }}H{F_{}}\]
\[HI\]और \[HBr\]सल्फ्यूरिक अम्ल (\[{H_2}S{O_4}\]) को \[S{O_2}\]में अपचयित कर देते हैं, बल्कि \[HCl\]व \[HF\] ऐसा कर नही पाते।
$2HBr{\text{ }} + {\text{ }}{H_2}S{O_4} \to {\text{ }}S{O_2} + {\text{ }}2{H_2}O + {\text{ }}B{r_2}$
$2HI{\text{ }} + {\text{ }}{H_2}S{O_4} \to {\text{ }}S{O_2} + {\text{ }}2{H_2}O{\text{ }} + {\text{ }}{I_2}$
\[HCl\], \[Mn{O_2}\]को Mn2+ में अपचयित कर देता है परन्तु HF ऐसा करने में असमर्थ है। यह दर्शाता है। कि \[HCl\]की ऑक्सीकृत क्षमता HBr से अधिक है।
$Mn{O_2} + 4HCl{\text{ }} \to {\text{ }}MnC{l_2} + {\text{ }}C{l_2} + {\text{ }}2{H_2}O$
$Mn{O_2} + {\text{ }}4HF{\text{ }} \to $
कोई अभिक्रिया नहीं
अतः हाइड्रोलिक अम्लों में \[HI\] प्रबलतम अपचायक है।
16. निम्नलिखित अभिक्रिया क्यों होती है?
\[{\mathbf{Xe}}{{\mathbf{O}}^{{\mathbf{4}} - }}_{\mathbf{6}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2}}{{\mathbf{F}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{6}}{{\mathbf{H}}^ + }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{Xe}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{3}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{F}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{3}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{I}} \right)\]
यौगिक
\[{\mathbf{N}}{{\mathbf{a}}_{\mathbf{4}}}{\mathbf{Xe}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{6}}}\] (जिसका एक भाग \[{\mathbf{Xe}}{{\mathbf{O}}^{{\mathbf{4}} - }}_{\mathbf{6}}\] है) के बारे में आप इस अभिक्रिया में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर: $ + 8\;XeO_4^{4 - }\left( {aq} \right) + 2\;{F^ - }\left( {aq} \right) + 6{H^ + }\left( {aq} \right) \to Xe{O_3}\left( s \right) + {F_2}\left( g \right) + 3{H_2}O\left( l \right)\;$
इस अभिक्रिया में \[Xe{O_6}\] को \[Xe{O_3}\] में अपचयन तथा \[{F^ - }\] का \[{F_2}\] में ऑक्सीकरण हो रहा है। यह अभिक्रिया इसलिये सम्पन्न होती है क्योंकि \[Xe{O_6}\], \[{F_2}\] से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। क्युकि \[Xe{O^{4 - }}_6\] \[{F_2}\] की तुलना में अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है, अत: \[N{a_4}Xe{O_6}\] एक प्रबल ऑक्सीकारक होगा।
17.निम्नलिखित अभिक्रियाओं में-
(क) \[{{\mathbf{H}}_{\mathbf{3}}}{\mathbf{P}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{4AgN}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{3}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{P}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{4}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{4Ag}}\left( {\mathbf{s}} \right){\text{ }} + {\mathbf{4HN}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{3}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right)\]
(ख \[{{\mathbf{H}}_{\mathbf{3}}}{\mathbf{P}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2CuS}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{4}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\mathbf{2}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{3}}}{\mathbf{P}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{4}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2Cu}}\left( {\mathbf{s}} \right){\text{ }} + {\mathbf{2}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{S}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{4}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right)\]
(ग) \[{{\mathbf{C}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{5}}}{\mathbf{CHO}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2}}\left[ {{\mathbf{Ag}}{{\left( {{\mathbf{N}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{3}}}} \right)}_{\mathbf{2}}}} \right] + \left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{3O}}{{\mathbf{H}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{{\mathbf{C}}_{\mathbf{6}}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{5}}}{\mathbf{COO}}--{\text{ }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\mathbf{2Ag}}\left( {\mathbf{s}} \right){\text{ }} + {\mathbf{4N}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{3}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\mathbf{2}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right)\]
(घ) \[{{\mathbf{C}}_{\mathbf{6}}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{5}}}{\mathbf{CHO}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} + {\mathbf{2C}}{{\mathbf{u}}^{{\mathbf{2}} + }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{5O}}{{\mathbf{H}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right)\] कोई परिवर्तन नहीं।
इन अभिक्रियाओं से \[A{g^ + }\] तथा \[C{u^{2 + }}\] के व्यवहार के विषय में निष्कर्ष निकालिए।
उत्तर:
ये अभिक्रिया दर्शाती है कि \[A{g^ + },C{u^{2 + }}\]से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है। यह निम्न तथ्यों से निचे स्पष्ट किया गया है-
अभिक्रिया (क) और (ख) यह दर्शाती है कि \[A{g_2}\]व \[C{u^{2 + }}\]दोनों आयने \[{H_3}P{O_2}\] को \[{H_3}P{O_4}\] में ऑक्सीकृत कर सकते हैं। अत: दोनों ऑक्सीकारक हैं।।
अभिक्रिया (ग) य्ह दर्शाती है कि \[[Ag{\left( {N{H_3}} \right)_2}]\]+ आयन \[{C_6}{H_5}CHO\] को \[{C_6}{H_2}COOH\] में ऑक्सीकृत कर सकता है, परन्तु अभिक्रिया (घ) के अनुसार \[C{u^{2 + }}\] आयन ऐसा करने में असमर्थ है।
अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अगर \[A{g^ + }\] व \[C{u^{2 + }}\] दोनों ऑक्सीकारक अभिकर्मक हैं, परन्तु \[A{g^ + },C{u^{2 + }}\]से अधिक प्रबल ऑक्सीकारक है।
18.आयन-इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रियाओं को सन्तुलित कीजिए-
(क) \[{\mathbf{Mn}}{{\mathbf{O}}^ - }_{\mathbf{4}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {{\mathbf{I}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{Mn}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{s}} \right){\text{ }} + {{\mathbf{I}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{s}} \right)\](क्षारीय माध्यम)
उत्तर:
पद 1. पहले हम ढाँचां समीकरण लिखते हैं-
$MnO_4^ - \left( {aq} \right) + {I^ - }\left( {aq} \right) \to Mn{O_2}\left( s \right) + {I_2}\left( l \right)$
पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-
ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया : $\;{I^ - } \to {I_2}$ (ii) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया : $MnO_4^{ + 7}\left( {aq} \right) \to Mn{O_2}\left( s \right)$
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया : $MnO_4^{ - 1}\left( {aq} \right) \to Mn{O_2}\left( s \right)$
पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में $I$ परमाणु का सन्तुलन करने पर हम लिखते हैंपद $2{I^ - }\left( {aq} \right) \to {I_2}\left( s \right)$
पद 4. $O$ परमाणु के सन्तुलन के लिए हम अपचयन अभिक्रिया में दाईं ओर 2 जल-अणु जोड़ते हैं$MnO_4^ - \left( {aq} \right) \to Mn{O_2}\left( s \right) + 2{H_2}O\left( l \right)$
$H$ परमाणु के सन्तुलन के लिए हम बाईं ओर चार ${H^ + }$आयन जोड़ देते हैं-
$MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 4{H^ + }\left( {aq} \right) \to Mn{O_2}\left( s \right) + 2{H_2}O\left( l \right)$
क्योकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है, इसलिए $4{H^ + }$के लिए समीकरण के दोनों ओर हम $4O{H^ - }$ जोड़ देते हैं।
$MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 4{H^ + }\left( {aq} \right) + 4O{H^ - }\left( {aq} \right) \to Mn{O_2}\left( s \right) + 2{H_2}O\left( l \right) + 4O{H^ - }\left( {aq} \right)$
${H^ + }$आयन तथा $O{H^ - }$आयन के योग को ${H_2}O$ से बदलने पर परिणामी समीकरण निम्नवत् है$\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 2{H_2}O\left( l \right) \to Mn{O_2}\left( s \right) + 4O{H^ - }\left( {aq} \right)$
पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन दर्शाई गई विधि द्वारा करते हैं।
$2{I^ - }\left( {aq} \right) \to {I_2}\left( s \right) + 2{e^ - }\;$
$MnO_4^2\left( {aq} \right) + 2{H_2}O\left( l \right) + 3{e^ - } \to Mn{O_2}\left( s \right) + 4O{H^ - }\left( {aq} \right)\;$
इलेक्ट्रॉनों की संख्या को एकसमान बनाने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया को \[3\]से तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया को \[2\]से गुणा करते हैं-
$6{I^ - }\left( {aq} \right) \to 3{I_2}\left( s \right) + 6{s^ - }\;$
$2MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 4{H_2}O\left( l \right) + 6{e^ - } \to 2Mn{O_2}\left( s \right) + 8O{H^ - }\left( {aq} \right)\;$
पद 6. दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
$6{I^ - }\left( {aq} \right) + 2MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 4{H_2}O\left( l \right) \to 3{I_2}\left( s \right) + 2Mn{O_2}\left( s \right) + 8O{H^ - }\left( {aq} \right)$
अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि दोनों ओर के परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से समीकरण सन्तुलित है।
(ख) \[{\mathbf{Mn}}{{\mathbf{O}}^ - }_{\mathbf{4}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{S}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{8}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{M}}{{\mathbf{n}}^{{\mathbf{2}} + }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{HS}}{{\mathbf{O}}^ - }_{\mathbf{4}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right)\] (अम्लीय माध्यम)
पद 1. पहले हम ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
$MnO_4^ - \left( {aq} \right) + S{O_2}\left( g \right) \to M{n^{2 + }}\left( {aq} \right) + HSO_4^ - \left( {aq} \right)$
पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-
ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया :
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया : $MnO_4^ - \left( {aq} \right) \to M{n^{2 + }}\left( {aq} \right)$
पद 3. ऑक्सीजन परमाणु के सन्तुलन के लिए हम ऑक्सीकरण अभिक्रिया में बाईं ओर \[2\]जल अणु जोड़ते हैं-
$S{O_2}\left( {\;g} \right) + 2{H_2}O\left( l \right) \to HSO_4^ - \left( {aq} \right)$
हाइड्रोजन परमाणु के सन्तुलंन के ल़िए हम ऑक्सीकरण अभिक्रिया में दाई ओर 3H+आयन जोड़ देते हैं-
$S{O_2}\left( g \right) + 2{H_2}O\left( l \right) \to HSO_4^ - \left( {aq} \right) + 3{H^ + }\left( {aq} \right)$
पद 4. ऑक्सीजन परमाणु के सन्तुलन के लिए हम अपचयन अभिक्रिया में दाई ओर चार जल-अणु जोड़ते हैं-
$MnO_4 \left( {aq} \right) \to M{n^{2 + }}\left( {aq} \right) + 4{H_2}O\left( l \right)$
हाइड्रोजन परमाणु के सन्तुलन के लिए हम अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में बाईं ओर $8{H^ + }$-आयन जोड़ देते हैं-
$MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 8{H^ + }\left( {aq} \right) \to M{n^{2 + }}\left( {aq} \right) + 4{H_2}O\left( l \right)$
पद 5 . इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन दर्शाई गई विधि द्वारा करते हैं। $S{O_2}\left( {\;g} \right) + 2{H_2}O\left( l \right) \to HSO_4^ - \left( {aq} \right) + 3{H^ + }\left( {aq} \right) + 2{e^ - }\;MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 8{H^ + }\left( {aq} \right) + 5e \to M{n^{2 + }}\left( {aq} \right) + 4{H_2}O\left( l \right)\;$
इलेक्ट्रॉनों की संख्या एकसमान बनाने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया को \[5\] से तथा अपचयन अर्ध्ध-अभिक्रिया को \[2\]से गुणा करते हैं-
$5S{O_2}\left( g \right) + 10{H_2}O\left( l \right) \to 5HSO_4^ - \left( {aq} \right) + 15{H^ + }\left( {aq} \right) + 10e$
$2MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 16{H^ + }\left( {aq} \right) + 10{e^ - } \to 2M{n^{2 + }}\left( {aq} \right) + 8{H_2}O\left( l \right)$
पद 6. दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
$2MnO_4^ - \left( {aq} \right) + 5S{O_2}\left( g \right) + 2{H_2}O\left( l \right) + {H^ + }\left( {aq} \right) \to 5HSO_4^ - \left( {aq} \right) + 2M{n^{2 + }}\left( {aq} \right)$
अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि दोनों ओर के परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से समीकरण सन्तुलित है।
(ग) \[{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\mathbf{F}}{{\mathbf{e}}^{{\mathbf{2}} + }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{F}}{{\mathbf{e}}^{{\mathbf{3}} + }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right)\] (अम्लीय माध्यम)
पद 1. पहले हम ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
${H_2}{O_2}\left( {aq} \right) + F{e^{2 + }}\left( {aq} \right) \to F{e^{3 + }}\left( {aq} \right) + {H_2}O\left( l \right)$
पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-
ऑक्सीकंरण अर्द्ध-अभिक्रिया : ${\;^{}}F{e^{2 + }}\left( {aq} \right) \to F{e^{ + 3}}\left( {aq} \right)$
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया $:{H_2}{O_2}\left( {aq} \right) \to {H_2}O\left( l \right)$
पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में $Fe$ परमाणु का सन्तुलन करने पर हम लिखते हैं-
$F{e^{2 + }}\left( {aq} \right) \to F{e^{3 + }}\left( {aq} \right)$
पद 4. अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में $O$ परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम समीकरण को इस प्रकार लिखते हैं-
