An Overview of Important Questions Class 6 Hindi Vasant Chapter 17
Have you ever thought about how much we use bamboo in our daily lives? In Saans Saans Me Baans Important Questions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 17, you’ll discover amazing facts about bamboo, its uses, and the people who shape it into beautiful things. This chapter brings alive stories from Nagaland and Assam, sharing how bamboo plays a big role in art, culture, and everyday jobs.
If you find it tricky to remember all the steps of basket making or get confused between “दाओ” and “खपच्ची”, you’re not alone. The important questions prepared by Vedantu’s experts cover common doubts and help you quickly revise for your Class 6 Hindi exams. Want to know what’s expected in your syllabus? You can check the Class 6 Hindi Syllabus for better clarity.
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Study Important Questions Class 6 Hindi Chapter– 17 साँस साँस में बाँस
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
1.टोकरी बनाने के लिए बेहतर बाँस की उम्र कितनी बताई गई है ?
उत्तर : टोकरी बनाने के लिए एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस उपयोग में लाए जाते हैं।
2 . जादूगर का नाम क्या था ?
उत्तर : जादूगर का नाम चंगकीचंगलनबा था ।
3 . “साँस–साँस में बाँस” प्रस्तुत पाठ के अनुवादक कौन है ?
उत्तर : “साँस-साँस में बाँस” पाठ के अनुवादक शशि सबलोक जी हैं ।
4. पाठ में भारत के किस राज्य की बात खासतौर पर की गई है?
उत्तर : प्रस्तुत पाठ में ‘नागालैंड’ राज्य की बात खासतौर पर की गई है।
5. जादूगर के मरने के कितने दिनों बाद कब्र खोदी गई ?
उत्तर : जादूगर के मरने के छठे दिन कब्र खोदी गई ।
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
6 . जादूगर की कब्र से क्या निकला ?
उत्तर : जब जादूगर के मरने के छठे दिन कब्र खोदी गई तो उसमें से बाँस की टोकरियों के कई सारे डिजाइन निकले ।
7 . भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में से कितने राज्यों के बारे में बात की गई है ?
उत्तर : भारत के उत्तर -पूर्व राज्यों में कुल सात राज्य हैं । भारत के उत्तर पूर्व में आसाम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा राज्य शामिल हैं। लेकिन इस पाठ में केवल नागालैंड और असम राज्य के बारे में बात की गई हैं।
8. टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों का क्या करना जरूरी होता है ?
उत्तर : टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों को चिकना करना बहुत जरूरी होता है। इस काम के लिए दाओ का प्रयोग भी किया जाता है।
9. दाओ क्या होता है ?
उत्तर : दाओ यानी चौड़े, चाँद जैसी फाल वाले चाकू होते हैं । इनकी मदद से बाँस को छीलकर खपच्चियाँ तैयार की जाती हैं ।
10. भारत के किस क्षेत्र में बाँस बहुत उगता है?
उत्तर : भारत के उत्तर -पूर्वी राज्यों में कुल सात राज्य है और इन्हीं सात राज्यों में बाँस बहुत अधिक उगता है । मूलतः मेघालय और सिक्किम में बांस की सर्वाधिक उपज होती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
11. खपच्चियों की रंगाई के लिए किन चीजों का उपयोग होता है ?
उत्तर : खपच्चियों की रंगाई के लिए ज्यादातर गुड़हल, इमली की पत्तियों आदि का उपयोग किया जाता है । काले रंग के लिए उन्हें आम की छाल में लपेटकर कुछ दिनों के लिए मिट्टी में दबा कर रख दिया जाता है ।
12. बाँस का रिश्ता इंसानों से कब से है ?
उत्तर : बाँस का इस्तेमाल इंसान बहुत पहले से करता आया है। इंसान ने जब हाथ से कलात्मक चीजें बनानी शुरू की होंगी तभी से शायद बाँस का उपयोग भी शुरू कर दिया गया होगा । ऐसा माना जाता है कि इसका रिश्ता उस दौर से है, जबसे इंसानों ने भोजन इकट्ठा करना शुरू कर दिया था ।
13. बाँस की बुनाई कैसे होती है ?
उत्तर : बाँस की बुनाई ठीक वैसे ही होती है जैसे कोई और बुनाई की जाती है । पहले खपच्चियों को आड़ा -तिरछा रखा जाता है फिर बाने को बारी-बारी से ताने के ऊपर-नीचे किया जाता है । इससे चैक का डिजाइन बन जाता है । जैसे पलंग के निवाड़ की बुनाई होती है।
14. असम में बाँस से बनाए जाने वाले जाल का नाम क्या है और उसका क्या उपयोग है?
