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NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 14 - In Hindi

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Last updated date: 17th Apr 2024
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NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 14 Respiration in Plants in Hindi PDF Download

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Class:

NCERT Solutions for Class 11

Subject:

Class 11 Biology

Chapter Name:

Chapter 14 - Respiration in Plants

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

Chapter Wise

Other Materials

  • Important Questions

  • Revision Notes


NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.


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NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 14 Respiration in Plants in Hindi

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Chapter 14 - उच्च पादपों में प्रकाश - संश्लेषण

(Examples, Easy Methods and Step by Step Solutions)

 1 . एक पौधे को बाहर से देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C4 है अथवा C3? कैसे और क्यों?

उत्तर : बाहरी रूप से पौधों की रूपात्मक विशेषताओं को देखकर कोई यह भेद नहीं कर सकता कि कोई पौधा C3 है या  C4 है। पौधे जो शुष्क ट्रॉपिकल क्षेत्रों के लिए अनुकूलित होते हैं उनमें C4 पथ पाया जाता है अन्यथा C3 तथा C4 पौधों में बाह्य आकारिकी लगभग समान होती है।  C4  पौधों में C3 के विपरीत एक विशेष शरीर रचना होती है जो कि क्रांज़ शरीर रचना है जिसे केवल सेलुलर स्तर पर देखा जा सकता है।


2 . एक पौधे की आन्तरिक संरचना को देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4? वर्णन कीजिए।

उत्तर : पत्तियों की आंतरिक संरचना को देखकर C3 तथा C4पौधों को पहचाना जा सकता है। C4पौधों की पत्तियों की शारीरिक क्रान्ज प्रकार की होती है। जर्मन भाषा में क्रान्ज शब्द का तात्पर्य माला या छल्ला है। पत्तियों के पर्णमध्योतक में खम्भ ऊतक नहीं होता। संवहन बण्डल के चारों ओर गोल मृदूतक कोशिकाएँ पर्यों के रूप में व्यवस्थित होती हैं। पत्तियों के संवहन बंडल के चारों ओर पूलाच्छद होता है। ये कोशिकाएँ बड़ी होती हैं। पुलाच्छद की कोशिकाओं में हरित लवक बड़े होते हैं तथा उनमें ग्रैना कम विकसित होते हैं अथवा अनुपस्थित होते हैं, जबकि पर्ण मध्योतक कोशिकाओं में हरित लवक छोटे होते हैं। इनमें ग्रेना विकसित होते हैं। अत: C4 पौधों की पत्तियों में द्विरूपी हरित लवक पाए जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम में वर्णक तंत्र का अभाव होता है। C3 पौधों की पत्तियों की शारीरिक  क्रान्ज प्रकार की नहीं होती। इसकी पत्तियों में पर्णमध्योतक में खम्भ ऊतक पाया जाता है। सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के हरित लवक पाए जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण तंत्र में दोनों वर्णक तंत्र पाए जाते हैं।


पत्ती की आंतरिक संरचना


पत्ती की आंतरिक संरचना


3. हालांकि  C4 पौधों में बहुत कम कोशिकाएँ जैव संश्लेषण-केल्विन पथ को वहन करती हैं फिर भी वे उच्च उत्पादकता वाले होते हैं। क्या इस पर चर्चा कर सकते हो कि ऐसा क्यों है?

उत्तर : C4 पौधों में दो प्रकार के क्लोरोप्लास्ट मिलते हैं। मीसोफिल का क्लोरोप्लास्ट CO2 वातावरण से लेता है। यह बहुत  CO2  सान्द्रता को भी आसानी से अवशोषित कर सकता है। यहाँ तक कि जब रन्ध्र लगभग बंद होते हैं तब भी CO2 का अवशोषण कर सकता है। अतः CO2 की आवश्यकता निरंतर बनी रहती है, अतः इसलिए इनकी उत्पादकता उच्च होती है।


4. रुबिस्को एक एंजाइम है जो कार्बोक्सिलिक और ऑक्सीजन के रूप में काम करता है। आप ऐसा क्यों मानते हैं कि C4 पौधों में रुबिस्को अधिक मात्रा में कार्बोक्सिलेशन करता है?

