Sangharsh Ke Kaaran Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 CBSE Notes - 2025-26
FAQs on Sangharsh Ke Kaaran Main Tunukamizaaj Ho Gaya: Dhanraj Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 CBSE Notes - 2025-26
1. कक्षा 7 के हिंदी पाठ 14, 'संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया: धनराज' का संक्षिप्त सारांश क्या है?
इस पाठ का सारांश हॉकी के महान खिलाड़ी धनराज पिल्लै के एक साक्षात्कार पर आधारित है। इसमें उनके बचपन के संघर्ष, आर्थिक कठिनाइयों, और हॉकी के प्रति उनके जुनून को दर्शाया गया है। यह पाठ हमें सिखाता है कि कैसे कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से सफलता प्राप्त की जा सकती है, भले ही रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ।
2. इस पाठ के रिवीजन के लिए धनराज पिल्लै के जीवन की कौन-सी मुख्य घटनाएँ याद रखनी चाहिए?
पाठ 14 के त्वरित रिवीजन के लिए आपको निम्नलिखित मुख्य घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए:
- धनराज का बचपन और टूटी हुई हॉकी स्टिक से खेलना।
- उनकी माँ द्वारा उन्हें पहली हॉकी स्टिक खरीदने के लिए प्रेरित करना।
- आर्थिक तंगी के बावजूद उनका खेल के प्रति समर्पण।
- उनका तुनुकमिज़ाज (short-tempered) स्वभाव, जो उनके संघर्षों का परिणाम था।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त करना।
3. पाठ का शीर्षक 'संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया' धनराज के चरित्र के बारे में क्या बताता है?
यह शीर्षक धनराज के चरित्र की एक महत्वपूर्ण सच्चाई को उजागर करता है। यह बताता है कि उनका चिड़चिड़ा स्वभाव स्वाभाविक नहीं था, बल्कि यह उनके जीवन के निरंतर संघर्षों और कठिनाइयों का परिणाम था। गरीबी और अभाव ने उन्हें छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा दिलाना सिखाया, लेकिन यही गुस्सा उन्हें मैदान पर बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा भी देता था। रिवीजन करते समय इस संबंध को समझना महत्वपूर्ण है।
4. इस पाठ के अनुसार धनराज पिल्लै की पहली हॉकी स्टिक की कहानी क्या है?
धनराज पिल्लै के पास शुरुआत में अपनी हॉकी स्टिक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। वह अपने दोस्तों से स्टिक उधार लेकर खेलते थे। जब उनके बड़े भाई को भारतीय कैंप के लिए चुना गया, तो उन्होंने अपनी पुरानी हॉकी स्टिक धनराज को दे दी। यह उनकी पहली अपनी हॉकी स्टिक थी, जो उनके लिए बहुत कीमती थी।
5. एक त्वरित रिवीजन में, हमें धनराज के संघर्षों के अलावा उनके व्यक्तित्व के और किन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए?
संघर्षों के अलावा, रिवीजन के दौरान आपको धनराज के व्यक्तित्व के इन पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए:
- परिवार का महत्व: विशेषकर अपनी माँ और भाई के प्रति उनका गहरा लगाव और सम्मान।
- सीधा और सरल स्वभाव: वे प्रसिद्धि के बावजूद जमीन से जुड़े रहे और अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करते थे।
- आत्मविश्वास: उन्हें अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा था, जो उनके खेल में भी झलकता था।
- देशभक्ति: हॉकी के माध्यम से देश का नाम रोशन करने की उनकी प्रबल इच्छा।
6. इस पाठ की मुख्य अवधारणा क्या है और इसे हम अपने जीवन से कैसे जोड़ सकते हैं?
इस पाठ की मुख्य अवधारणा यह है कि दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास किसी भी बाधा पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। धनराज की कहानी हमें सिखाती है कि आर्थिक या सामाजिक पृष्ठभूमि सफलता में बाधा नहीं बन सकती, यदि व्यक्ति में अपने लक्ष्य के प्रति जुनून और समर्पण हो। छात्र इसे अपने जीवन में पढ़ाई या किसी अन्य लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा के रूप में जोड़ सकते हैं।
7. धनराज पिल्लै पढ़ाई में कैसे थे और उनका ध्यान किस पर केंद्रित था?
पाठ के अनुसार, धनराज पिल्लै पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे। वे मुश्किल से दसवीं कक्षा तक ही पढ़ पाए। उनका पूरा ध्यान और जुनून हॉकी खेलने पर केंद्रित था, और वे इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते थे।
8. यह पाठ एक साक्षात्कार के रूप में क्यों प्रस्तुत किया गया है? इससे हमें क्या अलग जानकारी मिलती है?
इस पाठ को एक साक्षात्कार के रूप में प्रस्तुत करने से हमें धनराज पिल्लै के विचारों और भावनाओं की प्रत्यक्ष और सच्ची जानकारी मिलती है। एक सामान्य जीवनी के बजाय, साक्षात्कार हमें उनके व्यक्तित्व, उनके गुस्से के पीछे के कारण, और उनकी सफलताओं पर उनकी अपनी प्रतिक्रिया को सीधे उन्हीं के शब्दों में समझने का मौका देता है। यह पाठ को अधिक व्यक्तिगत और विश्वसनीय बनाता है।





















