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Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Antral Chapter 3 - Awara Masiha

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Last updated date: 20th Apr 2024
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CBSE Class 11 Hindi Antral Important Questions Chapter 3 - Awara Masiha - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 11 Hindi Antral Chapter 3 - Awara Masiha prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class 11 Hindi Chapter 3– आवारा मसीहा

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

1. शरत् के पिता का क्या नाम था ? उनका व्यक्तित्व कैसा था? 

उत्तर: शरत् के पिता का नाम मोतीलाल यायावर था। वे  शिल्पी मन के थे और दासता के बंधन में बंध कर नहीं रह पाते थे।


2. बाग में इतनी गर्मी होने के बाद भी शरत् को वहां क्या अच्छा लगता था?

उत्तर:  बाग में गर्मी होने के कारण फल फूल नहीं थे लेकिन शरत् को घनी साया के नीचे बैठकर शांति से  समय काटना बहुत अच्छा लगता था।


3. बाग में घूमने के दौरान शरत् क्या सोच रहा था?

उत्तर: बाग में घूमने के दौरान शरत् भारी मन से सोच रहा था कि अब वह यहां से चला जाऊँगा, पता नहीं अब वापस आना हो या ना हो। 


4. शरत्  ने जब बाग में जाने को कहा तो वहां का मौसम कैसा था? 

उत्तर: बाग में बहुत गर्मी थी और  जिसके कारण बाग में कोई फूल फल नहीं थे। 


5. नौकरी छोड़ने के बाद मोतीलाल क्या करते हैं? 

उत्तर: नौकरी छोड़ने के बाद मोतीलाल पढ़ने में व्यस्त हो जाते या कविता करने लगते। कहानी, उपन्यास,  नाटक और चित्रकला में रुचि  थी।

 

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

6. शरत् को भागलपुर में क्या अच्छा लगता था?

उत्तर: शरत् को भागलपुर में गंगा के घाट के टूटे स्तूप पर  से गंगा में कूदने अच्छा लगता था और उसे गंगा के पार जो  झाऊ का वन था अच्छा लगता था।


7. बाग में घूमते समय शरत् बिना सूत्र की बातें क्यों कर रहा था?

उत्तर: शरत् ने यहां से  चले जाना था इस कारण उसका मन बहुत भारी था ।बाग में पहुंचकर पेड़ों के पास घूमते घूमते वह  मन ही मन उनसे विदा लेने लगा और सोच रहा था अब वापस आना हो या ना आना हो लेकिन वह  किसी से कुछ कहता नहीं था। शरत् पेड़ की डाल पर बैठ गया और वह पेड़ से बातें करने लगा।  विदा के दुख को छुपाने के लिए वह पेड़ से बिना सूत्र की बातें कर रहा था।


8. भागलपुर वापस जाने के बाद शरद को कहां भर्ती करा दिया गया?

उत्तर: भागलपुर आने पर शरत् को दुर्गाचरण एम . ए . स्कूल की छात्रवृत्ति क्लास में भर्ती करा दिया गया। नाना स्कूल के मंत्री थे इसलिए बालक की शिक्षा - दीक्षा कहां तक हुई इसकी किसी ने खोज खबर नहीं ली। यहां उसे 'सीता - बनवास', चारू -  पाठ, 'सद्भाव - सद्गुरु" और 'प्रकांड - व्याकरण' पढ़ना पड़ा।


9. शरत् को दुर्गाचरण एम .ई. स्कूल में क्या क्या पढ़ना पड़ा? 

उत्तर: शरत् को दुर्गाचरण एम .ई. स्कूल में भर्ती हो जाने के पहले उसने केवल' बोधोदयवो'  ही पड़ा था। यहां उसे आकर पढ़ना पड़ा 'सीता- बनवास' 'चारु- पाठ', 'सद्भाव - सद्गुरु' और 'प्रकांड - व्याकरण'।


10. शरतचंद्र को किसका शौक था? 

उत्तर: शरत् के बहुत सारे शौक थे -जैसे पशु - पक्षी पालना और उपवन लगाना। लेकिन उन सबसे प्रमुख था तितली उद्दयोग। नाना रूप -रंग की अनेक तितलियों को उसने काठ के बक्से में रखा था उनकी रूचि के अनुसार भोजन की व्यवस्था करता था।


लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)

11. जब शरत् से पहली बार नाना के घर गया तो वह वहां क्या हुआ था? 

उत्तर: शरत् इस परिवार में इस पिढि का पहला लड़का था जिस कारण जब पहली बार नाना के घर आया तो उसका बहुत अच्छा स्वागत हुआ। नाना ने उसे सोने की तगड़ी पहनाकर गोद में लिया और नाना - नानियों ने उसके ऊपर  धन औरअलंकारों की बौछार की।


12. मोतीलाल को नौकरी मिलने के बाद में उसे छोड़ क्यों देते थे?

