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NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 - In Hindi

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Last updated date: 25th Apr 2024
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NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules in Hindi PDF Download

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Class:

NCERT Solutions for Class 11

Subject:

Class 11 Biology

Chapter Name:

Chapter 9 - Biomolecules

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

Chapter Wise

Other Materials

  • Important Questions

  • Revision Notes


NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.


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Competitive Exams after 12th Science

Access NCERT Solutions for Class XI Biology Chapter 9 - जैव अणु

1. वृहत अणु क्या है? उदाहरण दीजिए।

उत्तर: जो तत्व अम्ल अविलेय अंश में पाये जाते हैं वे वृहत् अणु या वृहत जैविक अणु कहलाते हैं।

उदाहरणार्थ : न्यूक्लिक अम्ल।


2. ग्लाइकोसाइडिक, पेप्टाइड तथा फास्फोड़िएस्टर बन्धों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: निम्नलिखित बंधो का वर्णन -

(i) ग्लाइकोसाइडिक बंध (Glycosidic Bond) :

बहुलकीकरण में मोनोसैकेराइड अणु एक-दूसरे के पीछे जिस सहसंयोजक बन्ध द्वारा जुड़ते हैं उसे ग्लाइकोसाइडिक बंध कहते हैं। इस बंधन में एक मोनोसैकेराइड अणु का एल्डिहाइड या कीटोन समूह दूसरे अणु के एक अल्कोहल अर्थात् हाइड्रॉक्सिल समूह (-OH) से जुड़ता है जिसमें कि जल (H2O) का एक अणु पृथक् हो जाता है।


(ii) पेप्टाइड बंध (Peptide Bond) :

जिस बन्ध द्वारा अमीनो अम्ल के अणु एक-दूसरे से आगे-पीछे जुड़ते हैं, उसे पेप्टाइड या ऐमाइड बन्ध कहते हैं। यह बंध सहसंयोजक होता है और एक अमीनो अम्ल के कार्बोक्सिलिक समूह की अगले अमीनो अम्ल के अमीनो समूह से अभिक्रिया के फलस्वरूप बनता है। इसमें जल का एक अणु हट जाता है।


(iii) फास्फोड़िएस्टर बन्ध (Phosphodiester Bonds) :

न्यूक्लिक अम्ल के न्यूक्लिओटाइड्स (nucleotides) फास्फोड़िएस्टर बन्धों (phosphodiester bonds) द्वारा एक-दूसरे में मिलकर पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला बनाते हैं। फास्फोड़िएस्टर बन्ध समीपवर्ती दो न्यूक्लियोटाइड के फॉस्फेट अणुओं के मध्य बनता है। DNA की दोनों पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के नाइट्रोजन क्षारक हाइड्रोजन बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं।


3. प्रोटीन की तृतीयक संरचना से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: प्रोटीन की तृतीयक संरचना के अंतर्गत प्रोटीन की एक लम्बी कड़ी अपने ऊपर ही ऊन के एक खोखले गोले के समान मुड़ी हुई होती है यह संरचना प्रोटीन के त्रिआयामी रूप को दर्शाती है।


4. 10 ऐसे रुचिकर सूक्ष्म जैव अणुओं का पता लगाइए जो कम अणुभार वाले होते हैं व इनकी संरचना बनाइए। ऐसे उद्योगों का पता लगाइए जो इन यौगिकों का निर्माण विलगन द्वारा करते हैं? इनको खरीदने वाले कौन हैं? मालूम कीजिए।

उत्तर: सूक्ष्म जैव अणु जीवधारियों में पाए जाने वाले सभी कार्बनिक यौगिकों को जैव अणु कहते हैं।

(i) कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates); जैसे : ग्लूकोस, फ्रक्टोस, राइबोस, डीऑक्सिराइबोस शर्करा, माल्टोज आदि।

