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Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem Ve Ankhe

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Last updated date: 25th Apr 2024
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CBSE Class 11 Hindi Aroh Important Questions Chapter 14 Poem Ve Ankhe - Free PDF Download

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Study Important Questions Class 7 Hindi Chapter 14 – वे आँखें

लघु उत्तरीय प्रश्न                                                (1 अंक)

1. व्यक्ति किन बातों से डरता है?

उत्तर: आमतौर पर व्यक्ति किसी अपने की म्रत्यु, अपमान, दुख, पीड़ा आदि जैसी परिस्तिथियो से डरता हैं।


2. कविता में कवि ने किसके दुखो का वर्णन किया है?

उत्तर: किसान के दुखो का वर्णन कविता में किया है।


3. किसान के बैलों को किसने नीलाम किया था?

उत्तर: जमीदार ने किसान के बैलों को नीलाम किया था।


4. किसान कि बहु ने आत्महत्या क्यों और कैसे किया था।

उत्तर: कोतवाल ने किसान की बहु के साथ दुष्कर्म किया था जिसके करन वह कुए मेन कूद गयी और अपनी जान देदी।


5. किसान कि आँखो में किसे याद करके चमक आ जती है?

उत्तर: किसान की आँखो में अपने सुख से भरे दिनो को याद करके चमक आजाती है।


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                         ( 2 अंक)

1. कवि किसान कि आँखों का वर्णन क्यों करता है?

उत्तर: कवि सम्पूर्ण समाज को किसान के दुखो और पीड़ाओं तथा समाज के उपेकक्षाषपूर्ण रवैये से अवगत करना चाहता हाई इसलिए वह किसान की आँखों का वर्णन करता हाई।


2. महाजन ने किसान के साथ क्या किया था?

उत्तर: महाजन के कारिंदों ने किसान के जवान बेटे की पीटकर हत्या करदी। ब्याज वसूलने के लिए महाजन ने उसका घर, उसकी बैले और गाय नीलाम करवा दिए।


3. कविता में प्रयुक्त “उन आँखों” शब्द का प्रयोग किस लिए किया गया है?

उत्तर: कविता में प्रयुक्त “उन आँखो” शब्द से किसान की सूनी, दुख भरी आँखो की और संकेत किया गया है।


4. किसान को पत्नी कि म्रत्यु से ज़्यादा किस बात का दुःख है?

उत्तर: किसान को पत्नी कि म्रत्यु से ज़्यादा दुःख अपने जवान बेटे के मरने का है जिसकी निर्दयता से हत्या कर दी गयी।


5. किसान कि आँखों में कवि को क्या दिखता हाई?

उत्तर: किसान कि आँखों में कवि को उदासी, दुःख, निराशा, कष्ट दिखता है।


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                         ( 3 अंक)

1. कवि को किस से डर लगता है?

उत्तर: कवि को किसान की सूनी, दुख भरी आँखों से डर लगता है। किसान की आँखों मे भरी पीड़ा, डर, विवशता, लाचारी और शून्यता  का कवि सामना करने का साहस नही जुटा पाता।


2. कवि किसानो के आँखों की पीड़ा का वर्णन कविता में कैसे कर लेता है?

उत्तर: डरते हुए भी कवि किसान की आँखो की पीड़ा का वर्णन इसलिए करते है क्योंकि वह चाहते है समझ किसान के कष्ट और उनकी आपबीती को समझ उनके कष्ट कम करने में और उनकी दशा सुधारने के लिए कुछ कार्य करे। यदि कवि इन आँखो से नहीं डरता तो वह ये कविता ना लिख पाता क्योंकि किसान की आँखो कि पीड़ा से लगा डर ही कवि को उस पीड़ा का अनुभव दे रहा है।


3. दुःख आने से पहले किसान के जीवन में कौन कौन से सुख थे?

