Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 - In Hindi

ffImage
Last updated date: 22nd Mar 2024
Total views: 461.1k
Views today: 5.61k
MVSAT 2024

NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 Gravitation in Hindi PDF Download

Download the Class 11 Physics NCERT Solutions in Hindi medium and English medium as well offered by the leading e-learning platform Vedantu. If you are a student of Class 11, you have reached the right platform. The NCERT Solutions for Class 11 Physics in Hindi provided by us are designed in a simple, straightforward language, which are easy to memorise. You will also be able to download the PDF file for NCERT Solutions for Class 11 Physics in Hindi from our website at absolutely free of cost.


NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.


We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes.

Competitive Exams after 12th Science

NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 Gravitation in Hindi

1. निम्नलिखित के उत्तर दीजिए

  1. आप किसी आवेश का वैद्युत बलों से परिरक्षण उस आवेश को किसी खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या आप किसी पिण्ड का परिरक्षण, निकट में रखे पदार्थ के गुरुत्वीय प्रभाव से, उसे खोखले गोले में रखकर अथवा किसी अन्य साधनों द्वारा कर सकते हैं?

उत्तर: किसी भी पिंड को गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से किसी भी तरह या साधन से परिरक्षित नहीं किया जा सकता है।

  1. पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाले छोटे अन्तरिक्षयान में बैठा कोई अन्तरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाला अन्तरिक्ष स्टेशंन आकार में बड़ा है, तब क्या वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है?

उत्तर: हां, यदि अंतरिक्ष स्टेशन पर्याप्त रूप से बड़ा है, तो यात्री उस स्टेशन के कारण गुरुत्वाकर्षण बल का पता लगा सकता है।

  1. यदि आप पृथ्वी पर सूर्य के कारण गुरुत्वीय बल की तुलना पृथ्वी पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्व बल से करें, तो आप यह पाएँगे कि सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा के खिंचाव की तुलना में अधिक है (इसकी जाँच आप स्वयं आगामी अभ्यासों में दिए गए आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं) तथापि चन्द्रमा के खिंचाव का ज्वारीय प्रभाव सूर्य के ज्वारीय प्रभाव से अधिक है। क्यों?

उत्तर: किसी ग्रह के कारण ज्वारीय प्रभाव दूरी के घन के व्युत्क्रमानुपाती होता है; अत: यह गुरुत्वीय बल से मुक्त है। चूंकि सूर्य की पृथ्वी से दूरी, चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी की तुलना में बहुत अधिक है; अतः चन्द्रमा के कारण ज्वारीय प्रभाव अधिक होता है।


2. सही विकल्प का चयन कीजिए

  1. बढ़ती तुंगता के साथ गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।

उत्तर: घटता है।

  1. बढ़ती गहराई के साथ (पृथ्वी को एकसमान घनत्व का गोला मानकर) गुरुत्वीय त्वरण बढता/घटता है।

उत्तर: घटता है।

  1.  गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान/पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।

उत्तर: पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।

  1. पृथ्वी के केन्द्र से ${{\text{r}}_{\text{2}}}$, तथा ${{\text{r}}_{\text{1}}}$ दूरियों के दो बिन्दुओं के बीच स्थितिज ऊर्जा- अन्तर के लिए सूत्र –\[GMm\left( {\dfrac{1}{{{r_2}}}\; - \dfrac{1}{{{r_1}}}\;} \right)\] सूत्र \[mg\left( {{r_2}--{r_1}} \right)\] से अधिक/कम यथार्थ है।

उत्तर: अधिक यथार्थ है।


3. मान लीजिए एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के परितः पृथ्वी की तुलना में दोगुनी चाल से गति करता है, तब पृथ्वी की कक्षा की तुलना में इसका कक्षीय आमाप क्या है?

उत्तर: माना पृथ्वी का परिक्रमण काल \[ = TE\]

तब ग्रह का परिक्रमण काल $TP = s = 2\dfrac{{{T_E}}}{2}$ (दिया है)

माना इनके कक्षीय आमाप क्रमशः \[{\text{RE}}\] तथा \[{\text{RP}}\] हैं,

$\begin{gathered}{T^2} \propto {R^3}{\text{ }} \hfill \\{\text{ }} \Rightarrow \dfrac{{T_P^2}}{{T_E^2}} = \dfrac{{R_P^3}}{{R_E^3}} \hfill \\\Rightarrow \dfrac{{{R_P}}}{{{R_E}}} = {\left( {\dfrac{{{T_P}}}{{{T_E}}}} \right)^{\dfrac{2}{3}}}{R_P} \hfill \\= {R_E}{\left( {\dfrac{1}{2}} \right)^{\dfrac{2}{3}}} = 0.631{R_E} \hfill \\ \end{gathered} $

अर्थात् ग्रह का आमाप पृथ्वी के आमाप से $0.631$ गुना छोटा है।


4. बृहस्पति के एक उपग्रह, आयो (\[{I_0}\]) की कक्षीय अवधि \[1.769\] दिन तथा कक्षा की त्रिज्या \[4.22 \times {10^8}\;{\text{m}}\] है। यह दर्शाइए कि बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग $\dfrac{1}{{1000}}$ गुना है।

उत्तर: बृहस्पति के उपग्रह का परिंक्रमण काल

$T = 2\pi \sqrt {\dfrac{{{r^3}}}{{G{M_\Gamma }}}} $ [जहाँ ${M_J} = $ बृहस्पति (Jupiter) का द्रव्यमान]

दोनों पक्षों का वर्ग करने पर

$\begin{gathered}{T^2} = \dfrac{{4{\pi ^2}{r^3}}}{{G{M_J}}}\quad  \hfill \\{M_J} = \dfrac{{4{\pi ^2}{r^3}}}{{{T^2} \cdot G}} \hfill \\ \end{gathered} $

यहाँ कक्षा की त्रिज्या, $r = 4.22 \times {10^8}$ मीटर

कक्षीय अवधि अर्थात् परिक्रमण काल

\[T = 1.769\] दिन

 $\begin{gathered}= 1.769 \times 24 \times 60 \times 60 \hfill \\= 1.53 \times {10^5}\;{\text{s}} \hfill \\ \end{gathered} $ 