उत्तर: मोतीलाल प्रकृति के  स्वपनदर्शी व्यक्ति थे। जीवन का कोई भी धंधा उन्हें बांधकर नहीं रख सकता था अगर नौकरी मिल भी जाती तो उनका शिल्पी मन और दास्तां के बंधन में कोई सामंजस्य नहीं हो पाता। कुछ तो कुछ दिन नौकरी में मन लगाते और फिर बड़े शाहब से लड़ाई होने पर नौकरी को  छोड़ बैठते क्योंकि उन्हें कहानी, उपन्यास, नाटक और चित्रकला में ज्यादा रुचि थी।


13. मोतीलाल अपनी रचनाओं को अधूरा क्यों छोड़ देते छोड़ दिया करते थे पोषमार्क?

उत्तर: अंत की अनिवार्यता मानो मोतीलाल ने कभी स्वीकार ही नहीं की।  बीच में छोड़कर नई रचना आराम्भ कर देते थे। वह अपनी रचनाओं को अधूरा इसलिए छोड़ दिया करते थे क्योंकि शायद उनका आदर्श बहुत ऊंचा होता था या शायद अंत तक पहुंचने की क्षमता उनमें नहीं थी। इसलिए वह कभी कोई रचना पूरी नहीं कर सके। उनकी रचनाओं का आरंभ जितना महत्वपूर्ण होता अंत तो उतना ही  महत्वहीन।


14. भारतवर्ष का एक विशाल मानचित्र बनाना मोतीलाल ने अधूरा क्यों छोड़ दिया? 

उत्तर: मोतीलाल जी रचना का आरंभ इतना महत्वपूर्ण होता है अंत उतना ही महत्वहीन होता है। मोतीलाल ने बच्चों के लिए भारतवर्ष का एक विशाल मानचित्र बनाना शुरू किया इसी दौरान उनके मन में एक प्रश्न उठा था, क्या इस मानचित्र से हिमाचल की गरिमा का ठीक ठीक अंकन हो सकेगा? नहीं हो सकेगा।बस फिर काम आगे नहीं बढ़ सकेगा। इसी कारण उन्होंने काम मानचित्र का काम अधूरा छोड़ दिया और हर बार की तरह वह इस बार भी काम पूरा नहीं कर सके।


15. शरत् की मां भुवनमोहिनी  सबको लेकर भागलपुर क्यों चली गई?

उत्तर: शरत् के पिता मोतीलाल को जीविका का कोई  धंधा उन्हें बांधकर ना रख सका। चारों ओर से लांछित होकर  वह कोई काम  ढूंढते। अगर कोई नौकरी मिल भी  जाती तो उनका शिल्पी मन और दासता के बंधन में कभी सामजंस्य नहीं होता। उनकी सारी कला साधना व्यर्थता में सफल हुई।  परिवार का भरण पोषण उनके लिए असंभव हो गया यह देखकर शरत् की माँ ने उन्हें बहुत भला बुरा कहा और इसीलिए वह भागलपुरी चली आई।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

16. क्या किसी वस्तु का अभाव या अधूरापन मनुष्य के लिए प्रेरणादायी सिद्ध हो सकता है?

उत्तर: जीवन में अभाव और अधूरापन हमेशा कुछ हासिल करने की प्रेरणा देता हैं। अगर मनुष्य के पास किसी वस्तु का अभाव ना हो तो उसे उसको प्राप्त करने का  जनून नहीं होता।  कहते हैं कि जरूरत ही जननी है। जब मनुष्य के पास कोई वस्तु नहीं होती या कोई अधूरापन होता है तो वह उसको पूरा करने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम करता है क्योंकि कहा गया है जब मनुष्य के पास वह वस्तु होती है तो वे इसकी कदर नहीं करता। हमने देखा है कि दुनिया भर की महान हस्तियां जितनी भी हुई है पहले उनके जीवन में अभाव या अधूरापन रहा है और उसी से लड़कर वह आगे बढ़े और उन्हें एक सफल जीवन बनाया और समाज में अपनी एक जगह बनाई। अतः इस बात में कोई संदेह नहीं है कि किसी वस्तु का अभाव और अपूर्णता या अधूरापन मनुष्य के लिए प्रेरक हो सकता है।


17. क्या आप अपने परिवेश, गांव या शहर को भूल सकते हैं?  क्या आप भूल सकते हैं?

उत्तर: अपने परिवार गांव या शहर को भूलना असंभव बात है क्योंकि उस जगह से हमारी बहुत सारी यादें जुड़ी होती हैं। जहां हमने जन्म लिया हो इस जगह से हमें लगाव हो जाता है जहां हमने अपने दोस्तों के साथ मिलकर शरारतें की हो, खेल खेले हो और गली गली में घूमे हो। जहां हम हर रास्ते से वाकिफ हो और जहां  हमारी हजारों की संख्या में यादें जुड़ी हो और जहां हमने अपने दादा दादी की कहानियां सुनी हो और जहां हम अपने दोस्तों के साथ पढ़ने के लिए स्कूल गए हो। जिस जगह से हमारी इतनी यादें जुड़ी हो तो भला उस जगह को हम कैसे भूल सकते हैं। मैं तो कभी भी नहीं भूल सकता।


18. नाना के घर किन-किन बातों का निषेध था?  क्या शरत् नाना के कानूनों का पालन  करते हैं?

