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NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 - In Hindi

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NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 Physical World in Hindi PDF Download

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Table of Content
1. NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 Physical World in Hindi PDF Download
2. Access NCERT Solutions for Class 11 Science Chapter-1 भौतिक जगत
3. NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 Physical World in Hindi

NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.

We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes.

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Access NCERT Solutions for Class 11 Science Chapter-1 भौतिक जगत

1. विज्ञान की प्रकृति पर सबसे गहरा बयान अल्बर्ट आइंस्टाइन के समय के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक से आया है| आपको क्या लगता है कि जब आइंस्टाइन ने कहा था " दुनिया के बारे में सबसे अचूक बात यह है कि यह समझ में नहीं आता है" ?

उत्तर: हमारे चारों ओर का ब्रह्मांड बहुत जटिल है और इसमें होने वाली घटनाओं को समझना भी बहुत मुश्किल है, लेकिन विज्ञान के ऐसे कई नियम हैं जो इन सभी घटनाओं की व्याख्या करने में पूरी तरह सक्षम हैं। इसलिए जब हम किसी घटना को पहली बार देखते या सुनते हैं तो समझ में नहीं आता है,

लेकिन जब हम सिद्धांतों का गहन विश्लेषण करते हैं। घटना से संबंधित है, तो घटना हमारे लिए वर्णनात्मक हो जाती है। अतः विज्ञान के विषय में भौतिक जगत से जुड़े प्रत्येक तथ्य की स्पष्ट व्याख्या उपलब्ध है। जब हमारी जिज्ञासु प्रवृत्ति किसी तथ्य से संबंधित वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जानना चाहती है, तो हम उसे जानते हैं ताकि सबसे जटिल घटना भी हमें आश्चर्यचकित न करे; इसलिए आइंस्टीन का कथन तार्किक है।


2: “प्रत्येक महान भौतिक सिद्धान्त अपसिद्धान्त से आरम्भ होकर धर्मसिद्धान्त के रूप में समाप्त होता है।” इस तीक्ष्ण टिप्पणी की वैधता के लिए विज्ञान के इतिहास से कुछ उदाहरण लिखिए।

उत्तर: परंपरागत रूढि़वादी विचारधारा के विरोध में व्यक्त की गई राय को महज किंवदंतियां माना जाता है। और एक तथ्य जिसे सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत विरोधाभास माना जाता है वह एक नियम है। कोपरनिकस का भूकेन्द्रित सिद्धांत शुरू में एक किंवदंती के रूप में चर्चा का विषय बन गया, लेकिन टाइकोब्राहन और जॉन्स केपलर द्वारा प्रतिपादित और समर्पित होने के बाद, इसे सार्वभौमिक के रूप में स्वीकार किया गया। तो यह नियम बन गया।


3: “सम्भव की कला ही राजनीति है।” इसी प्रकार “समाधान की कला ही विज्ञान है।” विज्ञान की प्रकृति तथा व्यवहार पर इस सुन्दर सूक्ति की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: राजनीति में सब कुछ संभव है। उनके पास कोई आचार संहिता नहीं है, कोई नियम नहीं है और कोई सिद्धांत नहीं है। उनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता में बने रहना है, चाहे साधन सही हों या गलत। लेकिन वैज्ञानिक घटनाओं को ध्यान से देखता है। डूब और। प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर उनका संकलन और विश्लेषण करता है और नियम बनाता है। इस प्रकार यह प्रकृति के रहस्यों को खोलता है।

 

4: यद्यपि अब भारत में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का विस्तृत आधार है तथा यह तीव्रता से फैल भी रहा है, परन्तु फिर भी इसे विज्ञान के क्षेत्र में विश्व नेता बनने की अपनी क्षमता को कार्यान्वित करने में काफी दूरी तय करनी है। ऐसे कुछ महत्त्वपूर्ण कारक लिखिए जो आपके विचार से भारत में विज्ञान के विकास में बाधक रहे हैं?