Carbohydrates

(ii) वसा व तेल (Fat & Oils) : पामिटिक अम्ल, ग्लिसरॉल, ट्राइग्लिसराइड, फास्फोलिपिड्स, कोलेस्ट्रॉल आदि।

Fats and Oils

(iii) अमीनो अम्ल (Amino Acids) : ग्लाइसीन, ऐलेनीन, सीरीन आदि।।

(iv) नाइट्रोजन क्षारक (Nitrogenous Base) : एडेनिन (adenine), ग्वानीन : (guanine), थायमिन (thiamine), यूरेसिल (uracil), साइटोसीन (cytosine) आदि | 


शर्करा उद्योग, तेल एवं घी उद्योग, औषधि उद्योग आदि इनका निर्माण करते हैं। मनुष्य इनका उपयोग अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु करती है।


5. प्रोटीन में प्राथमिक संरचना होती है, यदि आपको जानने हेतु ऐसी विधि दी गई है जिसमें प्रोटीन के दोनों किनारों पर अमीनो अम्ल है तो क्या आप इस सूचना को प्रोटीन की शुद्धता अथवा समांगता (homogeneity) से जोड़ सकते हैं?

उत्तर: प्रोटीन्स की पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाएँ लम्बी व रेखाकार होती हैं। प्रोटीन कुण्डलिनी एवं वलन द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृति धारण करती हैं। इन्हें प्रोटीन्स के प्राकृतिक संरूपण (native conformations) कहते हैं। प्रोटीन के प्राकृतिक संरूपण चार स्तर के होते हैं—प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक एवं चतुष्क स्तर। पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़े ऐमीनो अम्लों के अनुक्रम प्रोटीन की संरचना का प्राथमिक स्तर पर प्रदर्शित करते हैं। प्रोटीन में अमीनो अम्लों का अनुक्रम इसके जैविक प्रक्रिया का निर्धारण करता है।

पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के एक सिरे पर प्रथम अमीनो अम्ल का खुला अमीनो समूह तथा दूसरे सिरे पर अंतिम अमीनो अम्ल का खुला कार्बोक्सिल समूह (carboxyl group) होता है। अतः इन सिरों को क्रमशः N-छोर तथा C-छोर कहते हैं। इससे प्रोटीन की शुद्धता या समांगता प्रदर्शित होती है।


Primary structure of proteins


6. चिकित्सा अर्थ अभिकर्ता (therapeutic agents) के रूप में प्रयोग में आने वाले प्रोटीन का पता लगाइए व सूचीबद्ध कीजिए। प्रोटीन की अन्य उपयोगिताओं को बताइए। (जैसे-सौंदर्य-प्रसाधन आदि)।

उत्तर: साइटोक्रोम ‘C’, हीमोग्लोबिन तथा इम्यूनोग्लोबिन ‘G’ चिकित्सा अर्थ अभिकर्ता के रूप में प्रयोग में आने वाले प्रोटीन हैं। प्रोटीन के निम्नलिखित कार्यों की वजह से इनकी उपयोगिता अधिक है।

  1. लगभग सभी एन्जाइम्स (enzymes) प्रोटीन के बने होते हैं।

  2. थ्रोम्बिन (thrombin) तथा फाइब्रिनोजेन (fibrinogen) रुधिर प्रोटीन्स हैं जो चोट लगने पर रुधिर का थक्का बनने में सहायक होती हैं।

  3. एक्टिन तथा मायोसिन (actin & myosin) संकुचन प्रोटीन्स हैं जो सभी कंकालीय पेशियों के संकुचन में भाग लेती हैं।

  4. रेशम में फाइब्रोइड (fibroin) प्रोटीन होती है।

  5. कुछ हार्मोन; जैसे—अग्र पिट्यूटरी ग्रंथि का वृद्धि हार्मोन (somatotropic) तथा अग्न्याशय ग्रंथि से स्रावित इन्सुलिन (insulin) हार्मोन शुद्ध प्रोटीन के बने होते हैं।