${H_2}{O_2}\left( {aq} \right) \to 2{H_2}O\left( l \right)$ $H$ परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम बाईं ओर दो ${H^ + }$आयन जोड़ देते हैं-
${H_2}{O_2}\left( {aq} \right) + 2{H^ + }\left( {aq} \right) \to 2{H_2}O\left( l \right)$
पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन दर्शाई गई विधि द्वारा करते हैं-
\[F{e^{2 + }}\left( {aq} \right) \to F{e^{3 + }}\left( {aq} \right) + e\;{H_2}{O_2}\left( {aq} \right) + 2{H^ + }\left( {aq} \right) + 2{e^ - } \to 2{H_2}O\left( l \right)\;\]
इलेक्ट्रॉन की संख्या को एकसमान बनाने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया को \[2\] से गुणा करते हैं-
$2F{e^{2 + }}\left( {aq} \right) \to 2F{e^{3 + }}\left( {aq} \right) + 2{e^ - }$
${H_2}{O_2}\left( {aq} \right) + 2{H^ + }\left( {aq} \right) + 2{e^ - } \to 2{H_2}O\left( l \right)$
पद 6. दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
${H_2}{O_2}\left( {aq} \right) + 2F{e^{2 + }}\left( {aq} \right) + 2{H^ + }\left( {aq} \right) \to 2{H_2}O\left( l \right) + 2F{e^{3 + }}\left( {aq} \right)$
(घ) \[{\mathbf{C}}{{\mathbf{r}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{O}}^{{\mathbf{2}} - }}_{\mathbf{7}} + {\mathbf{S}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{C}}{{\mathbf{r}}^{{\mathbf{3}} + }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{S}}{{\mathbf{O}}^{{\mathbf{2}} - }}_{\mathbf{4}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right)\] (अम्लीय माध्यम)
इलेक्ट्रॉनों की संख्या एकसमान बनाने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया को \[3\] से गुणा करते हैं-
$3S{O_2}\left( g \right) + 6{H_2}O\left( l \right) \to 3SO_4^{2 - }\left( {aq} \right) + 12{H^ + }\left( {aq} \right) + 6{e^ - }$
$C{r_2}O_7^{2 - }\left( {aq} \right) + 14{H^ + }\left( {aq} \right) + 6{e^ - } \to 2C{r^{3 + }}\left( {aq} \right) + 7{H_2}O\left( l \right)$
दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
$C{r_2}O_7^{2 - }\left( {aq} \right) + 3S{O_2}\left( {\;g} \right) + 2{H^ + }\left( {aq} \right) \to 2C{r^{3 + }}\left( {aq} \right) + 3SO_4^{2 - }\left( {aq} \right) + {H_2}O\left( l \right)$
अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि दोनों ओर के परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से समीकरण सन्तुलित है।
19.निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरणों को आयन-इलेक्ट्रॉन तथा ऑक्सीकरण संख्या विधि (क्षारीय माध्यम में) द्वारा सन्तुलित कीजिए तथा इनमें ऑक्सीकारक और
अपचायकों की पहचान कीजिए-
(क) \[{{\mathbf{P}}_{\mathbf{4}}}\left( {\mathbf{s}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{O}}{{\mathbf{H}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{P}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{3}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{H}}^ - }{\mathbf{P}}{{\mathbf{O}}_{{\mathbf{27}}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right)\]
उत्तर:
( क) आयन इलेक्ट्रॉन विधि से समीकरण सन्तुलित करना-
उत्तर:
पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
${P_4}\left( s \right) + O{H^ - }\left( {aq} \right) \to P{H_3}\left( g \right) + {H_2}PO_2^ - \left( {aq} \right)$
पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-
ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिंया : ${\;^ \circ }{P_4}\left( s \right) \to {O^{_{ - 3}}}{H_2}PO_2^ - \left( {aq} \right)$
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया : $\;{P_4}\left( s \right) \to P{H_3}\left( {\;g} \right)$
(P ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों की भाँति कार्य करता है)
पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में पहले $P$ परमाणुओं को सन्तुलित करके $O$ परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम बाईं ओर आठ जल अणु जोड़ते हैं।
${P_4}\left( s \right) + 8{H_2}O\left( l \right) \to 4{H_2}P{O_2}{\;^ - }\left( {aq} \right)$
इस अभिक्रिया में $H$-परमाणु सन्तुलित करने के लिए आठ ${H^ + }$आयन दाईं ओर जोड़ते हैं।
${P_4}\left( s \right) + 8{H_2}O\left( l \right) \to 4{H_2}P{O_2}{\;^ - }\left( {aq} \right) + 8{H^ + }\left( {aq} \right)$
अब चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है; अत: दोनों ओर $O{H^ - }$आयन जोड़ते हैं–
${P_4}\left( s \right) + 8{H_2}O\left( l \right) + 8O{H^ - }\left( {aq} \right) \to 4{H_2}P{O_2}{\;^ - }\left( {aq} \right) + 8{H^ + }\left( {aq} \right) + 8O{H^ - }\left( {aq} \right)$
या ${P_4}\left( s \right) + 8{H_2}O\left( l \right) + 8O{H^ - }\left( {aq} \right) \to 4{H_2}P{O_2}{\;^ - }\left( {aq} \right) + 8{H_2}O\left( l \right)$
या $\;{P_4}\left( s \right) + 8O{H^ - }\left( {aq} \right) \to 4{H_2}PO_2^ - \left( {aq} \right)$
पद 4. अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में P परमाणुओं को सन्तुलित करते हैं-
${P_4}\left( s \right) \to 4P{H_3}\left( g \right)$
\[H\]-परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम उपर्युक्त अभिक्रिया में बाईं ओर बारह ${H^ + }$आयन जोड़ देते हैं-
${P_4}\left( s \right) + 12{H^ + }\left( {aq} \right) \to 4P{H_3}\left( g \right)$
क्योकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है; अत: $12{H^ + }$आयनों के लिए $12O{H^ - }$आयन समीकरण के दोनों ओर जोड़ते हैं-
${P_4}\left( s \right) + 12{H^ + }\left( {aq} \right) + 12O{H^ - }\left( {aq} \right) \to 4P{H_3}\left( g \right) + 12O{H^ - }\left( {aq} \right)$
\[H + \] तथा \[OH\]के संयोग से जल अणु बनने के कारण परिणामी समीकरण निम्नलिखित प्रकार होगी-
\[{P_4}\left( s \right) + 12{H_2}0\left( l \right) \to {\text{ }}4P{H_3}\left( g \right) + {\text{ }}10H{\text{ }}\left( {aq} \right)\]
पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन निम्नवत् करते हैं-
${P_4}\left( s \right) + {\text{ }}8{\text{ }}OH{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}4{H_2}P{O_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}4e$
${P_4}\left( s \right) + {\text{ }}12{H_2}0\left( 1 \right) + {\text{ }}12e{\text{ }} \to {\text{ }}4P{H_3}\left( g \right) + {\text{ }}120H{\text{ }}\left( {aq} \right)$
पद 6. उपर्युक्त दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
\[4{P_4}\left( s \right) + {\text{ }}12{H_2}O{\text{ }}\left( 1 \right) + 120H{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}4P{H_3}\left( g \right) + {\text{ }}12{H_2}P{O_2}\left( {aq} \right)\]
