दो गौरैया Class 8 Hindi Durva Chapter 2 CBSE Notes - 2025-26
FAQs on दो गौरैया Class 8 Hindi Durva Chapter 2 CBSE Notes - 2025-26
1. 'दो गौरैया' पाठ का सारांश क्या है, जो रिवीज़न के लिए महत्वपूर्ण है?
यह कहानी लेखक भीष्म साहनी और उनके घर में घोंसला बनाने वाली दो गौरैयों के बीच के रिश्ते को दर्शाती है। शुरुआत में, लेखक और उनकी पत्नी गौरैयों की हरकतों से परेशान होकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं। लेकिन, जब वे घोंसले में नन्हे अंडे देखते हैं, तो उनका हृदय करुणा और स्नेह से भर जाता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व में ही सच्ची खुशी है। रिवीज़न नोट्स इस कहानी के मुख्य बिंदुओं, जैसे पात्रों का हृदय परिवर्तन और कहानी के संदेश को आसानी से याद करने में मदद करते हैं।
2. 'दो गौरैया' कहानी के मुख्य पात्र कौन हैं और गौरैयों के प्रति उनका प्रारंभिक दृष्टिकोण क्या था?
कहानी के मुख्य पात्र हैं लेखक (पिताजी), उनकी पत्नी (माँ), और गौरैयों का एक जोड़ा। शुरू में, लेखक और उनकी पत्नी दोनों ही गौरैयों से बहुत नाराज़ थे क्योंकि वे कमरे में तिनके लाकर गंदगी फैला रही थीं और शोर कर रही थीं। उन्होंने कई बार गौरैयों को घर से बाहर निकालने की कोशिश की, जो उनके प्रारंभिक टकरावपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है।
3. इस कहानी के माध्यम से लेखक क्या मुख्य संदेश देना चाहते हैं?
'दो गौरैया' कहानी का मुख्य संदेश मनुष्यों और प्रकृति के बीच करुणा और सह-अस्तित्व (compassion and coexistence) का महत्व है। लेखक यह दर्शाते हैं कि कैसे छोटी-छोटी बातों में भी गहरी खुशी मिल सकती है और कैसे क्रोध और झुंझलाहट को प्रेम और सहानुभूति में बदला जा सकता है। यह हमें सभी जीवित प्राणियों के प्रति दयालु होने की प्रेरणा देती है।
4. लेखक ने गुस्से में यह क्यों कहा, "किसी को सचमुच बाहर निकालना हो तो उसका घर तोड़ देना चाहिए"?
लेखक ने यह बात अत्यधिक हताशा और क्रोध में कही थी। वे गौरैयों को बार-बार बाहर निकालने की कोशिश करके थक चुके थे, लेकिन गौरैया हर बार वापस आ जाती थी। इस कथन से उनकी उस समय की कठोर मानसिकता का पता चलता है, जहाँ वे समस्या को जड़ से खत्म करने के बारे में सोच रहे थे। यह उनके बाद के हृदय परिवर्तन के बिल्कुल विपरीत था।
5. कहानी के अंत में, कमरे में फिर से शोर होने पर भी पिताजी गौरैया को देखकर क्यों मुस्कुरा रहे थे?
कहानी के अंत तक पिताजी का दृष्टिकोण पूरी तरह बदल चुका था। घोंसले में अंडों और फिर बच्चों को देखने के बाद, उनका हृदय स्नेह और वात्सल्य से भर गया था। अब गौरैयों का शोर उन्हें परेशानी नहीं, बल्कि खुशी देता था। वे उन पक्षियों को अपने परिवार का हिस्सा मानने लगे थे, इसलिए उनकी हरकतों को देखकर वे मुस्कुरा रहे थे। यह कहानी का केंद्रीय वैचारिक बदलाव है।
6. 'दो गौरैया' पाठ में गौरैया का जोड़ा किन बातों का प्रतीक है?
इस पाठ में गौरैया का जोड़ा कई महत्वपूर्ण बातों का प्रतीक है, जिन्हें रिवीज़न करते समय याद रखना चाहिए:
- प्रकृति की दृढ़ता: बार-बार निकाले जाने पर भी वे वापस आकर अपना घर बनाती हैं।
- पारिवारिक मूल्य: वे अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित घर बनाने का अथक प्रयास करती हैं।
- निर्दोष जीवन: उनकी चहचहाहट और गतिविधियाँ जीवन के सरल आनंद का प्रतीक हैं।
7. यह कहानी कैसे दर्शाती है कि मनुष्य और प्रकृति के बीच के टकराव को सह-अस्तित्व में बदला जा सकता है?
यह कहानी इस बदलाव का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। शुरुआत में 'टकराव' था – लेखक की साफ-सुथरे कमरे की इच्छा और गौरैयों की घोंसला बनाने की प्राकृतिक जरूरत। यह टकराव तब 'सह-अस्तित्व' में बदल गया जब लेखक ने गौरैयों को परेशानी के बजाय एक परिवार के रूप में देखना शुरू किया। सहानुभूति और अवलोकन ने उनके दृष्टिकोण को बदल दिया, जिससे यह सिद्ध होता है कि समझ और प्रेम से किसी भी टकराव को खत्म किया जा सकता है।
8. कक्षा 8 के रिवीज़न के लिए 'दो गौरैया' पाठ के मुख्य घटनाक्रम क्या हैं?
त्वरित रिवीज़न के लिए, इन मुख्य घटनाक्रमों पर ध्यान केंद्रित करें:
- गौरैयों का कमरे में प्रवेश और घोंसला बनाने की शुरुआती कोशिशें।
- लेखक और पत्नी द्वारा उन्हें बाहर निकालने के असफल प्रयास।
- लेखक का गुस्से में घोंसला तोड़ने का विचार।
- घोंसले में अंडों की खोज, जिससे उनका हृदय परिवर्तन होता है।
- अंत में, गौरैया परिवार को स्वीकार करना और उनकी उपस्थिति में आनंद का अनुभव करना।





