  6. एन्टीबॉडीज या इम्युनोग्लोब्युलिन जो कि शरीर की सुरक्षा करती है प्रोटीन से ही बनी होती है।


7. ट्राइग्लिसराइड के संगठन का वर्णन कीजिए।

उत्तर: एक ग्लिसरॉल (glycerol or glycerine) अणु से एक-एक करके तीन वसीय अम्ल अणुओं के तीन सहसंयोजक बन्धों (covalent bonds) द्वारा जुड़ने से वास्तविक वसा का एक अणु बनता है। इन बन्धों को एस्टर बन्ध (ester bonds) कहते हैं। ग्लिसरॉल एक ट्राई हाइड्रिक अल्कोहल (trihydric alcohol) होता है, क्योंकि इसकी कार्बन श्रृंखला के तीनों कार्बन परमाणुओं से एक-एक हाइड्रॉक्सिल समूह (hydroxyl group, -OH) जुड़ा होता है। एस्टर बन्ध प्रत्येक हाइड्रॉक्सिल समूह तथा एक वसीय अम्ल के कार्बोक्सिल समूह ( COOH) के बीच बनती है। इसलिए वसा अणु को ट्राइग्लिसराइड या ट्राइऐसिक ग्लिसरॉल (triglyceride or triacylglycerol) कहते हैं।


Organization of triglyceride


8. क्या आप प्रोटीन की अवधारणा के आधार पर वर्णन कर सकते हैं कि दूध का दही अर्थवा योगर्ट में परिवर्तन किस प्रकार होता है?

उत्तर: दूध की विलेय प्रोटीन के कसीनोजन (caseinogen) को अविलेय केसीन (casein) में बदलने का कार्य रेनिन (renin) एंजाइम तथा स्ट्रेप्टोकोकस जीवाणु करते हैं। ये किण्वन द्वारा दूध को ही या योगर्ट में बदल देते हैं; क्योंकि कैसीनोजेन प्रोटीन अवक्षेपित हो जाती है।


9. क्या आप व्यापारिक दृष्टि से उपलब्ध परमाणु मॉडल (बॉल व स्टिक नमूना) का प्रयोग करते हुए जैव अणुओं के उन प्रारूपों को बना सकते हैं?

उत्तर: बॉल व स्टिक नमूना (Ball and Stick Model) के द्वारा जैव अणुओं के प्रारूपों को प्रदर्शित किया जा सकता है।


10. अमीनो अम्ल का दुर्बल क्षार से अनुमापन (itrate) कर, अमीनो अम्ल में वियोजी क्रियात्मक समूहों का पता लगाने का प्रयास कीजिए।

उत्तर: अमीनो अम्ल का दुर्बल क्षार से अनुमापन करने से कार्बोक्सिल समूह (-COOH) तथा अमीनो समूह (-NH2) पृथक् हो जाते हैं।


11. ऐलेनीन अमीनो अम्ल की संरचना बताइए।

उत्तर: ऐलेनीन में R समूह अत्यधिक जलरोधी हाइड्रोकार्बन समूह होते हैं जिन्हें पार्श्व श्रृंखलाएँ कहते हैं। इसमें पार्श्व श्रृंखला मेथिल समूह की होती है।


Structure of Alanine Amino Acid
 


12. गोंद किससे बने होते हैं? क्या फेविकोल इससे भिन्न है?

उत्तर: गोंद (Gum) - यह एक द्वितीयक उपापचय (secondary metabolite) है। यह एक कार्बोहाइड्रेट बहुलक (polymer) है। गोंद पौधों की काष्ठ वाहिकाओं (xylem vessels) से प्राप्त होने वाला उत्पाद है। यह कार्बनिक घोलक में अघुलनशील होता है। गोंद जल के साथ चिपचिपा घोल (sticky solution) बनाता है। फेविकोल (fevicol) एक कृत्रिम औद्योगिक उत्पाद है।


13. प्रोटीन, वसा व तेल, ऐमीनो अम्लों का विश्लेषणात्मक परीक्षण बताइए एवं किसी भी फल के रस, लार, पसीना तथा मूत्र में इनका परीक्षण कीजिए?