या \[{P_4}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}3{H_2}0\left( 1 \right) + {\text{ }}30H{\text{ }}\left( {aq} \right) \to {\text{ }}P{H_3}\left( g \right) + {\text{ }}3{H_2}P{0_2}\left( {aq} \right)\]
अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि समीकरण में दोनों ओर के परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से समीकरण सन्तुलित है।
ऑक्सीकरण संख्या विधि से समीकरण सन्तुलित करना-
पद 1. अभिक्रिया का ढाँचा इस प्रकार है-
\[{P_4}\left( s \right) + {\text{ }}OH{\text{ }}\left( {aq} \right) - {\text{ }}P{H_3}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}{H_2}P{O_2}\left( {aq} \right)\]
पद 2. अभिक्रिया में P की ऑक्सीकरण संख्या लिखते हैं-
\[{P_4}\left( s \right) + {\text{ }}OH{\text{ }}\left( {aq} \right) - {\text{ }}P{H_3}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}{H_2}P{O_2}\left( {aq} \right)\]
यह इस बात का सूचक है कि P ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों रूपों में कार्य करता है।
पद 3. \[P\]की ऑक्सीकरण अवस्था \[3\] घटती है तथा \[1\]बढ़ती है। अत: हमें \[HAPO\], की गुणा \[3\]से करनी होगी।
\[{P_4}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}OH{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}P{H_3}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}3{H_2}P{0_2}\left( {aq} \right),\]
पद 4. चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है तथा दोनों ओर के आयनों का आवेश एकसमान नहीं है। अतः हम बाईं ओर दो \[OH\]- आयन जोड़ेंगे जिससे आवेश एकसमान हो जाए।
\[{P_4}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}30H{\text{ }}\left( {aq} \right):{\text{ }} \to {\text{ }}P{H_3}\left( g \right) + {\text{ }}3{H_2}P{0_2}\left( {aq} \right)\]
पद 5. इस पद में हाइड्रोजन आयनों को सन्तुलित करने के लिए हम तीन जल अणुओं को बाईं ओर जोड़ते हैं-
\[{P_4}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}30H{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}3{H_2}0\left( 1 \right) \to {\text{ }}P{H_3}\left( g \right) + {\text{ }}3{H_2}P{0_2}\left( {aq} \right)\]यह सन्तुलित अभिक्रिया है।
(ख) \[{{\mathbf{N}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{4}}}\left( {\mathbf{l}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{Cl}}{{\mathbf{O}}^ - }_{\mathbf{3}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{NO}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{C}}{{\mathbf{l}}^ - }\left( {\mathbf{g}} \right)\]
उत्तर: आयन-इलेक्ट्रॉन विधि से समीकरण सन्तुलित करना-
पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
\[{N_2}{H_4}\left( l \right) + Cl{O_3}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}NO\left( g \right) + Cl{\text{ }}\left( g \right)\]
पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार
ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया : \[{N_2}{H_4}\left( 1 \right) \to NO\left( g \right)\]
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया : \[Cl{O_3}\left( {aq} \right){\text{ }} \to Cl{\text{ }}\left( g \right)\]
($\mathrm{N}_{2} \mathrm{H}_{4}$, अपचायक तथा \[Cl{O_3}\]ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है।)
पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में \[N\]-परमाणुओं को सन्तुलित करते हैं-
\[{N_2}{H_4}\left( 1 \right)\; \to {\text{ }}2NO\left( g \right)\]
अब \[O\]परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण में बाईं ओर दो जल अणु जोड़ते हैं- \[{N_2}{H_4}\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}2{H_2}0\left( 1 \right) - {\text{ }} \to {\text{ }}2NO\left( g \right)\]
अब H परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण में दाईं ओर \[8H + \] जोड़ते हैं-
\[{N_2}{H_4}\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}2{H_2}0\left( 1 \right) - {\text{ }} \to {\text{ }}2NO\left( g \right) + {\text{ }}8{H^ + }\left( {aq} \right)\]
चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है; अत: समीकरण के दोनों ओर \[8OH\] आयन जोड़ते हैं-
\[{N_2}{H_4}\left( 1 \right) + {\text{ }}2{H_2}O\left( 1 \right) + {\text{ }}80H{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }}2NO\left( g \right) + {\text{ }}8{H^ + } + {\text{ }}80H{\text{ }}\left( {aq} \right)\]
\[{H^ + }\] तथा \[O{H^ - }\] : आयनों के संयोग पर जल अणु बनने के कारण समीकरण निम्नवत् होगी-
\[{N_2}{H_4}\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}8OH{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}2NO\left( g \right) + 6{H_2}O\left( 1 \right)\]
पद 4. अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में 0 परमाणुओं के सन्तुलन के लिए समीकरण के दाईं ओर तीन जल अणु जोड़ते हैं-
\[Cl{0^ - }_3\left( {aq} \right){\text{ }} \to Cl{\text{ }}\left( g \right) + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right)\]
\[H\] परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण के बाईं ओर छह \[{H^ + }\] आयन जोड़ते हैं \[ - \;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;CI{0_3}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}6{H^ + }\left( {aq} \right):{\text{ }} \to {\text{ }}CI{\text{ }}\left( g \right) + {\text{ }}3{H_2}0\left( 1 \right)\]
चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है; अत: समीकरण में दोनों ओर छह \[O{H^ - }\] आयन जोड़ते हैं-
\[CI{O_5}\left( {aq} \right){\text{ }} + \] \[6{H^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}60H{\text{ }}\left( {aq} \right)\xrightarrow{{}}{\text{ }}Cl{\text{ }}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}60H{\text{ }}\left( {aq} \right)\]
\[{H^ + }\] तथा \[OH\]के संयोग से जल अणु बनने पर,
\[CI{O^ - }_3\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right){\text{ }} \to C{I^ - }\left( g \right) + {\text{ }}60{H^ - }\left( {aq} \right)\]
पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं के आवेश का सन्तुलन निम्नवत् करते हैं-
${{N_2}{H_4}\left( 1 \right) + {\text{ }}8OH{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}2NO\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}6{H_2}0\left( 1 \right) + {\text{ }}8{e^ - }}$
${\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;Cl{0^ - }_3\left( {aq} \right) + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right) + {\text{ }}6{e^ - }\; \to {\text{ }}C{l^ - }\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}60H{\text{ }}\left( {aq} \right)}$
इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया को \[3\]से तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया को \[4\]से गुणा करते हैं-
