Nrityangana Sudha Chandran Class 7 Hindi Durva Chapter 13 CBSE Notes - 2025-26
FAQs on Nrityangana Sudha Chandran Class 7 Hindi Durva Chapter 13 CBSE Notes - 2025-26
1. कक्षा 7 की हिंदी पाठ्यपुस्तक के अध्याय 13, 'नृत्यांगना सुधा चंद्रन' का सारांश क्या है?
यह अध्याय प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना सुधा चंद्रन के जीवन पर आधारित एक प्रेरणादायक कहानी है। इसमें बताया गया है कि कैसे एक दुर्घटना में अपना एक पैर खोने के बावजूद, उन्होंने अपने अदम्य साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर नृत्य के क्षेत्र में वापसी की। यह कहानी उनके संघर्ष, जुनून और सफलता की यात्रा को दर्शाती है।
2. अध्याय 'नृत्यांगना सुधा चंद्रन' में बताए गए मुख्य विषय और संदेश क्या हैं?
इस अध्याय के मुख्य विषय और संदेश हैं:
- दृढ़ संकल्प: किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प का होना आवश्यक है।
- साहस: जीवन की कठिनतम चुनौतियों का सामना करने की हिम्मत।
- जुनून: अपने सपनों के प्रति गहरा लगाव और समर्पण।
- आत्मविश्वास: शारीरिक बाधाओं को अपनी कमजोरी न बनने देना और स्वयं पर विश्वास रखना।
3. अध्याय 13 की त्वरित पुनरावृत्ति (quick revision) के लिए किन मुख्य घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए?
त्वरित पुनरावृत्ति के लिए, इन मुख्य घटनाओं को याद रखें:
- सुधा चंद्रन का नृत्य के प्रति बचपन का लगाव।
- एक गंभीर सड़क दुर्घटना में उनका एक पैर खो देना।
- कृत्रिम अंग 'जयपुर फुट' की सहायता से दोबारा चलने और नृत्य करने का कठिन अभ्यास।
- अनेक कठिनाइयों के बाद मंच पर उनकी शानदार वापसी और सफलता।
4. सुधा चंद्रन की कहानी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक क्यों मानी जाती है?
सुधा चंद्रन की कहानी विद्यार्थियों के लिए इसलिए प्रेरणादायक है क्योंकि यह सिखाती है कि शारीरिक अक्षमता किसी की प्रतिभा और सपनों को नहीं रोक सकती। यह दर्शाती है कि यदि व्यक्ति में आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत करने का जज़्बा हो, तो वह किसी भी असंभव लगने वाले लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
5. इस अध्याय में 'जयपुर फुट' ने सुधा चंद्रन की वापसी में क्या भूमिका निभाई?
'जयपुर फुट' एक कृत्रिम पैर था जिसने सुधा चंद्रन के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी की सहायता से वे दुर्घटना के बाद फिर से चलने में सक्षम हुईं। उन्होंने इसी कृत्रिम पैर के साथ नृत्य का कठोर अभ्यास किया और अपनी कला को फिर से जीवंत किया, जो उनकी असाधारण इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
6. इस अध्याय के माध्यम से 'जुनून' और 'दृढ़ता' के बीच क्या संबंध दर्शाया गया है?
यह अध्याय दिखाता है कि जुनून (passion) दृढ़ता (perseverance) को जन्म देता है। सुधा चंद्रन का नृत्य के प्रति गहरा जुनून ही वह शक्ति थी जिसने उन्हें पैर खोने के असीम दर्द और निराशा से उबरने की दृढ़ता प्रदान की। बिना जुनून के, इतनी बड़ी चुनौती के सामने दृढ़ रहना लगभग असंभव था।
7. यदि सुधा चंद्रन ने दुर्घटना के बाद हार मान ली होती तो इस कहानी का संदेश कैसे अलग होता?
यदि सुधा चंद्रन हार मान लेतीं, तो यह कहानी एक दुखद घटना बनकर रह जाती और इसका संदेश पूरी तरह से विपरीत होता। यह कहानी तब मानवीय सीमाओं और निराशा को दर्शाती, न कि अदम्य मानवीय भावना की जीत को। उनकी सफलता ने ही इस कहानी को त्रासदी से प्रेरणा में बदला है, जो यह सिखाती है कि हम अपनी नियति स्वयं लिख सकते हैं।





