उत्तर: आज भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया में अपनी जगह बना ली है और उसका अपना एक व्यापक आधार है। चाहे वह मानव संसाधन, सूचना प्रौद्योगिकी, रॉकेट, चिकित्सा, परिवहन, रक्षा, परमाणु विज्ञान, अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग हो, लेकिन कुछ कारण हैं कि यह अभी भी दुनिया में एक मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक शक्ति नहीं है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं

  • विज्ञान प्रबंधन पर नियंत्रण।

  • अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के बीच समन्वय का अभाव है।

  • भारत में कुछ बुनियादी सुविधाओं का अभाव।

  • वैज्ञानिकों के लिए सीमित रोजगार के अवसरों की उपलब्धि।

  • इस देश में बुनियादी शोध के लिए बड़े फंड की जरूरत है।


5: किसी भी भौतिक विज्ञानी ने इलेक्ट्रॉन के कभी भी दर्शन नहीं किए हैं, परन्तु फिर भी सभी भौतिक विज्ञानियों का इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व में विश्वास है। कोई बुद्धिमान, परन्तु अन्धविश्वासी व्यक्ति इसी तुल्यरूपता को इस तर्क के साथ आगे बढ़ाता है कि यद्यपि किसी ने देखा नहीं है, परन्तु भूतों का अस्तित्व है। आप इस तर्क का खण्डन किस प्रकार करेंगे?

उत्तर: इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के ज्ञात होने के आधार पर, कई घटनाएं देखी गई हैं और हो रही हैं। इसके संबंध में कुछ सिद्धांत प्रतिपादित किए गए और वे प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध पाए गए, लेकिन न तो आत्माओं की उपस्थिति को साबित करने के लिए कोई प्रायोगिक प्रमाण मिला है और न ही इससे संबंधित कोई घटना भी देखी गई है ताकि इसकी उपस्थिति को साबित किया जा सके। यह सिर्फ एक कल्पना है: मात्र अंधविश्वास।


6: जापान के एक विशेष समुद्र तटीय क्षेत्र में पाए जाने वाले केकड़े के कवचों (खोल) में से अधिकांश समुरई के अनुश्रुत चेहरे से मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। नीचे इस प्रेक्षित तथ्य की दो व्याख्याएँ दी गई हैं। इनमें से आपको कौन-सा वैज्ञानिक स्पष्टीकरण लगता है?

(i) कई शताब्दियों पूर्व किसी भयानक समुद्री दुर्घटना में एक युवा समुरई डूब गया। उसकी बहादुरी के लिए श्रद्धांजलि के रूप में प्रकृति ने अबोधगम्य ढंगों द्वारा उसके चेहरे को केकड़े के कवचों पर अंकित करके उसे उस क्षेत्र में अमर बना दिया।

(ii) समुद्री दुर्घटना के पश्चात उस क्षेत्र के मछुआरे अपने मृत नेता के सम्मान में सद्भावना प्रदर्शन के लिए, उस हर केकड़े के कवच को जिसकी आकृति संयोगवश समुरई से मिलती-जुलती प्रतीत होती थी, उसे वापस समुद्र में फेंक देते थे। परिणामस्वरूप केकड़े के कवचों की इस प्रकार की विशेष आकृतियाँ अधिक समय तक विद्यमान रहीं और इसीलिए कालान्तर में इसी आकृति का आनुवंशतः जनन हुआ। यह कृत्रिम वरण द्वारा विकास का एक उदाहरण है।

(नोट : यह रोचक उदाहरण कार्ल सागन की पुस्तक “दि कॉस्मॉस’ से लिया गया है। यह इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि प्रायः विलक्षण तथा अबोधगम्य तथ्य जो प्रथम दृष्टि में अलौकिक प्रतीत होते हैं वास्तव में साधारण वैज्ञानिक व्याख्याओं द्वारा स्पष्ट होने योग्य बन जाते हैं। इसी प्रकार के अन्य उदाहरणों पर विचार कीजिए।)

उत्तर: प्रश्न में दिए गए दोनों कथनों में से कोई भी कथन प्रेक्षित तथ्य की वैज्ञानिक व्याख्या देने में पर्याप्त रूप से सक्षम है।


7: दो शताब्दियों से भी अधिक समय पूर्व इंग्लैण्ड तथा पश्चिमी यूरोप में जो औद्योगिक क्रान्ति हुई थी उसकी चिंगारी का कारण कुछ प्रमुख वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक उपलब्धियाँ थीं। ये उपलब्धियाँ क्या थीं?