$\begin{gathered}\therefore {M_J} = \left[ {\dfrac{{4 \times {{(3.14)}^2}{{\left( {4.22 \times {{10}^8}} \right)}^3}}}{{{{\left( {1.53 \times {{10}^5}} \right)}^2} \times \left( {6.67 \times {{10}^{ - 11}}} \right)}}} \right]{\text{kg}} \hfill \\= 1.90 \times {10^{27}}\;{\text{kg}} \hfill \\ \end{gathered} $

परन्तु सूर्य का द्रव्यमान ${M_s} = 1.99 \times {10^{30}}$ किग्रा

$\begin{gathered}\therefore \dfrac{{{M_J}}}{{{M_S}}} = \dfrac{{1.90 \times {{10}^{27}}}}{{1.99 \times {{10}^{30}}}} = \dfrac{1}{{{{10}^3}}} = \dfrac{1}{{1000}} \hfill \\{M_J} = \left( {\dfrac{1}{{1000}}} \right){M_s} \hfill \\ \end{gathered} $

( यही सिद्ध करना था)


5. मान लीजिए कि हमारी आकाशगंगा में एक सौर द्रव्यमान के \[2.5 \times {10^{11}}\] तारे हैं। मंदाकिनीय केन्द्र से \[50,000\;{\text{ly}}\] दूरी पर स्थित कोई तारा अपनी एक परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लेगा? आकाशगंगा का व्यास \[{10^5}\;\;{\text{ly}}\] लीजिए।

उत्तर: प्रश्नानुसार, तारा आकाशगंगा के परितः \[R = 50,000{\text{ ly}}\] त्रिज्या के वृत्तीय  पथ पर घूमती है। आकाशगंगा का द्रव्यमान \[M{\text{ }} = {\text{ }}2.5 \times {10^{11}}\; \times \] सौर द्रव्यमान

$ = 2.5 \times {10^{11}} \times 2 \times {10^{30}}\;{\text{kg}} = 5.0 \times {10^{41}}\;{\text{kg}}$

जबकि  $R = 50,000\;{\text{ly}} = 5 \times {10^4} \times 9.46 \times {10^{15}}\;{\text{m}}$

$\begin{gathered}= 4.73 \times {10^{20}}\;{\text{m}} \hfill \\  {T^2} = \dfrac{{4{\pi ^2}{R^3}}}{{GM}} \hfill \\ T = 2\pi \sqrt {\dfrac{{{R^3}}}{{GM}}}  \hfill \\= 2 \times 3.14 \times \sqrt {\dfrac{{{{\left( {4.73 \times {{10}^{20}}} \right)}^3}}}{{6.67 \times {{10}^{ - 11}} \times 5.0 \times {{10}^{41}}}}}  \hfill \\= 1.12 \times {10^{16}}\;{\text{s}} \hfill \\ \end{gathered} $


6. सही विकल्प का चयन कीजिए–

  1. यदि स्थितिज ऊर्जा का शून्य अनन्त पर है तो कक्षा में परिक्रमा करते किसी उपग्रह की कुल ऊर्जा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।

उत्तर: गतिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।

  1. कक्षा में परिक्रमा करने वाले किसी उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने | के लिए आवश्यक ऊर्जा समान ऊँचाई (जितनी उपग्रह की है) के किसी स्थिर पिण्ड को | पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा से अधिक/कम होती है।

उत्तर: कम होती है।


7. क्या किसी पिण्ड की पृथ्वी से पलायन चाल

  1. पिण्ड के द्रव्यमान,

उत्तर: नहीं,

  1. प्रक्षेपण बिन्दु की अवस्थिति,

उत्तर: नहीं,

  1. प्रक्षेपण की दिशा,

उत्तर: नहीं,

  1. पिण्ड के प्रमोचन की अवस्थिति की ऊँचाई पर निर्भर करती है?

उत्तर: हाँ, निर्भर करती है।


8. कोई धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा अत्यधिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में कर रहा है। क्या अपनी कक्षा में धूमकेतु की शुरू से अन्त तक

  1. रैखिक चाल

उत्तर: नहीं

  1. कोणीय चाल

उत्तर: नहीं

  1. कोणीय संवेग

उत्तर: हाँ, कोणीय संवेग नियत रहता है

  1. गतिज ऊर्जा

उत्तर: नहीं

  1. स्थितिज ऊर्जा:

उत्तर: नही

  1. कुल ऊर्जा नियत रहती है? सूर्य के अति निकट आने पर धूमकेतु के द्रव्यमान में ह्रास को नगण्य मानिए।

उत्तर: हाँ, कुल ऊर्जा नियत रहती है।


9. निम्नलिखित में से कौन-से लक्षण अन्तरिक्ष में अन्तरिक्ष यात्री के लिए दुःखदायी हो सकते हैं? 

  1. पैरों में सूजन,

  2. चेहरे पर सूजन,

  3. सिरदर्द,

  4. दिविन्यास समस्या।

उत्तर:  \[\left( {\text{b}} \right){\text{,}}\left( {\text{c}} \right){\text{,}}\left( {\text{d}} \right)\]


10. एकसमान द्रव्यमान घनत्व के अर्द्धगोलीय खोलों द्वारा परिभाषित ढोल के पृष्ठ के केन्द्र पर गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा [देखिए चित्र] \[\left( {\text{i}} \right){\text{ a, }}\left( {{\text{ii}}} \right){\text{ b, }}\left( {{\text{iii}}} \right){\text{ c, }}\left( {{\text{iv}}} \right){\text{ 0}}\] में किस तीर द्वारा दर्शाई जाएगी?


The direction of gravitational intensity at the center of the drum surface defined by hemispherical shells of equal mass density


उत्तर: यदि हमे गोले को पूरा कर दें तो केन्द्र पर नेट तीव्रता शून्य होगी। इसका यह अर्थ है कि केन्द्र पर दोनों अर्द्धगोलों के कारण तीव्रताएँ परस्पर विपरीत तथा बराबर होंगी।

अतः दिशा \[\left( {{\text{iii}}} \right){\text{ c}}\] द्वारा प्रदर्शित होगी।


11. उपर्युक्त समस्या में किसी यादृच्छिक बिन्दु ${\text{'P'}}$ पर गुरुत्वीय तीव्रता किस तीर

(i) ${\text{d}}$

(ii) ${\text{e}}$

(iii) \[{\text{f}}\]

(iv) ${\text{g}}$  द्वारा व्यक्त की जाएगी?

