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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antral Chapter 2 Aawara Masiha

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NCERT Solutions for Class 11 Chapter 2 Hindi - FREE PDF Download

Class 11 Hindi Chapter 2 Aawara Masiha, is a biographical sketch of the great novelist Sharat Chandra Chattopadhyay, regarded as one of the finest literary figures in Indian literature. Written by Vishnu Prabhakar, the chapter gives a deep insight into the life of Sharat Chandra, exploring his childhood, personal experiences, and the hardships that shaped his literary genius. This chapter highlights Sharat Chandra’s creative journey and reflects on the influence of his family and environment on his writing.

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Table of Content
1. Access NCERT Solutions for Hindi Class 11 Chapter 2 Aawara Masiha
2. Learnings of NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 2 Aawara Masiha
3. Important Study Material Links for Hindi Class 11 Chapter 2
4. Conclusion 
5. Chapter-wise NCERT Solutions Class 11  Hindi - (Antral) 
6. NCERT Class 11 Hindi Other Books Solutions
7. Important Study Material for Hindi Class 11
FAQs


Our solutions for Class 11 Hindi Antral NCERT Solutions break the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 11 Hindi Syllabus and practise Hindi Class 11 Chapter 2.


Glance on Class 11 Hindi Chapter 2 (Antral) Aawara Masiha

  1. The chapter Aawara Masiha Provides an in-depth look at Sharat Chandra’s life and struggles.

  2. Highlights Sharat Chandra’s battle with societal norms and his dedication to writing.

  3. Tells about how his early experiences shaped his literary works.

  4. Discusses the impact of his family, particularly his father, on his views and creativity.

  5. Reflects on how Sharat Chandra’s writings were shaped by the conditions of the time, focusing on societal issues.

Access NCERT Solutions for Hindi Class 11 Chapter 2 Aawara Masiha

प्रश्न अभ्यास:

1. "उस समय वह सोच भी नहीं सकता था कि, मनुष्य को दुःख पहुँचाने के अलावा भी साहित्य का कोई उद्देश्य हो सकता है। "लेखक ने ऐसा क्यों कहा? आप के विचार से साहित्य के कौन कौन से उद्देश्य हो सकते हैं?

उत्तर: शरतचंद्र को बाल अवस्था में साहित्य से कोई लगाव नहीं था। साहित्य कि रचनाएँ पढ़ना शरतचंद्र को बील्कुल अच्छा नहीं लगता था। मगर जब वो स्कूल जाते तो, उन्हें साहित्य ही पढ़ाया जाता था। उन्हें सीता वनवास, चारु पाठ, सद्भाव - सद्गुण, एवं प्रकांड व्याकरण जैसी साहित्य की किताबें पढ़ाई जाती थी। जो उन्हें बड़ा दुखदायी लगता था। गुरु जी द्वारा रोज़ परीक्षा लिए जाने पर उन्हें मार भी खानी पड़ती थी। इसलिए लेखक का ऐसा कथन कहने का यही कारण रहा होगा और मेरे विचार से साहित्य के कई उद्देश्य हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं:

१: साहित्य पढ़ कर मनुष्य अपने ज्ञान को बढ़ा सकता है और उसे सोचने की नयी ऊर्जा मिलती है। 

२: साहित्य मनोरंजन और समय व्यतीत करने का एक अच्छा साधन भी है।

३: साहित्य के माध्यम से हम अपने पुराने समय काल के बारे में भी काफी कुछ जान पाते है। साहित्य हमें हमारी पुरानी संस्कृति से भी अवगत कराता है।

४: साहित्य इंसान को अपने देश, गांव, और समाज को नजदीक से जानने में काफी मदद करता है। साहित्य के माध्यम से हमें समाज में फैली कुरीतियों के बारे में जानने का अवसर मिलता है, साहित्य से हमें अपने समाज की खूबियों के बारे में भी पता चलता है।


2. पाठ के आधार पर बताइये कि उस समय के और वर्तमान समय के पढ़ने पढ़ाने के तौर - तरीकों में क्या अंतर और समानताएँ हैं? आप पढ़ने पढ़ाने के कौन से तौर तरीकों के पक्ष में हैं और क्यों?