उत्तर: शरत् के नाना का स्वभाव  कट्टर और कठोर था। नाना स्कूल के मंत्री ही नहीं समाज के नेता भी थे मनुष्य के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए इस के आदर्श माने जाते थे।  नाना लोग की मान्यता थी कि बच्चों को केवल पढ़ने का ही काम करना चाहिए। प्यार, आदर और खेल से उनका जीवन नष्ट हो जाता है सवेरे स्कूल जाने से पहले  चिल्ला चिल्ला कर पढ़ना चाहिए और संध्या को स्कूल से लौटकर रात के भोजन तक चंडी- मंडप में धीये के चारों ओर बैठकर पाठ का अभ्यास करना चाहिए। जो नियम तोड़ता था उसे आयु के अनुसार दंड दिया जाता था ।इस और अनुशासन के बीच खेलने का अवकाश पाना बड़ा कठिन था परंतु शरत् नाना के कानूनों का पालन नहीं करते थे वह आंखों में धूल झोंकने की कला में निपुण थे ।गांगुली परिवार में पतंग उड़ाना वर्जित था लड्डू घुमाना, गोली,तालाब में नहाना,जानवरों और पक्षियों को पालना,पतंग उड़ाना, और गुल्ली डंडा जैसे खेल निषेध थे। जो शरत् को बहुत प्रिया थे। वे सभी निषेध कार्य को किया करते थे।


19. शरत् और उनके उसके पिता मोतीलाल के  स्वभाव में क्या समानताएं थी?

उत्तर: 1. शरत् को अपने पिता की तरह ही  कहानी, उपन्यास, नाटक लिखने का शौक था। शरद को अपने पिता की तरह ही पुस्तकालय में जाकर पुस्तकें पढ़ने का भी बहुत शौक था। 

2. शरत् के नजर में भी अपने पिता की तरह कोई छोटा बड़ा नहीं था और सबको बराबर सम्मान देते थे।

3.शरत् को भी अपने पिता की भांति प्रचुर मात्रा में सौंदर्य बोधा था। पढ़ने के कमरे को खूब सजाकर रखते थे।

4. शरत् अपने पिता की तरह ही स्वल्पाहारी था। 

5.शरत् भी अपने पिता की तरह आजीविका चलाने में कामयाब ना हो सके। क्योंकि वै भी जिज्ञासु और घुमक्कड़ प्रवृत्ति के थे और किसी एक स्थान पर रुक पाना उनके लिए संभव ही नहीं था।


20. साहित्य का क्या उद्देश होता है?

उत्तर:  साहित्य का उद्देश्य हमारी अनुभूतियों की तीव्रता को बढ़ाना है। साहित्य उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं है बल्कि वर्तमान समय में साहित्य का उद्देश्य जीवन की समस्याओं पर भी विचार करना और उसका समाधान करना भी है। साहित्य के मध्य से समाज में फैली कुरीतियों के बारे में जानकारी के साथ खूबियों के बारे में भी जाना जा सकता है।  साहित्य हमें हमारी पुरानी संस्कृति से अवगत कराता है। यह किसी इंसान को अपने देश, गांव और समाज को नजदीक से जानने में भी सहायता प्रदान करता है। साहित्यिक हमारे ज्ञान को भी बढ़ाता है। साहित्य हमारे जीवन को स्वभाविक और स्वाधीन बनाता है । साहित्यिक के उपदेश हमारी  बुद्धि और मन पर प्रभाव डालने का यत्न करना है।  साहित्य का उद्देश्य जीवन की सच्चाई पर प्रकाश डालना है जो हमारे जीवन को गति, संघर्ष और बेचैनी पैदा कराता है।

FAQs on Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Antral Chapter 3 - Awara Masiha

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3. Who is the author of Awara Masiha?

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4. What is biography?

Biography is a type of written creativity of somebody else's life in their own language. The famous biography Awara Masiha is written by Vishnu Prabhakar. The biography was about the childhood of Sarat Chandra and defines all the events of his life. His father Motilal yayavar was a travel lover. He used to visit his maternal house with his mother a lot but in this chapter the incident is described when Sarat chandra was 3 years old.

5. Why should a student read a biography?

system was full of discipline. Literature helps to see the beauty of nature at that time. By reading Important Questions for CBSE class 11 Antral Chapter 3 - Awara Masiha student may easily understand lifestyle of Sarat Chandra.