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NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 10 - In Hindi

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Last updated date: 26th Apr 2024
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NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 10 Cell Cycle and Cell Division in Hindi PDF Download

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Access NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 10 - कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

1. स्तनधारियों की कोशिकाओं की औसत कोशिका चक्र अवधि कितनी होती है?

उत्तर: 24 घण्टे के समय में मनुष्य की कोशिकाओं अथवा स्तनधारियों की कोशिका में कोशिका विभाजन पूर्ण होने में केवल एक घण्टे का समय लगता है।


2. जीवद्रव्य विभाजन व केन्द्रक विभाजन में क्या अन्तर है?

उत्तर: कोशिका चक्र के M-प्रावस्था में केन्द्रक विभाजन शुरू होती है जिसमें गुणसूत्र अलग होकर दो केन्द्रकों का निर्माण करते हैं। इसे केन्द्रक विभाजन अथवा कैरियोकाइनेसिस (karyokinesis) कहते हैं। सामान्यत: इस क्रिया की समाप्ति पर कोशिका द्रव्य में भी विभाजन होकर दो कोशिका बन जाती हैं। इसे जीवद्रव्य विभाजन अथवा साइटोकाइनेसिस (cytokinesis) कहते हैं। यदि केवल कैरियोकाइनेसिस हो तथा साइटोकाइनेसिस न हो, तो एक कोशिका बहु केंद्र की (multinucleate) बन जाती है।


3. अन्तरावस्था में होने वाली घटनाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर: यह अवस्था कोशिका की विश्राम अवस्था (resting phase) मानी जाती है क्योंकि इस अवस्था में कोशिका वृद्धि करती है, अगले विभाजन की तैयारियां पूर्ण होती हैं तथा DNA का द्विगुणन होता है। इस अवस्था के तीन चरण हैं :-

i. G1 - फेज (Gap 1)

ii. S - फेज (संश्लेषण अवस्था)

iii. G2 - फेज (Gap 2)

G1 - फेज माइटोसिस तथा DNA द्विगुणन प्रारम्भ होने का मध्यावकाश है। 

S - फेज में DNA संश्लेषण व द्विगुणन होता है। DNA की मात्रा दोगुनी हो जाती है परन्तु गुणसूत्र संख्या में वृद्धि नहीं होती है। यदि G1 में 2n गुणसूत्र संख्या हो, तो S में भी 2n ही होगी। जन्तु कोशिका में DNA द्विगुणन के साथ-साथ सेन्ट्रिओल विभाजन भी होता है। 

G2 - फेज में प्रोटीन संश्लेषण होता है तथा कोशिका टोसिस (mitosis) के लिए तैयार होती है।


4. कोशिका चक्र का G0 (प्रशान्त प्रावस्था) क्या है?

उत्तर: कुछ कोशिकाओं में विभाजन की क्रिया नहीं होती है। कोशिका की मृत्यु होने पर दूसरी कोशिका उसका स्थान ले लेती है। अत: G1 -प्रावस्था एक अक्रिय अवस्था में प्रवेश करती है, इसे शान्त प्रावस्था (G0) कहते हैं। इस अवस्था में कोशिका केवल उपापचयी रूप से सक्रिय रहती है।


5. सूत्री विभाजन को सम विभाजन क्यों कहते हैं?

उत्तर: सूत्री विभाजन में बनी दोनों पुत्री कोशिकाओं (daughter cells) में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के समान ही बनी रहती है। इसी कारण सूत्री विभाजन को सम विभाजन (equational division) भी कहते हैं।


6. कोशिका चक्र की उस प्रावस्था का नाम बताइए जिसमें निम्न घटनाएँ सम्पन्न होती हैं :-

  • गुणसूत्र तर्क मध्य रेखा की ओर गति करते हैं।

  • गुणसूत्र बिन्दु का टूटना व अर्ध गुणसूत्र का पृथक् होना।

  •  समजात गुणसूत्रों का आपस में युग्मन होना।

  •  समजात गुणसूत्रों के बीच विनिमय का होना।

उत्तर:  कोशिका चक्र की निम्न घटनाएँ :

  •  मेटाफेज

  •  एनाफेज

  •  प्रोफेज-I की जाइगोटीन अवस्था जिसमें सिनेप्सिस (synapsis) होती है

  •  प्रोफेज-I की पैकीटीन (pachytene) प्रावस्था।


7. निम्न के बारे में वर्णन कीजिए:-

(i) सूत्र युग्मन

उत्तर: अर्धसूत्री विभाजन के प्रथम प्रोफेज की जाइगोटीन अवस्था में गुणसूत्र जोड़े बनाते हैं। जाइगोटीन प्रथम प्रोफेज की दूसरी स्तर है। इसे सूत्र युग्मन कहते हैं।