${\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;3{N_2}{H_4}\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}24O{H^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}6NO\left( g \right) + {\text{ }}18{H_2}O\left( 1 \right) + {\text{ }}24{e^ - }}$
${\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;4Cl{0^ - }_3\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}12{H_2}O\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}24{e^ - } \to {\text{ }}4C{l^ - }\left( g \right) + {\text{ }}240{H^ - }\left( {aq} \right)}$
पद 6. दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
\[3{N_2}{H_4}\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}4Cl{0_3}\left( {aq} \right) - {\text{ }} \to {\text{ }}6NO\left( g \right) + {\text{ }}4C{l^ - }\left( g \right) + {\text{ }}6{H_2}O\left( 1 \right)\]
अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि उपर्युक्त समीकरण परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से सन्तुलित है।
ऑक्सीकरण संख्या विधि से समीकरण सन्तुलित करना-
पद 1. अभिक्रिया का ढाँचा इस प्रकार है-
\[\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;{N_2}{H_4}\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}Cl{O^ - }_3\left( {aq} \right).{\text{ }} \to {\text{ }}NO\left( g \right) + CI{\text{ }}\left( g \right)\]
पद 2. अभिक्रिया में \[N\] तथा \[Cl\] की ऑक्सीकरण संख्या लिखते हैं-
\[\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;{N_2}{H_4}\left( 1 \right){\text{ }} + {\text{ }}Cl{O^ - }_3\left( {aq} \right).{\text{ }} \to {\text{ }}NO\left( g \right) + CI{\text{ }}\left( g \right)\]
स्पष्ट है कि \[{{\mathbf{N}}_{\mathbf{2}}},{{\mathbf{H}}_{\mathbf{4}}}\], अपचायक तथा \[{\mathbf{CI}}{{\mathbf{O}}^ - }_{\mathbf{3}}\] ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करते हैं।
पद 3. ऑक्सीकरण संख्या में होने वाली वृद्धि तथा कमी की गणना करते हैं तथा इन्हें एकसमान बनाते हैं।
\[3{N_2}{H_4}\left( 1 \right) + {\text{ }}4Cl{0^ - }_3\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}6NO\left( g \right) + {\text{ }}4C1{\text{ }}\left( g \right)\]
पद 4. चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है तथा अभिक्रिया आवेश की दृष्टि से सन्तुलित है; अत: \[0\] तथा परमाणुओं के सन्तुलन के लिए अभिक्रिया में दाईं ओर \[6\]जल अणु जोड़ देने पर पूर्णतया सन्तुलित समीकरण प्राप्त हो जाएगी।
\[3{N_2}{H_4}\left( 1 \right) + {\text{ }}4CI{O^ - }_3\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}6NO\left( g \right) + 4C{I^ - }\left( g \right) + {\text{ }}6{H_2}O\left( 1 \right)\]
यह सन्तुलित समीकरण है।
(ग) \[{\mathbf{C}}{{\mathbf{l}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{7}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{Cl}}{{\mathbf{O}}^ - }_{\mathbf{2}}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{O}}_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{H}}^ + }\left( {{\mathbf{aq}}} \right)\]
उत्तर: आयन-इलेक्ट्रॉन विधि से समीकरण सन्तुलित करना-
पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}{H_2}{0_2}\left( {aq} \right) - {\text{ }}CI{O^ - }_2\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{0_2}\left( g \right) + {H^ + }\left( {aq} \right)\]
पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं-
ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया : \[{H_2}{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {0_2}\left( g \right)\]
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया : \[C{l_2}{0_7}\left( g \right){\text{ }} \to {\text{ }}Cl{0^ - }_2\left( {aq} \right)\]
(\[{H_2}{0_2}\]अपचायक तथा \[C{l_2}{0_7}\], ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करते हैं।)
पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में \[H\]परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम दो \[H'\] दाईं ओर जोड़ते हैं-
\[{H_2}{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }}{0_2}\left( g \right) + {\text{ }}2{H^ + }\left( {aq} \right)\]
चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में सम्पन्न होती है; अत: दोनों ओर \[OH - \] आयन जोड़ने पर- \[20H{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} + \]\[{H_2}{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{0_2}\left( g \right) + {\text{ }}2{H^ + }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}20H{\text{ }}\left( {aq} \right)\]
\[{H^ + }\] तथा \[OH\]आयन के संयोग से जल अणु बनने पर परिणामी समीकरण निम्नवत् होगी-
\[{H_2}{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}20H{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }}--{\text{ }}{0_2}() + {\text{ }}2{H_2}O\left( 1 \right)\]
पद 4. अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में सर्वप्रथम \[{\mathbf{C}}\]] परमाणुओं को सन्तुलित करते हैं-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) - {\text{ }} \to {\text{ }}2CI{O^ - }_2\left( {ag} \right)\]
$O$ परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम दाईं ओर तीन जल-अणु जोड़ते हैं-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right){\text{ }} \to {\text{ }}2CI{O^ - }_2\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right)\]
\[H\]परमाणुओं के सन्तुलन के लिए हम \[6{H^ + }\] बाईं ओर जोड़ते हैं-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}6{H^ + }\left( {aq} \right).{\text{ }} \to {\text{ }}2CI{O^ - }_2\left( {aq} \right) + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right)\]
चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में सम्पन्न होती है; अत: \[6{H^ + }\] के लिए दोनों ओर \[6OH\] जोड़ते
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}6{H^ + }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}60H{\text{ }}\left( {aq} \right) \to 2CI{O_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right) + {\text{ }}60H{\text{ }}\left( {aq} \right)\]
\[H\] तथा \[OH\] के संयोग से जल अणु बनने पर परिणामी समीकरण निम्नवत् होगी-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right){\text{ }}\xrightarrow{{}}{\text{ }}2CI{O_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}6OH{\text{ }}\left( {aq} \right)\]
पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन निम्नवत् करते हैं-
${{H_2}{0_2}\left( {aq} \right) + {\text{ }}20{H^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{0_2}\left( g \right) + {\text{ }}2{H_2}O\left( 1 \right) + {\text{ }}2e}$