उत्तर:मुख्य उपलब्धियाँ जिनके कारण औद्योगिक क्रांति का जन्म हुआ, वे इस प्रकार हैं:

  •  बिजली की खोज से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए डायनेमो और मोटर का डिजाइन।

  • ऊष्मा और ऊष्मागतिकी पर आधारित इंजन का आविष्कार। कपास मशीन हाथ से कपास की तुलना में 300 गुना तेजी से बिनौला अलग करने के लिए।

  • विस्फोटकों की खोज से न केवल सैन्य बलों को, बल्कि खनिजों के खनन में भी अघोषित सफलता हासिल हुई है।

  • लोहे को उच्च ग्रेड स्टील में बदलने के लिए ब्लास्ट फर्नेस।

  • गुरुत्वाकर्षण के अध्ययन से लेकर गोलियों/तोपों/बंदूकों की गति के अध्ययन की खोज तक।

प्रमुख वैज्ञानिकों के नामों की सूची इस प्रकार है

  • क्रिश्चियन हेगेन,

  • गैलीलियो गैलीली,

  • माइकल फैराडे और

  • आइजैक न्यूटन।


8: प्रायः यह कहा जाता है कि संसार अब दूसरी औद्योगिक क्रान्ति के दौर से गुजर रहा है, जो समाज में पहली क्रान्ति की भाँति आमूलचूल परिवर्तन ला देगी। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के उन प्रमुख समकालीन क्षेत्रों की सूची बनाइए जो इस क्रान्ति के लिए उत्तरदायी हैं।

उत्तर: विज्ञान और तकनीक की उपलब्धियाँ जो औद्योगिक क्रान्ति लाने में सक्षम हैं, उनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैंलेजर तकनीक जिसके द्वारा रक्तस्राव के बिना शल्य क्रिया सम्भव हो सकी है तथा जिसके द्वारा रॉकेट तथा उपग्रहों को नियन्त्रित किया जा सकता है।सुपरकण्डक्टरों का निर्माण जिसके द्वारा कमरे के ताप पर विद्युत शक्ति बिना हानि के प्रेषित की जा सकती है। कम्प्यूटर का बढ़ता हुआ प्रभाव और प्रयोग जिसने मानव की कार्यकुशलता कई गुनी बढ़ा दी है। बायोटेक्नोलॉजी का अद्भुत विकास।

 

9: बाईसवीं शताब्दी के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर अपनी निराधार कल्पनाओं को आधार मानकर लगभग \[1000\] शब्दों में कोई कथा लिखिए।

उत्तर: आज हम सदर देशों की यात्रा वाययान, रेलमार्ग अथवा मोटरकार द्वारा करते हैं जो पेट्रोल अथवा डीजल से चलते हैं। बाईसवीं शताब्दी तक पहुँचते-पहुँचते हम दूर आकाश में स्थित ग्रहों तथा उपग्रहों की यात्रा कर सकेंगे जिनकी अनुमानित दूरी हजारों प्रकाश वर्ष से भी अधिक है। अनुमान है कि वे यान ईंधन रहित होंगे।

आज उपग्रह को स्थापित करने के लिए रॉकेट का प्रयोग आवश्यक है और उसके लिए उपयुक्त प्लेटफॉर्म का होना भी आवश्यक है, किन्तु बाईसवीं शताब्दी के आते-आते विज्ञान की प्रगति उस अवस्था तक पहुँच जाएगी कि पृथ्वी से प्रेषित यानों को रिमोट कंट्रोल द्वारा संचालित किया जा सकेगा। यही नहीं आकाश में भ्रमण करती हुई कार्यशाला भी होगी जो किसी यान में त्रुटि आने पर उसकी आवश्यक देखभाल और मरम्मत भी कर सकेगी।


10: विज्ञान के व्यवहार पर अपने ‘नैतिक दृष्टिकोणों को रचने का प्रयास कीजिए। कल्पना कीजिए कि आप स्वयं किसी संयोगवश ऐसी खोज में लगे हैं जो शैक्षिक दृष्टि से रोचक है। परन्तु उसके परिणाम निश्चित रूप से मानव समाज के लिए भयंकर होने के अतिरिक्त कुछ नहीं होंगे। फिर भी यदि ऐसा है तो आप इस दविधा के हल के लिए क्या करेंगे?