(ii) युगली

उत्तर: सूत्र युग्मन से बने समजात गुणसूत्र जोड़े में 4 अर्ध गुणसूत्र होते हैं तथा इस जोड़े को युगली कहते हैं। इसे टेट्राड (tetrad) भी कहते हैं।

(iii) काएज्मेटा।

उत्तर: डिप्लोटीन की शुरुआत को सिनेप्टोनेमल कॉम्प्लेक्स के विघटन और क्रॉसओवर के स्थलों को छोड़कर द्विसंयोजकों के पुनर्संयोजित समरूप गुणसूत्रों की एक दूसरे से अलग होने की प्रवृत्ति से पहचाना जाता है। इन ‘x’ आकार की संरचनाओं को चियास्मता कहा जाता है।


8. पादप व प्राणी कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य विभाजन में क्या अन्तर है?

उत्तर: पादप कोशिका में विभाजन के समय पट्ट बनता है जिससे बाद में कोशिका भित्ति बनती है। पादप कोशिकाओं में, दीवार का निर्माण कोशिका के केंद्र में शुरू होता है और मौजूदा पार्श्व दीवारों से मिलने के लिए बाहर की ओर बढ़ता है। परन्तु जन्तु कोशिका में दोनों ओर से वलन बनकर मध्य में आते हैं और दो भागों में कोशिका बँट जाती है।


9. अर्द्धसूत्री विभाजन के बाद बनने वाली चार संतति कोशिकाएँ कहाँ आकार में समान व कहाँ भिन्न आकार की होती हैं?

उत्तर: अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis) द्वारा युग्मक निर्माण होता है। शुक्राणुजनन (spermatogenesis) में मातृ कोशिका के विभाजन से बनने वाले चारों पुत्री कोशिका समान होती हैं। ये शुक्र कायांतरण द्वारा शुक्राणु का निर्माण करती हैं। शुक्र जनन में बनने वाले चारों संतति कोशिकाएं आकार में समान होती हैं। अंडजनन (oogenesis) में मातृ कोशिका से बनने वाली संतति कोशिकाएं आकार में भिन्न होती हैं। अण्डनन के फलस्वरूप एक अंडाणु तथा पोलर कोशिकाएँ बनती हैं। पोलर कोशिकाएं आकार में छोटी होती हैं। पौधों के बीजांड में गुरुबीजाणुजनन (अर्द्धसूत्री विभाजन) के फलस्वरूप गुरुबीजाणु से चार कोशिकाएं बनती हैं। इनमें आधारीय कोशिका अन्य कोशिकाओं से भिन्न होती है। यह वृद्धि और विभाजन द्वारा भ्रूणकोष (embryo sac) बनाता है। पौधों में लघु-बीजाणु जनन द्वारा लघु बीजाणु या परागकण बनते हैं। ये आकार में समान होते हैं।


10. सूत्री विभाजन की पश्चावस्था तथा अर्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था I में क्या अन्तर है?

उत्तर: सूत्री विभाजन तथा अर्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था प्रथम में अंतर:

समसूत्री विभाजन की पश्चावस्था (Anaphase Stage of Mitosis)

अर्धसूत्री विभाजन प्रथम की पश्चावस्था (Anaphase Stage of Meiosis I)

समसूत्री विभाजन की पश्चावस्था में गुणसूत्र के क्रोमैटिड्स (अर्धगुणसूत्र) प्रतिकर्षण के कारण विपरीत ध्रुवों की ओर खींचने लगते हैं। इन अर्द्ध गुणसूत्रों कोसन्तति गुणसूत्र कहते हैं। दोनों क्रोमेटिड्स की संरचना समान होने से संतति कोशिकाएँ मातृ कोशिका के समान होती हैं।

अर्द्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था प्रथम में सूत्र युग्मन (synapsis) के कारण बने गुणसूत्रों के जोड़ों में प्रतिकर्षण होने के कारण समजात गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर खींचने लगते हैं। समजात गुणसूत्रों में विनिमय (crossing over) के कारण गुणसूत्रों की संरचना बदल जाती है और लक्षणों में भिन्नता आ जाती है। इसमें गुणसूत्रों का बंटवारा होने के कारण पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।


11. सूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन में प्रमुख अंतरों को सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर: सूत्री व अर्द्धसूत्री विभाजन में अंतर:

क्र० सं०

सूत्री विभाजन

अर्धसूत्री विभाजन

1.

कोशिका एक बार विभाजित होती है।

कोशिका दो बार विभाजित होती है।

2.

ये कायिक कोशिकाओं (somatic cells) में होता है।

केवल जनद मातृ कोशिकाओं (reproductive mother cells) में होता है।

3.