उत्तर: उस समय और आज में अध्ययन के तरीकों में कई प्रकार कि समानताएं हैं:

१. अनुशासन का कड़ाई से पालन उस समय भी किया जाता था और आज भी अनुशासन का पालन करने का अभ्यास किया जाता है। बच्चों को ज्ञान की ओर ध्यान आकर्षित करने के बजाय आजीविका के साधन उपलब्ध कराने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इसीलिए उन्हें किताबी ज्ञान की तरफ ज्यादा ध्यान दिला कर रट्टू तोता बनाया जाता है। 

२. इससे पहले के समय में, हर दिन बच्चों की परीक्षा ( टेस्ट परीक्षा) लेने का प्रावधान था, जो आज भी देखा जाता है। हर दिन बच्चों को क्लास टेस्ट देने पड़ते हैं, और इसके अलावा भी कई परिक्षायें देने पड़ते है, कितने बच्चों में इसका डर इस तरह व्याप्त है कि, पढ़ाई से उनका मन दुर भागने लगता है। विद्यालयों द्वारा पढ़ाई को एक डर बना कर बच्चों के अन्दर भर दिया जाता है।

पहले के समय और आज के अध्ययन के तरीकों के बीच अंतर इस प्रकार हैं:

1. पहले के समय में बच्चों की प्रतिभा और रुचि को न देखा जाता था और ना ही उस पर कोई विशेष ध्यान दिया जाता था। सम्पूर्ण कक्षा को समान शिक्षा दी जाती थी। लेकिन आज बच्चों की रुचि, योग्यत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखा जाता है और इसे ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ाया जाता है। प्रारंभिक शिक्षा निश्चित रूप से समान होती है, लेकिन बाद में बच्चे को अपने विषय को अपनी इच्छानुसार लेने की सुविधा प्रदान कि जाती है। 

2. उस समय, स्कूल में केवल ज्ञान, शिक्षा और संस्कृति को ही महत्व दिया जाता था, खेल, कला आदि का महत्व नहीं था, लेकिन आज खेल, कला आदि को शिक्षा के समान महत्व दिया जाता है। 3. विद्यालयों द्वारा पहले की तरह बच्चों को शारीरिक पीड़ा और दंड आज नहीं दिया जाता है, आज बच्चों की शारीरिक सजा को कानूनी अपराध घोषित कर दिया गया है, इससे कहीं न कहीं अनुशासन को बनाए रखना मुश्किल हो गया है। शारीरिक दंड भी शिक्षा का एक हिस्सा था। जिसके डर के कारण बच्चे अनुशासन और शिक्षा के प्रति समर्पित रहा करते थे ।


3. पाठ में अनेक अंश बाल सुलभ चंचलताओं, शरारतो को बहुत रोचक ढंग से उजागर करते हैं। आप को कौन सा अंश अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर: "आवारा मसीहा' पाठ में शरतचंद्र की कई बाल सुलभ चंचलता और शरारतों का वर्णन किया गया है। पिता जी के पुस्तकालय में किताबे पढ़ना और वास्तविक जीवन में उनका प्रयोग करना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। उनको तितली पकड़ना, तालाब में नहाना, बागवानी करना, जानवरों को पालना, उनके स्वभाव में समाया हुआ था।

वो जो किताबो में पढ़ते थे, उसका प्रयोग वो निजी जीवन में करते थे। एक बार जब उन्होंने पुस्तक में सांप को वश में करने का मंत्र पढ़ा, तो उन्होंने इसका इस्तेमाल किया। लेखक को शरतचंद्र द्वारा उपवन लगाना व जानवरों और पंछियो को पालने वाला अंश बहुत अच्छा लगता है। यह एक ऐसा हिस्सा है जो आज के बच्चों में दुर्लभ है, यह आज के बच्चों में दिखाई नहीं देता है। अगर आज कल के बच्चे शरतचंद्र जैसी हरकते करते तो वे प्रकृति के करीब आते और उसके बारे में जान पाते, पेड़ पौधे और पशु पंछियों के प्रति उनका प्यार बढ़ता। लेकिन आज, अटालिका के कंक्रीट के जंगल में, बच्चों को इस तरह के काम करने के अवसर नहीं मिलते हैं, वे जंगलो और जानवरों से प्यार नहीं करते हैं।