उत्तर : कैल्विन चक्र में CO2 ग्राही RuBP से क्रिया करके 3-फास्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) के 2 अणु बनाता है। यह क्रिया रुबिस्को के द्वारा उत्प्रेरित होती है - 


                                           RuBP + CO2 + H2O → 2 (3 PGA)


रुबिस्को संसार में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन (एन्जाइम) है। यह O2 तथा CO2 दोनों से संबंधित हो सकता है। रुबिस्को में O2 की अपेक्षा CO2 के लिए अधिक बंधुता होती है, लेकिन आ बन्धुता O2 तथा CO2 की सापेक्ष सान्द्रता पर निर्भर करती है। C3 पौधों में कुछ O2 रुबिस्को से संबंधित हो जाने के कारण CO2 का यौगिकीकरण कम हो जाता है; क्योंकि रुबिस्को O2 से संबंधित होकर फास्फो ग्लाइकोलेट अणु बनाता है। इस प्रक्रम को प्रकाश श्वसन कहते हैं। प्रकाश श्वसन के कारण शर्करा नहीं बनती और न ही ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है। C4 पौधों में प्रकाश श्वसन नहीं होता। C4 पौधों में पर्णमध्योतक का मैलिक अम्ल पूलाच्छद में टूटकर पाइरुविक अम्ल तथा CO2 बनाता है। इसके फलस्वरूप  CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है और रुबिस्को एक कार्बोक्सिलिक के रूप में ही कार्य करता है। इसके फलस्वरूप उत्पादकता बढ़ जाती है। यहाँ रुबिस्को ऑक्सीजिनेशन का कार्य नहीं करता।


5. मान लीजिए यहाँ पर क्लोरोफिल ‘बी’ की उच्च सान्द्रता युक्त, मगर क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पेड़ थे। क्या ये प्रकाश संश्लेषण करते होंगे? तब पौधों में क्लोरोफिल ‘बी’ क्यों होता है और फिर दूसरे गौण वर्णकों की क्या जरूरत है?

उत्तर : क्लोरोफिल ‘बी’, जैन्थोफिल तथा कैरोटिन सहायक वर्णक होते हैं। ये प्रकाश को अवशोषित करके, ऊर्जा को क्लोरोफिल ‘ए’ को स्थानांतरित कर देते हैं। वास्तव में ये वर्णक प्रकाश संश्लेषण को प्रेरित करने वाली उपयोगी तरंगदैर्घ्य के क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य करते हैं और क्लोरोफिल ‘ए’ को फोटो ऑक्सीडेशन से बचाते हैं। क्लोरोफिल ‘ए’ प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त होने वाला मुख्य वर्णक है। अतः क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होगा।


6. यदि पत्ती को अँधेरे में रख दिया गया हो तो उसका रंग क्रमशः पीला एवं हरा-पीला हो जाता है? कौन-से वर्णक आपकी सोच में अधिक स्थायी हैं?

उत्तर : पौधे के हरे भागों में हरित लवक पाया जाता है। हरित लवक की उपस्थिति में पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का संश्लेषण करते हैं। पौधे के अप्रकाशिक भागों में अवर्णी लवक पाया जाता है। प्रकाश की उपस्थिति में अवर्णी लवक हरित लवक में बदल जाता है। हरितलवक की ग्रैना पटलिकाओं में पर्णहरित, कैरोटिनॉयड्स पाए जाते हैं। कैरोटीनॉयड दो प्रकार के होते हैं जैन्थोफिल तथा कैरोटिन ये क्रमशः: पीले एवं नारंगी वर्णक होते हैं। पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश की उपस्थिति आवश्यक होती है। प्रकाश का अवशोषण या प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करने का कार्य मुख्य रूप से पर्णहरित करता है। पौधे को अंधकार में रख देने पर प्रकाश संश्लेषण क्रिया अवरुद्ध हो जाती है। पौधे में संचित भोज्य पदार्थ समाप्त हो जाते हैं तो इसके फलस्वरूप पत्तियों में पाए जाने वाले पर्णहरित का विघटन प्रारम्भ हो जाता है। इसके फलस्वरूप पत्तियाँ कैरोटिनॉयड्स के कारण पीली या हरी-पीली दिखाई देने लगती हैं। कैरोटिनॉयड्स पर्णहरित की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं।


7. एक ही पौधे की पत्ती का छाया वाला (उल्टा) भाग देखें और उसके चमक वाले (सीधे) भाग से तुलना करें अथवा गमले में लगे धूप में रखे हुए तथा छाया में रखे हुए पौधों के बीच तुलना करें। कौन-सा गहरे रंग का होता है और क्यों?