उत्तर: प्रोटीन एवं अमीनो अम्ल का परीक्षण प्रोटीन के वृहत् अणु (macromolecules) ऐमीनो अम्लों की लम्बी श्रृंखलाएँ होते हैं। अमीनो अम्ल पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़े रहते हैं। इनका आणविक भार बहुत अधिक होता है। अंडे की सफेदी, सोयाबीन, दालों (मटर, राजमा आदि) में प्रोटीन (अमीनो अम्ल) प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। अंडे की सफेदी या दालों (सेम, चना, मटर, राजमा) आदि को जल के साथ पीसकर पतली लुगदी बना लेते हैं। इसे जल के साथ उबाल कर छान लेते हैं। निस्वंद द्रव में प्रोटीन (अमीनो अम्ल) होती है।


प्रयोग 1 :

एक परखनली में 3 मिली प्रोटीन नियंद लेकर, इसमें 1 मिली सांद्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) मिलाइए। सफेद अवक्षेप बनता है। परखनली को गर्म करने पर अवक्षेप घुल जाता है तथा विलयन का रंग पीला हो जाता है। अब इसे ठंडा करके इसमें 10% सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) विलयन मिलाते हैं। परखनली में विलयन का रंग पीले से नारंगी हो जाता है।


प्रयोग 2 :

एक परखनली में प्रोटीन नियंद की 1 मिली मात्रा लेकर इसमें लगभग 1 मिली मिलन अभिकर्मक (Millon’s Reagent) मिलाने पर हल्के पीले रंग का अवक्षेप बनता है। इस अवक्षेप में 4-5 बूंदें सोडियम नाइट्रेट (NaNO3,) की मिलाकर विलयन को गर्म करने पर अवक्षेप का रंग लाल हो जाता है।


वसा व तेल का परीक्षण- 

ये जल में अविलेय और ईथर, पेट्रोल, क्लोरोफॉर्म आदि में घुलनशील (विलेय) होती हैं। साधारण ताप पर जब वसा ठोस होती हैं तो वसा (चर्बी-fat) और जब ये तरल होती हैं तो तेल (oil) कहलाती हैं। पादप वसा असंतृप्त (नारियल का तेल तथा ताड़ का तेल संतृप्त) तथा जन्तु वसा संतृप्त होती हैं।


प्रयोग 1 :

मूंगफली के कच्चे दाने लेकर उनको सफेद कागज पर रखकर पीस लीजिए। अब इस कागज के टुकड़े को प्रकाश के किसी स्रोत की ओर रखकर देखिए। यह अल्प पारदर्शी नजर आता है। इस पर एक बूंद पानी डालकर देखें। कागज पर पानी का प्रभाव नहीं होता। यह प्रयोग जन्तु वसा (देशी घी) के साथ भी किया जा सकता है।


प्रयोग 2 :

एक परखनली में 0:5 मिली परीक्षण तेल या वसा तथा 0:5 मिली जल (दोनों बराबर मात्रा में) लेते हैं। अब इसमें 2-3 बूंदें सुडान-III विलयन की डालकर हिलाते हैं तथा पाँच मिनट तक ऐसे ही रख देते हैं। परखनली में जल तथा तेल की पृथक् पर्यों में, तेल की पर्त लाल नजर आती है। (नोट-फल के रस, लार, पसीना तथा मूत्र में इनका परीक्षण उपयुक्त विधियों द्वारा किया जा सकता है।)


14. पता लगाइए कि जैव मंडल में सभी पादपों द्वारा कितने सेलुलोस का निर्माण होता है? इसकी तुलना मनुष्यों द्वारा उत्पादित कागज से कीजिए। मानव द्वारा प्रतिवर्ष पादप पदार्थों की कितनी खपत की जाती है? इसमें वनस्पतियों की कितनी हानि होती है?