अलैंगिक व लैंगिक (asexual and sexual) दोनों जनन में पाया जाता है।

केवल लैंगिक (sexual) जनन में होता है।

4.

DNA का द्विगुणन सुप्तावस्था में होता है।

DNA का द्विगुणन प्रथम सुप्तावस्था में होता है,परन्तु द्वितीय सुप्तावस्था में नहीं होता है।

5.

एक बार विभाजन के लिए DNA में द्विगुणन एक बार होता है।

दो बार विभाजन के लिए DNA का द्विगुणन दो बार होता है।

6.

पूर्वावस्था (prophase) बहुत छोटी अवधि में पूर्ण हो जाती है।


पूर्वावस्था-I (prophase-I) सबसे लंबी अवस्था होती है। ये कुछ घंटों से कुछ दिनों तक चलती है। इसमें लेप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकीटीन, डिप्लोटीन तथा डाई काइनेसिस आदि उपअवस्थाएँ मिलती हैं।

7.

पूर्वावस्था सरल होती है।

पूर्वावस्था जटिल होती है।

8.

केन्द्रक आयतन में नहीं बढ़ता है।

केन्द्रक आयतन (volume) में बहुत बढ़ जाता है।

9.

गुणसूत्र युग्म (pair) नहीं बनते हैं, कुण्डली प्लेक्टोनीमिक होती है।

गुणसूत्र युग्मी (paired) होते हैं तथा कुण्डलीपेरानीमिक होती है।

10.

क्रॉसिंग ओवर (crossing over) नहीं होता है तथा किएज्मा नहीं बनता है।

क्रॉसिंग ओवर होने तथा किएज्मा (chiasma)बनने से गुणसूत्र खण्डों का विनिमय होता है।

11.

कोशिका विभाजन तथा गुणसूत्र विभाजन एक ही बार होता है।

कोशिका विभाजन दो बार परन्तु गुणसूत्र विभाजन एक बार होता है।

12.

मध्यावस्था में सभी सेन्ट्रोमियर मध्य रेखा पर आ जाते हैं तथा एक रेखा में व्यवस्थित होते हैं।

मध्यावस्था-I में सेन्ट्रोमियर दो रेखाओं में व्यवस्थित रहते हैं तथा भुजाएं मध्य रेखा पर होती हैं।

13 

मध्यावस्था में सेन्ट्रोमियर विभाजित हो जाता है।

मध्यावस्था-I में सेन्ट्रोमीयर विभाजित नहीं होता है, परन्तु समजात गुणसूत्र अलग-अलग हो जाते हैं।

14.

पश्चावस्था में गुणसूत्र के दोनों हिस्से अलग-अलग ध्रुवों की ओर चलते हैं।

पश्चावस्था-I में पहले छोटे कम किएज्मा वाले गुणसूत्र तथा फिर लम्बे अधिक किएज्मा वाले गुणसूत्र अलग होते हैं।

15.

एक जनक कोशिका से दो पुत्री कोशिकाएँ (daughter cells) बनाते हैं।

एक जनक कोशिका से चार पुत्री कोशिकाएँ (daughter cells) बनाते हैं।

16.

पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका के समान ही होती है।

पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिकाओं की ठीक आधी (half) रह जाती है।

17.

केन्द्रक विभाजन के पश्चात कोशिका द्रव्य विभाजन होता है।

न केन्द्रक विभाजन के पश्चात् कोशिकाद्रव्य काविभाजित होना निश्चित नहीं होता है।

18.

पुत्री कोशिका तथा मातृ कोशिका के लक्षण समान होते हैं।

न पुत्री कोशिका में मातृ व पितृ लक्षणों मिश्रण मिलता है।


12. अर्द्धसूत्री विभाजन का क्या महत्व है?

उत्तर: अर्द्धसूत्री विभाजन का निम्नलिखित महत्त्व हैं:-

  1. अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप बने युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। लेकिन जनन में नर तथा मादा युग्मकों के मिलने से द्विगुणित जाइगोट (zygote)का निर्माण होता है। इस प्रकार अर्द्धसूत्री विभाजन तथा निषेचन के फलस्वरूप प्रत्येक जाति में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।

  2. अर्द्धसूत्री विभाजन के समय विनिमय (crossing over) के कारण गुणसूत्रों की संरचना बदल जाती है, इससे विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। जैव विभिन्नता जैव विकास का आधार होता हैं।


13. अपने शिक्षक के साथ निम्नलिखित के बारे में चर्चा कीजिए।

  •  अगुणित कीटों व निम्न श्रेणी के पादपों में कोशिका विभाजन कहाँ सम्पन्न होता है?

  •  उच्च श्रेणी पादपों की कुछ अगुणित कोशिकाओं में कोशिका विभाजन कहाँ नहीं होता है?