उत्तर : जब हम पत्ती की पृष्ठ सतह को देखते हैं तो यह अधर तल की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली दिखाई देती है। इसी प्रकार धूप में रखे हुए गमले की पत्तियाँ , छाया में रखे हुए गमले की पत्तियों की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली प्रतीत होती हैं। इसका कारण यह है कि पृष्ठ तल पर अधिचर्म के नीचे खम्भ ऊतक पाया जाता है। खम्भ ऊतक में हरित लवक अधिक मात्रा में पाया जाता है। खम्भ ऊतक प्रकाश संश्लेषण के लिए विशिष्टीकृत कोशिकाएँ होती हैं। धूप में रखे गमले की पत्तियाँ छाया में रखे गमले की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की प्रतीत होती हैं। पत्तियों के अधिक गहरे रंग का होने का मुख्य कारण कोशिकाओं में पर्णहरित की मात्रा अधिक होती है क्योंकि पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश एक महत्वपूर्ण कारक होता है। इसके अतिरिक्त प्रकाश संश्लेषण के कारण पृष्ठ सतह की कोशिकाओं में अधिक स्टार्च का निर्माण होता है।


8. प्रकाश संश्लेषण की दर पर प्रकाश का प्रभाव पड़ता है। ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

(अ) वक्र के किस बिन्दु अथवा बिन्दुओं पर (क, ख अथवा ग) प्रकाश एक नियामक कारक है?

(ब) ‘क’ बिन्दु पर नियामक कारक कौन-से हैं?

(स) वक्र में ‘ग’ और ‘घ’ क्या निरूपित करता है?

उत्तर : ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित दिए गए हैं - 

(अ) प्रकाश की गुणवत्ता, प्रकाश की तीव्रता प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करती है। उच्च प्रकाश तीव्रता प्रकाश नियामक कारक नहीं होता; क्योंकि अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। कम प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश एक नियामक कारक “क”बिन्दु पर होता है।


(ब) ‘क’ बिन्दु पर नियामक कारक  प्रकाश हैं।


(स)वक्र में ‘ग’ बिन्दु प्रकाश संतृप्तता को प्रदर्शित करता है। इस बिन्दु पर प्रकाश तीव्रता बढ़ने पर भी प्रकाश संश्लेषण की दर नहीं बढ़ती। ‘घ’ बिन्दु यह निरूपित करता है कि प्रकाश तीव्रता इस बिन्दु पर सीमाकारक हो सकता है।


प्रकाश संश्लेषण की दर का प्रतिनिधित्व करता ग्राफ


प्रकाश संश्लेषण की दर का प्रतिनिधित्व करता ग्राफ 


9. निम्नलिखित में तुलना कीजिए - 

(अ) C3 एवं C4 पथ

(ब) चक्रीय एवं अचक्रीय फोटोफास्फोरिलेशन

(स) C3 एवं C4 पादपों की पत्ती की शारीरिक।

उत्तर : निम्नलिखित दिए गए तुलना कुछ इस प्रकार हैं -


(अ) C3 एवं C4 पथ में तुलना-


तुलना के लिए आधार

C3  पथ

C4  पथ


1. परिभाषा







2. कक्ष शामिल थे



3. उदाहरण


4. इस चक्र का उपयोग करने वाले पौधों के प्रकार


5. क्रान्ज एनाटॉमी

ऐसे पौधे जिनके सूर्य के प्रकाश से कार्बन आत्मसात के बाद पहला उत्पाद 3-कार्बन अणु या 3-फॉस्फोग्लिसरिव एसिड होता है, ऊर्जा के उत्पादन को C3 पौधे कहा जाता है, और मार्ग को C3 मार्ग कहा जाता है। यह आमतौर पर पौधों द्वारा उपयोग किया जाता है।