आज के समय में, बच्चों के अनुकूल गतिविधियों में कई बदलाव हुए हैं, बच्चे प्रकृति से दूर और मशीनी खिलौनों के ज्यादा करीब पहुंच गए हैं। इन घातक चीजों में, बच्चों का बचपन ही उनके हाथ में आ जाती है, जिस पर उन्हें तरह-तरह की शरारतें करते देखा जाता है, वे इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं जो उनके लिए नुकसानदेह है। आज बच्चे, प्रकृति, पशु और पक्षी से बहुत दूर हैं, वो पहले ज़माने में खेले जाने वाली खेलों और शरारतों से दूर चले गए, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। आधुनिकता का ये जहर बच्चों के बचपन को निगलता जा रहा है।


4. नाना के घर किन किन बातो का निषेध था?शरत को उन निषिद्ध कार्यों को करना क्यों प्रिय था?

उत्तर: लेखक शरतचंद्र के नाना बहुत सख्त स्वभाव के व्यक्ति थे। वो हमेशा चाहते थे की, बच्चे सिर्फ पढ़ने में ध्यान दे और उनके अनुसार, बच्चों का एक ही काम होना चाहिए - पढ़ाई करना। इसलिए, उन्होंने बच्चों को खेलने कूदने और कई चीजों को करने के लिए स्पष्ट रूप से मना किया था। 

जिनमें शामिल हैं: तालाब में नहाना, जानवरों और पक्षियों को पालना, बाहर जाना, उपवन लगाना, पतंग उड़ाना, लट्टू नचाना, गिल्ली-डंडा और कांच की गोली खेलना और उनकी आज्ञा का जो पालन नहीं करता था, उसे बहुत कठोर दंड दिया जाता था। नाना जी द्वारा बनाये गए कानून शरतचंद्र को बिल्कुल पसंद नहीं थे। वो एक स्वतंत्र प्रवित्ति के बालक थे और स्वतंत्र रूप से जीना चाहते थे, इसलिए वो हमेशा विद्रोह कर के उन बंधनो को तोड़ते थे। नाना के बनाये नियमो को तोड़ना हिम्मत की बात थी और शरतचंद्र में हिम्मत कूट कूट कर भरा था। वो एक साहसी बालक थे।


5. आप को शरत और उसके पिता मोतीलाल के स्वभाव में क्या समानताएँ नजर आती हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।

उत्तर: शरतचंद्र के स्वभाव में और उनके पिता मोतीलाल के स्वभाव में बहुत सारी समानताएँ थी, जो इस प्रकार है:

१: शरतचंद्र को अपने पिता की तरह ही पुस्तकालय जाना और पुस्तके पढ़ने का शौक था। पिता के पुस्तकालय में रखी सभी सामान्य साहित्य की किताबें उन्होंने पढ़ ली थी।

२: शरतचंद्र स्वतंत्र स्वभाव के बालक थे और उनके पिता भी स्वतंत्र प्रवृति के व्यक्ति थे। तभी तो नाना की हज़ार बंधन और हिदायतें शरत को नहीं रोक पायी।

३: शरतचंद्र की नजर में और उनके पिता की नजर में सभी व्यक्ति एक समान थे वे किसी को छोटा बड़ा नहीं समझते थे।

४: पिता की तरह ही शरतचंद्र को भी सौंदर्य बोध का ज्ञान था और ये उनकी लेखनी में विस्तृत रूप में झलकता था।

५: पिता पुत्र दोनों ही जिज्ञासु और घुमक्कड़ प्रवृति के थे, किसी एक स्थान पर रुक पाना उनके लिए सम्भव नहीं था ।


6. क्या अभाव, अधूरापन मनुष्य के लिए प्रेरणादायी हो सकता है?