उत्तर: वैज्ञानिक का कार्य प्रकृति के सत्य की खोज करना और उसे फिर प्रकाशन माध्यम से संसार के सामने प्रस्तुत करना है। इसमें कोई भी सन्देह नहीं है कि एक ही खोज का प्रभाव मानव पर उत्थान और विनाश दोनों के लिये उपयोगी किया जा सकता है। यह बात वैज्ञानिक खोज के व्यावहारिक उपयोग करने वाले पर निर्भर है। यहाँ पर यह बात भी सम्भव हो सकती है कि जो खोज आज विनाशकारी है, वह आगे चलकर लाभकारी भी सिद्ध हो सकती है। यदि मैं एक वैज्ञानिक अन्वेषक हूँ और माना कि मैं स्टेम सेल पर कार्य कर रहा हूँ तो वैज्ञानिक आविष्कारक के रूप में मेरा दायित्व है कि उसके परिणाम समाज के सामने प्रस्तुत करू। राजनेता इसका उपयोग एक विशेष मानव जाति के विकास के लिए करते हैं या फिर डॉक्टर इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए करते हैं, इस बात का ध्यान रखना मेरा कार्य नहीं है। आइस्टाइन ने  का सूत्र संसार को दिया लेकिन इसका उपयोग हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराने में होगा ऐसा उसने कभी भी नहीं सोचा था। आज यह समीकरण संसार में ऊर्जा उत्पादन के कार्य में लाई जा रही है, जो कि मानव कल्याण का कार्य ही है।

 

11: किसी भी ज्ञान की भाँति विज्ञान का उपयोग भी, उपयोग करने वाले पर निर्भर करते हुए, अच्छा अथवा बुरा हो सकता है। नीचे विज्ञान के कुछ अनुप्रयोग दिए गए हैं। विशेषकर कौन-सा अनुप्रयोग अच्छा है, बुरा है अथवा ऐसा है कि जिसे स्पष्ट रूप से वर्गबद्ध नहीं किया जा सकता? इसके बारे में अपने दृष्टिकोणों को सूचीबद्ध कीजिए

आम जनता को चेचक के टीके लगाकर इस रोग को दबाना और अन्ततः इस रोग से जनता को मुक्ति दिलाना। (भारत में इसे पहले ही प्रतिपादित किया जा चुका है।)

निरक्षरता का विनाश करने तथा समाचारों एवं धारणाओं के जनसंचार के लिए टेलीविजन।

जन्म से पूर्व लिंग-निर्धारण।

कार्यदक्षता में वृद्धि के लिए कम्प्यूटर।

पृथ्वी के परितः कक्षाओं में मानव-निर्मित उपग्रहों की स्थापना।

नाभिकीय शस्त्रों का विकास।

रासायनिक तथा जैव-युद्ध की नवीन तथा शक्तिशाली तकनीकों का विकास।

पीने के लिए जल का शोधन।

प्लास्टिक शल्य क्रिया।

क्लोनिंग।

उत्तर: उत्तम-भारत देश इस संक्रामक रोग से पूर्णतया मुक्त हो चुका है।

उत्तम-इसके द्वारा शिक्षा का प्रसार होता है एवं साथ ही मनोरंजन और ज्ञान में वृद्धि होती है। इस ज्ञान का दुरुपयोग सम्भव है। बहुधा भ्रूण के कन्या होने पर गर्भपात करा दिया जाता है जो भ्रूण हत्या है और सर्वथा अनुचित भी।।उत्तम-कार्यकुशलता बढ़ती है। उत्तम-उपग्रह की स्थापना ने संचार व्यवस्था में क्रान्ति ला दी है। अवांछित-ये सामूहिक विनाश का कारण होते हैं तथा इनके प्रयोग से जो विनाश का तांडव होता है उसका न तो अनुमान लगाया जा सकता है न इस पर कोई प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।

इनका प्रयोग मानवता के विपरीत है या कहिए अमानवीय है। श्रेष्ठ – शुद्ध पेयजल मिलने से अनेक रोगों की सम्भावना समाप्त हो जाती है। उत्तम-विकृति दूर की जा सकती है। उत्तम-निस्संतान दंपत्ति लाभान्वित हो सकते हैं।


12: भारत में गणित, खगोलिकी, भाषा विज्ञान, तर्क तथा नैतिकता में महान विद्वत्ता की एक लम्बी एवं अटूट परम्परा रही है। फिर भी इसके साथ एवं समान्तर, हमारे समाज में बहुत से अन्धविश्वासी तथा रूढ़िवादी दृष्टिकोण व परम्पराएँ फली-फूली हैं और दुर्भाग्यवश ऐसा अभी भी हो रहा है और बहुत-से शिक्षित लोगों में व्याप्त है। इन दृष्टिकोणों का विरोध करने के लिए अपनी रणनीति बनाने में आप अपने विज्ञान के ज्ञान का उपयोग किस प्रकार करेंगे?

