आरंभिक जीवन Class 8 Hindi Sanshipt Budhcharit Chapter 1 CBSE Notes - 2025-26
FAQs on आरंभिक जीवन Class 8 Hindi Sanshipt Budhcharit Chapter 1 CBSE Notes - 2025-26
1. कक्षा 8 के हिंदी पाठ 1, 'आरंभिक जीवन' का त्वरित सारांश क्या है?
यह अध्याय राजकुमार सिद्धार्थ (बाद में गौतम बुद्ध) के शुरुआती जीवन का वर्णन करता है। इसमें उनके जन्म, राजसी परिवेश में पालन-पोषण, और उन घटनाओं का संक्षिप्त विवरण है जिन्होंने उन्हें सांसारिक सुखों को त्यागकर ज्ञान की खोज के लिए प्रेरित किया। यह पाठ उनके एक राजकुमार से महात्मा बनने की यात्रा की नींव रखता है।
2. सिद्धार्थ के जन्म के समय महर्षि असित ने क्या भविष्यवाणी की थी?
महर्षि असित ने भविष्यवाणी की थी कि बालक सिद्धार्थ या तो एक महान चक्रवर्ती सम्राट बनेगा या फिर संसार के दुखों को देखकर सब कुछ त्याग देगा और एक महान संन्यासी बनकर जगत का कल्याण करेगा। इस भविष्यवाणी ने राजा शुद्धोदन को चिंता में डाल दिया था।
3. राजा शुद्धोदन, सिद्धार्थ को सांसारिक दुखों से दूर क्यों रखना चाहते थे?
राजा शुद्धोदन महर्षि असित की भविष्यवाणी के कारण बहुत चिंतित थे। वे नहीं चाहते थे कि सिद्धार्थ संन्यासी बनें, इसलिए उन्होंने राजकुमार को हर प्रकार के दुःख, दर्द और पीड़ा से दूर रखने के लिए महल में हर तरह की सुख-सुविधा का प्रबंध किया, ताकि उनका मन वैराग्य की ओर न जाए।
4. वे कौन-से चार दृश्य थे जिन्होंने राजकुमार सिद्धार्थ के जीवन की दिशा बदल दी?
जिन चार दृश्यों ने सिद्धार्थ के मन पर गहरा प्रभाव डाला, वे थे:
- एक बूढ़ा व्यक्ति (जरा)
- एक बीमार व्यक्ति (व्याधि)
- एक मृत व्यक्ति का शव (मृत्यु)
- एक प्रसन्नचित्त संन्यासी (वैराग्य)
5. पाठ के आधार पर यह कैसे कहा जा सकता है कि बालक सिद्धार्थ बचपन से ही विचारशील और मेधावी थे?
बालक सिद्धार्थ बचपन से ही असाधारण रूप से मेधावी और विचारशील थे। वे अपनी आयु के बच्चों से अलग, अक्सर गंभीर चिंतन में डूबे रहते थे। उन्होंने बहुत कम समय में सभी कलाओं और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था, जो उनकी तीव्र बुद्धि और सीखने की क्षमता को दर्शाता है। उनका स्वभाव शांत और करुणा से भरा था।
6. राजसी सुख-सुविधाओं के बावजूद सिद्धार्थ के मन में बेचैनी और संवेग क्यों उत्पन्न हुए?
सिद्धार्थ का मन स्वाभाविक रूप से करुणामय और संवेदनशील था। महल की कृत्रिम खुशियाँ उनकी ज्ञान की प्यास को शांत नहीं कर सकीं। जब उन्होंने महल के बाहर जरा, व्याधि और मृत्यु का दुःख देखा, तो उन्हें यह एहसास हुआ कि ये सुख-सुविधाएँ क्षणिक हैं और जीवन का असली सत्य कुछ और है। यही बोध उनकी बेचैनी का मुख्य कारण बना।
7. इस पाठ में सिद्धार्थ के सारथी छन्दक की क्या भूमिका है?
सारथी छन्दक इस कहानी में एक महत्वपूर्ण पात्र है। वह न केवल सिद्धार्थ का रथ हाँकता है, बल्कि नगर भ्रमण के दौरान देखे गए दृश्यों का यथार्थवादी परिचय भी कराता है। छन्दक ही सिद्धार्थ को बुढ़ापे, बीमारी और मृत्यु की सच्चाई से अवगत कराता है, जिससे राजकुमार के मन में वैराग्य का भाव और गहरा हो जाता है।
8. 'आरंभिक जीवन' पाठ में प्रस्तुत सिद्धार्थ के चरित्र से कौन-से मुख्य मूल्य सीखने को मिलते हैं?
इस पाठ से सिद्धार्थ के चरित्र के माध्यम से कई महत्वपूर्ण मूल्य सीखने को मिलते हैं, जैसे:
- करुणा और समानुभूति: दूसरों के दुःख को महसूस करने की क्षमता।
- सत्य की खोज: सांसारिक सुखों से परे जाकर जीवन के वास्तविक अर्थ को जानने की जिज्ञासा।
- दृढ़ निश्चय: सत्य की खोज के लिए अपने राजसी जीवन और परिवार का त्याग करने का साहस।





