उत्तर:  निम्नलिखित के बारे में विस्तार में चर्चा :

  1.  नर मधुमक्खियां अर्थात ड्रोन्स (drones) अगुणित होते हैं। इनमें सूत्री विभाजन अनिषेचित अगुणित अण्डों में होता है। निम्न श्रेणी के पादपों; जैसे-एककोशिकीय क्लैमिडोमोनास (Chlamydomonas), बहुकोशिकीय यूलोथ्रिक्स (Ulothrix) आदि में समसूत्री विभाजन द्वारा जनन होता है। इनमें अगुणित युग्मक बनते हैं। युग्मकों के परस्पर मिलने से युग्माणु (zygote) बनते हैं। जाइगोट में अर्धसूत्री विभाजन होता है। इसके फलस्वरूप बने अगुणित बीजाणु समसूत्री विभाजन द्वारा नए पादपों का विकास करते हैं।

  2. उच्च श्रेणी के पादपों में द्विगुणित बीजाण्डकाय में गुरुबीजाणु मात्र कोशिका में अर्धसूत्री विभाजन के कारण चार अगुणित गुरुबीजाणु बनते हैं। इनमें से तीन में कोशिका विभाजन नहीं होता। सक्रिय गुरुबीजाणु से भ्रूणकोष (embryo sac) बनता है। भ्रूणपोष की अगुणित प्रतिमुख कोशिकाओं (antipodal cells) तथा सहायक कोशिकाओं (synergids) में कोशिका विभाजन नहीं होता। साइकस के लघुबीजाणुओं (परागकण) के अंकुरण के फलस्वरूप नर युग्मकोभिद बनता है। इसकी प्रोथैलियल कोशिका (prothallial cell) तथा लिखा कोशिका (tube cell) में कोशिका विभाजन नहीं होता।


14. क्या S प्रावस्था में बिना डी०एन०ए० प्रतिकृति के सूत्री विभाजन हो सकता है?

उत्तर: ‘S’ प्रावस्था में DNA की प्रतिकृति के बिना सूत्री विभाजन नहीं हो सकता। ‘S’ चरण में डीएनए प्रतिकृति होती है। डीएनए की इस मात्रा में दोगुना हो जाता है लेकिन गुणसूत्र संख्या वही रहती है जो G1 चरण के अंत में होती है। ‘S’ चरण की समाप्ति के बाद DNA की मात्रा 2C से बढ़कर 4C हो जाती है और 2n गुणसूत्र संख्या होती है।


15. क्या बिना कोशिका विभाजन के डी०एन०ए० प्रतिकृति हो सकती है?

उत्तर: कोशिका विभाजन के बिना भी DNA प्रतिकृति हो सकती है। सामान्यतः DNA से RNA का निर्माण प्रकृति के फलस्वरूप ही होता रहता है।


16. कोशिका विभाजन की प्रत्येक अवस्थाओं के दौरान होने वाली घटनाओं का विश्लेषण कीजिए और ध्यान दीजिए कि निम्नलिखित दो प्राचलों में कैसे परिवर्तन होता है?

  1.  प्रत्येक कोशिका की गुणसूत्र संख्या (N)

  2.  प्रत्येक कोशिका में डी०एन०ए० की मात्रा (C)

उत्तर: अन्तरावस्था की G1 प्रावस्था में कोशिका उपापचयी रूप से सक्रिय होती है। इसमें निरंतर वृद्धि होती रहती है। S-प्रावस्था में DNA की प्रतिकृति होती है। इसके फलस्वरूप DNA की मात्रा दोगुनी हो जाती है। यदि DNA की प्रारंभिक मात्रा 2C से प्रदर्शित करें तो इसकी मात्रा 4C हो जाती है, जबकि गुणसूत्रों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता। यदि G1 प्रावस्था में गुणसूत्रों की संख्या 2N है तो G2 प्रावस्था में भी इनकी संख्या 2N रहती है। अर्द्धसूत्री विभाजन की पूर्व अवस्था प्रथम की युग्म पट्ट (जाइगोटीन) अवस्था में समजात गुणसूत्र जोड़े बनाते हैं। पश्चावस्था प्रथम में गुणसूत्रों का बंटवारा होता है। यदि गुणसूत्रों की संख्या 2N है तो अर्द्धसूत्री विभाजन के पश्चात् गुणसूत्रों की संख्या N रह जाती है। जननांगों (2N) में युग्मकजनन अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप होता है। इसके फलस्वरूप युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या घटकर अगुणित (आधी-N) रह जाती है।


NCERT Solutions for Class 11 Biology Chapter 10 Cell Cycle and Cell Division in Hindi

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