उत्तर: भारत में रूढ़िवादिताएँ और अतार्किक कर्मकाण्ड काफी प्रचलित हैं। इनको समाज से हटाना कोई छोटा-सा सुगम मार्ग नहीं है। इन व्यवहारों को जन्म देने वाले कुछ कारण निम्नलिखित हैं समाज के बड़े भाग को शिक्षा से वंचित रखना। लोगों में विज्ञान के प्रति ज्ञान का अभाव रहना।शासक तथा भूमि मालिकों का स्वार्थ।

जाति प्रथाः ।दूसरों को अज्ञानी रखकर उन पर शासन करने की लालसा रखना।

ज्यादा-से-ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम, जैसे- रेडियो, टी०वी०, समाचार-पत्र, विज्ञान प्रदर्शनियाँ आदि के द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी के विकास में लोगों की रुचि को जाग्रत करके व्यवहार को बदलने से अपने ध्येय की प्राप्ति हो सकती है। इससे लोग शिक्षित हो सकते हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिये उन्हें स्कूल भेजने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए। भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियन्त्रण पाने के लिये हमें वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना अतिआवश्यक है। यह एक विस्फोटक स्थिति है। इससे लोगों में विज्ञान के प्रति विश्वास उत्पन्न होगा और विज्ञान के ज्ञान का सदुपयोग होगा।


13: यद्यपि भारत में स्त्री तथा पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हैं, फिर भी बहुत से लोग महिलाओं की स्वाभाविक प्रकृति, क्षमता, बुद्धिमत्ता के बारे में अवैज्ञानिक विचार रखते हैं। तथा व्यवहार में उन्हें गौण महत्त्व तथा भूमिका देते हैं। वैज्ञानिक तक तथा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में महान महिलाओं का उदाहरण देकर इन विचारों को धाराशायी कीजिए तथा अपने को स्वयं तथा दूसरों को भी समझाइए कि समान अवसर दिए जाने पर महिलाएँ पुरुषों के समकक्ष होती हैं।

उत्तर: जन्म से पूर्व तथा जन्म के पश्चात् आहार के पोषक तत्वों का एक बड़ा भाग मानव-मस्तिष्क के विकास में योगदान करता है। यह मानव-मस्तिष्क स्त्री अथवा पुरुष किसी का भी हो सकता है। यदि हम स्त्रियों के प्राचीन इतिहास तथा वर्तमान स्थिति पर ध्यान केन्द्रित करें तो हम देखते हैं कि स्त्रियों की स्थिति सदैव सम्मानजनक रही है तथा उन्होंने अनेक उत्कृष्ट कार्य किए हैं। वे प्रत्येक कार्य में सक्षम हैं तथा किसी भी दशा में पुरुषों से कम नहीं हैं। जब्र कभी भी स्त्रियों को अवसर प्राप्त हुआ है, आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, सती अनुसूया (महर्षि अत्रि की पत्नी), रानी कर्मावती, नूरजहाँ, श्रीमती सरोजिनी नायडू, मैडम क्युरी, कल्पना चावला, मार्गेट थेचर, श्रीमती भण्डारनाइके, इन्दिरा गांधी, बछेन्द्री पॉल, श्रीमती संतोष यादव आदि अनेक नाम स्त्रियों के स्वर्णिम इतिहास का वर्णन करते हैं। आज के समय में सानिया मिर्जा का नाम भी स्त्री-जगत में शीर्षस्थ स्थान पर है। इन स्त्रियों को अवसर प्राप्त हुआ तथा इन्होंने अपनी अपूर्व-क्षमता का परिचय दिया। आज भारत सरकार ने रक्षा-सेवाओं के द्वार भी स्त्रियों के लिए खोल दिए हैं तथा वहाँ भी स्त्रियों ने अपनी कार्यदक्षता सिद्ध कर दी है।

अतः यह सत्य है कि समान अवसर दिए जाने पर महिलाएँ पुरुषों के समकक्ष होती हैं।


14: “भौतिकी के समीकरणों में सुन्दरता होना उनका प्रयोगों के साथ सहमत होने की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है।” यह मत महान ब्रिटिश वैज्ञानिक पी०ए०एम० डिरैक का था। इस दृष्टिकोण की समीक्षा कीजिए। इस पुस्तक में ऐसे सम्बन्धों तथा समीकरणों को खोजिए जो आपको सुन्दर लगते हैं।