उत्तर: इस बात में कोई संदेह नहीं है कि, अभाव और अपूर्णता या अधूरापन मनुष्य के लिए प्रेरक हो सकती है। जब मानव जीवन में अभाव या अपूर्णता होती है, तो उस खालीपन को पूरा करने के लिए मनुष्य कठिन परिश्रम करता है और जज्बे के साथ आगे बढ़ता है। दुनिया भर के अधिकांश महान और प्रेरक व्यक्तित्वों की जीवन-यात्रा को पढ़कर, हम जानते हैं कि वे सभी अभाव और अधूरापन के खिलाफ लड़े, उसी से प्रेरित होकर आगे बढ़े। उन्होंने एक सफल जीवन बनाया और महान बने। अगर मनुष्य के पास किसी वस्तु का अभाव ना हो, तो उस मनुष्य में कुछ हासिल करने का जूनून ही शेष नहीं बचेगा। इसलिए जीवन में अभाव और अधूरापन हमेशा हासिल करने की प्रेरणा देते है।


7. "जो रुदन के विभिन्न रूपों को पहचानता है वह साधारण बालक नहीं है। बड़ा होकर वह निश्चय ही मनस्तत्व के व्यापर में प्रसिद्ध होगा। " अघोर बाबू के मित्र की इस टिप्पणी पर अपनी टिप्पणी कीजिये।

उत्तर : अघोर बाबू के मित्र द्वारा की गई टिप्पणी शरत की व्यपारिक भाव की समझ को समझने कि क्षमता पर आधारित थी। अघोर बाबू के मित्र कहते थे कि, साहित्य के निर्माण के लिए मनुष्य का संवेदनशील होना आवश्यक है। शरत में यह गुण बाल्य अवस्था से मौजूद था, छोटी उम्र से ही उनमे संवेदनशीलता का गुण आ गया था। वह अपने आस पास घट रही घटनाओ का बारीकी से निरीक्षण करने में सक्षम और कुशल था। इसलिए अघोर बाबू के मित्र को यह महसूस हुआ कि, बच्चे के पास यदि इस समय इस प्रकार की क्षमता मौजूद है, तो बाद में यह बच्चा मनस्तत्व के व्यापार में प्रसिद्ध होगा। और ऐसा बच्चा उस पूरी संवेदना को कागज में पात्रों के जरिये उकेर पायेगा । उनका यह कथन बाद में सही साबित हुआ और शरत चंद्र की प्रत्येक रचना इस बात का प्रमाण देती है।


8. शरतचंद्र के जीवन की घटनाओ से आपके जीवन की जो घटना मेल खाती है उसके बारे में लिखिए।

उत्तर: शरत के जीवन से मेरे जीवन की अनेक घटनाएं जुड़ी हुई हैं, जिस तरह शरत किताबों में पढ़ी हर एक चीज हो अपने जीवन में लागू करता है। उसी प्रकार मैने भी एक बार किताब में, सूरज की किरणों को शीशो की मदद से,एक जगह केंद्रित कर के ऊर्जा उत्पादित करना सीखा था, जिसका उपयोग मैंने एक दिन छत पे अखबार जलाने के लिए किया। मै अकेला था, मेरी कोशिश सफल तो हुई, अखबार में आग भी लग गई मगर वो आग ना जाने कैसे वहां रखे कपड़े में भी लग गया। मै बहुत डर गया था। बाद में आग शांत हो गई, मगर घरवालों से मुझे बहुत डांट पड़ी।  


9. क्या आप अपने गांव और परिवेश से कभी मुक्त हो सकते है?