उत्तर: दुःख आने से पहले किसान बहुत सुखी था। जब किसान के पास लहलहाते प्यारे खेत थे जिसका हर तिनका उसके जीवन की खुशी था, बैलों की जोड़ी थी, उजली गाय जो केवल उसकी पत्नी को ही दूध निकालने देती थी , जवान बेटा जो उसकी आँखों का तारा था, स्त्री, पुत्री, पुत्रवधू, सबसे हरा-भरा  घर-बार था तो वह सुखी था।


4. “बिना दवा-दपन के घरनी......... डूब कुएँ में मरी एक दिन।” इन पंक्तियों शिल्प कीजिए।

उत्तर: इन पंक्तियों में कवि ने कवि ने खड़ी तथा प्रवाहमयी भाषा बोली  है एवं करूण रस का प्रयोग किया है। मुहावरे “आँखे भर आना” का प्रयोग पंक्तियों मे किया है। अनुप्रास अलंकार  का दवा-दर्पण जैसे स्थानो पर प्रयोग किया गया है।


5. सुमित्रानंदन पन्त जी का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिये।

उत्तर: सुमित्रानन्द पन्त का जन्म 20 मई 1900 ई. को अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गांव में हुआ था। सुमित्रानन्दन की प्रारंभिक शिक्षा कौसानी के गांव में तथा उच्च शिक्षा बनारस और इलाहाबाद में हुई। सन् 1956 ई० में उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें एक लाख रुपये के ‘भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मभूषण’ से भी अलंकृत किया था। इन्हें पद्मभूषण सम्मान कलावं बूदा चाँद पर साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा चिदम्बरा पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ये आकाशवाणी में हिन्दी चीफ प्रोड्यूसर भी रहे। रचनाएँ-पंत जी ने समय के अनुसार अनेक विधाओं में कलम चलाई। 

इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

  • काव्य - वीणा, ग्रंथि , पल्लव, गुंजन, युगवाणी, ग्राम्या, चिदंबरा, उत्तरा, स्वर्ण किरण, कला, और बूढ़ा चाँद, लोकायतन आदि हैं।

  • नाटक - रजत रश्मि, ज्योत्स्ना, शिल्पी।

  • उपन्मस - हार।

  • कहानियाँ व संस्मरण - पाँच कहानियाँ, साठ वर्ष, एक रेखांकन।

  • सन् 1977 ई० में सरस्वती के इस अनन्य पुजारी का निधन हो गया।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न                                                                                 ( 5 अंक )        

1. जमींदार, महाजन और कौतवाल किस बात के लिए ज़िम्मेदार है?

उत्तर: कविता में किसान की पीड़ा के लिए जमींदार, महाजन और कोतवाल को ज़िम्मेदार बताया गया है। जमींदार ने धोका -धड़ी कर किसान से उसकी जमीं चीन ली, उसके कारिंदों ने किसान के जवान बेटे की पीटकर हत्या करदी। ब्याज वसूलने के लिए महाजन ने उसका घर, उसकी बैले और गाय नीलाम करवा दिए। आर्थिक स्तिथि के कारण उसकी पत्नी की इलाज ना होने से मरत्यु होगई जिसके कारण देख रेख ना होने से उसकी पुत्री की भी दो दिन बाद म्रत्यु होगई। कोतवाल ने किसान की पुत्रवधू को पति की हत्या का कारण बताते हुए जेल बुलाया। लज्जा से उसकी पुत्रवधू ने कूएँ में कूद आत्महत्या करली।


2. “वे आँखें” कविता का सारांश लिखिए।

उत्तर: यह कविता पंत जी के प्रगतिशील दौर की कविता है। इसमें कवि ने युग-युग से शोषण के शिकार होरहे किसान के जीवन को दर्शाया हाई।यह कविता दुश्चक्र में फैसे किसानों के व्यक्तिगत एवं पारिवारिक दुखों की परतों को खोलती है और स्पष्ट रूप से विभाजित समाज की वर्गीय चेतना का खाका प्रस्तुत करती है।

कवि कहता है कि किसान की आँखों में पीड़ा भरी हुई है। इन आँखों को देखने से डर लगता है। वह पहले स्वतंत्र था। उसकी आँखों में अभिमान झलकता था। आज उसे सारे संसार ने अकेला छोड़ दिया है। उसकी आँखों में लहराते खेत झलकते हैं जिनसे अब उसे बेदखल कर दिया गया है। उसे अपने बेटे की याद आती है जिसे जमींदार के कारिंदों ने लाठियों से पीटकर मार डाला। कर्ज के कारण उसका घर बिक गया। महाजन ने ब्याज की कौड़ी नहीं छोड़ी तथा उसके बैलों की जोड़ी भी नीलाम कर दी। उसकी उजरी गाय भी अब उसके पास नहीं है।