उत्तर: यह कथन असत्य नहीं है। भौतिकी के समीकरण प्रयोगों से मिलने चाहिए और साथ ही सरल और सुन्दर भी होने चाहिए। आइन्स्टाइन का समीकरण  एक ऐसा ही समीकरण है जो बहुत सुन्दर और याद करने में सरल है। लेकिन इस समीकरण ने बीसवीं शताब्दी में विज्ञान एवं समाज का चेहरा ही बदल दिया है। दूसरा समीकरण \[F{\text{ }} = {\text{ }}G\] है जो कि सामान्य एवं सुन्दर है। एक दी गई स्थिति में इस समीकरण ने खगोल विज्ञान की समझ में ही आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। भौतिकी में कुछ अन्य ऐसे ही समीकरण निम्नवत् हैं

$F = mg,E = \frac{1}{2}m{v^2},P = mv,E = hv$ तथा स्थितिज ऊर्जा \[U{\text{ }} = {\text{ }}mgh\] 


15: यद्यपि उपर्युक्त प्रक्कथन विवादास्पद हो सकता है परन्तु अधिकांश भौतिक विज्ञानियों का यह मत है कि भौतिकी के महान नियम एक ही साथ सरल एवं सुन्दर होते हैं। डिरैक के अतिरिक्त जिन सुप्रसिद्ध भौतिक विज्ञानियों ने ऐसा अनुभव किया उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं-आइन्स्टाइन, बोर, हाइजेनबर्ग, चन्द्रशेखर तथा फाइनमैन। आपसे अनुरोध है कि आप भौतिकी के इन विद्वानों तथा अन्य महानायकों द्वारा रचित सामान्य पुस्तकों एवं लेखों तक पहुँचने के लिए विशेष प्रयास अवश्य करें। (इस पुस्तक के अन्त में दी गई ग्रन्थ-सूची देखिए)। इनके लेख सचमुच प्रेरक हैं।

उत्तर:    

क्रमांक

नाम

प्रमुख योगदान/आविष्कार

मूल देश

1

अर्किमिडिस 

उत्प्लावकता का नियम. उत्तोलक का नियम 

यूनान

2

गैलिलियो गैलिली 

जड़त्व का नियम 

इटली  

3

क्रिश्चियन हाइगेंस 

प्रकाश का तरंग सिद्धांत 

हौलेंड 

4

आईज़क न्यूनटन 


गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम , गति के नियम, परवर्ती दूरदर्शक 

इंग्लैण्ड 

5

माइकल फैराडे

विधुत चुम्बकीय प्रेरण के नियम 

इंग्लैण्ड 


6

सी० एच० टाउनस०

मेसर लेसर

अमेरिका

7

एस० चंद्रशेखर

चंद्रशेखर-सीमा

भारत

8

जेम्स चेड्विक

न्यूट्रॉन

इंग्लैंड

9

मेघनाथ साहा

तापकिक आयनन

भारत

10

एडविन ह्युबल

प्रसारी विश्व

अमेरिका


16: विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकें आपके मन में यह गलत धारणा उत्पन्न कर सकती हैं कि विज्ञान पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः अत्यन्त गम्भीर है एवं वैज्ञानिक भुलक्कड़, अन्तर्मुखी, कभी न हँसने वाले अथवा खीसे निकालने वाले व्यक्ति होते हैं। विज्ञान तथा वैज्ञानिकों का यह चित्रण पूर्णतः आधारहीन है। अन्य समुदाय के मनुष्यों की भाँति वैज्ञानिक भी विनोदी होते हैं। तथा बहुत से वैज्ञानिकों ने तो अपने वैज्ञानिक कार्यों को गम्भीरता से पूरा करते हुए अत्यन्त विनोदी प्रकृति के साथ साहसिक कार्य करके अपना जीवन व्यतीत किया है। गैमो तथा फाइनमैन इसी शैली के दो भौतिक विज्ञानी हैं। ग्रन्थ सूची में उनके द्वारा रचित पुस्तकों को पढ़ने में आपको आनन्द प्राप्त होगा।

उत्तर: फाइनमैन तथा गैमो द्वारा रचित इन पुस्तकों के नाम निम्नलिखित हैं

आर० पी० फाइनमैन द्वारा रचित ‘Surely you are joking, Mr. Feynman’, बेन्टन बुक्स \[\left( {1986} \right)\]। जी गैमो द्वारा रचित ‘Mr. Tompkins in paperback’, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी  प्रेस \[\left( {1987} \right)\]। उपर्युक्त पुस्तकों को पढ़ने पर ज्ञात होता है कि वैज्ञानिक भी अन्य समुदाय के मनुष्यों की भाँति ही विनोदी होते हैं। विज्ञान विषय पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः गम्भीर नहीं हैं यदि इसका अध्ययन हम रुचिपूर्वक, तथ्यों को भली-भाँति समझकर करें।


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