उत्तर: (ii) ${\text{e}}$ द्वारा प्रदर्शित होगी।


12. पृथ्वी से किसी रॉकेट को सूर्य की ओर दागा गया है। पृथ्वी के केन्द्र से किस दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है? सूर्य का द्रव्यमान \[ = {\text{ }}2 \times {10^{30}}\;{\text{kg}}\], पृथ्वी का द्रव्यमान \[ = {\text{ }}6 \times {10^{24}}\;{\text{kg}}\]| अन्य ग्रहों आदि के प्रभावों की उपेक्षा कीजिए (कक्षीय त्रिज्या \[ = 1.5 \times {10^{11}}\;\;{\text{m}}\])।

उत्तर: माना पृथ्वी के केन्द्र से ${\text{'x'}}$ मीटर की दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है। इस क्षण रॉकेट की सूर्य से दूरी \[ = \left( {r-x} \right)\] मीटर


Gravitational Force - Earth, Sun and Rocket Bodies


जहाँ \[r = \] सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी अर्थात् पृथ्वी की कक्षीय त्रिज्या \[ = 1.5 \times {10^{11}}\] मीटर यह तब भी सम्भव है जबकि –

पृथ्वी द्वारा रॉकेट पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल $ = $ सूर्य द्वारा रॉकेट पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल

अर्थात् $\dfrac{{G{M_e} \cdot m}}{{{x^2}}} = \dfrac{{G{M_s} \cdot m}}{{{{(r - x)}^2}}}$ (जहाँ $m = $ रॉकिट का द्रव्यमान, ${M_e} = $ पृथ्वी का द्रव्यमान) 

$ = 6 \times {10^{24}}$ किग्रा तथा ${M_s} = $ सूर्य का द्रव्यमान $ = 2 \times {10^{30}}$ किग्रा) 

अत: ${\left( {\dfrac{{r - x}}{x}} \right)^2} = \dfrac{{{M_S}}}{{{M_e}}} = \dfrac{{2 \times {{10}^{30}}{\text{ kg }}}}{{6 \times {{10}^{24}}{\text{ kg }}}} = \dfrac{1}{3} \times {10^6}$
$\begin{gathered} \therefore \left( {\dfrac{{r - x}}{x}} \right) \hfill \\= \sqrt {\dfrac{1}{3} \times {{10}^6}}  \hfill \\= \dfrac{{{{10}^3}}}{{\sqrt 3 }} \hfill \\= \dfrac{{{{10}^3}}}{{1.732}} \hfill \\= 577.37 \hfill \\ \end{gathered} $

अथवा $r - x = 577.37x$ या $578.37x = r$

$\therefore x = \left( {\dfrac{r}{{578.37}}} \right) = \dfrac{{1.5 \times {{10}^{11}}{\text{ }}}}{{578.37}} = 2.593 \times {10^8}$ मीटर $ = 2.6 \times {10^8}$ मीटर


13. आप सूर्य को कैसे तोलेंगे, अर्थात् उसके द्रव्यमान का आकलन कैसे करेंगे? सूर्य के परितः पृथ्वी की कक्षा की औसत त्रिज्या \[1.5 \times {10^8}\;{\text{km}}\] है।।

उत्तर: पृथ्वी के परित: उपग्रह के परिक्रमण काल के सूत्र $T = 2\pi \sqrt {\dfrac{{{r^3}}}{{G{M_e}}}} $ , के अनुरूप सूर्य के परितः पृथ्वी का परिक्रमण काल
$T = 2\pi \sqrt {\dfrac{{{r^3}}}{{G{M_e}}}} $ (जहाँ \[M = \] सूर्य का द्रव्यमान) 

$\therefore {T^2} = \dfrac{{4{\pi ^2}{r^3}}}{G} \cdot {M_s}$ अत: सूर्य का द्रव्यमान ${M_s} = \dfrac{{4{\pi ^2}{r^3}}}{{{T^2} \cdot G}}$

यहाँ पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या $r = 1.5 \times {10^8}$ किमी $ = 1.5 \times {10^{11}}$ मीटर पृथ्वी का सूर्य के परित: परिक्रमण काल $T = 1$ वर्ष $ = 3.15 \times {10^7}$ सेकण्ड

$\therefore {M_s} = \left[ {\dfrac{{4 \times {{(3.14)}^2}{{\left( {1.5 \times {{10}^{11}}} \right)}^3}}}{{{{\left( {3.15 \times {{10}^7}} \right)}^2}\left( {6.67 \times {{10}^{ - 11}}} \right)}}} \right] = 2.0 \times {10^{30}}\;{\text{kg}}$


14. एक शनि-वर्ष एक पृथ्वी-वर्ष का \[29.5\] गुना है। यदि पृथ्वी सूर्य से \[1.5 \times {10^8}\;{\text{km}}\] दूरी पर है, तो शनि सूर्य से कितनी दूरी पर है?

उत्तर: पृथ्वी की सूर्य से दूरी \[{R_{SE}} = 1.5 \times 108\;\;{\text{km}}\]

माना पृथ्वी का परिक्रमण काल $ = {T_E}$

तब शनि का परिक्रमण काल \[{T_S} = 29.5{T_E}\]

शनि की सूर्य से दूरी \[{R_{SS}} = ?\]

परिक्रमण कालों के नियम से,

$\begin{gathered}{\left( {\dfrac{{{T_S}}}{{{T_E}}}} \right)^2} = {\left( {\dfrac{{{R_{SS}}}}{{{R_{SE}}}}} \right)^3}\dfrac{{{R_{SS}}}}{{{R_{SE}}}} = {\left( {\dfrac{{{T_S}}}{{{T_E}}}} \right)^{\dfrac{2}{3}}}{R_{SS}} \hfill \\{R_{SE}} \times {\left( {\dfrac{{{T_S}}}{{{T_E}}}} \right)^{\dfrac{2}{3}}} = 1.5 \times {10^8} \times {(29.5)^{\dfrac{2}{3}}}\;{\text{km}} \hfill \\= 1.5 \times {10^8} \times 9.55\;\;{\text{km}} \hfill \\ = 1.43 \times {10^9}\;{\text{km}} \hfill \\ \end{gathered} $

अत: शनि की सूर्य से दूरी $1.43 \times {10^9}\;{\text{km}}$ है।


15. पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार \[63\;{\text{N}}\] है। पृथ्वी की त्रिज्या की आधी ऊँचाई पर पृथ्वी के कारण इस वस्तु पर गुरुत्वीय बल कितना है?