किसान की पत्नी दवा के बिना मर गई और देखभाल के बिना दुधर्मुही बच्ची भी दो दिन बाद मर गई। उसके घर में बेटे की विधवा पत्नी थी, परंतु कोतवाल ने उसे बुला लिया। उसने कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी। किसान को पत्नी का नहीं, जवान लड़के की याद बहुत पीड़ा देती थी। जब वह पुराने सुखों को याद करता है तो आँखों में चमक आ जाती है, परंतु अगले ही क्षण सच्चाई के धरातल पर आकर पथरा जाती है।


3. अधिकर की गोह सरीखी...........संसार कगार सद्रश बह खिसका।”इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे आँखें’ से लिया गया है। इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में, कवि ने भारतीय किसान के भयंकर शोषण व दयनीय दशा का वर्णन किया है। व्याख्या-कवि कहता है कि शोषित किसान की गड्ढों में धैसी हुई आँखें अँधेरी गुफा के समान दिखती हैं जिनसे मन में अज्ञात भय उत्पन्न होता है। ऐसा लगता है कि उनमें बहुत दूर तक कोई कष्टप्रद दयनीयता व दुख का मौन रुदन भरा हुआ है। उसकी आँखों में भयानक गरीबी का दुख व्याप्त है। किसान का अतीत अच्छा था। वह सदैव स्वाधीन था। उसके पास अपने खेत थे। उसकी आँखों में स्वाभिमान झलकता था, परंतु आज वह अकेला पड़ गया है। संसार ने उसे समस्याओं के बीच में छोड़कर किनारे की तरह बहकर उससे दूर चला गया है।


4. “लहराते वे खेत द्वगों में............गया जवानी ही में मारा।” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे आँखें’ से लिया गया है इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में, कवि ने भारतीय किसान के भयंकर शोषण व दयनीय दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या-किसान अपने अतीत की याद करता है। उसकी आँखों के समक्ष खेत लहलहाते नजर आते हैं जबकि अब उन खेतों से उसे बेदखल कर दिया गया है अर्थात् जमींदारों ने उसकी जमीन हड़प ली है। कभी इन खेतों के तिनके-तिनके में कभी हरियाली लहराती थी तथा उसके जीवन को सुखमय बनाती थी। आज वह सब कुछ खत्म हो गया है।

किसान की आँखों में उसके प्यारे पुत्र का चित्र घूमता रहता है। उसे वह दृश्य याद आता है। जब उसके जवान बेटे को जमींदार के कारिंदों ने लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला था। यह बड़े दुख की बात थी।


5. “बिका दिया घर द्वार,..........उजड़ गई जो सुख की खेती !” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिये?

उत्तर: प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे ऑखें’ से लिया गया है। इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में, कवि ने भारतीय किसान के भयंकर शोषण व दयनीय दशा का वर्णन किया है। व्याख्या-कवि किसान की दयनीय दशा का वर्णन करता है। किसान कर्ज में डूब गया। महाजन ने धन व ब्याज की वसूली के लिए किसान की स्थायी संपत्ति को नीलाम कर दिया। उसे घर से बेघर कर दिया, परंतु अपने ऋण के ब्याज की पाई-पाई चुका ली। किसान को सर्वाधिक पीड़ा तब हुई जब बैलों की जोड़ी को भी नीलाम कर दिया गया। यह बात उसकी आँखों में आज भी चुभती है। उसके रोजगार का साधन छीन लिया गया।

किसान के पास दुधारू गाय उजली (जिसे वह प्यार से उजरी कहता था) थी वह उसके सिवाय किसी और को अपने पास दूध दुहने नहीं आने देती थी। मजबूरी के कारण किसान को उसे बेचना पड़ा। इन सब बातों को याद करके किसान बहुत व्यथित होता है। ये सारे दृश्य उसकी आँखों के सामने नाचते हैं। उसकी सुखभरी खेती उजड़ चुकी है, अत: वह निराश व हताश है।