उत्तर: सेलुलोस (cellulose) पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाला कार्बोहाइड्रेट है। यह जटिल बहुलक होता है। पादपों में सेलुलोज की मात्रा सर्वाधिक होती है। यह पादप कोशिकाओं की कोशिका भित्ति को यांत्रिक दृढ़ता प्रदान करता है। पौधों के काष्ठीय भागों व कपास तथा रेशेदार पौधों में इसकी मात्रा बहुत अधिक होती है। काष्ठ में लगभग 50% तथा कपास के रेशे में इसकी मात्रा लगभग 90% होती है। मनुष्य द्वारा सेलुलोस का उपयोग ईंधन तथा इमारती लकड़ी के रूप में, तंतुओं के रूप में वस्त्र निर्माण, कृत्रिम रेशे निर्माण, कागज निर्माण में प्रमुखता से किया जाता है। नाइट्रो सेलुलोस का उपयोग विस्फोटक पदार्थ के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग पारदर्शी प्लास्टिक सेलुलॉइड, (celluloid) बनाने के लिए किया जाता है जिससे खिलौने, कंघे आदि बनाए जाते हैं। मनुष्य सेलुलोज का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनस्पतियों को हानि पहुँचा रहा है। इसके फलस्वरूप प्राकृतिक वन क्षेत्रों में निरंतर कमी होती जा रही है। पारितंत्र के प्रभावी होने के कारण अनेक पादप प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं।


15. एंजाइम के महत्वपूर्ण गुणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: एंजाइम के महत्वपूर्ण गुण निम्नवत् हैं-

  • विकर (enzymes), उत्प्रेरकों (catalyst) के रूप में कार्य करते हैं और जीवों (living organisms) में अभिक्रिया की दर (rate of reaction) को प्रभावित करते हैं।

  • क्रियाधारों (reactants or substrate) को उत्पादों (products) में बदलने के लिए एंजाइम की बहुत सूक्ष्म मात्रा अथवा सान्द्रता की आवश्यकता होती है।

  • एंजाइम उत्प्रेरक (enzyme catalyst) उच्च अणुभार के, जटिल, नाइट्रोजन कार्बनिक यौगिक, प्रोटीन होते हैं जो जीवित कोशिकाओं में उत्पन्न होते हैं। एंजाइम का अणु उसके क्रियाधार के अणु की तुलना में बहुत बड़ा होता है। एन्जाइम का आणविक भार हजारों से लेकर लाखों तक होता है, जबकि क्रियाधारों का अणुभार प्रायः कुछ सैकड़ों में ही होता है।

  • ये किसी रासायनिक क्रिया को प्रारम्भ नहीं करते, बल्कि क्रिया की गति को उत्प्रेरित (catalysed) करते हैं।

  • अधिकांश एंजाइम जल अथवा नमक के घोल में घुलनशील होते हैं। कोशिका द्रव्य में ये कोलॉइडी (colloidal) विलयन बनाते हैं।

  • एंजाइम जीवों में होने वाली समस्त शरीर-क्रियात्मक अभिक्रिया (physiological reactions), जैसे-जल-अपघटन, ऑक्सीकरण, अपचयन, अपघटन आदि को उत्प्रेरित करते हैं।

  • एन्जाइम प्रायः विशिष्ट (specific) होते हैं, अर्थात् एक एंजाइम एक विशेष क्रिया का ही उत्प्रेरक करता है। 

C₁₂H₂₂O₁₁ + H₂O →C₆H₁₂O₆ + C₆H₁₂O₆

  • उदाहरणार्थ-एंजाइम इन्वेंस (invertase) केवल सुक्रोज के जल-अपघटन को उत्प्रेरित करता है।