उत्तर: यदि पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण ${\text{'g'}}$ हो, तो पृथ्वी तल से ${\text{'h'}}$ ऊँचाई पर गुरुत्वीय त्वरण

${g^I} = g{\left( {1 + \dfrac{h}{{{R_e}}}} \right)^2}$

यदि वस्तु का द्रव्यमान ${\text{'m'}}$ हो तो दोनों पक्षों में ${\text{'m'}}$ से गुणा करने पर,

$m{g^I} = \dfrac{{mg}}{{{{\left( {1 + \dfrac{h}{{{R_e}}}} \right)}^2}}}$

(जहाँ \[{R_e} = \] पृथ्वी की त्रिज्या)

यहाँ \[mg = \] पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार \[ = 63\] न्यूटन

\[mg' = \] पृथ्वी तल से ${\text{'h'}}$ ऊँचाई पर वस्तु का भार अर्थात् पृथ्वी के कारण वस्तु पर गुरुत्वीय बल \[{F_g}\] तथा \[h = \dfrac{{{R_e}}}{2}\]

\[\begin{gathered}\therefore {F_g} = \dfrac{{63\;{\text{N}}}}{{{{\left( {1 + \dfrac{{\dfrac{{{R_e}}}{2}}}{{{R_e}}}} \right)}^2}}} \hfill \\= \dfrac{{63\;{\text{N}}}}{{\left( {\dfrac{9}{4}} \right)}} \hfill \\= \left( {\dfrac{{63 \times 4}}{9}} \right)\;{\text{N}} \hfill \\= 28\;{\text{N}} \hfill \\ \end{gathered} \]


16. यह मानते हुए कि पृथ्वी एकसमान घनत्व का एक गोला है तथा इसके पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार \[250{\text{ N}}\] है, यह ज्ञात कीजिए कि पृथ्वी के केन्द्र की ओर आधी दूरी पर इस वस्तु का भार क्या होगा?

उत्तर: पृथ्वी तल से ${\text{'h'}}$ गहराई पर गुरुत्वीय त्वरण

$g' = g\left( {1 - \dfrac{h}{{{R_e}}}} \right)$ (जहाँ \[{R_e} = \] पृथ्वी की त्रिज्या)
अथवा $m{g^I} = mg\left( {1 - \dfrac{h}{{{R_e}}}} \right)$

यहाँ पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार \[mg = 250{\text{ N}}\]

\[h = \dfrac{{{R_e}}}{2}\] (जहाँ \[{R_e} = \] पृथ्वी की त्रिज्या)

\[mg' = \] इस गहराई पर वस्तु का भार \[{\text{w'}}\]

$\begin{gathered}\therefore {W^I} = 250N\left( {1 - \dfrac{{\dfrac{{{R_e}}}{2}}}{{{R_e}}}} \right) \hfill \\= \left( {250 \times \dfrac{1}{2}} \right)N \hfill \\= 125\;N \hfill \\ \end{gathered} $

17. पृथ्वी के पृष्ठ से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर कोई रॉकेट \[5{\text{ km}}{{\text{s}}^{{\text{ - 1}}}}\] की चाल से दागा जाता है। पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट पृथ्वी से कितनी दूरी तक जाएगा? पृथ्वी का द्रव्यमान \[ = 6.0 \times {10^{24}}\;{\text{kg}}\]; पृथ्वी की माध्य त्रिज्या \[ = 6.4 \times {10^6}\;{\text{m}}\] तथा \[G = 6.67 \times {10^{ - 11}}\;{\text{N}}{{\text{m}}^{\text{2}}}{\text{k}}{{\text{g}}^{{\text{ - 2}}}}\]

उत्तर: माना रॉकेट का द्रव्यमान \[ = m\]; पृथ्वी से ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर रॉकेट का प्रक्षेप्य वेग \[\nu  = 5\] किमी/से  मी/से

माना रॉकेट पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व पृथ्वी से अधिकतम दूरी ${\text{'H'}}$ ऊँचाई तक जाता है। अत: इस ऊँचाई पर रॉकेट का वेग शून्य हो जाता है।

ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त से पृथ्वी तल से महत्तम ऊँचाई पर
पहुँचने पररॉकेट की गतिज ऊर्जा में कमी = उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि –

\[\begin{gathered}\dfrac{1}{2}m{v^2} - 0 = \left( { - \dfrac{{G{M_e}m}}{{{R_e} + H}}} \right) - \left( { - \dfrac{{G{M_e}m}}{{{R_e}}}} \right) \hfill \\= \dfrac{1}{2}m{v^2} = G{M_e}m\left[ {\dfrac{1}{{{R_e}}} - \dfrac{1}{{{R_e} + H}}} \right] \hfill \\= \dfrac{{G{M_e}m\left( {{R_e} + H - {R_e}} \right)}}{{{R_e}\left( {{R_e} + H} \right)}} \hfill \\\dfrac{1}{2}m{v^2} = \dfrac{{G{M_e}mH}}{{R_e^2 + {R_e}H}} \hfill \\{v^2} = \dfrac{{2G{M_e}H}}{{R_e^2 + {R_e}H}} \hfill \\ \end{gathered} \]

वत्रगुणन करके सरल करने पर, $H = \dfrac{{R_e^2 \times {v^2}}}{{2G{M_e} - {R_e}{v^2}}}$

इस सूत्र में ज्ञात मान रखने पर;