${\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;C{l_2}{0_7}\left( g \right) + 3{H_2}O\left( 1 \right) + {\text{ }}8e{\text{ }} \to {\text{ }}2C{{10}_7}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}60H{\text{ }}\left( {aq} \right)}$
इलेक्ट्रॉनों की संख्या एकसमान करने के लिए ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया की गुणा \[4\] से करते हैं।
$4{H_2}{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}8OH{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{40_2}\left( g \right) + {\text{ }}8{H_2}O\left( 1 \right) + {\text{ }}8e\;\;\;\;\;\;\;\;$
$\;C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}3{H_2}O\left( 1 \right) + {\text{ }}8e{\text{ }} \to {\text{ }}2C{10_2}\left( {aq} \right) + {\text{ }}60H{\text{ }}\left( {aq} \right)$
पद 6. उपर्युक्त दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + 4{H_2}{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}20H{\text{ }}\left( {aq} \right) - {\text{ }}2Cl{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{40_2}\left( g \right) + {\text{ }}5{H_2}O\left( 1 \right)\]
अन्तिम सत्यापन दर्शाता है कि समीकरण में दोनों ओर के परमाणुओं की संख्या तथा आवेश की दृष्टि से समीकरण सन्तुलित है।
ऑक्सीकरण संख्या विधि से समीकरण सन्तुलित करना-
पद 1. अभिक्रिया का ढाँचा इस प्रकार है-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}{H_2}{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}CI{O^ - }_2\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{0_2}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}{H^ + }\left( {aq} \right)\]
पद 2. अभिक्रिया में \[Cl\] तथा \[O\] की ऑक्सीकरण संख्या लिखते हैं-
\[C{l_2}{0_6}\left( g \right) + {\text{ }}{H_2}{0_2}\left( {aq} \right).{\text{ }} \to {\text{ }}CI{O^ - }_2\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{0_2}\left( g \right) + {\text{ }}{H^ + }\left( {aq} \right)\]
स्पष्ट है कि \[{H_2}{0_2}\], अपचायक तथा \[C{l_2}{0_6}\], ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करते हैं।
पद 3. ऑक्सीकरण संख्या में होने वाली कमी तथा वृद्धि की गणना करते हैं तथा इन्हें एकसमान बनाते हैं-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}4{H_2}{0_2}\left( {aq} \right)\xrightarrow{{}}{\text{ }}2CI{0^ - }_2\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{40_2}\left( g \right)\]
पद 4. चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है तथा दोनों ओर के आयनों का आवेश एकसमान नहीं है; अत: हम दो \[O{H^ - }\] आयन बाईं ओर जोड़ देते हैं-
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}4{H_2}{0_2}\left( {aq} \right)\xrightarrow{{}}{\text{ }}2CI{0^ - }_2\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{40_2}\left( g \right)\]
\[H\] परमाणुओं के सन्तुलन के लिए दाईं ओर पाँच जल-अणु जोड़ते हैं।
\[C{l_2}{0_7}\left( g \right) + {\text{ }}4{H_2}{0_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}20H{\text{ }}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}2CI{O^ - }_2\left( {aq} \right) + {\text{ }}{40_2}\left( g \right){\text{ }} + {\text{ }}5{H_2}O\left( 1 \right)\]
यह सन्तुलित समीकरण है।
20.निम्नलिखित अभिक्रिया से आप कौन-सी सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं-
\[{\left( {{\mathbf{CN}}} \right)_{\mathbf{2}}}\left( {\mathbf{g}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2O}}{{\mathbf{H}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{C}}{{\mathbf{N}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{CN}}{{\mathbf{O}}^ - }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{{\mathbf{H}}_{\mathbf{2}}}{\mathbf{O}}\left( {\mathbf{l}} \right)\]
उत्तर:
यह एक असमानुपातन (disproportionation) अभिक्रिया है। इसमें \[{\left( {CN} \right)_2}\]एक ही समय में \[C{N^ - }\] में अपचयित और \[CN{O^ - }\] में ऑक्सीकृत होता है। यह एक अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है।
21. \[M{n^{3 + }}\] आयन विलयन में अस्थायी होता है तथा असमानुपातन द्वारा \[M{n^{2 + }}\], \[Mn{O_2}\]और \[{H^ + }\]आयन देता है। इस अभिक्रिया के लिए सन्तुलित आयनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर: समीकरण का मूल प्रारूप निम्न है-
\[M{n^{3 + }}{\left( {aq} \right)^ - } \to {\text{ }}M{n^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}Mn{O_2}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}{H^ + }\left( {aq} \right)\]
उपर्युक्त अभिक्रिया को निम्न प्रकार सन्तुलित किया जा सकता है-
सभी परमाणुओं पर ऑक्सीकरण-संख्या लिखने पर, यह स्पष्ट हो जाता है, कि \[M{n^{3 + }}\] का एक ही समय में \[M{n^{2 + }}\] में अपचयन तथा \[Mn{O_2}\]में ऑक्सीकरण हो रहा है।
\[M{n^{3 + }}{\left( {aq} \right)^ - } \to {\text{ }}M{n^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}Mn{O_2}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}{H^ + }\left( {aq} \right)\]
अभिक्रिया को ऑक्सीकरण तथा अपचयन दो अर्द्ध अभिक्रियाओं के रूप में लिखने पर- \[M{n^{3 + }}{\left( {aq} \right)^ - } \to {\text{ }}M{n^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }}\]aq) (अपचयन अर्द्धक्रिया)
\[M{n^{3 + }}{\left( {aq} \right)^ - } \to {\text{ }}M{n^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }}\] (ऑक्सीकरण अर्द्धक्रिया)
अपचयन अर्द्धक्रिया को सन्तुलित करना-
(क) अभिक्रिया में दोनों ओर \[Mn\] परमाणु की संख्या समान है।
(ख) अभिक्रिया में कोई भी $O$ परमाणु नहीं है।
(ग) इलेक्ट्रॉन जोड़कर आवेश को सन्तुलित करने पर
\[M{n^{3 + }}{\left( {aq} \right)^ - } \to {\text{ }}M{n^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }}\] (अपचयन अर्द्धक्रिया)
ऑक्सीकरण अर्द्धक्रिया को सन्तुलित करना-
(क) अभिक्रिया में दोनों ओर \[Mn\] परमाणु की संख्या समान है।
(ख) चूँकि अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में होती है, इसलिए ऑक्सीजन-परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए बायीं ओर दो (\[{H_2}O\]) अणु जोड़कर $O$ परमाणुओं को सन्तुलित किया जा सकता है।
\[M{n^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2{H_2}O\left( 1 \right) \to {\text{ }}Mn{O_2}\left( s \right)\]
\[H\] परमाणु को सन्तुलित करने पर
\[\;\;\;M{n^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2H20\left( 1 \right) \to {\text{ }}MnO2{\text{ }}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}4{H^ + }\]
(ग) इलेक्ट्रॉन जोड़कर आवेश को सन्तुलित करने पर
\[M{n^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + 2{H_2}O\left( 1 \right) \to Mn{O_2}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}4{H^ + } + {\text{ }}{e^ - }\] (सन्तुलित ऑक्सीकरण अर्द्धक्रिया)
(घ) दोनों अर्द्धक्रियाओं को जोड़ने पर
${M{n^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}{e^{ - \;}} \to \;M{n^{2 + }}\left( {aq} \right)}$