उत्तर: ऐसा कहना बिलकुल गलत है की, हम कभी अपने गांव के परिवेश से मुक्त हो सकते है क्योंकी, जहाँ हमने जन्म लिया, जहाँ हम अपने लोगो के बिच रह कर बड़े हुए हैं, जहाँ बचपन में दोस्तों के साथ मिल कर शरारते की है, जहाँ का हर रास्ते हर गली में खेलते कूदते बड़े हुए, जहाँ बचपन बिता और जवान हुए, जहाँ के हर दिशा और राह का हमे पता है, जहाँ अभाव रहते हुए भी संतोष हो। भला उस परिवेश से मनुष्य मुक्त हो सकता है। मै तो इससे कभी मुक्त नहीं हो पाउँगा।


Learnings of NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 2 Aawara Masiha

  1. Learn how personal life experiences influence literary creations.

  2. Discover how struggles and challenges can fuel creative expression and inspire greatness.

  3. Gain insight into how Sharat Chandra’s surroundings influenced his writings and thoughts.

  4. Understand the importance of perseverance and dedication in achieving one’s goals, as reflected in Sharat Chandra’s journey.

  5. Learn how literature can be a powerful tool for raising awareness about social and cultural issues.


Important Study Material Links for Hindi Class 11 Chapter 2

S. No

Important Study Material Links for Chapter 2

1.

Class 11 Aawara Masiha Questions

2.

Class 11 Aawara Masiha Notes


Conclusion 

The NCERT Solutions for Chapter 2 Aawara Masiha provide students with comprehensive insights into the life of Sharat Chandra Chattopadhyay. It gives insight into his personal and professional struggles, and students can relate to the themes of hardship, perseverance, and creativity. The solutions offer detailed explanations of the chapter’s key points, helping students not only understand the text better but also enhance their appreciation for literary biographies.


Chapter-wise NCERT Solutions Class 11  Hindi - (Antral) 

After familiarising yourself with the Class 11 Hindi Chapter 2 Question Answers, you can access comprehensive NCERT Solutions from all Hindi Class 11 Antral textbook chapters.


S. No

Chapter-wise NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Antral)

1

Chapter 1 - Hussain Ki Kahani Apni Zubani Solutions


NCERT Class 11 Hindi Other Books Solutions


Important Study Material for Hindi Class 11

FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antral Chapter 2 Aawara Masiha

1. What is the main focus of Chapter 2 Aawara Masiha in NCERT Class 11 Hindi?

The chapter focuses on the life and struggles of Sharat Chandra Chattopadhyay, highlighting his journey as a novelist and the influences that shaped his writings.

2. How does the NCERT Solution help in understanding Sharat Chandra’s character in Aawara Masiha?

The solutions provide detailed explanations of Sharat Chandra’s life events, helping students understand his personality, his love for literature, and how he overcame hardships.

3. What themes are explored in Class 11 Hindi Chapter 2 Aawara Masiha?

The chapter explores themes of freedom, perseverance, the role of family, and the influence of one’s environment on creative expression.

4. How does the NCERT Solution explain Sharat Chandra’s relationship with his father?

The solutions highlight how Sharat Chandra’s father influenced his love for books and encouraged his independent thinking, despite the hardships the family faced.

5. What role does societal influence play in Sharat Chandra’s life as depicted in Aawara Masiha?

The chapter reflects on how Sharat Chandra’s writings were deeply influenced by the societal conditions of his time, particularly focusing on social inequalities and human emotions.

6. How can NCERT Solutions for Chapter 2 Aawara Masiha help in exam preparation?

The solutions break down the chapter’s complex ideas into simpler terms, making it easier for students to understand key points and answer exam-related questions.

7. What personal challenges did Sharat Chandra face as described in Chapter 2 Aawara Masiha?

Sharat Chandra faced many personal challenges, including financial hardships and societal pressures, but these experiences greatly shaped his literary works.

8. Why is Sharat Chandra’s childhood important in Aawara Masiha?

His childhood experiences, especially his connection to nature and his rebellious spirit, played a significant role in shaping his later works as a novelist.

9. What does Aawara Masiha teach about the value of literature?

The chapter highlights how literature can be a reflection of society and a means to address social issues, showing the importance of literature in understanding human emotions.

10. How do NCERT Solutions for Chapter 2 Aawara Masiha help in analysing the biographical elements of the text?

The solutions provide a clear analysis of the biographical elements, helping students understand how Sharat Chandra’s life experiences were reflected in his literary works.