$\begin{gathered}H = \left[ {{{\left( {6.4 \times {{10}^6}} \right)}^2}{{\left( {5 \times {{10}^3}} \right)}^2}2 \times \left( {6.67 \times {{10}^{ - 11}}} \right) \times \left( {6.0 \times {{10}^{24}}} \right)} \right.\left. { - \left( {6.4 \times {{10}^6}} \right){{\left( {5 \times {{10}^3}} \right)}^2}} \right] \hfill \\= 1.6 \times {10^6}\;{\text{m}} \hfill \\1600 \times {10^3}\;{\text{m}} \hfill \\= 1600\;{\text{km}} \hfill \\ \end{gathered} $


18. पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी प्रक्षेप्य की पलायन चाल \[11.2{\text{ km}}{{\text{s}}^{{\text{ - 1}}}}\] है। किसी वस्तु को इस चाल की तीन गुनी चाल से प्रक्षेपित किया जाता है। पृथ्वी से अत्यधिक दूर जाने पर इस वस्तु की चाल क्या होगी? सूर्य तथा अन्य ग्रहों की उपस्थिति की उपेक्षा कीजिए।

उत्तर: पृथ्वी के पृष्ठ पर पलायन चाल ${\nu _e} = \sqrt {\left( {\dfrac{{2G{M_e}}}{{{R_e}}}} \right)} {\text{ }}$

यहाँ पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का प्रक्षेप्य वेग ) \[\nu  = 3{\nu _e}\];

माना पृथ्वी से अत्यधिक दूर (अनन्त पर) चाल \[ = {\nu _f}\]

ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त से, पृथ्वी तल पर कुल ऊर्जा $ = $ अनन्त पर कुल ऊर्जा

अर्थात् पृथ्वी तल पर (गतिज ऊर्जा $ + $ स्थितिज ऊर्जा) $ = $ अनन्त पर (गतिज ऊर्जा $ + $ स्थितिज ऊर्जा)

माना प्रक्षेप्य का प्रारम्भिक वेग ${v_i}$, अन्तिम वेग अर्थात् अनन्त पर वेग ${v_f}$ व द्रव्यमान ${\text{'m'}}$ है।

अतः प्रक्षेप्य की प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा \[ = \dfrac{1}{2}mv_i^2\], प्रारम्भिक स्थितिज ऊर्जा (पृथ्वी पर ) \[ = \; - G{M_e}m{R_e}\]

अन्तिम गतिज ऊर्जा अर्थात अनन्त पर गतिज ऊर्जा \[ = \dfrac{1}{2}mv_f^2\],

तथा अन्तिम स्थितिज ऊर्जा $ = 0$

तब ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत से ,

\[\begin{gathered}\dfrac{1}{2}mv_f^2 = \dfrac{1}{2}m_{{v_f}}^2 - \dfrac{{GMm}}{{{R^2}}} = \dfrac{1}{2}mv_i^2 - \dfrac{1}{2}mv_e^2 \hfill \\{v_f} = \sqrt {v_i^2 - v_e^2}  \hfill \\\sqrt {\left( {3 \times 11 \cdot 2 \times {{10}^3}} \right) - {1^{11}} \cdot 2 \times {{10}^3}} ,2 \hfill \\= 31.7 \times {10^3}\;{\text{m}}{{\text{s}}^{{\text{ - 1}}}} \hfill \\= 31.7\;{\text{km}}{{\text{s}}^{{\text{ - 1}}}} \hfill \\ \end{gathered} \]


19. कोई उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से \[400{\text{ km}}\] ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। इस उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने में कितनी ऊर्जा खर्च होगी? उपग्रह का द्रव्यमान \[ = {\text{ }}200{\text{ kg}}\]; पृथ्वी का द्रव्यमान \[ = 6.0 \times {10^{24}}\;{\text{kg}}\]; पृथ्वी की त्रिज्या \[ = 6.4 \times {10^6}\;{\text{m}}\] तथा \[G = 6.67 \times {10^{ - 11}}\;{\text{N}}{{\text{m}}^{\text{2}}}{\text{k}}{{\text{g}}^{{\text{ - 2}}}}\].

उत्तर: पृथ्वी के परितः उपग्रह की कक्षा की त्रिज्या \[r = {R_e}\; + {\text{ }}h\]

\[\begin{gathered}r = 6.4 \times {10^6} + 400 \times {10^3} \hfill \\= 68 \times {10^5}\;{\text{m}} \hfill \\= 6.8 \times {10^6}\;{\text{m}} \hfill \\ \end{gathered} \]

मीटर अतः इस कक्षा में घूमते हुए उपग्रह की कुल ऊर्जा

$E =  - \left( {\dfrac{{G{M_e}m}}{{2r}}} \right)$

(जहाँ \[m = \] उपग्रह का द्रव्यमान, \[{M_e} = \] पृथ्वी का द्रव्यमान)

पृथ्वी के.गुरुत्वीय प्रभाव से उपग्रह को बाहर निकालने के लिए इसको दी जाने वाली आवश्यक ऊर्जा

${E_B} = \left[ {\dfrac{{\left( {6.67 \times {{10}^{ - 11}}} \right)\left( {6.0 \times {{10}^{24}}} \right) \times 200}}{{2 \times 6.8 \times {{10}^6}}}} \right]$ जूल

$ = 5.89 \times {10^9}$ जूल

20. दो तारे, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान (\[2 \times {10^{30}}\;{\text{kg}}\]) के बराबर है, एक-दूसरे की ओर सम्मुख टक्कर के लिए आ रहे हैं। जब वे \[109\;\;{\text{km}}\] दूरी पर हैं तब इनकी चाल उपेक्षणीय है। ये तारे किस चाल से टकराएँगे? प्रत्येक तारे की त्रिज्या \[104\;\;{\text{km}}\] है। यह मानिए कि टकराने के पूर्व तक तारों में कोई विरूपण नहीं होता (\[{\text{'G'}}\]के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए)।

उत्तर: दिया है, प्रत्येक तारे को द्रव्यमान (माना) \[M = 2 \times {10^{30}}\;\] किग्रा तथा तारों के बीच प्रारम्भिक दूरी (माना) \[{r_1} = {10^9}\;\] किमी \[ = {10^{12}}\;\] मी।

तारों की प्रारम्भिक कुल ऊर्जा \[{E_i} = \] प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा $ + $ प्रारम्भिक स्थितिज ऊर्जा