  • इन्वटेंस (invertase) एंजाइम द्वारा माल्टोज का ग्लूकोज में जल-अपघटन उत्प्रेरित नहीं होता

  • एन्जाइम ताप परिवर्तन से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। किसी एंजाइम की उत्प्रेरक सक्रियता किस ताप पर सर्वाधिक होती है उसे अनुकूल ताप (optimum temperature) कहते हैं। अनुकूलन ताप पर अभिक्रिया की दर उच्चतम होती है। अधिक ताप पर एंजाइम की विकृति (denatured) हो जाती है अर्थात् एन्जाइम की प्रोटीन संरचना और उसकी उत्प्रेरक सक्रियता नष्ट हो जाती है। एंजाइमों का अनुकूलन ताप साधारणत: 25-40°C होता है। बहुत कम ताप पर एंजाइम निष्क्रिय (inactive) हो जाते हैं।

  • एंजाइम उत्प्रेरित अभिक्रिया की दर pH परिवर्तन से बहुत प्रभावित होती है। प्रत्येक एंजाइम एक विशेष pH माध्यम में ही पूर्ण सक्रिय होता है। प्रत्येक एंजाइम की उत्प्रेरक सक्रियता जिस pH पर अधिकतम होती है उसे अनुकूलन H (optimum pH) कहते हैं। एंजाइमों की अनुकूलन pH साधारणत: 5-7 होती है।

  • कुछ एंजाइम अम्लीय माध्यम में तथा कुछ क्षारीय माध्यम में क्रिया करते हैं।

  • कुछ एंजाइम कोशिका के अन्दर सक्रिय होते हैं तथा कुछ एन्जाइम कोशिका के बाहर भी सक्रिय होते हैं।


NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 Biomolecules in Hindi

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FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 9 - In Hindi

1. List out the properties of enzymes covered in Chapter 9 of NCERT Solutions for Class 11 Biology.

The important properties of enzymes are:

  • The enzymes have higher molecular weight and are also complex macromolecules

  • Enzymes accelerate a reaction but don’t initiate it

  • They are known to be action-specific

  • Their maximum activity is observed at 6-8 ph level

  • The enzymatic velocity increases and reaches a maximum velocity if there is an increase in substrate concentration

  • Temperature affects the enzymes, if the temperature increases then the enzymatic activity decreases.

  • Enzymes affect the rate of biochemical reactions but do not influence the direction of the reaction.

2. What are the fundamental concepts I can learn from Chapter 9 of NCERT Solutions for Class 11 Biology?

The fundamental concepts to be learnt from Chapter 9 of NCERT solutions for Class 11 Biology are:

  • Analyzing the chemical composition

  • Primary and Secondary Metabolites

  • Biomacromolecules

  • Proteins

  • Polysaccharides

  • Nucleic acid

  • Structure of proteins

  • Nature of bond linking monomers in a polymer

  • The dynamic state of body constituents- the concept of metabolism

  • Metabolic basis for living

  • The living state

  • enzymes.

3. Why should we study biomolecules?

The study of biomolecules is important because it provides us with an insight into the functioning of the living organism. These molecules help in performing chemical reactions in a living organism and thus this helps in the study of the psychological functions that manage the proper growth and development of the human being. Students can avail free PDFs of the NCERT Solutions on the webpage of Vedantu or on the Vedantu app. It will help them in understanding the concept better with answers that will rid their doubts.

4. How can I prepare for the Class 11 Biology exam using NCERT Solutions?

It is important for students to follow a routine to get a better hold of the concepts that are taught in the syllabus. Along with following this routine, it also becomes essential to access and practice the questions from the NCERT Solutions. These exercises are devised by experts to help the student in his studies. These solutions have detailed explanatory solutions with them which makes the understanding process smoother and simpler. Thus, along with the concepts taught in the classroom, students should also follow the NCERT Solutions to get a stronghold on the subject.

5. Which site is the best for NCERT Solutions for Class 11 Biology PDF?

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