मेसोफिल कोशिकाएँ।

सूरजमुखी, पालक, बीन्स, चावल, कपास।

मेसोफाइटिक, हाइड्रोफिटिक, जेरोफाइटिक।

अनुपस्थित।

उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पौधे, सूर्य के प्रकाश ऊर्जा को C4 कार्बन अणु या ऑक्सालैसेटिस एसिड में परिवर्तित करते हैं, जो C3 चक्र से पहले होता है

और फिर इसे आगे ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, C4 पौधों को कहा जाता है और मार्ग को C4 मार्ग कहा जाता है। यह C3 मार्ग की तुलना में अधिक कुशल है।

मेसोफिल कोशिका, बंडल म्यान कोशिकाएँ।

गन्ना, सोरघम और मक्का।

मेसोफाइटिक

उपस्थित।


(ब) चक्रीय एवं अचक्रीय फोटोफास्फोरिलेशन में तुलना-


तुलना के लिए आधार

चक्रीय फोटोफास्फोरिलीेशन

अचक्रीय फोटोफास्फोरिलेशन

1.  संदर्भ 




2. फोटोसिस्टम



3. इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला   की प्रकृति



4.  उत्पाद

5. जीव

चक्रीय फोटोफास्फोरिलीेशन प्रक्रिया को संदर्भित करता है जो प्रकाश आश्रित प्रकाश संश्लेषण के चक्रीय इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला के दौरान एटीपी का उत्पादन करता है।

चक्रीय फोटोफास्फोरिलीेशन में केवल एक फोटोसिस्टम (पीएस Ⅰ) शामिल है।


इलेक्ट्रॉनों एक चक्रीय इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला में यात्रा करते हैं और पीएस Ⅰ पर लौटते हैं |

इस प्रक्रिया में केवल एटीपी का उत्पादन किया जाता है।

चक्रीय फोटोफास्फोरिलीेशन कुछ बैक्टीरिया द्वारा दिखाया गया है।

अचक्रीय फोटोफास्फोरिलेशन प्रक्रिया को संदर्भित करता है जो प्रकाश संश्लेषण की हल्की प्रतिक्रियाओं में गैर-चक्रीय इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला से एटीपी का उत्पादन करता है।

फोटोसिस्टम  Ⅰ और  ⅠⅠ गैर-चक्रीय फोटोफास्फोरिलीेशन में शामिल हैं।

इलेक्ट्रॉन गैर-चक्रीय श्रृंखलाओं में यात्रा करते हैं।


एटीपी, O2, और NADPH इस प्रक्रिया में उत्पादित होते हैं।

हरे पौधों, शैवाल और सायनोबैक्टीरिया में नॉनसाइक्लिक फोटोफास्फोरिलेशन सामान्य है |


(स) C3 एवं C4  पादपों की पत्ती की शारीरिक में तुलना –


  तुलना के लिए आधार

C

C4

1. वैकल्पिक नाम


2.  क्रान्ज एनाटॉमी

3. क्लोरोप्लास्ट



4. रंध्र


5. इष्टतम तापमान

C3 पौधों को शांत मौसम के पौधे कहा जाता है।

इन पौधों की पत्तियों में क्रान्ज एनाटॉमी की कमी होती है।

इन पौधों के क्लोरोप्लास्ट मोनोमोरफिक हैं। पौधों में केवल दानेदार क्लोरोप्लास्ट होते हैं।

रंध्र बंद होने पर प्रकाश संश्लेषण बाधित होता है।

इन पौधों की इष्टतम तापमान सीमा 65-75 डिग्री फारेनहाइट है।

C4 पौधों को गर्म मौसम के पौधे कहा जाता है।

इन पौधों की पत्तियों में क्रान्ज एनाटॉमी होती है।

इन  पौधों के क्लोरोप्लास्ट डिमॉर्फिक हैं।  पौधों में दानेदार और अगरबत्तीदार क्लोरोप्लास्ट दोनों होते हैं।

रंध्र बंद होने पर भी प्रकाश संश्लेषण होता है।

इन पौधों की इष्टतम तापमान सीमा 90-95 डिग्री फारेनहाइट है।