$ = 0 + \left[ { - \dfrac{{GMM}}{{{r_1}}}} \right] =  - \left[ {\dfrac{{G{M^2}}}{{{r_1}}}} \right]$

जब दोनों तारे परस्पर टकराते हैं, तो उनके बीच की दूरी \[{r_2} = 2 \times x\] तारे की त्रिज्या \[ = 2R\] यदि तारों का ठीक टकराने से पूर्व वेग \[{\text{'\nu '}}\] हो अर्थात् वे ${\text{'\nu '}}$ चाल से टकराते हैं, तो तारों की कुल अन्तिम ऊर्जा  \[{E_f} = \]अन्तिम गतिज ऊर्जा $ + $ अन्तिम स्थितिज ऊर्जा

$\begin{gathered}= 2 \times \left( {\dfrac{1}{2}M{v^2}} \right) + \left[ { - \dfrac{{GMM}}{{2R}}} \right] \hfill \\= M{v^2} - \dfrac{{G{M^2}}}{{2R}} \hfill \\ \end{gathered} $

ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त से, ${E_i} = {E_f}$

$\therefore  - \left( {\dfrac{{G{M^2}}}{{{r_1}}}} \right) = M{v^2} - \left( {\dfrac{{G{M^2}}}{{2R}}} \right)$

$\begin{gathered}\dfrac{{ - GM}}{{{r_1}}} = {v^2} - \dfrac{{GM}}{{2R}}{\text{ }} \hfill \\{v^2} = \left( {\dfrac{{GM}}{{2R}}} \right) - \left( {\dfrac{{GM}}{{{r_1}}}} \right){\text{ }} \hfill \\{v^2} = GM\left[ {\dfrac{1}{{2R}} - \dfrac{1}{{{r_1}}}} \right] \hfill \\ \end{gathered} $

अब ज्ञात मान रखने पर, 

$\begin{gathered}{v^2} = \left( {6.67 \times {{10}^{ - 11}}} \right)\left( {2 \times {{10}^{30}}} \right) \times \left[ {\dfrac{1}{{2 \times {{10}^7}}} - \dfrac{1}{{{{10}^{12}}}}} \right] \hfill \\= 6.67 \times {10^{12}} \hfill \\v = \sqrt {6.67 \times {{10}^{12}}} \;\;{\text{m/s}} \hfill \\= 2.58 \times {10^6}\;\;{\text{m/s}} \hfill \\ \end{gathered} $


21. दो भारी गोले जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान \[100\;{\text{kg}}\] तथा त्रिज्या \[0.10{\text{ m}}\] है किसी क्षैतिज मेज पर एक-दूसरे से \[1.0{\text{ m}}\] दूरी पर स्थित हैं। दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा। के मध्य बिन्दु पर गुरुत्वीय बल तथा विभव क्या है? क्या इस बिन्दु पर रखा कोई पिण्ड सन्तुलन में होगा? यदि हाँ, तो यह सन्तुलन स्थायी होगा अथवा अस्थायी?

उत्तर: प्रत्येक गोले का द्रव्यमान इसके केन्द्र पर निहित माना जा सकता है।
अतः ! \[CACB\; = r = {\text{ }}1.0\] मीटर तथा \[{m_A} = {m_B}\; = 100\] किग्रा
दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु ${\text{'M'}}$ की प्रत्येक गोले के केन्द्र से
प्रश्नानुसार, प्रत्येक गोले का द्रव्यमान \[M = 100\] किग्रा, त्रिज्या \[R = 0.10\] मीटर,
दोनों गोलों के बीच की दुरी \[ = 1\] मीटर

प्रत्येक गोले की मध्य - बिंदु से दुरी \[r = 0.5\] मीटर

मध्य - बिंदु से गोलों के कारण गुरुत्वाकर्षण बल \[(GM{r_2})\]

बराबर तथा विपरीत लगता है इसलिये परिणामी बल शून्य है|

दोनों गोलों के कारण विभव \[V =  - GMr\] 

चूँकि विभव अदिश राशि है इसलिए,

\[\begin{gathered}\therefore \;V = VA + VB = \left( { - GMr} \right) + \left( { - GMr} \right) \hfill \\=  - 2GMr \hfill \\=  - 2 \times \left( {6.67 \times 10 - 11} \right) \times 1000.5 \hfill \\ \end{gathered} \]

\[ = 2.67 \times {10^{ - 8}}\] न्यूटन × मीटर/किग्रा 

(या \[2.67 \times {10^{ - 8}}\] जूल/किग्रा)|

मध्य - बिंदु से दोनों गोलों पर बल शून्य है तो दोनों गोले संतुलित अवस्था में होंगे| परन्तु यह अस्थायी है क्योंकि किसी एक गोले की ओर विस्थापन, उस गोले की ओर कुल आकर्षण बल का परिणाम होगा| अतः जिसके कारण वह गोला अपनी संतुलित अवस्था पुनः प्राप्त नहीं कर सकता है|

बिन्दु ${\text{'M'}}$ पर परिणामी गुरुत्वीय विभव

 $V = {V_A} + {V_B} = [( - 200G) + ( - 200G)]$ जूल/किग्रा $ =  - 400G$ जूल/किग्रा $ =  - 400 \times 6.67 \times {10^{ - 11}}$ जूल/किग्रा $ =  - 2.668 \times {10^{ - 8}}$ जूल/किग्रा $ \approx  - 2.67 \times {10^{ - 8}}$  जूल/किग्रा

चूँकि ऊपर सिद्ध किया जा चुका है कि मध्य बिन्दु ${\text{'M'}}$ पर रखे किसी भी पिण्ड पर परिणामी गुरुत्वीय

बल $ = $ शून्य

अतः मध्य बिन्दु ${\text{'M'}}$ पर रखा पिण्ड सन्तुलन में होगा।।

अब यदि पिण्ड को थोड़ा-सा मध्य बिन्दु से किसी भी गोले की ओर विस्थापित कर दिया जाये तो वह एक नेट गुरुत्वीय बल के कारण इस बिन्दु से दूर विस्थापित होता चला जायेगा। अतः पिण्ड का सन्तुलन अस्थायी है।

अतिरिक्त अभ्यास


22. जैसा कि आपने इस अध्याय में सीखा है कि कोई तुल्यकाली उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से लगभग \[36,000{\text{ km}}\] ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस उपग्रह के निर्धारित स्थल पर पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण विभव क्या है? (अनन्त पर स्थितिज ऊर्जा शून्य लीजिए) पृथ्वी का द्रव्यमान \[ = 6.0 \times {10^{24}}\;\;{\text{kg}}\], पृथ्वी की त्रिज्या \[ = 6400{\text{ km}}\].