${\;\;\;\;M{n^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2{H_2}O\left( l \right)\; \to \;\;\;Mn{O_2}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}4{H^ + } + {\text{ }}{e^ - }}$
${\;\;\;\;2M{n^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2{H_2}O\left( l \right){\text{ }} \to \;\;M{n^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}Mn{O_2}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}4{H^ + }}$
यह दी गई अभिक्रिया के लिये सन्तुलित आयनिक समीकरण है।
22. \[{\mathbf{Cs}},{\text{ }}{\mathbf{Ne}},{\text{ }}{\mathbf{I}}\] तथा \[F\] में ऐसे तत्व की पहचान कीजिए, जो
(क) केवल ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
उत्तर: \[F\]: यह सर्वाधिक वैद्युत ऋणात्मक तत्त्व है और सदैव \[ - 1\]ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ख) केवल धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
उत्तर: \[{\mathbf{Cs}}\]: यह एक क्षार धातु है जो अत्यधिक वैद्युत धनात्मक है। यह सदैव \[ + 1\]ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
(ग) ऋणात्मक तथा धनात्मक दोनों ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
उत्तर: \[{\mathbf{I}}\]: यह एक हैलोजन है। इसके संयोजक कोश में सात इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं। इसलिये यह \[ - 1\] ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। \[4 - \]कोश (orbitals) की उपस्थिति के कारण यह \[ + 1,{\text{ }} + 3,{\text{ }} + 5\], और \[ + 7\]ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी प्रदर्शित करता है।
(घ) न ऋणात्मक और न ही धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
उत्तर: \[{\mathbf{Ne}}\]: यह एक उत्कृष्ट गैस (noble gas) है तथा किसी रासायनिक प्रक्रिया में भाग नहीं लेती है। इसलिए, यह न तो धनात्मक ऑक्सीकरण-अवस्था में पाई जाती है और न ही ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था में।
23. जल के शुद्धिकरण में क्लोरीन को प्रयोग में लाया जाता है। क्लोरीन की अधिकता हानिकारक होती है। सल्फर डाइऑक्साइड से अभिक्रिया करके इस अधिकता को दूर किया जाता है। जल में होने वाले इस अपचयोपचय परिवर्तन के लिए सन्तुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर:
क्लोरीन और सल्फर डाइऑक्साइड की प्रक्रिया निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त की जा सकती है
\[C{l_2} + {\text{ }}S{O_2} \to {\text{ }}C{l^ - } + {\text{ }}S{O^{2 - }}_4\]
इस अपचयोपचय अभिक्रिया को आयन-इलेक्ट्रॉन विधि से निम्नांकित पदों में सन्तुलित करते हैं-
पद 1. पहले ढाँचा समीकरण लिखते हैं-
\[C{l_2} + {\text{ }}S{O_2} \to {\text{ }}C{l^ - } + {\text{ }}S{O^{2 - }}_4\]
पद 2. दो अर्द्ध-अभिक्रियाएँ निम्नवत् हैं-
ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया : \[S{O_2} \to {\text{ }}S{O^{2 - }}_4\]
अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया : \[C{l_2} \to {\text{ }}C{l^ - }\]
पद 3. ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में $O$ परमाणुओं को सन्तुलित करने के लिए समीकरण में बाईं ओर दो जल अणु जोड़ते हैं-
\[\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;S{O_2} + {\text{ }}2{H_2}O{\text{ }} \to {\text{ }}S{O^{2 - }}_4 + {\text{ }}4{H^ + }\]
पद 4. सन्तुलित अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया निम्नवत् होगी ।-
\[C{l_2} \to {\text{ }}2C{l^ - }\]
पद 5. इस पद में हम दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं में आवेश का सन्तुलन इस प्रकार करेंगे-
$S{O_2} + {\text{ }}2{H_2}O{\text{ }} \to {\text{ }}S{O^{2 - }}_4 + 4{H^ + } + 2{e^ - }\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;$
$\;C{l_2} + 2{e^ - } \to {\text{ }}2C{l^ - }$
पद 6. उपर्युक्त दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ने पर-
$C{l_2} + {\text{ }}S{O_2} + {\text{ }}2{H_2}O{\text{ }} \to {\text{ }}2C{l^ - } + {\text{ }}S{O^{2 - }}_4 + 4{H^ + }$
आखिर मे सत्यापन दर्शाता है कि समीकरण परमाणुओं की संख्या एवं आवेश की दृष्टि से सन्तुलित है।
24.आवर्त सारणी की सहायता से निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) सम्भावित अधातुओं के नाम बताइए, जो असमानुपातन की अभिक्रिया प्रदर्शित कर सकती हों।
उत्तर: \[{P_4},{\text{ }}C{l_2}\]और \[S\] हैं।
(ख) किन्हीं तीन धातुओं के नाम बताइए, जो असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित कर सकती हों।
उत्तर: Cu, Ga और In| इनकी असमानुपातन की अभिक्रियाएँ निम्न हैं-
$2C{u^ + }\left( {aq} \right){\text{ }} - \to {\text{ }}C{u^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}Cu{\text{ }}\left( s \right)\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;$
$\;3G{a^ + }\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}G{a^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2Ga\left( s \right)\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;$
$3I{n^ + }\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}I{n^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2In{\text{ }}\left( 3 \right)$
ये धातु तीन ऑक्सीकरण अवस्थाओं में पायी जाती हैं, जो इस प्रकार हैं-
$Cu:{\text{ }} + 2,{\text{ }}0,{\text{ }} + 1\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;$
$Ga{\text{ }}:{\text{ }} + 3,{\text{ }}0,{\text{ }} + 1\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;$
$In{\text{ }}:{\text{ }} + 3,{\text{ }}0,{\text{ }} + 1$
25.नाइट्रिक अम्ल निर्माण की ओस्टवाल्ड विधि के प्रथम पद में अमोनिया गैस के ऑक्सीजन गैस द्वारा ऑक्सीकरण से नाइट्रिक ऑक्साइड गैस तथा जलवाष्प बनती है। \[10.0gm\]अमोनिया तथा \[20.0gm\]ऑक्सीजन द्वारा नाइट्रिक ऑक्साइड की कितनी अधिकतम मात्रा प्राप्त हो सकती है?
उत्तर: प्रक्रम की रासायनिक समीकरण निम्न है-
\[4N{H_3}\left( g \right)\;\; + \;\;\;{50_2}\left( g \right)\;\;\;\;\; \to \;\;\;\;\;4NO\left( g \right)\;\;\; + \;\;\;6{H_2}O\left( g \right)\]
\[\;\;\;\;17 \times 4 = 68g\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;32 \times 5 = 160g\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;30 \times 4 = 120g\]
समीकरण के अनुसार \[68\]ग्राम \[N{H_3}\]के ऑक्सीकरण के लिए \[160\]ग्राम \[{O_2}\]की आवश्यकता होती है।
\[\therefore 10\] ग्राम \[N{H_3}\] के ऑक्सीकरण के लिए होगी $ = 23.53g$\[{O_2}\]की आवश्यकता। प्रक्रम में केवल \[20g{\text{ }}{O_2}\] का प्रयोग किया गया है। अत: \[{O_2}\] सीमान्त अभिकर्मक है।
∵ \[160g{\text{ }}{O_2}\] से प्राप्त होती है, \[NO = {\text{ }}120g\]
∴ \[20g{\text{ }}{O_2}\]से प्राप्त होगी, $NO = \dfrac{{120}}{{160}} \times 20 = 15$
26.पाठ्य-पुस्तक की सारणी \[8:1\] में दिए गए मानक विभवों की सहायता से अनुमान लगाइए कि क्या इन अभिकारकों के बीच अभिक्रिया सम्भव है?