उत्तर : असम में बाँस से एक जाल तैयार किया जाता है जिसको जकाई कहते हैं जो कि मछली पकड़ने के काम में आता है । इन बाँस की खपच्चियों को इस तरीके से बाँधा जाता है कि ये शंकु का आकार ले लेती है । जकाई का ऊपरी सिरा अंडाकार एवं निचला सिरा बंधा हुआ होता है।
15. लेखक के अनुसार बाँस इकट्ठा करने का सही वक्त कब होता है ?
उत्तर : लेखक के अनुसार बाँस इकट्ठा करने का सही वक्त जुलाई से अक्टूबर का होता है। घनघोर बारिश के महीने में जब लोगों के पास खाली वक्त होता है तब लोग बाँस को इकट्ठा करने के लिए जंगलों में जाते हैं आमतौर पर एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस को काटते हैं ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
16. खपच्चियाँ चीरने के लिए उस्ताद होने की क्यो जरूरत है ?
उत्तर : खपच्चियों की लंबाई और चौड़ाई टोकरी की लंबाई पर निर्भर करती है आमतौर पर खपच्चियों की चौड़ाई एक इंच से ज्यादा नहीं होती है । यह बहुत पतली पतली चीरकर लचीले युवा बाँसों से बनाई जाती है । इसकी कलाकारी करना भी बहुत मुश्किल काम है । इनकी मोटाई, चौड़ाई और लंबाई बराबर रख पाना कोई आसान काम नहीं है । इस हुनर को पाने के लिए बहुत समय लग जाता है इसलिए लेखक ने निबंध में कहा है कि यह काम उस्तादों का ही है ।
17. टोकरी बनाने की विधि बताइए ।
उत्तर : सबसे पहले टोकरी बनाने के लिए खपच्चियों को चिकना बनाना होता है । इसके लिए दाओ को काम में लिया जाता है, फिर इसकी रंगाई इमली के पत्तियों के साथ या गुड़हल के फूलों से होती है एवं काले रंग के इस्तेमाल के लिए आम की छाल में लपेटकर मिट्टी में दबा दिया जाता है फिर बाँस की बुनाई वैसे ही होती है जैसे कोई और बुनाई की जाती है पहले खपच्चियों को आड़ा-तिरछा रखा जाता है फिर बाने को बारी-बारी से ताने के ऊपर-नीचे किया जाता है जैसे पलंग की निवाड़ की बुनाई होती है ठीक वैसे ही इससे चैक का डिजाइन बन जाता है फिर नीचे के कटे सिर को मोड़कर फंसा दिया जाता है और टोकरी तैयार हो जाती हैं ।
18. बूढ़े बाँस और युवा बाँस में क्या अंतर है?
उत्तर : एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस को आमतौर पर उपयोग में लाया जाता है । युवा बाँस लचीला होता है । यह आसानी से नहीं टूटता है इसके विपरीत बूढ़े बाँस सख्त होते हैं इसलिए यह आसानी से टूट जाते हैं । बूढ़े बाँसों को उपयोग में नहीं लाया जाता है और कारीगर ऐसे बाँसों को उपयोग में लाते हैं जिनकी गांठ थोड़ी दूर-दूर हो और बिल्कुल सीधी हो ।
19. भारत में बाँस के उपयोग के बारे में बताइए और इस से क्या-क्या चीज़े बनाई जाती हैं?
उत्तर : भारत में बाँस का उपयोग इंसान बहुत पहले से करता आ रहा है । भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों में कुल सात राज्य है । नागालैंड और असम में बाँस का उपयोग लोग हर काम के लिए करते हैं । अपने उपयोग के साथ -साथ वहाँ के लोग इसको अपने व्यापार के भी काम में लाते हैं । टोकरी के अलावा बाँस का उपयोग वहां के लोग तरह-तरह की चटाइयाँ, टोपियाँ, टोकरियाँ, बर्तन, फर्नीचर, सजावटी सामान, जाल, मकान और पुल इत्यादि में करते है।
20. खपच्चियों के आकार और उसकी उपयोगिता के बारे में बताइए ।
उत्तर : खपच्चियों की लंबाई और चौड़ाई टोकरी की लंबाई पर निर्भर करती है। इनका चिकना होना बहुत जरूरी होता है आमतौर पर खपच्चियों की चौड़ाई एक इंच से ज्यादा नहीं होती है। यह बहुत पतली -पतली चीरकर लचीले युवा बाँसों से बनाई जाती है। इनका उपयोग कई तरह की चीजों को बनाने में किया जाता है जैसे कि चटाइयाँ, टोपियाँ, टोकरियाँ, बर्तन, फर्नीचर, सजावटी सामान, जाल, मकान और पुल इत्यादि ।