उत्तर: दिया है : पृथ्वी की त्रिज्या \[{R_E} = 6400{\text{ km}}\,{\text{ = }}6.4 \times {10^6}\;{\text{m}}\],

पृथ्वी तल से ऊँचाई \[h = 360 \times {10^6}\;{\text{m}}\],

पृथ्वी का द्रव्यमान \[{M_{E \to }} = 6.0 \times {10^{24}}\;{\text{kg}}\]

उपग्रह के निर्धारित स्थल पर गुरुत्वीय विभव ।

$\begin{gathered}V =  - \dfrac{{G{M_E}}}{{\left( {{R_E} + h} \right)}} \hfill \\=  - \dfrac{{6.67 \times {{10}^{ - 11}} \times 6.0 \times {{10}^{24}}}}{{\left( {6.4 \times {{10}^6} + 36.0 \times {{10}^6}} \right)}} \hfill \\=  - 9.4 \times {10^6}\;{\text{Jk}}{{\text{g}}^{{\text{ - 1}}}} \hfill \\ \end{gathered} $


23. सूर्य के द्रव्यमान से \[2.5\] गुने द्रव्यमान का कोई तारा \[12{\text{ km}}\] आमाप से निपात होकर $$\[1.2\]  परिक्रमण प्रति सेकण्ड से घूर्णन कर रहा है (इसी प्रकार के संहत तारे को न्यूट्रॉन तारा कहते हैं। कुछ प्रेक्षित तारकीय पिण्ड, जिन्हें पल्सार कहते हैं, इसी श्रेणी में आते हैं)। इसके विषुवत वृत्त पर रखा कोई पिण्ड, गुरुत्व बल के कारण, क्या इसके पृष्ठ से चिपका रहेगा? (सूर्य का द्रव्यमान \[ = 2 \times {10^{30}}\;kg\])

उत्तर: घूर्णन करते तारे की विषुवतं तल पर रखे पिण्ड पर निम्न दो बल कार्य करते हैं

(i) गुरुत्वीय बल \[{F_G} = mg\] (अन्दर की ओर)

(ii) अपकेन्द्र बल \[{F_e} = m\omega 2R\]

अब तारे पर गुरुत्वीय त्वरण $g = \dfrac{{GM}}{{{R^2}}} = \dfrac{{G \cdot \left( {2.5{M_S}} \right)}}{{{R^2}}}$

परन्तु यहाँ सूर्य का द्रव्यमान ${M_s} = 2 \times {10^{30}}$ किग्रा

तथा तारे की त्रिज्या $R = 12$ किमी $ = 12 \times {10^3}$ मीटर

$\therefore g = \left[ {\dfrac{{\left( {6.67 \times {{10}^{ - 11}}} \right)\left( {2.5 \times 2 \times {{10}^{30}}} \right)}}{{{{\left( {12 \times {{10}^3}} \right)}^2}}}} \right]$ मी/से$2$

$ = 2.3 \times {10^{12}}$

अत: गुरुत्वीय बल ${F_G} = m \times g = m \times 2.3 \times {10^{12}}$ न्यूटन
$ = \left( {2.3 \times {{10}^{12}}\;{\text{m}}} \right)$ न्यूटन

तारे पर अपकेन्द्र बल

$\begin{gathered}{F_e} = m{\omega ^2}R \hfill \\= m{(2\pi n)^2}R \hfill \\= 4{\pi ^2}{n^2}mR \hfill \\= 4 \times {(3.14)^2} \times {(1.2)^2} \times m \times \left( {12 \times {{10}^3}} \right){\text{ }} \hfill \\{\text{ = }}6.8 \times {10^5}m\;{\text{N}} \hfill \\ \end{gathered} $


24. कोई अन्तरिक्षयान मंगल पर ठहरा हुआ है। इस अन्तरिक्षयान पर कितनी ऊर्जा खर्च की जाए कि इसे सौरमण्डल से बाहर धकेला जा सके। अन्तरिक्षयान का द्रव्यमान ; सूर्य का द्रव्यमान \[ = 2 \times {10^{30}}\;{\text{kg}}\]; मंगल का द्रव्यमान \[ = 6.4 \times {10^{23}}\;{\text{kg}}\]; मंगल की त्रिज्या \[ = 3395{\text{ km}}\]; मंगल की कक्षा की त्रिज्यां \[ = 228 \times 108\;{\text{km}}\] तथा \[G = 6.67 \times {10^{ - 11}}\;{\text{N}}{{\text{m}}^{\text{2}}}{\text{k}}{{\text{g}}^{{\text{ - 2}}}}\].

उत्तर: दिया है : यान का द्रव्यमान \[m = 1000\;{\text{kg}} = {10^3}\;{\text{kg}}\]
सूर्य का द्रव्यमान \[{M_S} = 2 \times {10^{30}}\;{\text{kg}}\],

मंगल का द्रव्यमान \[{M_M} = 6.4 \times {10^{23}}\;{\text{kg}}\]

मंगल की त्रिज्या \[R = 3395\;{\text{km}} = 3.395 \times {10^6}\;{\text{m}}\],

मंगल की कक्षा की त्रिज्या \[r = 2.28 \times {10^{11}}\;{\text{m}}\]

∵ यान मंगल की सतह पर है; अत: इसकी सूर्य से दूरी \[{R_M}\] के\[ = 1000{\text{ kg}}\] बराबर होगी।

∴ सूर्य के कारण यान की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा $ =  - \dfrac{{G{M_S}m}}{r}$

तथा मंगल के कारण यान की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा $ =  - \dfrac{{G{M_M}m}}{R}$

यान की कुल ऊर्जा $ =  - Gm\left( {\dfrac{{{M_S}}}{r} + \dfrac{{{M_M}}}{R}} \right)$

 [∴ गतिज ऊर्जा \[ = 0\]