(क) \[F{e^{3 + }}\] तथा ${I^ - }\left( {aq} \right)$
उत्तर: सम्भव है- \[2F{e^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2{I^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}2F{e^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}I2\left( s \right)\]
(ख) \[A{g^ + }\] तथा \[Cu\left( s \right)\]
उत्तर: सम्भव है- \[Cu{\text{ }}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}2A{g^ + }\left( {aq} \right){\text{ }}C{u^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2Ag{\text{ }}\left( s \right)\]
(ग) \[F{e^{3 + }}\] (aq) तथा \[Br{\text{ }}\left( {aq} \right)\]
उत्तर: सम्भव है- \[Cu{\text{ }}\left( s \right){\text{ }} + {\text{ }}2F{e^{3 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} \to {\text{ }}C{u^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2F{e^{2 + }}\left( {aq} \right)\]
(घ) \[Ag\] (s) तथा \[F{e^{3 + }}\] (aq)
उत्तर: सम्भव नहीं है।
(ङ) \[B{r_2}\] (aq) तथा \[{\mathbf{F}}{{\mathbf{e}}^{{\mathbf{2}} + }}\]
उत्तर: सम्भव है— \[B{r_2}\left( {aq} \right){\text{ }} + 2F{e^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }}2B{r^ - }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2F{e^{2 + }}\left( {aq} \right)\]
27. निम्नलिखित में से प्रत्येक के विद्युत-अपघटन से प्राप्त उत्पादों के नाम बताइए-
(क) सिल्वर इलेक्ट्रोड के साथ \[{\mathbf{AgNO}}\]का जलीय विलयन
उत्तर: कैथोड पर \[Ag\] प्राप्त होती है। ऐनोड घुलकर \[A{g^ + }\] आयन देगा।
(ख) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ \[{\mathbf{AgNO}}\]का जलीय विलयन
उत्तर: कैथोड पर \[Ag\], ऐनोड पर \[{O_2}\]
(ग) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ \[{{\mathbf{H}}_2}{\mathbf{SO4}}\]का तनु विलयन ।
उत्तर: कैथोड पर \[{H_2}\], ऐनोड पर \[{O_2}\]
(घ) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ \[{\mathbf{CuC}}{{\mathbf{l}}_{\mathbf{2}}}\]का जलीय विलयन।
उत्तर: कैथोड पर \[Cu\], यदि विलयन सान्द्र है तो ऐनोड पर \[C{l_2}\] अन्यथा \[{O_2}\]
28.निम्नलिखित धातुओं को उनके लवणों के विलयन में से विस्थापन की क्षमता के क्रम में लिखिए-
\[{\mathbf{Al}},{\text{ }}{\mathbf{Cu}},{\text{ }}{\mathbf{Fe}},{\text{ }}{\mathbf{Mg}}\] तथा \[{\mathbf{Zn}}\]
उत्तर: \[Mg{\text{ }} > {\text{ }}Al > {\text{ }}Zn{\text{ }} > {\text{ }}Fe > Cu\]
29.नीचे दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों के आधार पर धातुओं को उनकी बढ़ती अपचायक क्षमता के क्रम में लिखिए-
${K^ + }/K = {\text{ }} - 2.93V,{\text{ }}A{g^ + }/Ag = {\text{ }}0.80{\text{ }}V,{\text{ }}H{g^{2 + }}/Hg = {\text{ }}0.79V$
$M{g^{2 + }}/Mg{\text{ }} = {\text{ }} - 2.37{\text{ }}V,{\text{ }}C{r^{3 + }}/Cr{\text{ }} = {\text{ }} - 0 - 74V$
उत्तर:
\[Ag{\text{ }} < {\text{ }}Hg{\text{ }} < {\text{ }}Cr{\text{ }} < {\text{ }}Mg{\text{ }} < {\text{ }}K\]
30. उस गैल्वेनी सेल कों चित्रित कीजिए, जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है
\[{\mathbf{Zn}}\left( {\mathbf{s}} \right){\text{ }} + {\mathbf{2A}}{{\mathbf{g}}^ + }\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} \to {\text{ }}{\mathbf{Z}}{{\mathbf{n}}^{{\mathbf{2}} + }}\left( {{\mathbf{aq}}} \right){\text{ }} + {\text{ }}{\mathbf{2Ag}}\left( {\mathbf{s}} \right)\]
अब बताइए कि-
(क) कौन-सा इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित है?
उत्तर:\[Zn{\text{ }}\left( s \right)\left| {Z{n^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }}} \right|\left| {{\text{ }}Ag + {\text{ }}\left( {aq} \right)} \right|{\text{ }}Ag{\text{ }}\left( 5 \right)\]
(क) \[Zn{\text{ }}/Z{n^{2 + }}\] इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित है।
(ख) सेल में विद्युत-धारा के वाहक कौन हैं?
उत्तर: बाह्य परिपथ में वैद्युत धारा के वाहक इलेक्ट्रॉन हैं जिनका प्रवाह \[Zn{\text{ }}\]इलेक्ट्रोड से \[Ag\]इलेक्ट्रोड की ओर होता है।
(ग) प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ क्या हैं?
उत्तर: ऐनोड पर : \[Zn{\text{ }}\left( s \right){\text{ }} \to {\text{ }}Z{n^{2 + }}\left( {aq} \right){\text{ }} + 2{e^ - }\]
कैथोड पर : \[2A{g^ + }\left( {aq} \right){\text{ }} + {\text{ }}2{e^ - } \to {\text{ }}2Ag{\text{ }}\left( s \right)\]
NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 Redox Reactions in Hindi
Chapter-wise NCERT Solutions are provided everywhere on the internet with an aim to help the students to gain a comprehensive understanding. Class 11 Chemistry Chapter 8 solution Hindi mediums are created by our in-house experts keeping the understanding ability of all types of candidates in mind. NCERT textbooks and solutions are built to give a strong foundation to every concept. These NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 in Hindi ensure a smooth understanding of all the concepts including the advanced concepts covered in the textbook.
NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 in Hindi medium PDF download are easily available on our official website (vedantu.com). Upon visiting the website, you have to register on the website with your phone number and email address. Then you will be able to download all the study materials of your preference in a click. You can also download the Class 11 Chemistry Redox Reactions solution Hindi medium from Vedantu app as well by following the similar procedures, but you have to download the app from Google play store before doing that.
NCERT Solutions in Hindi medium have been created keeping those students in mind who are studying in a Hindi medium school. These NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Redox Reactions in Hindi medium pdf download have innumerable benefits as these are created in simple and easy-to-understand language. The best feature of these solutions is a free download option. Students of Class 11 can download these solutions at any time as per their convenience for self-study purpose.
These solutions are nothing but a compilation of all the answers to the questions of the textbook exercises. The answers/ solutions are given in a stepwise format and very well researched by the subject matter experts who have relevant experience in this field. Relevant diagrams, graphs, illustrations are provided along with the answers wherever required. In nutshell, NCERT Solutions for Class 11 Chemistry in Hindi come really handy in exam preparation and quick revision as well prior to the final examinations.
FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Chemistry In Hindi Chapter 8 Redox Reactions
1. What are the main topics covered in NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8?
The topics covered in the NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 include:
Basic introduction into redox reaction- oxidation and reduction reaction
Redox reactions In terms of electron transfer Reaction
Competitive electron transfer reactions
Oxidation number
Types of Redox reactions
Balancing of redox reactions
Redox reactions as the basis for titrations
Limitation of the concept of oxidation numbers
Redox reaction and electrode processes.
2. How many questions are there in NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8?
NCERT Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 8 consists of a total of 30 questions. These questions are made based on the CBSE curriculum, which focuses and aims at developing the skills and knowledge of the student. Practising these will help the student in getting a better understanding of the concepts. The language used is easy and easily comprehensible, helping the student in every step, making the understanding process easier. In addition to this, every exercise has detailed answers explaining all the steps and the process in achieving the desired answer. Practising these will help the student to score good marks in the examination.
3. What is a redox reaction?
The redox (oxidation-reduction) reaction is a chemical reaction that consists of the transfer of electrons between two spaces, i.e. when one half is the reduction and the other half is the oxidation, then it is termed as a redox reaction. For instance, copper oxide and magnesium react to form copper and magnesium oxide. The NCERT Solutions have exercises based on this concept that helps the students get a better understanding of the concepts.
4. Where can I access the pdf of NCERT Solutions for Class 11 Chapter 8 Chemistry?
The NCERT Solutions for Class 11 Chapter 8 Chemistry are designed in order to meet the demands of the students. These are designed by experts following the CBSE guidelines. The exercises that are present in these are made for the students to practice and sharpen their skills and understanding. The answers that are provided with each exercise are detailed with easy explanations and this will help the student to achieve good marks in the examination. Students can access these PDFs at free of cost on the website of Vedantu or on the Vedantu app.
5. Is the Chemistry of Class 11 easy?
With practice, anyone can achieve perfection. The NCERT Solutions help the students in achieving this perfection. The exercises are designed by student matter experts keeping in mind the demands of the students. The language used is extremely plain and easy to perceive. There are answers provided for every question that makes the learning process easier. The students are advised to practice these questions and get hold of the basic concepts in order to help them solve complex questions in the exam. Practising and understanding the chapters will make the content easy for the students.