माना इस यान पर \[{\text{'K'}}\] ऊर्जा खर्च की जाती है, जिसे पाकर यह सौरमण्डल से बाहर चला जाता है। सौरमण्डल से बाहर, सूर्य तथा मंगल के सापेक्ष इसकी कुल ऊर्जा शून्य हो जाएगी। ऊर्जा संरक्षण के नियम से, 

$K - Gm\left( {\dfrac{{{M_S}}}{{{R_M}}} + \dfrac{{{M_M}}}{R}} \right) = 0$

अभीषट ऊर्जा $K =  + Gm\left( {\dfrac{{{M_S}}}{{{R_M}}} + \dfrac{{{M_M}}}{R}} \right)$

$\begin{gathered}= 6:67 \times {10^{ - 11}} \times {10^3}\left[ {\dfrac{{2.0 \times {{10}^{30}}}}{{2.28 \times {{10}^{11}}}} + \dfrac{{6.4 \times {{10}^{23}}}}{{3.395 \times {{10}^6}}}} \right] \hfill \\= 6.67 \times {10^{ - 8}} \times {10^{17}}[87.72 + 1.88] = 5.97 \times {10^{11}}\;{\text{J}} \hfill \\ \end{gathered} $


25. किसी रॉकेट को मंगल ग्रह के पृष्ठ से \[2{\text{ km}}{{\text{s}}^{{\text{ - 1}}}}\] की चाल से ऊध्र्वाधर ऊपर दागा जाता है। यदि मंगल के वातावरणीय प्रतिरोध के कारण इसकी \[20\% \] आरम्भिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है, तब मंगल के पृष्ठ पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट मंगल से कितनी दूरी तक जाएगा? मंगल का द्रव्यमान \[ = {\text{ }}6.4 \times {10^{23}}\;{\text{kg}}\]; मंगल की त्रिज्या = 3395 km तथा \[G = 6.67 \times {10^{ - 11}}\;{\text{N}}{{\text{m}}^{\text{2}}}{\text{k}}{{\text{g}}^{{\text{ - 2}}}}\]

उत्तर:  रॉकेट का मंगल के पृष्ठ से प्रक्षेप्य वेग \[ = 20\] किमी-से$ - 2$ \[ = 2 \times {10^3}\] मी-से$ - 1$

∴रॉकेट की आरम्भिक ऊर्जा \[{E_i} = \] गतिज ऊर्जा $ = \dfrac{1}{2}m{\nu ^2}$

परन्तु \[20\% \] आरम्भिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।

अतः केवल वह अवशेष गतिज ऊर्जा जो स्थितिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है \[ = {E_i}\;\] का \[80\% \]

इसलिए ऊर्जा संरक्षण के नियम से,

रूपान्तरित गतिज ऊर्जा $ = $ स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि अर्थात्

$\dfrac{2}{5}m{v^2} =  - \left( {\dfrac{{GMm}}{{R + H}}} \right) - \left( { - \dfrac{{GMm}}{R}} \right)$

जहाँ $M = $ मंगल का द्रव्यमान $ = 6.4 \times {10^{23}}$ किग्रा, $R = $ इसकी त्रिज्या $ = 3395$ किमी $ = 3395 \times {10^3}$ मीटर तथा $H = $ मंगल से रॉकिट के पहुँचने की अधिकतम ऊँचाई अर्थात् दूरी

\[\begin{gathered}\therefore \dfrac{2}{5}{v^2} = GM\left[ {\dfrac{1}{R} - \dfrac{1}{{R + H}}} \right] = GM\left[ {\dfrac{{(R + H) - R}}{{(R + H)R}}} \right] \hfill \\= \dfrac{{GMH}}{{{R^2} + RH}} \hfill \\2{v^2}{R^2} + 2{v^2}RH = 5GMH \hfill \\= H\left( {5GM - 2{v^2}R} \right) \hfill \\= 2{v^2}{R^2} \hfill \\\therefore H = \dfrac{{2{v^2}{R^2}}}{{5GM - 2{v^2}R}} \hfill \\ \end{gathered} \]

ज्ञात मान रखने पर,

$\begin{gathered}H = \left[ {\dfrac{{2 \times {{\left( {2.0 \times {{10}^3}} \right)}^2}{{\left( {3395 \times {{10}^3}} \right)}^2}}}{{5 \times 6.67 \times {{10}^{ - 11}} \times 6.4 \times {{10}^{23}}}} - 2 \times {{\left( {2.0 \times {{10}^3}} \right)}^2} \times 3395 \times {{10}^3}} \right] \hfill \\= 494.9 \times {10^3}\;{\text{m}} \hfill \\ \approx 495\;{\text{km}} \hfill \\ \end{gathered} $


NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 Gravitation in Hindi

Chapter-wise NCERT Solutions are provided everywhere on the internet with an aim to help the students to gain a comprehensive understanding. Class 11 Physics Chapter 8 solution Hindi mediums are created by our in-house experts keeping the understanding ability of all types of candidates in mind. NCERT textbooks and solutions are built to give a strong foundation to every concept. These NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 in Hindi ensure a smooth understanding of all the concepts including the advanced concepts covered in the textbook.


NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 8 in Hindi medium PDF download are easily available on our official website (vedantu.com). Upon visiting the website, you have to register on the website with your phone number and email address. Then you will be able to download all the study materials of your preference in a click. You can also download the Class 11 Physics Gravitation solution Hindi medium from Vedantu app as well by following the similar procedures, but you have to download the app from Google play store before doing that.


NCERT Solutions in Hindi medium have been created keeping those students in mind who are studying in a Hindi medium school. These NCERT Solutions for Class 11 Physics Gravitation in Hindi medium pdf download have innumerable benefits as these are created in simple and easy-to-understand language. The best feature of these solutions is a free download option. Students of Class 11 can download these solutions at any time as per their convenience for self-study purpose.


These solutions are nothing but a compilation of all the answers to the questions of the textbook exercises. The answers/ solutions are given in a stepwise format and very well researched by the subject matter experts who have relevant experience in this field. Relevant diagrams, graphs, illustrations are provided along with the answers wherever required. In nutshell, NCERT Solutions for Class 11 Physics in Hindi come really handy in exam preparation and quick revision as well prior to the final examinations.